हार्ट अॉफ ओशन "
" नेहा अग्रवाल "
एक लड़की थी दिवानी सी।उसकी मम्मा ने बहुत सोच समझ कर उसका नाम कली रखा था ।
सच में वो वैसी ही थी बिल्कुल अनछुई दुनिया के झूठ और फरेब से कोसों दूर बचपन से ही हर लड़की की तरह उसका भी सपना था ।कोई राजकुमार आयेगा और उसे अपने साथ दूर देश लेकर जायेगा।मम्मा के बेइन्तहा प्यार की बदौलत गरीबी में भी राजकुमारी सी थी कली।बचपन से ही कली को बस एक ही शौक था ।फिल्में देखने का और कली की सबसे फेवरिट फिल्म टाइटेनिक थी।कली खुद भी नहीं जानती थी कि उसने यह मूवी कितनी बार देखी है।
सपनों की दुनिया हर वक्त गुलजार थी। वक्त अपनी रफ्तार से गुजर रहा था।फिर धीरे धीरे वो वक्त भी आया। जब मम्मी की छोटी सी कली धीरे धीरे से खुलकर एक खूबसूरत गुलाब बन गयी थी। अब कालेज में आ गयी थी कली ।पढ़ने के पीछे जान देने वाली कली पर भी कोई जान देता था ।पर कली बिल्कुल अन्जान थी इस चाहत सें।फिर सामने आ गया वो जिसका कली ने बचपन से इन्तजार किया था।
उसके सपनो का शहजादा ।
कली की माँ अपनी गुड़िया के लिए एक गुड्डा ले कर आयी थी ।जो परी कों बहुत पसन्द आया था ।खुश तो गुड्डा भी था ।अब कली उसके इश्क से अन्जान जो नहीं थी ।खूबसूरत कहानी सी थी कली की जिन्दगी, कोई गम नहीं ।कली घन्टो अपने गुड्डे से अपनी दिल की बात करती।अपने सपनों की बात करती और गुड्डा भी दिल ही दिल में खुद से अहद कर लेता जितना हो सकेगा वो कली के हर सपने को पूरा करने की कोशिश जरुर करेंगा।वैसे तों कली बहुत सी बाते किया करती थी ।पर एक बात बार बार उसकी बातों मे होती थी एक सपने की बातें वो सपना जो कली का बहुत अपना था।
गुड्डे ने सोच लिया था कुछ भी हो जाये वो परी का यह सपना जरुर पूरा करेगा ।गुड्डे को पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी मिल जाती है। कली बहुत खुश होती है पर साथ ही उदास भी हो जाती है ।गुड्डा शहर से सात समन्दर दूर जा रहा था तीन साल के लिए।
कैसे रहेगी अकेली कली यह सोच कर घबरा रही थी।आखिर कँपकँपाते लहजे मे अपने सपनों के राजकुमार से बोल ही पड़ी परी ।
"कैसे रहूँगी में तुम बिन।जानते हो ना कितना मुश्किल है यह मेरे लिए "।
लड़का भी आँखों में भर आये आँसू को रोकते हुयें बोला ।
"मेरे लिए भी तो आसान नहीं है ना यह सब तुम तो तब भी सभी अपनों के साथ होगी पर मेरी सोचो जरा अजनबी देश में मेरा क्या होगा।कितना अकेला होगा मैं पर मै नहीं चाहता जिन्दगी में तुम्हारा कोई सपना अधूरा रहें और तुम्हारा वो खास सपना वो तो हर हाल में मुझे पूरा करना ही है पर जानती हो ना तुम ,इसके लिए मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा।और सुनो तुम्हें भी एक जिम्मेदारी देकर जा रहा हूँ ।तुम्हें दोनों मम्मी पापा का बहुत सारा ख्याल रखना है और सबसे ज्यादा अपना ख्याल रखना है, पता है ना तुम उस तोते की तरह हो जिसमें मेरी जान बन्द है।तोते को जरा सी भी चोट लगी ।तो दर्द तो मुझे ही होगा ना और वो भी बहुत ज्यादा और एक आखिरी बात। वादा करता हूँ अगर सब ठीक रहा तो तीन सालों के अन्दर अन्दर में तुम्हारा सपना पूरा कर दूँगा।पर प्लीज मुस्कुराते हुये विदा करना मुझे क्योकि तुम्हें रोता छोड़ कर मैं जा नही सकता।"
