Mohabbat lafzo me books and stories free download online pdf in Hindi

मोहब्बत लफ़्ज़ों में

"मोहब्बत लफ़्ज़ों मे"

“अरे मम्मी जी... करने दें ना मुझे आपके पैरों की मलिश्।। आपकी सेवा करना तो मुझे अच्छा लगता है।। आप देखिएगा कैसे आपके पैरों का दर्द भगता है।।।“ निशा ने जबरदस्ती आशा देवी से तेल की डिब्बी ली थी जो अभी १५ दिन पहले ही निशा की सास बनी थी।।

“नही बहु रहने दे।। अभी तेरी शादी को दिन ही कितने हुए हैं।।। सिर्फ १५ दिन ही तो हुए हैं तुझे मेरे घर दुल्हन बनके आये हुए” आशा देवी ने कहा थ।।

“तो क्या हुआ मम्मी जी मैं उसी दिन आपके घर की हो गयी थी जब आपके बेटे क साथ मेरे सात फेरे हुए थे।। मैं अपनी मां को छोड़ कर आई हुं, अब आप ही मेरी मां हैं।।।“ इतना कह कर निशा मुस्कुरा कर तेल लगाने लगी..जवाब में आशा देवी भी मुस्कुरा दी।।

आशा देवी बड़े चाव से निशा को अपने घर की बहु बन कर लायी थी और अभिनव ने इकलौता बेटा होते हुए भी कोई ना नकुर नहीं की और माँ की अग्गय पर सर झुका दिया।। मानना तो उससे था ही।।। जानता था कि कैसे उसकी माँ ने उससे अकेले पाल पोस कर बड़ा किया थ।।। बाबू जी के देहांत के बाद सभी ने आशा देवी को अकेला छोड़ दिया था पर उन्होंने कभी किसी से शिकायत नहीं की बस सब्र और सय्यम के साथ अभिनव की पाल गत की।। इसी सब्र का नतीजा था जो आज उनका इंजीनियर बेटा उनके साथ थ।। यही सय्यम अभिनव में भी आया था..तभी उसने माँ की पसंद का मान रखा और इस तरह निशा उनके घर की बहु बन कर आ गयी।।।

अभी निशा मम्मी जी के पास से अपने रूम में आई ही थी कि उसके मोबाइल में बीप की आवाज़ हुई।।। शायद मैसेज आया था किसी का.. निशा ने मोबाइल उठाया और मैसेज चेक किया तो होठों पर हलकी सी मुस्कान आ गयी.. मैसेज तो नार्मल सा ही था पर उसमे लिखे अलफ़ाज़ बोहोत कुछ कह रहे थे।। “आई लव ययू, मिसिंग यू सो मच जान"।।। निशा ने मान ही मान मैसेज पढ़ा और मान ही मान इसका रिप्लाई भी कर दिया " आई लव यू टू".. पर मैसेज में टाइप कर के सेंड नही किया।।

15 दिन की छुट्टी के बाद अभिनव पहली बार ऑफिस गया था और ऑफिस में आधे दिन के बाद ही निशा को बुरी तरह मिस करने लगा था।। क्या था ये.. !! शायद मोहब्बत हो गयी थी अभिनव को निशा से।।।

शाम को अभिनव थक हार घर आया तो निशा ने ठन्डे पानी का गिलास पकड़ा दिया।। वो एक ही साँस में पूरा गिलास खली कर गया.. वो अंदर से नाराज था निशा से पर उससे जताया नही,, गिलास निशा को देते हुए बस कहा.. “थैंक्स”

उसे उम्मीद थी कि निशा भी उसके मेसैज का इसी तरह प्यार भरा जवाब देगी।। वो मोबाइल पर कान लगाये हुए था और दोपहर से शाम हो गयी पर मोबाइल पर कोई मैसेज नही आया और वो निराश मान के साथ घर आ गया। ऑफिस के काम के साथ साथ ये भी एक वजह थी उसकी थकन की।।।

