काली चान्दनी
“यार शशि... देख वो तुझे देख रहा है।“ मुस्कान ने शशि को एक तरफ इशारा करते हुए कहा थ।।
“कौन वो.. इइइइइ!! अरे यार.. उसकी तरफ तो मैं देखना भी पसंद न करुं।। देख तो कितना काला है वो ।। मुझे नफत है काले पिले लोगो से।।।।“ शशि की बातो में घमंड झलक रहा थ।।
“ठीक तो है।। देखने में तो स्मार्ट ही लग रहा है।।।“ मुस्कान को इसका लहज़ा पसंद नही आया थ।।
“हंमम।। तेरे टाइप का होगा वो ।। मेरे टाइप का नही।।“ शशि ने हसते हुए कहा जो मुस्कान को पसंद नही आया उसका इस तरह कहना।।
इसी तरह कॉलेज के हर दूसरे लड़के और लड़की पर शशि कमेंट्स करती जा रही थी।।
शशि थी तो बहोत सुंदर।। दूध सी सफ़ेद रंगत।। काली चमकी आंखें।। लहराते लम्बे काले बाल।। कुछ यूँ था कि खुदा ने बड़ी फुर्सत से उससे बनाया थ।। और उसकी इस सुंदरता के कारण वो बोहोत घमंडी हो गयी थी।। अपने आगे किसी को कुछ न समझना।। सब को नीची नज़रों से देखना।। अपनी तारीफ अपना हक़ समझ कर वसूलना उसकी आदत बन चुकी था।।।
अगले दिन शशि कॉलेज में गई तो मुकेश उसके पास आया और बोल।।। “शशि मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूँ।।“
मुकेश वही लड़का था जो अक्सर दूर खड़ा शशि को देखा करता थ।। आज बोहोत हिम्मत कर के वो शशि से बात करने आया था।।
“मेरे पास टाइम नहीं है।। जल्दी बोलो क्या बात है।।।“ शशि ने लिए दिए अंदाज़ में बोला।।
“शशि क्या हम दो मिनट बैठ कर बात कर सकते हैं।।“ मुकेश मिन्नतों वाले अंदाज़ में बोला थ।।
“नो वे... आर यू मैड.. जो बोलना है यहीं बोलो।। मेरे पास फालतू टाइम नहीं है।।“
“शशि”
मुकेश थोड़ा हिचकिचया।।
“असल में ।। मैं तुम्हे पसंद करता हुं।।“
“रियली..” शशि ने मजाक बनने वाले अंदाज़ में कहा।।
“तुमसे शादी करना चाहता हुं।। विल यू मेरी मी।।“ मुकेश ने सारी हिम्मत बटोर के आखिर बोल ही दिया।।
“क्या!!!!!!” शशि पर जैसे बम फट पड़ा थ।।
“तुम्।।। तुमम।। माय फूट।।।मैन तुमसे शादी करुँगी।। दिमाग तो ठीक है तुम्हारा।। कभी आयना देखा है तुमने।।।“ वो इतना जोर शोर से बोल रही थी कि आस-पास भीड़ जमा हो गयी।।
“सुना आप लोगो ने।।। ये मुझसे शादी के ख्वाब देख रहा है।। तुम जैसे को तो मैं देखना भी पसन्द नही करूँ और तुम शादी के खवाब देख रहे हो.. तुम आसमान छूने की बात करते हो।। कहाँ तुम और कहाँ मैं.. हुंह।।।“
शशि के लहजे में इतनी नफरत थी कि मुकेश अपने आपको बोहोत हक़ीर, बोहोत छोटा और बेइज़्ज़त महसूस कर रहा थ।।। बेइज़्ज़ती की कारण उसकी आँखों में पानी आ गया थ।।।
मुकेश कुछ न बोल सका।। वो बस सुनता रहा और पास खड़े लोगो को अपने पर हस्ते देखता रहा।।
पर उसका दिल रो रहा थ।।। वो बस इतना ही बोल पाया।। “तुम बोहोत पछताओगी शशि।। किसी का दिल दुखा कर कभी कोई खुश नही रहता।।“