आँखों में दर्द के सैलाब को छुपा कर अपने राजकुमार को विदा कर दिया था कली नें
जैसे तैसें सबके सामनें तो अपने आँसू छुपा लिए थे ।पर फ्लाइट के टेक अॉफ करते ही कली के आँसूओ का बान्ध टूट गया था।
जुदाई के पल इतने भारी थे कली पर कि अब गुस्सा आता था उसे अपने आप पर अपने सपने पर ,काश उसने कोई सपना नहीं देखा होता ,और अगर देखा भी था तो काश, अपने गुड्डे को ना बताया होता तो नसीब में यह दूरी ना आयी होती पर अब तीन साल का इन्तजार मजबूरी थी किसीं भी तरह तीन साल गुजारने ही थी कली को ,बहुत बोझिल सी गुजर रही थी जिन्दगी ।
तभी एक फोन कॉल ने जैसे जिन्दगी में इंद्रधनुष के सारें रंग भर दिये थे ।कली को विश्वास नहीं हो रहा था कि सच में उसका बचपन का सपना पूरा होने वाला था।फोन पर कली के सपनों के राजकुमार ने कली को बताया था।
"मैनें तुम्हारे लिए एक कोरियर भेजा है जिसमें तुम्हारा बर्थ डे गिफ्ट है याद है एक बार तुमनें अपने सबसे पसन्दीदा सपने के बारे में बताया था मुझे।
तुम चाहती थी कि टाइटेनिक की तरह तुम भी अपने जीवनसाथी के साथ डेक पर खड़े हो कर समन्दर की लहरों को देख सको।बेरोक टोक बहती हवा तुम्हारें बालों को बिखेर दें और फिर तुम्हारा जीवनसाथी तुम्हारी जुल्फों को समेट देें ।मैने सब इन्तजाम कर लिया है बस तुम्हारी ही कमीं है लिफाफे मे तुम्हारा टिकट है जल्दी से सात समन्दर पार मेरे पास आ जाओ और जानती हो मेरे पास आने के लिए तुम्हें सच में समन्दर पार करके आना होगा क्योकि मैने प्लेन का नहीं शिप का टिकट भेजा है। मैं चाहता हूँ तुम अपने सपने को पूरी तरह से इन्जाय करों ।बहुत शिद्दत से तुम्हारा इन्तजार कर रहा हूँ मैं जल्दी आना।"
कली चाह कर भी अपनी खुशी नहीं छुपा पा रहीं थी।अन्दर ही अन्दर डर भी रही थी कहीं अपनी ही नजर ना लग जायें उसकी खुशियों को
जल्दी से जल्दी अपनी पैकिंग कर ली थी कली ने दिल हर पल गवाही दे रहा था कि यह खुशी सिर्फ अपना बचपन का सपना पूरी होने की नहीं है वो इतना खुश है क्योकी अब उनकी जुदाई का अन्त होने वाला है एक बार फिर वो अपने सपने के राजकुमार के साथ होगी।सपनों का राजकुमार जिसका नाम सच में राज था।
कोई दूरिया नहीं होगी उनके दरमियां यह सोच कली की खुशियों का कोई ठिकाना ही ना था।और फिर पिया मिलन की बेला भी आ ही गयी।अपने दोनों मम्मी पापा की ढेर सारी दुआओं के तलें अपने नयें जीवन की शुरूवात पर निकल पड़ी कली।
जहाज में कदम रखतें ही खुद को जैसे भूल ही गयी थी कली याद था तो बस टाइटेनिक देखते हुये बिताये गये पल ।
