लव लैटर
खुशी सैफी
मेरे प्यारे राज,
तुम कैसे हो, नही जानती पर उम्मीद करती हूं अच्छे होंगे क्योंकि तुम्हारे लिए भगवान से दुआ जो करती हूं। आज 15 दिन हो गए तुमसे दूर गए, तुमसे बात किये। मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है। एक एक दिन कैसे काट रही हूं , मैं और मेरा दिल ही जानते हैं। क्या तुम्हें भी मेरी याद आती है या नही, ह्म्म्म। मुझे हिचकी आती है तो तुम्हारे नाम पर रुक जाती है। क्या तुम सचमुच मुझे इतना याद करते हो। मैं बहुत अकेली हो गयी हूँ तुम्हारे बिना। तुम लौट आओ ना मेरे लिए।
आज वेलेंटाइन डे है और हम दोनों साथ नही हैं। तुम्हे याद है पिछले वेलेंटाइन हम दोनों साथ थे और हमने कितनी मस्ती की थी पर दोस्तों की तरह। इस साल भी ये दिन मैं तुम्हारे साथ जीना चाहती थी पर एसा मुमकिन नहीं। पता नही ये ई-लव लैटर मैं तुम्हें मेल भी करूँगी या ये भी मेरे बाकी दूसरे मेल्स की तरह ड्राफ्ट में ही पड़ा रहेगा। लिखती तो बहुत हूँ तुम्हारे लिए पर भेजने की हिम्मत नही होती अब। वो दिन शायद फिर लौट आये जब हम एक दूसरे को मैसेज करने से पहले सोचा नही करते थे कि “वो क्या सोचेगा” या “कहीं वो बुरा तो नही मान जाएगी”
10 अक्टूबर को मैंने अपनी सब ई डी डिलीट कर दी। फेसबुक, जीमेल और ऑरकुट सब से दूरी बना ली, ताकि तुमसे दूर जा सकूँ। अपने राज से दूर जा सकूँ। पर तुम्हे अपने दिल से, अपने दिमाग से, अपने मन से कैसे दूर करूँगी। ओफ्फो, मैं चाह कर भी तुम से दूर क्यों नही जा पा रही हूं। मुझे ये मुहब्बत क्यों हो गयी। कितना दूर भागती थी मैं तुम्हारी चाहतों से, तुम्हारी मुहब्बतों से, तुम्हारे परवाह करने के अंदाज़ से। लेकिन तुम्हारी मुहब्बत ने मुझे पकड़ ही लिया। मुझे अपना घर बना लिया। बस गयी है तुम्हारी मुहब्बत मेरे दिल मे, मेरे दिमाग में, मेरे जिस्म में, मेरी रूह में। मुझ में बस गयी है और अब नही निकलती तुम्हारी मुहब्बत मेरे अंदर से।
मैं फेसबुक पर गयी 10 दिन बाद। सब से पहले देखा कि तुम हो फ़ेसबुक पर या नही। क्योंकि मैं जानती हूं जब मैं अपनी फेसबुक डिलीट कर देती हूं तो तुम भी कर देते हो। लेकिन तुम थे फेसबुक पर, लिखा था “Raaj active 5 hours age” फिर न जाने क्यों एक बेचैनी पैदा हो गयी मेरे अन्दर। पता नही क्यों तुम्हारे ऑनलाइन आने का इंतज़ार करने लगी, जबकि पता है कि बात तो करनी नही है इसलिए हमारी पुरानी चैट पढ़ी, तुम्हारे कुछ वॉइस मेसेज सुने।
1 घंटे के इंतज़ार के बाद तुम आये। मेरी हार्ट बीट्स तेज़ हो गयी। दिल यूँ धड़क रहा था जैसे बस अब निकल मेरे हाथों में आ गिरेगा तुम्हारी मुहब्बत की गवाही देने। दिल मे तेज़ ख्वाहिश उठी तुम से बात करूं, तुम्हे मेसेज करूँ या तुम्हारी आवाज़ सुनु। पर नही कर पाई कि कहीं फिर से वो सब शुरू नही हो जाये जिससे दूर भागने की नाकाम कोशिश कर रही हूं। मुझे लगा कि मुझे ऑनलाइन देख कर तुम मैसेज करोगे पर मेरी तरह तुमने भी कोई मेसेज नही किया। पता नही क्यों। दिल कुछ मायूस हो कर वापिस पलट गया।
आज 15 दिन बाद तुमसे बात हुई पर ऐसे जैसे दो अजनबी पहली बार मिल रहे हो। आज तुमसे बात की तो कुछ अलग से लगे। बात करने का अंदाज़ वो पहले जैसा शोखी लिए नही था। तुम्हारा अंदाज़, तुम्हारी बातें और पता नही क्या क्या। हो सकता है मुझे यूँ ही वहम हुआ हो या फिर..। मुझे याद है जब मैं पहले कभी, काफी दिन बाद तुमसे बात कर रही थी तब तुमने मुझसे पूछा था “सिमरन, मेरी मुहब्बत का असर कुछ कम तो नही हुआ” और तुम इस बात को ले कर बहुत सीरियस थे। आज मुझे भी ऐसा ही महसूस हुआ। मैं भी यही पूछना चाहती थी कि “राज, मेरी मुहब्बत का असर कुछ कम तो नही हुआ ना” पर नही पूछ सकी तुमसे, तुम्हारी बेरुखी देख कर।
तुम्हें अक्सर मुझसे शिकायत रहती है ना कि मैं बात बात पर रुठ जाती हूँ। पता है क्यों करती हूं मैं ऐसा। क्योंकि मेरे रूठने पर जब तुम प्यार से मुझे पुकारते हो “मेरी जान, मान जाओ ना” उस वक़्त बहुत अच्छा लगता है। ऐसा लगता है जैसे पूरी दुनिया में तुम मुझे सब से ज़्यादा मुहब्बत करते हो। पर रहने दो, तुम नही समझोगे।
अब मैं चलती हूँ। और तुमसे एक वादा चाहती हूं कि तुम अपना बहुत खयाल रखोगे.. रखोगे ना। और सुनो.. बस मेरे ही रहना, तुम्हारी वफ़ा, तुम्हारी मुहब्बत, तुम्हारा ख्याल सब मेरे लिए ही है ना।
तुम्हारी.. सिर्फ तुम्हारी सिमरन
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