498A के शिकारी
खुशी सैफी
“अरे भाई साहब! ये समोसे तो खाईये, सलोनी ने खुद अपने हाथों से बनाये हैं” सलोनी की माँ ने समोसों से भरा प्लेट मेहमानों के सामने किया।
“अरे वाह बहन जी! बहुत ही सुवादिष्ट बने हैं” मिस्टर जोशी ने समोसे के साथ इंसाफ करते हुए कहा।
“लड़की और क्या क्या बनना जानती है” मिसिज़ जोशी ने सलोनी की माँ से पूछा।
“भगवान की दया से मेरी बेटी सब काम जानती है, जो भी आप कहेंगी झट आपके सामने बना कर परोस देगी” सलोनी की माँ ने खुश होते हुए कहा।
“ये तो बहुत अच्छी बात है वरना आज कल की लड़कियां फैशन के आगे घर के कामों को एहमियत ही कहाँ देती हैं” मिसिज़ जोशी ने कहा।
“ज़रा लड़की को तो बुलाइए, हमारे बेटे की नजरें कब से उसे ढूंढ रही हैं” मिस्टर जोशी ने हँसते हुए अपने बेटे को छेड़ा जिस पर वो भी शर्मा कर मुस्कुरा दिया।
“जी जी बिल्कुल, जाओ.. सलोनी को बुला लाओ” सलोनी के पिता ने सलोनी की माँ को इशारा किया।
सलोनी की माँ के जाने के बाद वो कंवल की तरफ मुड़े “और सुनाओ बेटा, क्या क्या शौक रखते हो आप”
“बस अंकल कुछ खास नही, ऑफिस के काम से इतनी फुरसत ही नही मिलती” कंवल ने केवल पूछे गए सवाल का जवाब दिया।
“आप तो जानते ही हैं भाई साहब, अपने बिज़नेस में यही होता है, कमाई ज़्यादा तो काम भी ज़्यादा या यूँ कहिये काम ज़्यादा तो कमाई ज़्यादा.. हा हा हा” मिस्टर जोशी ने हँसते हुए कहा जिस पर सब हँसने लगे।
“हा हा हा ! बिल्कुल सही कहा। लीजिये हमारी बेटी आ गयी” सलोनी की माँ सलोनी को साथ ले आयी।
“आओ बेटा यहां बैठो मेरे पास” कंवल की माँ ने सलोनी के लिए अपने पास जगह बनाई जहां सलोनी सबको नमस्ते करती हुई जा बैठी।
“भई आपकी बेटी तो बहुत सुंदर है” मिसिज़ जोशी ने सलोनी की माँ से कहा फिर बेटे की तरफ मुड़ते हुए बोली “बेटा तुम क्या कहते हो” कंवल जो काँखयों से सलोनी को ही देख रहा था “हाँ” में गर्दन हिला कर माँ को अपनी रज़ामंदी बता दी।
“सलोनी बेटा ये तुम्हारे हाथ पर जलने के निशान कैसे” मिसिज़ जोशी ने सलोनी के बाएं हाथ की पड़े निशान की तरफ इशारा किया।
“वो आंटी..” अचानक इस सवाल पर सलोनी कुछ घबरा गई पर सलोनी की माँ ने बात संभाल ली “अभी कुछ दिन पहले पूरियां तलते समय इसका हाथ गर्म बर्तन पर लग गया था, असल मे इन्हें पुरियों का बहुत शौक है, आये दिन बनवाते रहते हैं” सलोनी की माँ ने अपने पति की तरफ इशारा करते है कहा।
“ओह अच्छा..” कंवल की माँ ने कहा।
“अगर आप लोगों को कोई एतराज नही हो तो इन दोनों को कुछ वक्त अकेले में बातें करने देते हैं इतने हम बड़े भी कुछ बातें कर लेते हैं” सलोनी के पिता ने मिस्टर जोशी से कहा। बेटी का बाप होने के नाते अब वो कुछ लेन देन की बात करना चाहते थे।