कली इस शिप में टाइटेनिक को ढूँढ रहीं थी वो शिप पर अकेली जरूर थी पर बहुत सी यादों के साये उसके साथ थे ।वो अक्सर सोचती काश टाइटेनिक के साथ वो हादसा ना हुआ होता काश वो प्रेम कहानी अधूरी ना रही होती ।
शायद कली को डर लगता था ।किसी भी प्रेम कहानी के अधूरे रह जाने पर दुखी हो जाती थी वो ,कली हमेशा चाहती थी कि दुनिया मे हर कोई खुश रहें पर ऐसा होना तो सम्भव नहीं था ना ,दुख और सुख तो एक ही सिक्के के दो पहलू है ।एक के बिना दूसरा बिल्कुल अधूरा कली शायद यह समझ ही नहीं पायी थी कि रात के अन्धेरे के बाद सुबह का सूरज कितना सकून देता ।धूप से जलते पांव पर जब छावं पड़ती है तो कैसा लगता है।हमदर्द सी कली अक्सर टाइटेनिक देखती और फिर उदास हो जाती।दस दिन अब उसे इस शिप पर गुजारने थे ।पर बार बार वो खुद को ख्यालों में टाइटेनिक के साथ पाती उसें लगता की वो टाइटेनिक के सफर पर ही है ।वो टाइटेनिक जो अपनी यात्रा भी पूरी नहीं कर पाया था ।वो टाइटेनिक जो एक विशाल हिम खण्ड से टकरा कर टूट गया ।वो टाइटेनिक जिसपर एक प्यारी सी प्रेम कहानी अधूरी रह गयी थी।या फिर वो टाइटेनिक जिस पर हार्ट अॉफ ओशन था।कली अक्सर उस हार्ट अॉफ ओशन के बारे में सोचा करती जो कहीं समन्दर की बेइन्तहा गहराई में दफन हो गया है कली को लगता क्या अब कोई उस हार्ट अॉफ ओशन को ढूँढ पायेगा।हार्ट अॉफ ओशन एक बेशकिमती हीरा था ।कभी कभी कली को लगता कि नहीं वो हीरा कभी किसी को नहीं मिलना चाहिये वो तो दो प्यार करने वालों की निशानी है ना।
फिर कभी कभी यह भी सोचती की काश जिसको भी वो हीरा मिल जायेगा उसकी पूरी जिन्दगी बन जायेगी ।एक एक दिन गिन कर गुजार रही थी कली पर लगता था कि यह दस दिन सदियों में बदल गये है खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे।कब पहुँचेगी वो अपने जीवनसाथी के पास ।सफर के तीन दिन कैसें गुजारे थे यह बस कली ही जानती थी।आज सफर का चौथा दिन था ।कली उदास सी डेक पर बैठी थी यु तो उसकें चारों और सैकडों लोग थे पर खुद को बहुत तन्हा महसूस कर रही थी।कली को देखकर लग रहा था जैसे अभी वो रो पड़ेगी।तभी दूर कहीं आसमान में हैलीकाप्टर की आवाज ने फिजा की खामोशी को अपनें आगोश में ले लिया।एक हैलीकाप्टर तेजी से कली की शिप की और बढ़ रहा था।और कुछ पलों मे ही वो शिप के रनवे पर लैन्ड कर गया।कली समीत डेक पर उपस्थित सभी लोगों की जिज्ञासा का मरकज आने वाला हैलीकाप्टर ही था।और जैसे ही हैलीकाप्टर का दरवाजा खुला।हैरत के की वजय से कली बेहोश होते होते बची।आने वाला उसके सपनो का राजकुमार था।इतना बड़ा सरप्राइज कली को आज तक नही मिला था ।कली की आँखे खुशी से छलछला गयी थी।कली के सपनों का राजकुमार दौड़ कर कली के गले लग गया और बोला।
"खुश होना ना तुम कली तुम्हारा खुश होना मेरे लिए बहुत मायने रखता है।इसलिये मैने यह सब किया।चलों ना अब तुम्हारे बरसों के सपने को पूरा करते है।"
