स्वयं को स्वीकार करें Ashish Kumar Trivedi द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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स्वयं को स्वीकार करें

स्वयं को स्वीकार करें

आशीष कुमार त्रिवेदी

दूसरे आपके बारे में क्या राय रखते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने बारे में क्या राय रखते हैं. यदि आप आत्मविश्वास के साथ लोगों से मिलते हैं अपनी शारीरिक कमी को बाधा नही समझते तो लोग आपको वही प्यार और सम्मान देंगे जिसके आप हकदार हैं. दरअसल दूसरे आपको कैसे अपनाते हैं उससे कहीं अधिक यह आवश्यक है कि आप स्वयं को स्वीकार करें.

पंचकुला हरियाणा के रहने वाले सुमित मेहता ऐसी ही सोंच रखते हैं. सुमित Congenital Myopathy नामक बीमारी से ग्रसित हैं. स्वयं को अक्षम ना समझने वाले तथा आत्मविश्वास से भरे सुमित Independent IT consultant एवं Software engineer हैं. इसके अतिरिक्त सुमित शास्त्रीय संगीत में स्नातक हैं तथा इन्होंने 9 सालों तक गायन की शिक्षा ली है. शारीरिक चुनैती के बावजूद सुमित का बचपन सामान्य बच्चों की तरह ही बीता. अपनी Tricycle पर बैठ कर वह हमउम्र बच्चों के साथ निकल जाते और खूब मस्ती करते. अपने मोहल्ले में वह सभी के प्रिय थे. अपने पराए सभी से घुलमिल जाते थे. उनके इस खुले व्यवहार का कारण उनके माता पिता की प्रेरणा ही थी जो सदैव सुमित को इस बात के लिए प्रोत्साहित करते कि वह खुद को किसी से भी कम ना समझें.

बचपन की एक घटना जिसने सुमित को आत्मविश्वास से भर दिया उन्हें आज भी याद है. अपने रिश्ते के भाई बहनों के साथ खेलते हुए एक बार ऐसा हुआ कि वह सब तो सीढ़ियां चढ़ कर आगे चले गए किंतु अपनी Tricycle में बैठे सुमित पीछे रह गए. जीवन में पहली बार उन्हें अपनी कमी का एहसास हुआ. उन्हें लगा कि यदि वह भी औरों की तरह चल फिर सकते तो ऐसा नहीं होता. अपनी कमज़ोरी का एहसास कर वह रोने लगे. उनकी माँ ने जब उन्हें रोते देखा तो उनसे इसका कारण पूंछा. सुमित ने जब कारण बताया तो उनहोंने प्यार से समझाते हुए कहा " ऐसा बहुत कुछ है जो तुम कर सकते लेकिन वह सब नहीं कर सकते. अतः जो तुम नही कर सकते उसके बारे में सोंच कर दुखी मत हो. " अपनी माँ के इन शब्दों का उन पर गहरा असर पड़ा. इसके बाद वह कभी भी अपनी कमियों को लेकर दुखी नही हुए.

आरंभ में जब सुमित की बीमारी का पता चला तो उनके माता पिता ने उनके उपचार की भरसक कोशिश की लेकिन कोई लाभ नही मिला. लेकिन इस स्थिति से निराश होने के बजाय उन्होंने धैर्य और संयम से काम लिया. सुमित के माता पिता ने उन्हें स्वावलंबी बनाने का विचार किया. अतः उन्होंने सुमित की शिक्षा की तरफ ध्यान दिया. प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई. लेकिन बाद में उनका दाखिला स्कूल में कराया गया. जहां उन्होंने आठवीं तक की शिक्षा प्राप्त की. यहां भी शिक्षकों एवं सहपाठियों का सहयोग बना रहा. अपने शिक्षकों के प्रोत्साहन से उन्होंने इसी दौरान संगीत व स्केचिंग सीखना शुरू किया. इन दोनों ही विधाओं का उन्होंने अच्छा अभ्यास किया और अनेक पुरस्कार जीते.

आठवीं के बाद सुमित ने National open school से दसवीं तथा बारहवीं की परीक्षा पास की. साथ ही साथ उन्होंने संगीत में स्नातक की उपाधि भी पूर्ण की.

संगीत से उन्हें बहुत प्रेम था और सभी उन्हें इसी क्षेत्र में कुछ करने के लिए प्रेरित करते थे. लेकिन उनके जीवन में एक बदलाव तब आया जब कंप्यूटर ने उनके जीवन में प्रवेश किया. कंप्यूटर उनके लिए नया था. जैसे जैसे सुमित इसके बारे में जानते उतना ही और जानने के लिए उत्सुक हो जाते. धीरे धीरे वह इसके प्रेम में पड़ गए और यह निश्चय किया कि वह इसी क्षेत्र में ही कुछ करेंगे. निर्णय कठिन था. संगीत में शिक्षित थे और आसानी से अपना स्थान बना सकते थे. जबकी कंप्यूटर में उन्हें एक नई शुरूआत करनी थी. लेकिन चुनौतियों से ना घबराने वाले सुमित ने कंप्यूटर को चुना. इस संबंध में सबसे बड़ी समस्या यह थी की सारे कंप्यूटर शिक्षण संस्थान ऊपरी मंज़िल पर थे. Wheelchair से ऊपरी मंज़िल पर पहुंचना कठिन था. अतः उन्होंने सावाध्याय से ही कंप्यूटर सीखने का फैसला किया और स्वयं के प्रयत्न से c, c++, Java इत्यादि भाषांएं सीखीं. सुमित ने Programming में हाथ आजमाया. प्रारंभिक असफलताओं को छोड़कर उनके बनाए Program सफल होने लगे. लेकिन उन्होंने महसूस किया कि उनके लिए डिग्री लेना आवश्यक है. अतः सुमित ने IGNOU से BCA तथा MCA किया. उन्हें कई कंपनियों के साथ काम करने का मौका मिला लेकिन उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम करने का निर्णय किया.