“हमे कोई एतराज नही पर अगर आप अकेले में दहेज़ या लेन देन की बात करना चाहते हैं तो हम साफ कह देते हैं.. आपकी बेटी के सिवा हमे सिर्फ आप सब का प्रेम चाहिए। लक्ष्मी माँ की बहुत कृपा है हम पर, हमे किसी चीज़ की ज़रूरत नही” मिस्टर जोशी ने ये शब्द कह कर सलोनी के पिता का बोझ कुछ कम कर दिया।
“धन्य है आप, आपने तो मेरी मुश्किल ही आसान कर दी, वरना एक बेटी का पिता इसी दिन से डर डर कर समय से पहले बूढ़ा हो जाता है” सलोनी के पिता ने मेहमानों के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा।
“अरे बस बस, आप भी कमाल करते हैं। बेटी का बाप कन्या दान करता है, ऊपर से दहेज़ का एक और बोझ डाल देना कहाँ का इंसाफ है” मिस्टर जोशी ने कहा।
“अगर हर बेटे के बाप की आप जैसी सोच हो जाये तो किसी बाप को अपनी बेटी बोझ ना लगे” सलोनी की माँ इतने अच्छे और अमीर रिश्तेदार मिलने पर बहुत खुश थी।
“बेटा आप दोनों एक दूसरे से कुछ पूछना चाहते हो तो पूछ सकते हो” कंवल के पिता ने दोनों से कहा।
“हाँ जाओ सलोनी, कंवल बेटे को अपना कमरा तो दिखा लाओ” सलोनी के पिता सलोनी से बोले। कुछ देर हँसी खुशी बातें होती रही फिर बात पक्की कर के मेहमान अपने घर चले गए।
***
रिश्ता पक्का होते ही दोनो घरों में शादी की रस्में शुरू हो गयी और तयशुदा तारीख पर सात फेरे ले कर सलोनी कंवल की पत्नी बन कर कंवल के साथ रहने लगी। शादी के बाद दो तीन महीने यूँ ही हँसते खेलते, घूमते घूमाते निकल गए। सलोनी की सास सलोनी के खूब लाड़ उठती पर जब मिसिज़ जोशी सलोनी को कोई काम के लिए कहती तो वो कोई बहाना बना देती। घर मे नोकरानी थी इसलिए अब तक उसने रसोई में झाँका तक नही था। मिसिज़ जोशी ने भी सोचा “कोई बात नहीं, कुछ दिन घूमने फिरने दो दोनो को” पर पूरी रसोई नोकरानी पर कब तक छोड़ी जा सकती थी। आहिस्ता आहिस्ता सलोनी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था।
“सलोनी, कहाँ जा रही हो बेटा” सोफे पर बैठी मिसिज़ जोशी ने मैगज़ीन से नज़रें उठा कर चटख मटख कपड़े पहन कर जाती हुई सलोनी से पूछा।
सलोनी को सास का टोकना बुरा लगा इसलिए मुह बना कर बोली “शॉपिंग के लिए जा रही हूं”
“पर बेटा इस तरह के कपड़े सही नही है, कोई साड़ी ही डाल लो। कंवल देखेगा तो बहुत गुस्सा होगा, उसे बिल्कुल नही पसंद इस तरह के आधे अधूरे कपड़े” सास ने समझते हुए कहा।
“कंवल क्यों देखेगा जब तक आप अपना मुँह बन्द रखोगी” बदतमीज़ी से जवाब देती सलोनी ने आगे कदम बढ़ाये।
“ये किस तरह बात कर रही हो तुम मुझसे” अब मिसिज़ जोशी गुस्से से बोली।