और फिर वो दोनों हाथो मे हाथ लिए शिप के डेक की और चल पड़े।कली और उसका राजकुमार दोनो टाइटेनिक के हीरो हीरोइन की तरह दोनो हाथों को फैलाये अनन्त महासागर को निहार रहे थे।तभी उनका शिप एक छोटे से हिमखण्ड से टकरा गया। शिप कों एक जोर का झटका लगा था।शिप को तो कुछ खास नुकसान नहीं हुआ था पर इस झटके ने राज की जिन्दगी मे अधेरा कर दिया था।कली इस झटके से समन्दर में गिर गयी थी ।बदहवास सा राज कुछ पल तो समझ ही नहीं पाया की वो क्या करे। पर अगले ही पल वो शिप के कैप्टन के पास मदद की गुहार लगा रहा था।तुरन्त ही रक्षाटुकड़ी कली को ढूंढने के लिए समन्दर में कूद गयी थी।
गोताखोर हर सम्भव कोशिश कर रहे थे पर कली का कुछ पता नहीं चल रहा था।शिप उस समय बरमुडा ट्राइगंल के पास से गुजर रहा था।घन्टों की कोशिश के बाद भी राज कली को ढून्ढ नहीं पाया था।अब शिप में सबको लगने लगा था कि कहीं बरमुड़ा ट्राइगंल ने कली की भी तो बलि नहीं ले ली ।
वैसे ही यह जगह बहुत फेमस है हादसों के लिए ।आज तक ना जाने कितने जहाज ऐरोप्लेन और इन्सान इस जगह पर से गायब हो चुके है जिनका बहुत कोशिश करने पर भी कोई सुराग नहीं मिल पाया था राज किसी भी हालत में यह मानने को तैयार नही था ।कि वो कली से हमेशा के लिए बिछ़ड गया है ।हर सम्भव कोशिश अभी तक बेकार ही गयी थी।हर बितते पल के साथ कली राज से दूर जा रही थी।राज की बेकरारी की तो कोई इन्तहा ही नहीं थी।दिल ही दिल में खुद से अहद कर लिया था राज ने चाहे कुछ हो जाये वो कली को खुद से दूर नहीं जाने देगा!
दूर कहीं कली अभी भी लहरों से संघर्ष कर रहीं थी।
वो भी किसी तरह यह जंग जीतना चाहती थी ।जब कली समन्दर में गिरी थी तब उसके हाथ लकड़ी कि एक बड़ा टुकड़ा लग गया था ।जिसकें सहारे वो खुद को डुबने से बचा रही थी ।लहरों ने उसें शिप से बहुत दूर फेक दिया था।कली घन्टो की मेहनत के बाद अब थकनें लगी थी।लकड़ी के उस जीवनदायी टुकड़े पर से अब उसकी पकड़ कमजोर हो रही थी।और साथ ही कमजोर हो रही की कली की जिन्दगी की डोर।और फिर एक तेज लहर के कारण कली के हाथ से वो टुकड़ा छूट जाता है और वो समन्दर की अथाह गहराइयों में डुबती चली जाती है।बेहोश होनें से पहले कली को समुद्र तल मे एक छतिग्रस्त शिप दिखायी देता है।जिसमें उसे एक काम करता हुआ आक्सीजन मास्क मिल जाता है।
कली की डुबती सांसों को जैसे सहारा मिल गया था ।कली में फिर से उम्मीद जगाने लगी थी जिन्दा रहने की आक्सीजन मिल जाने से कली को लग रहा था जैसे तपते हुये सहरा में पानी मिल गया हो।कली अपनी बिखरी साँसों को समेट कर खोज में लग जाती है यह सोचकर की शायद आसपास कुछ और ऐसा मिल जाये।जो कली को चक्रव्यूह से निकालने में मदद कर सकें।अचानक कुछ देख कर कली के आश्चर्य का कोई ठिकाना ही नहीं रहा।सामने समुद्र तल पर कुछ चमक रहा था अपनी पूरी आन बान शान के साथ कली जब उसके पास पहुंची तो यह देख कर हैरान रह गयीं वो चमकती हुई चीज हार्ट अॉफ ओशन थी ।वो चमकता हुआ हीरा जो ना जाने कितनी बार कली के सपनों में आया था ।ना जाने कितनी बार वो कली के तस्सवुर में हलचल मचा चुका था।कली ने धीरे से खुद को चुटकी काटी ।और फिर जोर से चीखी।
