जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ

(336)
  • 516.5k
  • 94
  • 125.6k

जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. अनुक्रम १.ग्राम २.गूदड़ साइर्ं ३.गुदड़ी में लाल ४.शरणागत ५.रसिया बालम ६.मदन-मृणालिनी ७.सिकन्दर की शपथ ८.जहाँनारा ९.खंड़हर की लिपि १०.पाप की पराजय ११.सहयोग १२.प्रतिध्वनि १३.आकाशदीप १४.आँधी १५.चूड़ीवाली १६.बिसाती १७.घीसू १८.छोटा जादूगर १९.अनबोला २०.अमिट स्मृति २१.विराम-चिह्न २२.व्रत-भंग २३.पुरस्कार २४.इन्द्रजाल २५.सलीम २६.नूरी २७.गुण्डा १. ग्राम टन! टन! टन! स्टेशन पर

Full Novel

1

Jayshankar ki kahaniya

जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. अनुक्रम १.ग्राम २.गूदड़ साइर्ं ३.गुदड़ी में लाल ४.शरणागत ५.रसिया बालम ६.मदन-मृणालिनी ७.सिकन्दर की शपथ ८.जहाँनारा ९.खंड़हर की लिपि १०.पाप की पराजय ११.सहयोग १२.प्रतिध्वनि १३.आकाशदीप १४.आँधी १५.चूड़ीवाली १६.बिसाती १७.घीसू १८.छोटा जादूगर १९.अनबोला २०.अमिट स्मृति २१.विराम-चिह्न २२.व्रत-भंग २३.पुरस्कार २४.इन्द्रजाल २५.सलीम २६.नूरी २७.गुण्डा १. ग्राम टन! टन! टन! स्टेशन पर ...और पढ़े

2

Gram

ग्राम जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. ग्राम टन! टन! टन! स्टेशन पर घण्डी बोली। श्रावण-मास की संध्या भी कैसी मनोहारिणी होती है। मेघ-माला-विभूषित गगन की छाया सघन रसाल-कानन में पड़ रही है! अँधियारीधीरे-धीरे अपना अधिकार पूर्व-गगन में जमाती हुई सुशासनकारिणीमहारानी के समान, विहंग प्रजागण को सुखनिकेतन में शयन करने कीआज्ञा दे रही ...और पढ़े

3

Gudad Sai

गुदड़ साईं जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. गुदड़ साईं ‘साईं! ओ साइर्ँ!!’ एक लड़के ने पुकारा। साइर्ँ घूम पड़ा। उसनेदेखा कि ८ वर्ष का बालक उसे पुकार रहा है। आज कई दिन पर उस मोहल्ले में साइर्ँ दिखलाई पड़ा है। साइर्ँवैरागी था - माया नहीं, मोह नहीं, परन्तु कुछ दिनों से उसकी ...और पढ़े

4

Gudadi Me Lal

गुदड़ी में लाल जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. गुदड़ी में लाल दीर्घ निश्वासों का क्रीड़ा-स्थल, गर्म-गर्म आँसुओं का फूटा हुआपात्र! कराल काल की सारंगी, एक बुढ़िया का जीर्ण कंकाल, जिसमेंअभिमान की लय में करुणा ही रागिनी बजा करती है। अभागिनी बुढ़िया, एक भले घर की बहू-बेटी थी। उसे देखकरदयालु वयोवृद्ध, हे भगवान्‌! ...और पढ़े

5

Sharnagat

शरणागत जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. शरणागत प्रभात-कालीन सूर्य की किरणें अभी पूर्व के आकाश में नहीं दिखाईपड़ती हैं। तारों का क्षीण प्रकाश अभी अम्बर में विद्यमान है। यमुना केतट पर दो-तीन रमणियाँ खड़ी हैं; और दो - यमुना की उन्हीं क्षीणलहरियों में, जो कि चन्द्र के प्रकाश से रंचित हो रही ...और पढ़े

