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भंवर

भंवर

आशीष कुमार त्रिवेदी

नितिन सोफे पर लेटे हुए अपने ड्रिंक की चुस्कियां ले रहा था। उसका मन कुछ विचलित सा था। सोनिया भी पास में आकर बैठ गई और उसके बालों में अपनी उंगलियां फिराने लगी। नितिन उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया। पिछले कई दिनों से वह उसकी बेचैनी महसूस कर रही थी। इसलिए वह उससे बात करना चाहती थी।

" कुछ दिनों से परेशांन लग रहे हो। " सोनिया ने पूंछा।

" हमारी ज़िन्दगी बारे में सोंच रहा था। अभी तक हम कुछ भी हांसिल नहीं कर पाए। "

" ऐसा क्यों सोंचते हो क्या कमी है हमारे पास। अच्छा जॉब , घर, गाडी हर एक चीज़ है जो आरामदायक जीवन के लिए चाहिए। " सोनिया ने तसल्ली देनी चाही। नितिन और भड़क गया।

" इससे क्या होता है। कहीं न कहीं हम रेस में पिछड़े हैं। उस रॉबिन को देखो हमारे साथ कॉलेज में था। कुछ भी नहीं था उसके पास। कितनी बार तो मैंने पैसों से उसकी मदद की। पर आज देखो कहाँ है। उसके सामने तो हम कुछ भी नहीं हैं। "

" फिर भी हम खुश हैं। हमें क्या कमी है। "

" मैं उनमें नहीं हूँ जो नीचे देखते हैं। मैं ऊपर देखता हूँ। मुझे सबसे ऊपर जाना है। " नितिन ने उत्तेजित होकर कहा। फिर उठ कर सोने चला गया। सोनिया सोंच में पड़ गई।

जब से उन दोनों की मुलाकात रॉबिन से हुई थी नितिन के व्यवहार में एक बदलाव आ गया था। कभी कालेज का सबसे डफर मने जाने वाला रॉबिन आज स्मार्ट हो गया था। रॉबिन ने बहुत अधिक तरक्की कर ली थी। वह एक ऐड एजेंसी का मालिक था। समाज के बड़े बड़े लोगों तक उसकी पहुँच थी। कभी पैसों के लिए मोहताज़ रॉबिन की इतनी तरक्की नितिन से बर्दाश्त नहीं हो रही थी। तबसे ही उसे एक पल का भी चैन नही था।

रॉबिन भी जबसे नितिन और सोनिया से मिला था बेचैन था। कॉलेज के समय से ही वह मन ही मन सोनिया को चाहता था। लेकिन सोनिया का झुकाव नितिन की तरफ था। नितिन के पिता सरकारी अधिकारी थे। उसके पास पैसे थे। अक्सर नितिन पैसों से उसकी मदद करता रहता था। अतः वह कुछ कह नहीं पाता था। किंतु इतने वर्षों के बाद जबसे उसने सोनिया को देखा तब से उसे पाने की चाह एक ज्वालामुखी की तरह फूट पड़ी। अब तो वह नितिन से हैसियत में बहुत आगे था। अतः उसी दिन से वह सोनिया को पाने की चाल सोंचने लगा। इसी के तहत एक दिन उसने नितिन को अकेले अपने घर मिलने बुलाया।

उसकी दावत कुबूल कर नितिन उसके घर पहुंचा। उसकी शानो शौकत देख कर उसकी आँखे फटी रह गईं। पीने पिलाने के दौर में रॉबिन ने अपना फंदा फेंका। उसने दोगुने वेतन का लालच देकर उसे अपनी ऐड एजेंसी में शामिल होने के लिए मना लिया। अब रॉबिन का नितिन के घर आना जाना बढ़ गया। अब वो सोनिया से नज़दीकी बढ़ाने लगा। जल्द ही उसने उसे भी अपने दफ्तर में काम करने को राज़ी कर लिया। सोनिया को पाने की चाह अब और भी बलवती हो गई थी।

