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नन्ही जासूस

नन्ही जासूस

“सलोनी! कहाँ है तू बेटा.. स्कूल का बस्ता ले कर बैठ जा, कुछ देर पढाई कर ले, इस बार भी फेल होने है क्या” सलोनी की माँ ज़ोर ज़ोर से आवाज़ दे कर उससे पढ़ने को बोल रही थी पर सलोनी की कान पर जूं नही रेंगी और माँ की बात एक कान से सुन दूसरे कान से निकल कर अपने खेल में लगी रही।

सलोनी एक 12 साल की लापरवाह सी लड़की है जो अपने माता पिता और 5 साल के भाई के साथ गांव में रहती है। उसके पिता गांव में एक छोटी सी चाय की दुकान चलते हैं। सलोनी के माता पिता उससे पढ़ा लिखा कर कुछ बनाना चाहते हैं उससे आगे बढ़ाना चाहते हैं पर सलोनी अपने माता पिता की सोच से बिलकुल उलट है जो बिलकुल पढ़ना लिखना नही चाहती बस दिन भर अपने छोटे भाई व् गांव के बाकि हमउम्र लड़के लड़कियों के साथ खेलती कूदती रहती.. सारे शरारती बच्चे मिल कर कभी खेतो में घुस जाते और खेत की मालिक से खूब डाँट सुनते तो कभी किसी के घर जा कर ऊधम काटते।। जब भी उसकी माँ उससे पढ़ने के लिए कहती वह कुछ भी बहाना बना डालती.. पढाई के नाम पर कभी उसे भूक लग जाती तो कभी उसके पेट में दर्द शुरू हो जाता ..

उसकी इस आदत से उसके माता पिता बोहोत परेशान थे.. वह अक्सर सोचते कि किस तरह इस लड़की का दिल पढाई में लगाया जाये।। उन्हें चिंता थी की इस तरह तो हमारी बेटी हमारी ही तरह अनपढ़ रह जायगी.. जीवन में कुछ नही कर पायेगी ।। इसी चिता के रहते उनके दिन रात कट रहे थे।

देखते ही देखते उसकी कक्षा के सहपाठी आगे निलकते गए और वह अभी तक पांचवीं कक्षा में ही रहती जाती.. 3 साल इसी कक्षा में बिताने के बाद इस साल भी वह पांचवी कक्षा में ही थी।। माता पिता की डाँट का कोई असर ना लेते हुए बस खेल कूद में लगी रहती ..

आज सलोनी की मासी शहर से आने वाली थी, सलोनी की माँ जल्दी जल्दी सरे काम निपटा रही थी..

“सलोनी! ले बेटा ये नए कपडे पहन ले” सलोनी की माँ ने उससे एक नया फ्रॉक पहनने को दिया।

“क्यों माँ! ये नए कपडे क्यों .. कोई आ रहा है क्या? सलोनी ने प्रश्न किया।

“हाँ ! शहर से तेरी मासी आ रही है, जल्दी से तयार हो जा” माँ ने सलोनी को बताया।

“ अरे वाह माँ! फिर तो बोहोत मज़ा आयेगा, मासी तो शहर से ढेर से खेलोने भी लेगी, है ना माँ”

“हां लायेगी! सलोनी एक बात कान खोल के सुन ले, अगर इस बार तूने मासी से खिलोने और नए कपडे मांगे तो मुझसे बुरा कोई नही होगा, जो मासी अपनी मर्ज़ी से दे बस उसे ही चुप चाप रख लेना” माँ ने सख्ती से सलोनी को समझाया।

“ ठीक है माँ! मगर.... “

“ अगर मगर कुछ नही।। बोला ना कुछ नही मांगेगी तू मासी से, एसे मांगना अच्छा नही लगता बेटा” माँ समझ गयी थी कि अब कोई नयी फरमाइश करेगी सलोनी, इसलिए पहले ही चुप कर दिया साथ ही साथ प्यार से समझया भी।

दिन चढ़ते सलोनी की मासी आ गयी और हमेशा की तरह सलोनी और उसके भाई राजू के लिए ढेर से खिलौने, कपडे और मिठाई लायी..