6

Rasia Balam

रसिया बालम जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. रसिया बालम संसार को शान्तिमय करने के लिए रजनी देवी ने अभी अपनाअधिकार पूर्णतः नहीं प्राह्रश्वत किया है। अंशुमाली अभी अपने आधे बिम्बको प्रतीची में दिखा रहे हैं। केवल एक मनुष्य अर्बुद-गिरि-सुदृढञ दुर्गके नीचे एक झरने के तट पर बैठा हुआ उस अर्ध-स्वर्ण पिण्ड की ...और पढ़े

7

Madan-Mrunalini

मदन-मृणालिनी जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. मदन-मृणालिनी विजयादशमी का त्योहार समीप है, बालक लोग नित्य रामलीला होनेसे आनन्द में मग्न हैं। हाथ में धनुष और तीर लिए एक छोटा-सा बालक रामचन्द्र बननेकी तैयारी में लगा हुआ है। चौदह वर्ष का बालक बहुत ही सरल औरसुन्दर है। खेलते-खेलते बालक को भोजन की याद ...और पढ़े

8

Sikandar ki Sapath

सिकन्दर की शपथ जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. सिकन्दर की शपथ सूर्य की चमकीली किरणों के साथ, यूनानियों के बरछे की चमकसे ‘मिंगलौर दुर्ग’ घिरा हुआ है। यूनानियों के दुर्ग तोड़ने वाले यन्त्र दुर्गकी दीवालों से लगा दिए गए हैं और वे अपना कार्य बड़ी शीघ्रता केसाथ कर रहे हैं। दुर्ग की ...और पढ़े

9

Jahanara

जहाँनारा जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. जहाँनारा यमुना के किनारे वाले शाही महलमें एक भयानक सन्नाटा छायाहुआ है, केवल बार-बार तोपों की गड़गड़ाहट और अस्त्रों की झनकारसुनाई दे रही है। वृद्ध शाहजहाँ मसनद के सहारे लेटा हुआ है और एकदासी कुछ दवा का पात्र लिए हुए खड़ी है। शाहजहाँ अन्यमनस्क होकरकुछ सोच ...और पढ़े

10

Pap ki Parajay

पाप की पराजय जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. पाप की पराजय घने हरे कानन के हृदय में पहाड़ी नदी झिर-झिर करती बह रहीहै। गाँव से दूर, बन्दूक लिए हुए शिकारी के वेश में, घनश्याम दूर बैठा है। एक निरीह शशक मारकर प्रसन्ता से पतली-पतली लकडियों में उसका जलना देखता हुआ प्रकृति की ...और पढ़े

11

Sahyog

सहयोग जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. सहयोग मनोरमा, एक भूल से सचेत होकर जब तक उसे सुधारने में लगतीहै, तब तक उसकी दूसरी भूल उसे अपनी मनुष्यता पर ही सन्देह दिलानेलगती है। प्रतिदिन प्रतिक्षण भूल की अविच्छिन्न श्रृंखला मानव-जीवन कोजकड़े हुए है, यह उसने कभी हृदयंगम नहीं किया। भ्रम को उसने शत्रुके ...और पढ़े

12

Khandhar Ki Lipi

खंड़हर की लिपि जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. खंड़हर की लिपि जब वसन्त की पहली लहर अपना पीला रंग सीमा के खेतों परचढ़ा लाई, काली कोयल ने उसे बरजना आरम्भ किया और भौंरेगुनगुनाकर काना-फूँसी करने लगे, उसी समय एक समाधि के पास लगे हुए गुलाब ने मुँह खोलने का उपक्रम किया, किन्तु ...और पढ़े

13

Pratidhwani

प्रतिध्वनि जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. प्रतिध्वनि मनुष्य की चिता जल जाती है और बुझ भी जाती है, परन्तु उसकीछाती की जलन, द्वेष की ज्वाला, सम्भव है, उसके बाद भी धक्‌-धक्‌करती हुई जला करे। तारा जिस दिन विधवा हुई, जिस समय सब लोग रो-पीट रहे थे,उसकी ननद ने, भाई के मरने पर ...और पढ़े