रॉबिन नितिन की कमज़ोरी को भांप चुका था। तरक्की करने के लिए नितिन कुछ भी कर सकता था। अतः उसने अपना दांव खेला। उसने नितिन को नई ब्रांच का हेड बना दिया। साथ में उस ब्रांच के मुनाफे का १० % भी देने का वायदा किया। इसी के साथ उसने खुल कर अपने दिल की बात उसके सामने रख दी।

नितिन भी सोनिया की तरफ उसके आकर्षण को समझ चुका था। किंतु जानबूझ कर अनजान बना था। तरक्की का यह अवसर उसके लिए बहुत बड़ा लालच था। उसने रॉबिन की बात मान ली। जब उसने सोनिया से इस बारे में बात की तो कुछ क्षण तक तो वह स्तब्ध खड़ी रही। फिर खुद को संभाल कर बोली " तुम होश में तो हो न। ये क्या कह रहे हो। " किंतु नितिन लालच में इतना अंधा हो गया था कि सही गलत का फ़र्क भी भूल गया था। उसने सोनिया पर दबाव डाला कि वह उसके कहे अनुसार रॉबिन से संबंध बनाये। सोनिया ने साफ़ इनकार कर दिया। इस बात से नितिन बहुत गुस्सा हुआ। दोनों में आये दिन झगड़े होने लगे। आखिरकार हार कर अपने रिश्ते को बचाने के लिए उसे हार माननी पड़ी।

सोनिया को एक बार पा लेने के बाद रॉबिन की चाह और बढ़ गई। बात बात पर वह उसे ब्लैकमेल करता था और पूरी बेशर्मी के साथ सोनिया को संबंध के लिए मज़बूर करने लगा था।। मज़बूरी में फंसी सोनिया के दिल में नितिन के प्रति नफ़रत पनपने लगी थी। वह समझ गई थी कि अपना मतलब निकलने के बाद नितिन को रॉबिन का उसके नज़दीक आना पसंद नहीं था। अतः उसे जलाने के लिए वो जानबूझ कर रॉबिन के और नज़दीक जाने लगी। अपने स्वार्थ के लिए नितिन ने उसे इस कींचड़ में घंसीटा था। किंतु अब उसे सोनिया और रॉबिन की नज़दीकी सहन नहीं होती थी। वह रॉबिन को रास्ते से हटाना चाहता था।

रॉबिन भी अब नितिन को सह नहीं पा रहा था। नितिन बस उसके लिए एक माध्यम था जिसके सहारे वह अपनी हसरत पूरी करना चाहता था। अब वह पूरी हो गई थी। अतः नितिन उसके लिए बेकार हो गया था। सोनिया भी नितिन से बेपनाह नफ़रत करने लगी थी। स्तिथि का फायदा उठा कर उसने रॉबिन को नितिन के खिलाफ भड़काना शुरू किया। उसने और रॉबिन ने नितिन को रस्ते से हटाने का प्लान बनाया। सोनिया ने मन ही मन तय कर लिया था कि रॉबिन जब नितिन को मार देगा तो वह भी उसे ठिकाने लगा देगी।

प्लान के मुताबिक तीनो रॉबिन की यॉट पर मिले। नितिन भी अपनी तैयारी के साथ आया था। एक दूसरे के प्रति नफ़रत लिए नितिन और रॉबिन पीने बैठ गए। जब नशा सर चढ़ गया तो दोनों में अचानक बहस शुरू हो गई। बहस हाथापाई में बदल गई। रॉबिन कुछ करता उससे पहले ही नितिन ने गोली चला दी जो रॉबिन का सीना चीरती हुई निकल गई। फिर वह सोनिया की तरफ लपका। सोनिया पहले ही तैयार थी। उसने गोलियों से उसका सीना छलनी कर दिया।

वासना लालच ईर्ष्या और क्रोध के भंवर में फँसी तीन जिंदगियां तबाह हो गईं। रोबिन अस्पताल में कोमा में पड़ा था और सोनिया जेल की सलाखों के पीछे।

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