"उफ यह सपना नहीं मैंने सच में एक बेशकीमती हीरे को बहुत करीब से देखा है मै कितनी अमीर बन गयीं हूँ ।"
तभी कुछ याद आतें ही कली की सोच को लगाम लग गई ।अगर कोई मुझे ढूंढ ही नहीं पाया।या सब अगर अब मेरे जिन्दा होने की उम्मीद छोड़ कर आगे बढ़ गये हो।
क्या होगा अब मेरी क्या मैं अब कभी यहाँ से बाहरनिकल पाउगी ।क्या कभी अपने राज को फिर से देख पाउगी।बेशक यह हरा बहुत बेशकीमती है पर यह बेशकीमती हीरा भी मेरी जान नहीं बचा सकता ।
शायद अब मेरी किस्मत में जलसमाधी ही लिखी है।मायूसी से घिरी कली को कुछ समझ नहीं रहा था। आगे क्या होने वाला है यह सोच कर कली की रूह कांप उठी थी।
तड़प रहा था राज बार बार सोचता काश वो गिरती हुयी कली का हाथ थाम लेता ।काश किसी भी तरह वो इस हादसे को होने सें रोक लेता ।पर अब शायद कुछ नहीं हो सकता था।कली दूर जा चुकी थी बहुत दूर कभी भी वापस ना आने के लिए ।राज किस्मत से हारना नहीं चाहता था ।एक फैसला करकें वो शिप के डेक की ओर चल पड़ा।
राज ने सोच लिया था कि मौत की इतनी औकात नहीं कि वो राज और कली को अलग कर सकें ।भलें ही हम साथ साथ अपनी जिन्दगी नहीं गुजार पाये ।पर मरनें के बाद कोई हमारे मिलन को नहीं रोक सकता।खुद से वादा कर राज समुद्र में कूदने ही वाला था। तभी एक चिरपरिचत आवाज ने राज के कदमों को रोक लिया।वो कली की आवाज थी ।राज को यह सब अपना वहम लगा पर जब राज ने पलट कर देखा ।पीछे सच मैं कली खड़ी थी।
"रूक जाओ राज देखो मैं आ गयी।"
यह कहती हुई कली दौड़ कर राज के सीने से लग गयी।
राज खुद से कली को अलग करता हुआ बोला।
"तुम सच में आ गई हो ना कली यह कोई छलावा तो नहीं ना मै तो सारी उम्मीदें छोड़ चुका था पर यह करिश्मा हुआ कैसे।"
कली फिर से धीरे से राज के सीने से लग कर बोली।
"उम्मीद तो मैं भी छोड़ चुकी थी राज एक पल तो ऐसा लगा मैं हमेशा के लिए तुम्हें खो चुकी हूँ।पर एक पनडुब्बी की नजर मुझ पर पड़ गयी और फिर देखो ना मैं बिलकुल सही सलामत तुम्हारे सामने खडी हूँ "।
राज खुशी से झूमता हुआ बोला।
"मैं तुम्हें बता नहीं सकता कली कि मैं आज कितना खुश हूँ हम अपने शहर वापस लौट चलेंगे मुझे तुम्हारे सिवा दुनिया की कोई दौलत नहीं चाहिए।सिर्फ तुम ही मेरी पूरी जिन्दगी का सरमाया हो।तुम्हारे आगे पूरी दुनिया की दौलत मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती है।"
कली भी राज की बात से पूरी तरह सहमत थी।
अपने शहर वापस जाने से पहले कली ने समन्दर की अमानत हार्ट अॉफ ओशन को समन्दर के ही हवाले कर दिया।कली को भी राज के सिवा और कोई दौलत नहीं चाहिए थी।और एक बार फिर से अमर प्रेम की निशानी हार्ट अॉफ ओशन सागर के तल में अपनी जगमगाहट को बिखेर रहा था।राज और कली भी लौट चले है अपने शहर में अपने प्यार की नयी दुनिया बसाने के लिए.