सुमित के जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है IAMD (Indian association of Muscular Dystrophy) से इनका जुड़ाव. IAMD ने इनके व्यक्तित्व को और मजबूती प्रदान की है. 2005 में जुड़ा यह संबंध अब तक जारी है.

सुमित उस दिन को याद करते हैं जब वह पहली बार IAMD द्वारा आयोजित पिकनिक पर जा रहे थे. तब यह लोगों को सही प्रकार से नहीं जानते थे. सभी Muscular Dystrophy से पीड़ित थे. सदा खुश व सकारात्मक रहने वाले सुमित को लग रहा था कि माहौल कहीं उदासी भरा ना हो. लेकिन इन्हें एक सुखद आश्चर्य हुआ. पूरे दिन की पिकनिक में किसी ने भी कोई शिकायत नहीं की. सभी हंस खेल रहे थे. पूरा माहौल खुशनुमा था. सुमित IAMD के फैन हो गए.

IAMD से जुड़ कर इन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे Muscular Dystrophy से ग्रसित लोगों के बारे में जानने का मौका मिला. सुमित को कई ऐसे व्यक्तिगत अनुभव हुए जिन्होंने इनके जीवन पर अनुकूल प्रभाव डाला. IAMD के कारण ही सुमित को ट्रेन द्वारा रात्रि में लंबी यात्रा करने का अनुभव मिला. IAMD द्वारा आयोजित जयपुर कैंप में सुमित अपने मित्रों के साथ फिल्म देखने गए. लेकिन जिसने इनके आत्मविश्वास को ताकत दी वह था अपने माता पिता के बिना पूरा एक दिन अपने दम पर व्यतीत करना. IAMD की प्रेसिडेंट संजना गोयल जी ने इसमें इनकी सहायता की. उन्होंने सुमित को अपने घर ठहराया. उनसे कहा कि वह बिना परिवार वालों की मदद के यह दिन व्यतीत करें. इसने सुमित को स्वावलंबी बनने में बहुत सहायता की.

IAMD एक ऐसी संस्था है जो मुख्यतः Muscular Dystrophy से ग्रसित लोगों के प्रति समर्पित है. इसका उद्देश्य Muscular Dystrophy के मरीज़ों के उत्थान के लिए कार्य करना है जिससे वह स्वावलंबन के साथ खुशहाल जीवन जी सकें. Muscular Dystrophy एक अनुवांशिक रोग है जो कि हमारी मांसपेशियों को धीरे धीरे कमज़ोर कर देती है. पीड़ित व्यक्ति चलने फिरने में असमर्थ हो जाता है. कई बार यह रोग जन्म से ही असर करता है जबकि कुछ अन्य मामलों में किशोरावस्था में विकसित होता है.

IAMD की विशेषता है कि इसका संचालन करने वाले भी Muscular Dystrophy से पीड़ित है'. सभी विभिन्न पेशों से संबंधित हैं व अपने कार्य में सफल है. यह बात अपने आप में एक मिसाल है.

IAMD चंडीगढ़ तथा दिल्ली में 'राहत' नाम से Physio therapy Center चलता है. यहाँ की सेवाएं निशुल्क हैं. मरीज़ों को लाने तथा छोड़ने की सुविधा भी उपलब्ध है.

(IAMD contact Ph : +919218088880 Website : Info@iamd.in)

सुमित ने गायकी को छोड़ा नहीं है. अक्सर वह अपने गाने के वीडियो YouTube पर डालते रहते हैं. इसके अतिरिक्त सुमित कविताएं भी लिखते हैं.

सुमित बहुत ही जिंदादिल व्यक्तित्व के मालिक हैं. जीवन को पूरे उत्साह से जीते हैं. अपने खुशमिज़ाज स्वभाव के कारण लोगों को अपना बना लेते हैं.

जहां सुमित जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक हैं वहीं जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलू जीवनसाथी को लेकर आशावान है. उनका कहना है कि आशा रखने में क्या हर्ज़ है. हम क्यों सोंच लें कि कोई हमारे साथ अपना जीवन साझा नही करना चाहेगा.

सुमित का मानना है कि सबसे प्रेम करें. सदा सकारात्मक रहें और मुस्कुराते रहें.

सुमित की एक सुंदर कविता हमें मुस्कुराने का संदेश देती है.

मुस्कान

आज अपने आप को आइने में निहारना

अपने रंग रूप को भले ही कुछ संवारना

पर एक खास चीज़ भगवान ने आपको दी

है ओ मेहरबान

जो श्रृंगार की नहीं है मोहताज़

वह है आपकी प्यारी सी मुस्कान

क्यों इसे दुखों के पर्स में रख कर भूल जाते हो

लिपस्टिक की जगह क्यों इसे अपने होटों पर नहीं लगाते

अरे ये तो समझो ज़िंदगी किसी की नहीं है आसान

हर इंसान जद्दोजहद में है पाने को यह मुस्कान

हिम्मत है तो एक दिन उस बुज़ुर्ग से मिल

बच्चों से ठुकराए जाने पर है जो शांत साहिल

अपने बच्चों के लिए था जो एक फ्री का किसान

बेशुमार तड़प के बाद भी नहीं खोता जो अपनी मुस्कान