14

Aakashdeep

आकाशदीप जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. आकाशदीप “बन्दी!” “क्या है? सोने दो।” “मुक्त होना चाहते हो?” “अभी नहीं, निद्रा खुलने पर, चुप रहो।” “फिर अवसर न मिलेगा।” “बडा शीत है, कहीं से एक कम्बल डालकर कोई शीत से मुक्तकरता।” “आँधी की सम्भावना है। यही अवसर है। आज मेरे बन्धनशिथिल है।” “तो क्या ...और पढ़े

15

अाँधी

आँधी जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. आँधी चन्दा के तट पर बहुत-से छतनारे वृक्षों की छाया है, किन्तु मैं प्रायःमुचकुंद के नीचे ही जाकर टहलता, बैठता और कभी-कभी चाँदनी मेंऊँघने भी लगता। वहीं मेरा विश्राम था। वहाँ मेरी एक सहचरी भी थी,किन्तु वह कुछ बोलती न थी. वह टहट्ठों की बनी हुई ...और पढ़े

16

चूडीवाली

चूडीवाली जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. चूडीवाली “अबी तो पहना गई हो।” “बहूजी, बडी अच्छी चूडियाँ हैं। सीधे बम्बई से पारसल मँगाया है। सरकार का हुक्म है; इसलिए नई चूडियाँ आते ही चली आती हूँ।” “तो जाओ, सरकार को ही पहनाओ, मैं नहीं पहनती।” “बहूजी! जरा देख तो लीजिए।” कहती मुस्कराती हुई ...और पढ़े

17

बिसाती

बिसाती जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. बिसाती उधान की शैल-माला के नीचे एक हरा-भरा छोटा-सा गाँव है।वसन्त का सुन्दर समीर उसे आलिंगन करके फूलों के सौरभ से उनकेझोपडों को भर देता है। तलहटी के हिम-शीतल झरने उसको अपनेबाहुपाश में जकडे हुए है। उस रमणीय प्रदेश में एक स्निग्ध-संगीत निरन्तर चला करता है, ...और पढ़े

18

धीसू

घीसू जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. घीसू सन्ध्या की कालिमा और निर्जनता में किसी कुएँ पर नगर के बाहरबडी ह्रश्वयारी स्वर-लहरी गूँजने लगती। घीसू को गाने का चस्का था। परन्तुजब कोई न सुने, वह अपनी बूटी अपने लिए घोंटता और आप ही पीता। जब उसकी रसीली तान दो-चार को पास बुला लेती, ...और पढ़े

19

छोटा जादुगर

छोटा जादूगर जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. छोटा जादूगर कर्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी। हँसी और विनोदका कलनाद गूँज रहा था। मैं खडा था। उस छोटे फुहारे के पास, एक लडका चुपचाप शराब पीनेवालों को देख रहा था। उसके गले में फटेकुरते के ऊपर से एक मोटी-सी सूत की ...और पढ़े

20

अनबोला

अनबोला जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. अनबोला उसके जाल में सीपियाँ उलझ गयी थी . जग्गैया से उसने कहा- ‘इसे फैलाती हूँ, तू सुलझा दे।’ जग्गैया ने कहा - ‘मैं क्या तेरा नौकर हूँ?’ कामैया ने तिनककर अपने खेलने का छोटा-सा जाल और भी बटोरलिया। समुद्र-तट के छोटे-से होटल के पास की ...और पढ़े

21

अमिट स्मृति

जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ अमिट स्मृति जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. अमिट स्मृति फाल्गुनी पूर्णिमा का चंद्र गंगा के शुभ्र वक्ष पर आलोक-धारा कासृजन कर रहा था। एक छोटा-सा बजरा वसन्त-पवन में आन्दोलित होताहुआ धीरे-धीरे बह रहा था। नगर का आनन्द-कोलाहल सैंकडो गलियोंको पार करके गंगा के मुक्त वातावरण में सुनाई पड रहा था। मनोहरदासहाथ-मुँह धोकर ...और पढ़े