“खाना लगा दूँ” निशा ने पूछा था

“हममम” अभिनव ने हां में सिर हिला कर कहा।।।

खने के टेबल पर अभिनव नार्मल था और खाने के बाद तीनों ने साथ टाइम स्पेंड किया जैसा अभिनव और आशा देवी अक्सर करते थे बस अब निशा भी साथ होती थी।।

रूम में आया तो निशा का मुस्कुराता चेहरा देख कर सब नाराज़गी भूल गया,, लगा जैसे कुछ हुआ ही नही था और दोनों में नॉर्मली बातें होने लगी।।

अगली सुबह अभिनव ऑफिस के लिए तैयार था पर निशा कहीं नही थी। वो किचन में व्यस्त थी।

“निशा! मेरा वॉयलेट नहीं मिल रहा है, ढूंढ दो ज़रा आ कर” उसने जोर से निशा को आवाज़ लगायी।

“अलमारी में रखा है सामने ही” निशा ने भी वहीँ से आवाज़ लगयी।

अभिनव को थोड़ा गुस्सा आ गया, उससे बहाने से बुलाने का फार्मूला जो फ़ैल हो गया था।।

वो नाश्ते की टेबल पर आया और चुप चाप नाश्ता कर के माँ का आशीर्वाद ले कर चला गया। ना निशा की तरफ देखा और न ही रोज़ की तरफ उससे बाय बोला।। निशा को थोड़ा अजीब लगा पर वो अपना वहम समझ कर चुप रही।।।

रोज की तरह निशा को घर के कामों में सुबह से शाम हो गयी, पुरे घर की ज़िम्मेदारी जो उठा ली थी उसने, आशा देवी को एक काम न करने देती।

“बहु तुम तो मुझे नाकारा बना कर छोड़ोगी” आशा देवी ने मुस्कुरा कर कहा।

“मम्मी जी! अपने ज़िन्दगी भर काम किया है.. इन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने लायक बनाया है.. अब आपके आराम करने के दिन है और अब अभिनव और मुझे आपकी देवा करने दें” कितने लाड से कहा था निशा ने।

आशा देवी निशा को अपनी बहू के रूप में पा कर बोहोत खुश थी वो अक्सर सोचती अगर मेरी कोई बेटी होती तो इसी की तरह होती। ओर एक बार फिर निशा को बहु बन कर लाने के अपने फैसले पर मान ही मान खुश हो गयी।

निशा ने अपनी सास का दिल तो जीत लिया था पर अभिनव की तरफ से न जाने क्यों इतनी लापरवाह थी वो।

अभिनव ने लंच टाइम में फ्री हो कर निशा को मेसज किया “नाराज़ हूँ मैं तुमसे”

इस बार उसने सोचा था कि इस मैसेज पर तो निशा ज़रूर उसे रिप्लाई करेगी।।। पर उधर से इस बार भी कोई मैसेज नही आया और अभिनव एक बार फिर दोहरी थकन के साथ घर लोट आया।

निशा ने रोज़ की तरह पानी दिया और खाना लगने का कह कर किचन में चली गयी।

अभिनव बोहोत अचंभित था, खुद से बोला “निशा पर कोई असर नहीं हुआ मेरी नाराज़गी का, उससे कुछ फर्क ही नहीं पड़ता कि मैं नाराज़ हूँ या नही”

गुस्सा था या नाराज़गी थी, पता नहीं क्या था जो अभिनव में ओर ज़्यादा भर गया था।

निशा इस चीज़ से अंजान थी क्योंकि वो काम में इतना व्यस्त थी कि आज पूरा दिन उसे मोबाइल उठने तक की फुर्सत नही थी, हाँ! गलती थी उसकी। उसने अभिनव से कभी अपने जज़्बात बयान नहीं किये थे, अब उसी का खामियाज़ा उससे भुगतना था।

अभिनव डिनर पर चुप था और आज डिनर के बाद निशा और माँ क साथ बैठा भी नही ।।।। उठ कर जा ही रहा था की आशा देवी ने टोक किया।।

“अभिनव क्या बात है बेटा, बड़े चुप चुप हो और खाना भी सही से नही खाया, तबियत तो ठीक है ना बेटा”