“अरे दीदी इतना सब लाने की क्या जरूरत थी” सलोनी की माँ ने अपनी बहन से कहा।

“कुछ नही लायी हूँ, ये तो मेरा प्यार है इन बच्चों के प्रति.. मेरे कोई अपना बेटा बेटी तो है नही, इसलिए सब कुछ इन दोनों पर लुटाने को दिल करता है” सलोनी की मासी उदास हो कर बोली।

“नही दीदी! मेरा वो मतलब नही था, ये भी आपके ही बच्चे हैं, आप जो मर्ज़ी इन्हें दें” सलोनी की माँ ने कहा।

देर रात तक बच्चे मासी के साथ खेल कर सो गए और दोनों बहने बातें करने लगी।

“सलोनी अब किस कक्षा में आ गयी है, पढाई में दिल लगता है उसका या अभी भी नही” मासी ने पूछा।

“नही दीदी! वो नही पढ़ती, खूब समझ लिया उससे.. पर एक नही सुनती, जाने क्या होगा इस लड़की का” सलोनी की माँ ने चिन्ता से कहा।

“तू चिन्ता मत कर, मैं एक काम करती हूँ कि कुछ दिनों के लिए सलोनी को अपने साथ ले जाती हूँ, वैसे भी आज कल तो गर्मियों की छुट्टियों चल रही है, कुछ दिन मेरे साथ रहेगी तो अच्छा लगेगा उसे, साथ साथ समझाऊंगी भी उसे” सलोनी की मासी ने अपनी बहन की चिंता कुछ कम करनी चाही।

“ठीक है, मैं सलोनी के पिता जी से बात करती हूँ, सलोनी तो आपके साथ जाने को फौरन तैयार हो जायगी” सलोनी की माँ ने कहा।

और यूँ सलोनी ख़ुशी ख़ुशी अपनी मासी के साथ शहर उनके घर आ गयी.. सलोनी के लिए शहर में सब कुछ नया था, उसने एसी बड़ी बड़ी सड़कें, बड़े बड़े वाहन गांव में नही देखे थे.. शहर के लोग फटा फट अँग्रेजी में बात करते जिन्हें सलोनी बस देखती ही रहती, समझ उसे कुछ नही आता। मासी के घर उनकी नोकरानी भी ज़्यादातर बातें अंग्रेजी में ही करती ..

आज सलोनी को मासी के घर आये एक हफ्ता हो गया था, मासी के घर आ कर बस उसे नए नए खिलौनों से खेलने का शोक था या मासी की पालतू बिल्ली किट्टी से खेलती रहती, साथ साथ मौसी खेल खेल में सलोनी को पढ़ाई भी करा देती जो सलोनी खेल समझ कर पढ़ लेती। सलोनी और किट्टी में बोहोत दोस्ती हो गयी थी, हर समय दोनों साथ साथ रहती.. अभी भी सलोनी और किट्टी साथ ही थे की ज़ोर से मासी के चिल्लाने की आवाज़ आई..

“हे भगवान! किसी ने मेरे पर्स से 5 हज़ार रुपए निकल लिए.. मैरी! मैरी! मेरे पीछे कौन कौन आता है घर में” मासी ने गुस्से से अपनी नोकरानी को आवाज़ लगायी।

“मैडम! कोई नहीं आता” मैरी ने डरते हुए जवाब दिया।

“तो फिर ये पैसे कैसे चोरी हुए” मासी ने मान ही मान सोचा।

मासी की चिंता बढ़ती जा रही थी, आये दिन कुछ न कुछ गायब हो जाता, मासी की चिंता सलोनी से छुपी नही रह सकी और सलोनी की सोचने पर मजबूर हो गयी कि आखिर एसा क्यों हो रहा है, जब मासी बहार जाती है तो घर पर तो कोई नही आता.. बस सलोनी, किट्टी और मैरी ही घर पर होते हैं।

सलोनी को मैरी पर शक हुआ और उसने मासी से कहा।

“नही सलोनी एसा नही हो सकता, मैरी बोहोत दिनों से हमारे घर में काम करती है, मुझे नही लगता की वो चोरी कर सकती है” मासी को मैरी पर बोहोत भरोसा था। और इस्सी भरोसे का फायदा मैरी उठा रही थी, सलोनी ने सोचा हो न हो चोरी मैरी ही करती है क्योंकि मैरी के सिवा घर पर कोई बाहर से नही आता।

