वीरांगना बेटी संध्या Ved Prakash Tyagi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

वीरांगना बेटी संध्या

वीरांगना बेटी संध्या

सीमा पर घुसपैठ करने वाले पाँच आतंकवादियों को ढेर करते हुए मेजर शौर्य का पूरा शरीर आतंकवादियों की गोलीओं से छलनी हो चुका था, फिर भी उसने एक भी आतंकवादी को जिंदा नहीं छोड़ा।

सेना के उडी कैंप में जवानों ने जैसे ही गोलीओं की आवाज सुनी तो वे हथियारों से लैस होकर सीमा की तरफ दौड़ पड़े लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी, मेजर शौर्य मातृ-भूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो चुके थे, पाँच आतंकवादी भी ढेर हो चुके थे।

रात में हुए इस हादसे की सूचना दूर दर्शन पर एक झलक के रूप में दिखाई गई क्योंकि उसी रात एक मशहूर अभिनेत्री की संदिग्ध हालात में मृत्यु हो गयी थी अतः सभी दूरदर्शन चैनल उस अभिनेत्री के बारे में ही दिखा रहे थे। एक सच्चे देश भक्त के बारे में समाचार को एक ऐसी अभिनेत्री की खबरों में दबा दिया गया जिसने जीवन पर्यंत पैसा कमाने के लिए तरह तरह का अभिनय किया।

मेजर शौर्य की पुत्री संध्या को अपने पिता पर गर्व था लेकिन उसको दूरदर्शन चैनलों द्वारा किए गए भेद भाव से बहुत दुख हुआऔर वह सोचने लगी कि हम सच्चे हीरो की सच्ची बहदुरी को नकार कर अभिनय करने वालों का गुणगान क्यो कर रहे हैं, हो सकता है की हम लोगों की सोच में ही कोई कमी रह गयी हो और इस कमी को दूर करने के लिए संध्या ने मीडिया के उस संसार से जुड़ने की सोची जो किसी को भी धरती से उठाकर आसमान पर चढ़ा देते हैं एवं रातों रात सितारा बना देते हैं और वास्तविक सितारों को नज़रअंदाज़ कर देते है।

उन आतंकवादियों से मिले भारी संख्या में हथियार, गोला बारूद और दस्तावेज़ जिसमे सेना कैंप का नक्शा भी था, से इस बात का खुलासा हुआ अगर उस रात मेजर शौर्य उन पाँच दुर्दांत आतंकवादियों को नहीं मार गिराते तो वे आतंकवादी सेना कैंप में घुस कर सेना के ना जाने कितने जवानों को शहीद कर देते।

संध्या ने मीडिया में अपनी पैठ बनानी शुरू की और जल्द ही वह एक शीर्ष पत्रकार बन गयी। सेना से जुडे छोटे बड़े सभी कार्यक्रमों को वह कवर करती, उनकी वीरता पर डॉक्यूमेंटरी बना कर प्रस्तुत करती जो काफी पसंद की जाने लगी। दूरदर्शन चैनल पर इस तरह की होड लग गयी कि संध्या की डॉक्यूमेंटरी उनके चैनल पर दिखाई जाए क्योंकि संध्या के सभी कार्यक्रम व डॉक्यूमेंटरी दूरदर्शन की टी आर पी बढ़ाने वाले थे और दूरदर्शन को चाहिए क्या टी आर पी?

शीघ्र ही संध्या ने कुछ देश भक्त लोगों के सहयोग से अपना चैनल शुरू कर दिया। संध्या ने अपने चैनल का नाम अपने पिता के नाम पर ही रखा “शौर्य”। धीरे धीरे शौर्य देश विदेश में काफी चर्चित हो गया और संध्या का भी देश विदेश में समाचारों का पीछा करते हुए आना जाना होने लगा।

पाकिस्तानी चैनल का एक शीर्ष पत्रकार जो अपने पाकिस्तानी चैनल के लिए देश विदेश की खबरें कवर करता था अक्सर संध्या से मिलता था और वह संध्या से प्यार करने लगा, जब भी संध्या पाकिस्तान जाती तो पाकिस्तानी पत्रकार अक्रम उसकी काफी सहायता भी करता था।

संध्या एक शहीद फौजी की बेटी थी यह बात अक्रम भली भांति जानता था, इसलिए बीच बीच में वह संध्या से भारतीय सेना के बारे में भी बात करने लगता था लेकिन संध्या उसकी बातों को बड़े ही चातुर्य से टाल जाती थी। संध्या ने धीरे धीरे अक्रम को शीशे में उतारना शुरू कर दिया और उससे पाकिस्तान के गुप्त सैन्य ठिकानों के राज उगलवाने लगी।

अक्रम से फौज के अधिकारी काफी खुश रहते थे क्योंकि वह उनकी तारीफ़ों वाली खबरें कुछ ज्यादा ही दिखाता रहता था। अक्रम की पाकिस्तानी फौज से जान पहचान का फायदा उठाकर संध्या ने वहाँ के गुप्त ठिकानो की तस्वीरें अपने कैमरे में कैद करनी शुरू कर दी और सभी गुप्त सूचनाएँ अपने विश्वस्त सहायक के पास अपने चैनल शौर्य के स्टुडियो में भेज देती लेकिन अभी उनको प्रसारित करने को मना कर रखा था। उस दिन अक्रम देश के बाहर गया था, संध्या अकेले ही वहाँ चली गयी जहां पर पाकिस्तानी सेना का परमाणु अस्त्रों का भंडार था। अचानक मिली ऐसी जानकारी देखकर संध्या हतप्रभ रह गयी और उसने अपने कैमरे को सीधा अपने चैनल शौर्य के मुख्यालय से जोड़ दिया और सभी तस्वीरें एक एक करके स्टुडियो में रेकॉर्ड होने लगीं।