“जिस तरह आपको सूट करता है” सलोनी कह कर दरवाज़े से बाहर निकल गयी और मिसिज़ जोशी हक्का बक्का दरवाज़े को देखती रह गयी। सलोनी अपनी मर्जी करती थी पर उन्हें सलोनी से इतनी बदतमीज़ी की उम्मीद नही थी।
***
शाम को मिसिज़ जोशी ने सलोनी के साथ हुई सारी बातें ज्यों की त्यों अपने पति और बेटे को बताई। जिस पर कंवल गुस्से से चिल्ला कर सलोनी को आवाज़ लगता है “सलोनी.. सलोनी बाहर आओ”
कंवल की आवाज़ सुन कर सलोनी अपने कमरे से निकल कर बाहर आती है “किसे मौत आयी है, क्यों चिल्ला रहे हो” सलोनी भी बाहर आ कर बिना डरे वापिस कंवल पर चिल्लाई।
“ये किस तरह बात कर रही हो और तुमने मेरी माँ के साथ ऐसा सुलूक क्यों किया” कंवल ने गुस्से से सलोनी से पूछा।
“मैंने कुछ गलत नही किया, ये बुढ़िया बात बात पर मुझे क्यों टोकती है”
“सलोनी.. अपनी हद में रहो” इस बार कंवल का गुस्सा सातवें आसमान पर था। अपनी माँ के बारे में ऐसे शब्द उसे बिल्कुल अच्छे नही लगे।
“मैं हद में रहूँ.. क्या है मेरी हद। रुको! मैं तुम्हे तुम्हारी हद बताती हूँ” गुस्से से दनदनाती सलोनी ने रसोई में जा कर जलती गैस पर पास रखी हुई करछी उठा कर आग पर रख दी।
“ये क्या कर रही हो सलोनी। घर मे ऐसे छोटे मोटे झगड़े तो होते रहते हैं” मिसिज़ जोशी सलोनी को रोकने आगे बढ़ी।
“पीछे रह बुढ़िया, एक कदम भी मेरी तरफ बढ़ाया तो पूरे घर को आग लगा दूंगी” सलोनी आपे से बाहर हो रही थी। मिसिज़ जोशी आगे बढ़ कर उसे रोकती उससे पहले ही उसने आग पर लाल होती करछी को अपनी कलाई पर लगा दिया।
“आह ह ह..” सलोनी दर्द की वजह से ज़ोर से चिल्लाई।
“सलोनी..” कंवल सलोनी की तरफ भाग और उसके हाथ से गर्म करछी ले कर दूर फेंक दी।
“सलोनी, ये क्या किया तुमने” कंवल सलोनी के दर्द को महसूस करता बोला। आगे क्या होने वाला है इस बात से अनजान सलोनी को डॉक्टर के ले जाने को भागा पर सलोनी के शब्द सुन कर ठिठक गया और नफरत से सलोनी को एक तरफ धक्का दे दिया।
“माँ जी, ये क्या किया आपने.. दहेज़ ना दे पाने पर मेरा हाथ जला दिया” सलोनी के कहे शब्द सीसे की तरह तीनों के कानों में पड़े।
“क्या बकवास कर रही हो” इस बार मिस्टर जोशी चिल्लाये और अनजाने ही थप्पड़ मारने को हाथ उठा दिया।
“ना ना.. ऐसा बिल्कुल ना करना पापा जी, अभी तो सिर्फ मेरा हाथ जलाने पर 498A, IPC की धारा लगाउंगी, अगर हाथ उठाया तो जान से मारने के आरोप में 304B, IPC की धारा भी लगवा दूंगी अपने माँ बाप से”
“नही.. नही। मैंने कुछ नही किया” मिसिज़ जोशी आने वाले वक्त से डरती हुई बोली।
“सलोनी तुम्हारा दिमाग तो ठीक है.. ये क्या बातें कर रही हो” माँ को डरा देख कंवल चीखा।