सलोनी और किट्टी ने चुपके चुपके मैरी पर नज़र रखना शुरू कर दी, और उनका शक सही निकला। जब भी मासी घर के बाहर कुछ सामान लेने जाती तो मैरी कमरे की सफाई के बहाने कमरे में रखे सामानों पर भी हाथ साफ करती जाती, कभी अंगूठी उठा लेती तो कभी पैसे।

एक दिन मासी बाजार गयी हुई थी और मैरी कमरे की सफाई के बहाने अंदर गयी, सलोनी समझ गयी की अब मैरी कुछ गड़बड़ ज़रूर करेगी। सलोनी और किट्टी चुप चाप दरवाज़े से छुप कर देखने लगी, उन्होंने देखा की मैरी मासी का पर्स खोल रही थी और उसमे पड़े कानो के टॉप्स निकल लिए और अपनी पॉकेट में रख लिए और अपना मोबाईल निकल कर किसी से बात करने लगी...

“hello johnny.. tomorrow we will kidnap Saloni.. and then will demand for money or this home, you know madam loves saloni too much, she will be ready for everything. (हैलो जॉनी.. कल हम सलोनी का अपहरण करेंगे.. और फिर पैसे या इस घर के लिए मांग करेंगे, तुम जानते हो न मेरी मालकिन सलोनी को कितना चाहती है जो कहेंगे वो देने को तैयार हो जायेगी)”

जैसे ही वो रूम से बाहर आई सलोनी और किट्टी छुप गए, सलोनी चुप रही क्योंकि वो मैरी को रंगे हाथो मासी के सामने लाना चाहती थी, अब बेसब्री से वो मासी के घर लौटने का इंतज़ार करती रही, जैसे ही मासी घर आई उसने सारी कहानी मासी को सुना डाली और बताया कि मैरी किसी से फोन पर अँग्रेजी में होम और किडनैप की बातें कर रही थी।

मासी ने तभी मैरी को बुलाया और और उसके सामान और कपड़ो की तलाशी ली और तलाशी में मासी को अपने कानो के टॉप्स मिले जिससे देख कर मासी भी हैरान रह गयी कि इतने भरोसे वाली नोकरानी भी एसा काम कर सकती है और उससे भी ज़्यादा वो सलोनी की समझदारी पर हैरान थी कि लहपरवाह सी लड़की भी इतना समझदारी का काम कर गयी।

मासी ने फौरन पुलिस को फोन कर मैरी को गिरफ्तार करा दिया, और पुलिस को बताया की मैरी किसी से फोन पर बात भी कर रही थी घर के बारे में... पुलिस ने सारी खबर निकलवा ली.. साथ ही मैरी के पुरे गिरोह को गिरफ्तार कर लिया..

जब मासी को पता चला कि मैरी सलोनी को अगवाह करा के कितना बड़ा अपराध् करने वाली थी तो मासी के होश उड़ गए।

मासी ने सलोनी को सारी बातें बताई कि उस दिन वो फोन पर अंग्रेज़ी में क्या बाते कर रही थी,, नीलू ये सब सुन कर बोहोत डर गयी..

मासी ने समझाया कि “डरने की ज़रूरत नही है सलोनी, अब सब ठीक है, मैरी तुम्हारा कुछ नही बिगड़ सकती, उसे तो पुलिस ने अपनी हिरासत में ले रखा है.. लेकिन अगर तुम अच्छे से पढ़ाई करती तो आज नवी कक्षा में होती और मैरी की अंग्रेजी में करी बातें समझ पाती, वो तो तुम्हारी किस्मत अच्छी थी जो तुम बच गयी, वरना भगवन जाने क्या हो जाता”

सलोनी ने रोते हुए मासी से वादा किया कि अब वो अच्छे से पढ़ाई करेगी ताकि भविष्य में कभी एसी बड़ी मुश्किल में ना पड़ जाये।

मासी अब निश्चिंत थी कि सलोनी की समझ में आ गया है कि जीवन में पढ़ाई कितनी ज़रूरी है।

राइटर – खुशी सैफी

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