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नाविक

नाविक

जबलपुर में नर्मदा के तट पर एक नाविक रहता है। उसका नाम है, राजन। वह एक कुशल और अनुभवी नाविक व गोताखोर है। उसने अनेक लोगों की जान डूबने से बचाई है। सुबह सूर्य भगवान की ओर यात्रा अपनी नौका की पूजा के साथ ही प्रारम्भ होती है उसकी दिनचर्या। उसने लालच में आकर कभी अपनी नौका में क्षमता से अधिक सवारी नही बैठाई, कभी किसी से तय भाडे से अधिक राशि नही ली।

एक नेताजी अपने चमचों के साथ नदी के दूसरी ओर जाने के लिए राजन के पास आए। नेताजी के साथ उनके चमचों की संख्या नाव की क्षमता से अधिक थी। राजन ने उन्हें कहा कि वह उन्हें दो चक्करों में पार करा देगा, लेकिन नेताजी सबको साथ ले जाने पर अड गए। जब राजन इसके लिए तैयार नही हुआ, तो नेताजी एक दूसरे नाविक के पास चले गए। नेताजी के रौब और पैसे के आगे वह नाविक राजी हो गया और उन्हें नाव पर लादकर पार कराने के लिए चल दिया।

राजन अनुभवी था। उसने आगे होने वाली दुर्घटना को भाँप् लिया। उसने अपने गोताखोर साथियों को बुलाया और कहा कि हवा तेज चल रही है और उसने नाव पर अधिक लोगों को बैठा लिया है। इसलिये तुम लोग भी मेरी नाव में आ जाओ। हम उसकी नाव से एक निश्चित दूरी बनाकर चलेंगे। वह अपनी नाव चलाने लगा। उसके साथियों में से किसी ने यह भी कहा कि हम लोग क्यों इनके पीछे चलें। नेताजी तो बडी पहुँच वाले आदमी है, उनके लिए तो फौरन ही सरकारी सहायता आ जाएगी, लेकिन राजन ने उन्हें समझाया कि उनकी सहायता जब तक आएगी तब तक को सब कुछ खत्म हो जाएगा। हम सब नर्मदा मैया के भक्त है। हम अपना धर्म निभाएँ। उसकी बातो से प्रभावित उसके साथी उसके साथ चलते रहें।

जैसी उसकी आशंका थी, वही हुआ। हवा के साथ तेज बहाव में पहुँचने पर नाव डगमगाने लगी। हडबडाहट में नेताजी और उनके चमचे सहायता के लिए चिल्लाने लगे और उनमें अफरा तफरी मच गई। इस स्थिति में वह नाविक संतुलन नही रख पाया और नाव पलट गई। सारे यात्री पानी में डूबने और बहने लगे, जिन्हें तैरना आता था, वे भी तेज बहाव के कारण तैर नही पा रहे थे। राजन और उसके साथी नाव से कूद पडे और एक एक को बचाकर राजन की नाव में चढाया गया। तब तक किनारे के दूसरे नाव वाले भी आ गए। सभी का जीवन बचा लिया गया।

पैसे और पद के अहंकार में जो नेताजी सीधे मुँह बात नही कर रहे थे, अब उनकी घिग्गी बँधी हुई थी। अपनी खिसियाहट मिटाने के लिए उन्होंने राजन और उनके साथियों को इनाम में पैसे देने चाहे तो राजन ने यह कहकर मना कर दिया कि हमें जो देना है वह हमारा भगवान देता है। हम तो अपनी मेहनत का कमाते है और सुख की नींद सोते है। आपको बचाकर हमने अपना कर्तव्य पूरा किया है, इसका जो भी इनाम देना होगा, वह हमें नर्मदा मैया देंगी। यह सुनकर नेताजी को अपनी गलती का अह्सास हुआ और उन्होने राजन से माफी मांगकर उसे अपने गले से लगा लिया।

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