“रुको, मैं अभी तुम्हारे माँ बाप को बुलाता हूँ” इतनी कह कर मिस्टर जोशी ने सलोनी के मायके फोन किया और उन्हें फ़ौरन आने का बोला। आधे धंटे में सलोनी के माँ बाप भी आ पहुँचे।
“हाय मेरी बच्ची का हाथ जला दिया, मैं पुलिस को बुलाऊंगी, तुम सब को जेल करवाउंगी” सलोनी की माँ ने आते ही हंगामा कर दिया।
“आप लोगो ने खुद ही तो दहेज के लिए मना किया था फिर मेरी बेटी पर ये अत्याचार क्यों किया” अब सलोनी के पिता ने भी चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया।
“देखिये ऐसा कुछ नही है। आप गलत समझ रहे हैं। ये तो सलोनी से खुद अपने हाथ पर गर्म करछी लगा ली” कंवल ने उन्हें हो रही गलतफहमी दूर करनी चाही।
“क्या सबूत है कि मैंने खुद अपना हाथ जलाया है” अब सलोनी और उसके माँ बाप मंद मंद मुस्कुरा रहे थे जैसे ये सब उनकी पहले से सोची समझी साजिश हो।
“क्या..” कंवल चोंका और मुड़ कर अपने पिता से बोला “पापा ये लोग कोई चाल चल रहे हैं हमें फ़साने की”
“ये सब ड्रामा कर के क्या साबित करना चाहते हो तुम लोग” अब मिस्टर जोशी समझने लगे थे।
“हम तो कुछ नही चाहते.. हाँ अगर आप कोई फैसला करना चाहे तो कर सकते हैं” अब सलोनी के पिता बोले।
“मतलब”
“मतलब ये कि दहेज न मिलने पर मेरी बेटी को जला कर मारने की कोशिश में धारा 498A के तहत जुर्माने का साथ 2 साल तक जेल में रहना पसंद करेंगे या 2 लाख रुपये दे कर बात को यहीं रफा दफा करेंगे” सलोनी के पिता अब मतलब की बात पर आ गए थे।
“तुम झूठा इल्ज़ाम लगा रहे हो हम पर। मैं केस करूँगा तुम सब पर, अभी अपने वकील को फोन लगता हूँ” मिस्टर जोशी गुस्से से बोले और जेब से मोबाइल निकाल कर नंबर मिलने लगे पर सलोनी की माँ की बात सुन कर रुक गए।
“जो मर्जी कर लें.. अदालत तफ़्तीश के लिए जिस को भी यहां भेजेगी मुजरिम आप ही ठहरेंगे। क्या सबूत है आपके पास की ये हाथ सलोनी ने खुद जलाया है” सलोनी की माँ भी बोली।
“सलोनी तुम अपने अधिकार का गलत प्रयोग कर रही हो” कंवल सलोनी को समझने की नाकाम कोशिश करने लगा।
“अधिकार इस्तेमाल करने के लिए होते हैं, गलत या सही क्या होता है” सलोनी ने एक अदा से आंखों से बहते आसूं साफ किये जो हाथ जलने की वजह से उसकी आँखों मे आये थे।
“सुनो जी, इन्हें 2 लाख रुपये दे दो। बात अदालत तक जायगी तो बहुत बदनामी होगी हमारी” मिसिज़ जोशी रोते हुए बोली।
“क्या कह रही हो.. कहाँ से लाऊंगा इतनी बड़ी रकम” मिस्टर जोशी बोले।
“पापा! माँ ठीक कहती है। पैसों का इंतज़ाम हम कर लेंगे कहीं ना कहीं से” कंवल ने माँ की हाँ में हाँ मिलाई।
“ठीक है, पर तुम लोग ये सही नही कर रहे हो। कमाई का अच्छा तरीका अपनाया है” मिस्टर जोशी पछतावे से बोले।