मुकेश इतना कह कर चला गया.. फिर कभी शशि ने उसे नहीं देखा कॉलेज मे।।
एक बोहोत बड़े घर से शशि का रिस्ता आया।। उसके माता पिता ने शशि की मर्ज़ी जान कर हाँ कर दी और यूँ शशि की शादी का दिन भी आ पोह्नचा।।
शशि दुल्हन के रूप में बोहोत सुंदर लग रही थी। शशि एसा महसूस कर रही थी जैसे वो आसमानो पर उड़ रही हो।। उसकी ख्वाहिश जो पूरी हो गयी थी। एक बड़ा घर।। खूब सारी दोलत।। और सब से भड़ कर उसकी बराबरी का, उसकी सुंदरता का साथ देता उसका पति।।
रवी एक बोहोत बड़ा बिज़नेस मेन था व शशि जैसी सुन्दर लड़की को पा कर खुश था पर नही जनता था कि शशि ने कितनों के दिल तोड़े हैं।। कितने ही लोगो की बद-दुआएं ली है।। केवल अपने घमण्ड के कारण।।
शशि की शादी को अभी कुछ ही महीने हुए थे कि घर में ख़ुशी की लहर दौड़ थी.. बात ही कुछ एसी थी.. शशि के पाओं भरी थे।। उनके घर एक नन्हा सा मेहमान आने वाला था, घर में सभी खुश थे।।
लेकिन कुछ दिनों से शशि परेशान लग रही थी, उसकी परेशानी की वजह उसकी सास के शब्द थे।।
“शशि ! मुझे पोत ही चहिये।। मेरा पोता मेरे कुल को रोशन करेगा,, और बहु पोता भी मेरे रवि जैसा सुन्दर होना चाहिये।।“
ये शब्द बार बार शशि के कानो में सुनाई दे रहे थे।। धीरे धीरे वो वक़्त भी आ गया जिसको सब का इंतज़ार थ।। रवि शशि को हॉस्पिटल ले कर गया।।
डॉक्टर ने रूम से बहार आ कर खुशखबरी सुनायी।। “माँ और बच्चा दोनों सही है।।। आप चाहे तो मिल सकते हैं।।“
डॉक्टर कह कर चला गया।। रवि और रवि की माँ रूम में गए अपने पोते से मिलने, लेकिन रवि और उसकी माँ को पता नहीं था।। वो दोनों अंदर गए पोते को देखने पर क्या देखते हैं की वहां पोत नही था बल्कि शशि के पास एक छोटी सी कमज़ोर सी लड़की लेती थी जो बिलकुल काली और बदसूरत सी थी या यूँ कहो कि रवि और उसकी माँ को तो कम से कम एसा ही लगा थ।।
जिससे देख कर दोनों का माथा ठिनका थ।।
“शशि क्या है ये... ये मेरी औलाद तो नही हो सकती।। मैं नहीं मानता इससे मेरी बेटी... इतनी काली और बदसूरत बेटी मेरी नही हो सकती।। दूर हो जाओ मेरी नज़रों से तुम दोनो।।“
रवी तो जैसे उस मासूम सी बच्ची को देखना भी नही चाहता थ।। इतना कह कर रवि और उसकी माँ उसे अकेला छोड़ कर चले गये।।
“नही रवि ! ये हमारी बेटी है।। तुम एसा नहीं कर सकते मेरे साथ।। रवी! मेरी बात सुनो।। रवीी” शशि की आवाज़ दूर तक गूंजी।।
शशि रो रही थी और उससे मुकेश के कहे शब्द सुनाई दे रहे थे।।।
"तुम बोहोत पछताओगी शशि।। किसी का दिल दुखा कर कभी कोई खुश नही रहता।।"
शशि के पास पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचा था पर अब वक़्त निकल चुका थ।। और शशि खली हाथ रोती हुई रह गयी और बस अपनी काली चांदनी को देख रही थी।।।
समाप्त