मां से कैसे छुपी रह सकती थी बेटे की हालत।

“हां माँ ! सिर में दर्द है बोहोत, कुछ देर आराम करना चाहता हूँ” कह कर वो अपने कमरे में चला गया।

रसाई का काम ख़त्म कर के निशा भी रूम में आ गयी। “अभि! सर दबा दूँ आपका, बोहोत दर्द हो रहा है क्या” इतना कह कर उसने सर दबने के लिए हाथ भड़ाये ही थे कि अभिनव से अपने हाथ से उसके हाथ परे कर दिए।

“कोई ज़रूरत नही है” लहजे में नाराज़गी साफ झलक रही थी।

अभि! क्या हुआ, बोहोत तकलीफ हो रही है क्या.. मैं दवा ले कर आती आती हूँ, उससे आराम आ जाएगा अपको” निशा बोल कर फर्स्ट एड बॉक्स में से सर दर्द की दवा निकालने लगी।

“बोला ना! कोई ज़रूरत नहीं है मुझे तुम्हारी केयर की” इस बार अभिनव की आवाज़ थोड़ी ऊँची हो गयी थी।

अभि ! कुछ हुआ ह क्या, आप नाराज़ हैं क्या मुझसे किसी बात पर” निशा ने रउवा सी हो कर पुछा।

“हूँ! आ गया तुम्हे मेरी नाराज़गी का खयाल, तुम्हे परवाह होती तो तभी मना लेती मुझे ।।। पर तुमने मुझे अपना माना ही नहीं कभी, फिर ये नाटक क्यूं निशा”

“नाटक! कैसा नाटक.. क्या बोल रहे हैं आप” निशा इस सिचुएशन से वाकई अंजान थी, उससे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

“निशा! अगर तुम मुझे पसंद नहीं करती थी तो मना क्यों नही कर दिया इस शादी के लिये” इस बार अभिनव बोहोत टुटा हुआ लग रहा था।

“नही अभि! शादी मेरी मर्ज़ी से हुई है, आप यऐसा क्यों बोल रहे हो” निशा बस रो देने को थी।

“तो फिर मुझे तुम्हारी बातों में मोहब्बत क्यों नही दिखती, जो फीलिंगस मेरे दिल में हैं वो तुम्हारे दिल में क्यों नही है।। क्यों तुम अपनी मोहब्बत नही शो करती”

अभिनव जैसे फट पड़ा था। कितने दिनों से अपने अंदर भर रखा था उसने सब निशा के सामने बोल दिया।

अब निशा की समझ में आ रहा था की सिचुएशन क्या है।। वो सब समझ रही थी कि क्यों उसके अभि का बर्ताव बदला हुआ था, क्यों वो उससे नाराज नाराज़ सा था।

निशा बस इतना ही बोल पायी.. “अभी ! क्या सब कुछ लफ़्ज़ों में कहना ज़रूरी होता है, क्या दिल की समझने के लिए बोलना ज़रूरी होता है” निशा की आँखों से नमकीन पानी बह चला था।

अभिनव अचानक पिगल गया और आगे भड़ कर निशा को सीने से लगा लिया।।।

“आई ऍम सॉरी निशा” प्लीज़ माफ़ कर दो मुझे” अभिनव की आवाज़ में पछतावा था।

“नही अभि ! गलती हम दोनों की है, दोनों ने एक दूसरे से खुल कर बात ही नहीं की इस बारे में, आप अपनी नाराज़गी में रहे और मैं अपनी खुशफहमी में रही”

निशा को एहसास हो गया था कि कहीं न कहीं उसकी भी गलती थी, कभी कभी दिल की बात लफ़्ज़ों में भी बयां करनी चहिये, अपनों को अपनी मोहब्बत का एहसास दिलाने के लिए लफ़्ज़ों का भी इस्तेमाल करना चाहिए नही तो मजबूत से मजबूत रिश्ता भी गलत फहमी का शिकार हो कर टूट जाता है।

निशा ने धीरे से कहा.. “आई लव यू टू” निशा ने अपने रिश्ते को मजबूत बनाने की शुरुआत कर दी थी।

समाप्त।

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED