जिद्दी अप्पू Neha Agarwal Neh द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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जिद्दी अप्पू

Neha Agarwal

nehaabhi.agarwal@gmail.com

"जिद्दी अप्पू "

आज फिर अप्पू हाथी सुबह से बैचैन था। और होता भी क्यों नहीं सुबह से उसकी प्यारी दोस्त टिनटिन गिलहरी का कुछ अता पता ही नहीं था। आखिर अकेले शैतानी करने में भी कोई मजा आता है क्या, अब तो अप्पू हाथी को थोड़ा थोड़ा गुस्सा भी आने लगा था।

तभी अप्पू ने देखा।
सामने से टिनटिन मटकते हुए चली आ रही है। अप्पू टिनटिन को देखकर गुस्से से बोला।

"जाओ यहां से मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी। कितनी खराब दोस्त हो तुम, सुबह से मैंने पूरा जंगल छान मारा। और तुम्हारा कोई अता पता ही नहीं था। "

अप्पू की बात सुनकर टिनटिन अपनी बड़ी बड़ी आँखों को गोल गोल घुमा कर शरारत से बोली।

"अरे अप्पू गुस्सा बाद में करना, पहले जरा मेरे साथ जल्दी से चलों ना। आज मैंने ना एक बहुत बढ़िया जगह देखी है। जहाँ दूर दूर तक बस गन्ने के खेत और अमरूद के बाग है। आज तो हम लोग पूरा पेट भर कर अपनी मनपसंद चीज खायेंगे। "

पर टिनटिन हम खेतों की तरह कैसे जायेगें। माँ मना करती है ना जंगल से बाहर जाने के लिए। अगर मां को पता चला तो वो हमसे नाराज हो जायेगी।

"अरे अप्पू तुम चिंता मत करो हम जल्दी ही वापस आ जायेगें। किसी को कुछ पता भी नहीं लगेगा। "

टिनटिन की बात मानकर अप्पू उसके साथ गांव की तरफ चला गया। वहां जाकर दोनों ने भरपेट खाना खाया और खूब मजे करें। शैतानी करते करते दोनों को वक्त का ख्याल ही नहीं रहा। और फिर शाम ढलते देखकर डर के मारे दोनों की हालत खराब हो गई। तभी झाडियों में किसी के चलने की आवाज आने लगी। जानें कौन इधर ही आ रहा था। पर तभी टिनटिन मुस्कुराने लगी क्योंकि सामने भालू काका खड़े थे। फिर टिनटिन की बहुत सारी माफी मांगने के बाद भालू काका दोनों को जंगल वापस ले गए और अप्पू की माँ की डांट से भी दोनों को बचा लिया। पर साथ में वादा भी लिया कि आगे से वो दोनों कभी भी गांव की तरफ नहीं जायेंगे।

थोड़े दिन तो शान्ति से गुजर गये।पर फिर अप्पू हाथी को मीठे मीठे गन्नों की याद सतानें लगी वहीं दूसरी तरफ टिनटिन को भी अमरूदों की खुशबू सोने नहीं दे रही थी। इसलिए एक बार फिर वो दोनों चोरी चोरी चुपके चुपके गांव की तरफ जा निकले।

आज के दिन का मौसम भी बहुत सुहाना था। दोनों दोस्त बहुत मजे कर रहे थे कि तभी किसी गाड़ी की आवाज आने लगी। आवाज से डरकर दोनों दोस्त एक पेड़ के पीछे छिप गये। फिर वहां पर एक जीप आकर रूकी।जिसमें से एक छोटी सी प्यारी सी लड़की बाहर निकली।

इतना बड़ा अप्पू पेड़ के पीछे सही से छुप नहीं पाया था। इसलिए वो छोटी लड़की अप्पू के पास आ गयी। उस लड़की ने फिर अप्पू से उसका नाम पूछा। अप्पू यह देखकर हैरान रह गया कि वो लड़की अप्पू की बात समझ लेती थी। फिर क्या था उन तीनों की दोस्ती हो गई। उस लड़की ने अप्पू को बताया कि उसका नाम वान्या है। और उसने अप्पू और टिनटिन को पिज्जा भी खाने को दिया।औऱ अप्पू को बताया कि वो शहर से यहाँ गांव मे घूमने के लिए आयी है।

अप्पू हाथी पिज्जा के टेस्ट को अपने साथ लेकर जंगल लौट तो आया पर अब वो पूरा पूरा दिन उदास रहता था। ना तो वो कुछ खाता था और ना ही टिनटिन के साथ खेलता था। उसकी हालत देखकर अप्पू की माँ ने अप्पू से बार बार पूछा।तो अप्पू जिद करते हुए बोला।

"माँ आपको पता है शहर में ना बहुत मजे का पिज्जा मिलता है। मुझे ना बस वहीं खाना है। "

अप्पू की बात सुनकर अप्पू की माँ हैरान रह गई और अप्पू को समझाते हुए बोली।

"बेटा तुम नहीं जानते हो कि शहर के लोग कितने खराब होते हैं। हम लोगों को कभी भी शहर नहीं जाना चाहिए। "

पर अप्पू हाथी अपनी माँ की एक भी बात सुनने को तैयार नहीं था। अप्पू की जिद के आगे अप्पू की माँ की एक ना चली। और फिर वो शहर चली गई।

पूरे दो दिन गुजर गये थे पर अप्पू की माँ का कुछ अता पता नहीं चल पाया था। अप्पू हाथी का तो रो रो कर बुरा हाल हो गया था। आज उसे समझ आ रहा था कि उसकी बेकार की जिद की वजह से कितनी मुश्किल हो गई थी। जंगल में रहने वाले जंगली जानवरों से अप्पू की हालत देखी नहीं जा रहीं थी। इसलिए उन सबने मिलकर शहर की ओर जाने का फैसला कर लिया।

अगले दिन बहुत सारे जानवर शहर की सीमा में पहुंच गए थे। तभी वहां अप्पू को अपनी दोस्त वान्या नजर आयी। वान्या के मिलते ही अप्पू हाथी रोता हुआ वान्या के पास पहुंचा और वान्या को बताया कि उसकी मां शहर में कहीं खो गई है।

अप्पू की बात सुनकर वान्या अप्पू को तसल्ली देते हुए बोली।

"चुप हो जाओ अप्पू जानते हों दो दिन पहले जब शहर वालों ने एक हाथी को शहर में घूमते हुए देखा। तो सब लोग बहुत डर गये थे। फिर उस हाथी को पकड़ लिया गया और आज उसे किसी दूर के जंगल में भेजा जा रहा है।पर तुम चिंता मत करो मेरे पापा बहुत बड़े अफसर हैं वो जरुर तुम्हारी मदद करेंगे। "

वान्या की बात सुनकर अप्पू जोर जोर से रोते हुए बोला।

"बस एक बार मुझे मेरी माँ वापस मिल जाये। फिर मैं कभी भी जिद नहीं करुंगा। "

वान्या की कोशिशों से अप्पू को उसकी मां वापस मिल गई थी। और अब अप्पू भी एक अच्छा बच्चा बन गया था।