संध्या कैमरे को घुमा रही थी और सभी तस्वीरें चैनल मुखालय पर रेकॉर्ड हो रही थीं, उसने अपने सहयोगियों से कहा, “अगर यह जोखिम भरा काम करते हुए मुझे कुछ हो भी जाए तो यह सारी रिकॉर्डिंग प्रधान मंत्री महोदय तक पहुंचा देना।” संध्या जानती थी कि उसने कितनी महत्वपूर्ण जानकारी अपने देश के लिए जुटाई है क्योंकि पाकिस्तान जो बात बात पर भारत को परमाणु हमले की धमकी देता रहता है अगर उसके परमाणु हथियारों की पुख्ता जानकारी भारत को मिल जाएगी तो वह युद्ध की स्थिति में सर्वप्रथम इस जखीरे में ही विस्फोट करेगा जिससे परमाणु जखीरे के साथ साथ पूरा पाकिस्तान भी उड़ जाएगा, न रहेगा पाकिस्तान और न रहेंगे आतंकवादी, अगर बचेंगे तो बस बचेंगे मेरे पिता जैसे भारतीय सेना के वीर जवान।

जैसे ही संध्या ने प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश किया तो सभी सायरन घनघना कर बज उठे और संध्या को पकड़ लिया गया लेकिन तब तक संध्या करीब करीब पूरी जानकारी दिल्ली भेज चुकी थी और सभी रिकॉर्डिंग अपने कैमरे से मिटा चुकी थी। संध्या ने अपना नाम सोफिया बताया और स्वयं को अक्रम की बीवी बताया लेकिन फिर भी जांच के लिए उसको रोक लिया गया।

अक्रम को जैसे ही पता चला कि संध्या को पाकिस्तानी फौज ने प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने के कारण पकड़ लिया है तो वह अगले ही दिन वापस आ गया और अपनी सेना के उच्च अधिकारियों से संपर्क करके संध्या को अपने भरोसे पर छुड़ा लिया।

वहाँ से छूटकर संध्या अपने देश आई और अपने चैनल में बैठकर सारी जानकारी को इकठ्ठा कर प्रधान मंत्री के पास ले गयी। प्रधान मंत्री ने संध्या द्वारा एकत्रित सारी जानकारी की रिकॉर्डिंग देखी और देख कर अति प्रसन्न हुए एवं कहा, “संध्या! तुम एक बहादुर पिता की बहादुर संतान हो, मैं आज से तुम्हें वीरांगना संध्या के नाम से पुकारूँगा, मैं क्या पूरा देश ही तुम्हें वीरांगना संध्या पुकारेगा।” और कहा, “संध्या! मुझे आज अपने फैसले पर गर्व है कि मैंने तुम्हें रॉ का मुख्य सदस्य बनाकर पाकिस्तान भेजा, तुमने पूरे देश को परमाणु खतरे से बचाया है, यह तुम्हारा देश पर कर्ज रहेगा।”

माननीय प्रधान मंत्री बोले, “संध्या! तुम अपनी जासूसी की परीक्षा में सौ प्रतिशत पास हुई हो, अब तुम्हें सूर्य देव यानि अक्रम के साथ मिल कर पाकिस्तान की लंका जलानी होगी। तुम यही सोच रही होंगी कि अक्रम और सूर्यदेव? हाँ संध्या, सूर्यदेव भी हमारी संस्था रॉ का ही जासूस है और मैंने ही उसको तुम्हारे बारे में सब कुछ बताया था, तुम्हें हर कदम पर सहायता करने का आदेश भी मेरा ही था। अपने उद्देशय में सफल होने के लिए तुम्हें वहीं सोफिया बन कर रहना होगा, क्या करना है यह सब तुम्हें सूर्यदेव बता देगा।”

संध्या वापस पाकिस्तान चली गयी और अक्रम के साथ उसकी बीवी बन कर रहने लगी। तभी एक दिन सूचना मिली कि पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रों पर आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया है, तभी संध्या और सूर्यदेव को आदेश हुआ कि पाकिस्तान के परमाणु शस्त्र भंडार में मानव बम बन कर घुस जाओ, इससे पहले कि आतंकवादी परमाणु बम भारत पर गिराएँ, तुम दोनों उस परमाणु शस्त्र भंडार को अपने साथ उड़ा दो।

संध्या भी सूर्यदेव से बहुत प्यार करने लगी थी, दोनों जीना चाहते थे लेकिन अपने देश को भी बचाना था और उसने कहा, “सूर्य! यह जीवन तो बार बार मिलेगा लेकिन देश सेवा का इतना बड़ा मौका तो सिर्फ एक बार ही मिलेगा।”

दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ कर ज़ोर से भारत माता की जय बोली और परमाणु शस्त्र भंडार में घुस कर भयंकर विस्फोट कर दिया। पाकिस्तान के साथ युद्ध किए बिना ही पाकिस्तान रूपी समस्या समाप्त हो गयी।

पाकिस्तान के साथ साथ सभी आतंकवादी भी मारे गए, पूरा इलाका वीरान हो गया और भारत चहुं ओर से प्रगति करके संसार की सबसे बड़ी ताकत बन गया।

चीन, अमेरिका, यूरोप जो भारत की प्रगति रोकने के लिए पाकिस्तान को मदद करते थे वो सब भारत के समक्ष हाथ जोड़ कर खड़े रहने लगे।

यह सब संभव हुआ हमारी बेटी वीरांगना संध्या के कारण, हम सब वीरांगना संध्या और सूर्यदेव को नमन करते हैं