“सब ठीक है भाई साहब। अपने कर्म अपने साथ। तो आप रकम के साथ साथ डाइवोर्स पेपरस भी भेज दीजियेगा। ज़ाहिर है अब इतने बुरे लोगो के साथ आप रिश्ता रखना तो नही चाहेंगे” सलोनी की माँ बोली।
“मुझे ज़रूरत नही ऐसी बीवी की जिसे औरत कहते हुए भी शर्म आती है” कंवल सलोनी पर घुर्राया जिस पर सलोनी मुस्कुरा दी।
मिस्टर जोशी के परिवार ने अपनी इज़्ज़त न उछलते हुए मामला वही खत्म कर दिया और उन धोंकेबाज़ों से पीछा छुड़ा लिया।
***
“हे वरुण..” कंवल मॉल में कुछ ज़रूरी समान लेने आया था जहां उसे अपने कॉलेज का दोस्त मिला। वरुण से वो 3 साल बाद मिल रहा था।
“अरे कंवल, कैसा है यार” वरुण भी कंवल को देख कर खुश हो गया।
“मैं अच्छा हूँ, तू सुना कैसा है। बड़े टाइम बाद मिल रहा है यार। कहाँ चला गया था कॉलेज के बाद” कंवल ने ढेर सारे सवाल कर डाले।
“हाँ 3 साल हो गए शायद कॉलेज कम्पलीट हुए, बस यार पढ़ाई के लिए ही तो आया था यहाँ फिर वापिस अपने शहर अपने घर। और सुना अंकल आंटी कैसे हैं.. शादी वादी करी या अभी भी कुँवारा है” वरुण भी बिछड़े दोस्त से मिल कर बहुत खुश था।
“हाँ शादी भी हुई थी एक साल पहले” कंवल कुछ उदास हो गया पर बिता वक़्त भूल कर वरुण से बोला “मेरी छोड़ अपनी बात, तेरी शादी हुई या नही”
“हाँ अभी एक महीना पहले ही हुई है, उन्ही के नाज़ नखरे उठाने यहां आया हूँ”
“मतलब”
“मतलब उसका मायका यहाँ है तो मिलाने लाया था। सोचा उसे उसके घर छोड़ कर कुछ शॉपिंग कर लूँ” वरुण में खुल कर बताया।
“अरे वाह! दिख ज़रा भाभी कैसी है। आज कल तो मोबाइल उन्ही के फोटोज से भरा रहता होगा” कंवल ने छेड़ा।
“हाँ.. ये देख” वरुण ने मोबाइल से एक तस्वीर कंवल को दिखाई जिससे देख कर उसके मुँह से निकला “सलोनी”
“हाँ सलोनी, तू जनता है क्या सलोनी को”
“हाँ जनता हूँ, एक साल पहले इसी से मेरी शादी हुई थी”
“क्या.. ये क्या बकवास है” वरुण नाराज़ होता बोला।
“ये देख” कंवल ने मोबाइल से अपनी शादी की एक तस्वीर निकल कर उसे दिखाई। शायद अभी भी कंवल के दिल मे वो मौजूद थी तभी उसका फ़ोटो अब तक मोबाइल में संभाल कर रखा हुआ था।
“ओह नो” वरुण सलोनी का दुल्हन बना फ़ोटो देख कर चकरा गया।
“ये तीनो माँ बाप और बेटी धोकेबाज़ है, इन्होंने हमारे साथ जो किया वही तुम्हारे साथ भी करेंगे, यहीं इन लोगो का धंधा है”
“कैसा धंधा” वरुण ने चौक कर पूछा।
“कुछ देर घर चल, वहां आराम से बैठ कर बात करते हैं” कंवल वरुण को घर ले गया जहां वो उसके माँ पापा से भी मिला। उन लोगो ने वरुण को शुरू से आखिर तक सारी बातें बताई जिससे सुन कर वरुण के कदमों तले ज़मीन खिसक गई।