22

विराम चिन्ह

विराम-चिह्न जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. विराम-चिह्न देव-मन्दिर के सिंहद्वार से कुछ दूर हटकर वह छोटी-सी दुकान थी। सुपारी के घने कुंज के नीचे एक मैले कपडे के टुकडे पर सूखी हुईधार में तीन-चार केले, चार कच्चे पपीते, दो हरे नारियल और छः अण्डेथे। मन्दिर से दर्शन करके लौटते हुए भक्त लोग ...और पढ़े

23

व्रत भंग

व्रत-भंग जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. व्रत-भंग तो तुम न मानोगे? नहीं, अब हम लोगों के बीच इतनी बडी खाई है, जो कदापि नहींपट सकती! इतने दिनों का स्नेह? उँह! कुच भी नहीं। उस दिन की बात आजीवन भुलाई नहीं जासकती, नंदन! अब मेरे लिए तुम्हारा और तुम्हारे लिए मेरा कोई अस्तित्वनहीं। ...और पढ़े

24

पुरस्कार

पुरस्कार जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. पुरस्कार आर्द्रा नक्षत्र; आकाश के काले-काले बादलों की घुमड़, जिसमें देव-दुन्दुभी का गम्भीर घोष। प्राची के एक निरभ्र कोने से स्वर्ण-पुरुष झाँकनेलगा था। देखने लगा महाराज की सवारी। शैलमाला के अंचल में समतलउर्वरा भूमि से सोंधी बास उठ रही थी। नगर-तोरण से जयघोष हुआ,भीड़ में गजराज ...और पढ़े

25

ईन्द्रजाल

इन्द्रजाल जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. इन्द्रजाल गाँव के बाहर, एक छोटे-से बंजर में कंजरों का दल पड़ा था।उस परिवार में टट्टू, भैंसे और कु्रूद्गाों को मिलाकर इक्कीस प्राणी थे।उसका सरदार मैकू, लम्बी-चौड़ी हड्डियोंवाला एक अधेड़ पुरुष था। दया-माया उसके पास फटकने नहीं पाती थी। उसकी घनी दाढ़ी और मूँछों के भीतर ...और पढ़े

26

सलीम

सलीम जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. सलीम पश्चिमो्रूद्गार सीमाप्रान्त में एक छोटी-सी नदी के किनारे, पहाड़ियों से घिरे हुए उस छोटे-से गाँव पर, सन्ध्या अपनी धुँधली चादर डाल चुकीथी। प्रेमकुमारी वासुदेव के निमि्रूद्गा पीपल के नीचे दीपदान करने पहुँची। आर्य-संस्कृति में अश्वत्थ की वह मर्यादा अनार्य-धर्म के प्रचार के बाद भी उस ...और पढ़े

27

नूरी

नूरी जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. नूरी ‘ऐ; तुम कौन?’ ‘................’ ‘बोलते नहीं?’ ‘................’ ‘तो मैं बुलाऊँ किसी को -’ कहते हुए उसने छोटा-सा मुँह कोलाही था कि युवक ने एक हाथ उसके मुँह पर रखकर उसे दूसरे हाथ सेदबा लिया। वह विवश होकर चुप हो गयी। और भी, आज पहला ही ...और पढ़े

28

गुण्डा

गुण्डा जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. गुण्डा वह पचास वर्ष से ऊपर था। तब भी युवकों से अधिक बलिष्ठऔर दृढ़ था। चमड़े पर झुर्रियाँ नहीं पड़ी थीं। वर्षा की झड़ी में, पूसकी रातों की छाया में, कड़कती हुई जेठ की धूप में, नंगे शरीर घूमनेमें वह सुख मानता था। उसकी चढ़ी मूँछें ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प