“देख वरुण, ये सब तेरे साथ भी होने वाला है क्योंकि जहां तक मुझे पता चला है कि सलोनी 3 महीने से ज्यादा किसी के साथ नही रहती। जो लोग उनके जुल्म के शिकार हुए हैं उन सभी ने रिपोर्ट नही कराई क्योंकि उनके पास कुछ सबूत नही होता। मैं भी इसलिए ही चुप रहा पर अब तेरे पास मौका है वरुण” कंवल ने समझते हुए कहा।
“पर ये सब होगा कैसे कंवल”
“दहेज के लिए ससुराल वालों पर इल्जाम लगाने के लिए सलोनी अपना हाथ जलती है”
“हाँ उसके हाथ पर है जलने के निशान” वरुण ने सोचते हुए कहा।
“यस, बस तुम्हे अपने किचन में cctv camera लगाना होगा। ध्यान रहे इस चीज़ का पता सलोनी को नही चलना चाहिए। फिर जैसे ही वो अपना ड्रामा शुरू करेगी सब रिकॉर्ड हो जायेगा” कंवल ने सुझाया।
“सही कहता है तू। इनका धंधा अब खत्म होने का वक़्त आ गया है। मैं चलता हूँ बहुत कुछ तैयारी करनी है अब इन लोगो को पकड़ने के लिए” वरुण फैसला करता उठ खड़ा हुआ।
“थैंक यू वरुण मेरा विश्वास करने के लिए” कंवल ने वरुण को गले लगाते हुए कहा।
***
अपने घर पहुँच कर वरुण ने सलोनी की साजिश को रिकॉर्ड करने का सारा इंतेज़ाम कर दिया। बस अब उसे इंतेज़ार था कि सलोनी कब अपना ड्रामा शुरू करती है। वो समय भी जल्द ही आ गया। सलोनी ने ज़रा सी बात को बढ़ा दिया था। उसे अपना मकसद पूरा करने के लिए कुछ न कुछ झगड़ा तो करना ही था। वरुण फोन पर अपनी सहकर्मी से बात कर रहा था जब उसके कानों में डाइनिंग टेबल पर हो रहे झगड़े की आवाज़ आयी।
“मम्मी अपने क्यों मना किया मुझे मायके जाने से” सलोनी सास के बारबर खड़ी चिल्ला रही थी।
“बेटा मैं मना नही कर रही, चली जाना पर इतनी जल्दी क्या है.. अभी 10 दिन पहले ही तो तुम मिल कर आई हो। ऐसे रोज़ रोज़ जाना सही नही.. अब ये तुम्हारा घर है वो नही” वरुण की माँ सलोनी को समझने की कोशिश कर रही थी।
“सलोनी, क्या ड्रामा लगा रखा है तुमने घर मे” वरुण रूम से निकल आया। वरुण ने आ कर सलोनी को डाँटा। शायद वो चाहता था कि बात बढ़े और अब ये ड्रामा खत्म हो जाये और उसकी जान छूटे ऐसी धौंकेबाज़ लड़की से।
“ड्रामा मैंने लगा रखा है या तुम्हारी माँ ने” सलोनी वरूण पर चिल्लाई।
“तमीज़ से बात करो मेरी माँ से वरना..” अपनी माँ के बारे में उल्टा सुन कर वरुण ने सलोनी पर हाथ उठा दिया जो वरुण के छोटे भाई ने सही वक़्त पर आ कर रोक दिया।
“भाई क्या कर रहे हैं आप, आपकी बीवी है ये”
“तुम नही जानते ये हमारी माँ के साथ कितनी बत्तमीजी से बात कर रही है”
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर हाथ उठाने की। तुम्हे ये हाथ उठाना बहुत महँगा पड़ेगा वरुण” सलोनी अपनी बेज़्ज़ती पर गुस्से से दनदनाती रसोई में गयी और वही किया जो कंवल के घर किया था।
“आह.. मम्मी दहेज़ की मांग पूरी नही कर पाने की वजह से अपने मेरा हाथ जला दिया” सलोनी ने रटी रटाई लाइन बोली।
“भाभी ये क्या कह रही हो माँ के बारे में, अपने खुद अपना हाथ जलाया है”
“बस बहुत हो गया। रुको मैं तुम्हारे माँ बाप को बुला लुँ, उनके सामने ही अब कोई बात होगी” वरुण ने सलोनी के घर फ़ोन मिला दिया।
सलोनी के माता पिता के आने पर उसने जोर ज़ोर से रोना शुरू कर दिया, साथ ही सलोनी की माँ उन्हें पुलिस में पकड़वाने की धमकियां देने लगी जिस पर वरुण की माँ घबरा गई।
“बहन ये क्या बोल रही हैं आप। यकीन जानिए आपकी बेटी ने खुद गुस्से में अपना हाथ जलाया है”
“नही पुलिस का आना ठीक नही शरीफों के घर” वरुण वहीं सोफे पर बैठता बोला।
“तो फिर ये ठीक रहेगा कि तुम लोग हमें 3 लाख रुपये दे दो” सलोनी की माँ बोली।
“3 लाख, वो किस बात के” वरुण बोला।
“इस बात के कि दहेज न मिलने पर मेरी बेटी को जला कर मारने की कोशिश की आप लोगो ने तो धारा 498A के तहत जुर्माने का साथ 2 साल तक जेल में रहना पसंद करेंगे या 3 लाख रुपये दे कर बात को यहीं रफा दफा करेंगे” सलोनी के पिता अब मतलब की बात पर आ गए थे।
“ओह, अगर मैं पैसे ना दूँ तो” वरुण बोला।
“तो हम तुम सब को जेल करवा देंगे” सलोनी के पिता बोले।
“जेल क्यों.. हाथ तो सलोनी ने खुद जलाया है”
“हा हा हा! ये तुम जानते हो पुलिस और अदालत नही जानती। तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट करने पर तुम ही मुजरिम ठहरोगे” सलोनी ने भी ससुराल वालों की हँसी उड़ाई।
“तो तुमने कंवल और दूसरे ससुराल वालों से भी 3 लाख ही मांगे थे या मुझसे ही ज़्यादा मांग रही हो” वरुण ने कहा जिस पर वहां मौजूद सब के चेहरे वरुण को देखने लगे। सलोनी और उसके माँ बाप के चेहरों के रंग उड़ चुके थे।
“कौन कंवल” सलोनी घबरा कर बोली।
“अरे मुझसे पहले वाला पति.. एक साल में ही भूल गयी क्या”
“फालतू बातें ना करो, मतलब की बात पर आओ” सलोनी के पिता ने वरुण को घुड़का।
“मैं पुलिस को फोन लगता हूँ। वो मतलब की बात करेगी” वरुण ने पुलिस को फ़ोन लगा कर बताये पाते पर फ़ौरन आने को कहा।
“हाँ बुला लो पुलिस को, जब तुम सब जेल जाओगे तब पता चलेगा” सलोनी की माँ बोली।
“जेल हम नही तुम तीनो जाओगे, वो देखो कैमरा जिसमे तुम लोगो की सब हरकतें और बातें रेकॉर्ड हो गयी है। अब जेल जा कर 3 लाख डंडे खाना पुलिस के” वरुण ने उन तीनों के मकसद पर पानी फेर दिया था।
जब तक पुलिस नही आ गयी वरुण ने उन लोगो को एक कमरे में बंद रखा। पुलिस के आते ही वरुण ने 498A के शिकारी पुलिस के हवाले कर दिया साथ ही कैमरे की रिकॉर्डिंग भी थमाई। वरुण और उसका परिवार बड़े नुकसान से बच गया था। वरुण ने कंवल को फ़ोन कर ये उस भी ये खुशखबरी सुना दी थी।
समाप्त