“कांच सा किशोर मन “
उदास सोनू खिड़की से बाहर उमड़ते घुमड़ते बादलो को टकटकी लगाये देख रहा था . मन है न बछो का भी न जाने कितनी उड़ाने बिन पंखो के उड़ आता | किशोरे उम्र की उड़ाने बहुत मासूम और छोटी होती .जहाँ जगह देखि उतर जाती विश्राम को . सोनू सोचो में गुम था |
आज फिर माँ ने फ़ोन छीन लिया ना . जीनत का सन्देश आया होगा , पता नही माँ को क्या हो जाता हैं जब भी सेल फ़ोन में व्हाट्स अप्प पर सन्देश को पढने लगता हूँ| माँ अचानक कमरे में आ जाती हैं । पापा ने मुझे फ़ोन लेकर दिया था कि जब भी ट्यूशन से आने में देर हो जाए घर पर बता दिया करो | दोस्तों से नोट्स और पढाई की बाते करनी हो तो कर लिया करो | उम्र हो गयी माँ की, पर जितना भी खुद को प्रगतिशील कहती रहे अंदर से दकियानूसी विचार ही होंगे न । मेरे सब दोस्तों को देखो ज़रा , सबकी कोई न कोई लड़की दोस्त है पर मुझे तो माँ किसी लड़की से बात करते भी देख लेगी तो बेहोश हो जाएगी और चीख उठेगी
"क्या यह संस्कार दिए हैं मैंने "।
"पढ़ा मत कर !!!बस जब देखो लडकियां ।"
“आजकल माँ को पता नही क्या हो गया हैं जब देखो मुझे भाषण देती रहती है कि लडकियों से लड़ा मत कर, ज्यादा बात न किया कर ,बस पढाई में ध्यान लगाया कर ,अच्छा बच्चा बन”
“कितना अच्छा बच्चा बनूँ आखिर ?”
“ जब से रोजाना लडकियों से रेप बदतमीजी के किस्से अखबार टी वी में आने लगे | सबकी मम्मियां बदल गयी हैं | उस पर से यह मीडिया वाले !!
“उस पर फेसबुक पर आंटियां चिल्लाती हैं अपने लडको को सम्हालो जब लड़का लड़की बराबर मानते तो दोनों को सम्हालो न “”
“ कल माँ ने जब किटी पार्टी घर पर की थी तो सब आंटियां बहस कर रही थी कि मीडिया कहता हैं माए अपने लडको में संस्कार नही भरती ! अब संस्कार भी क्या कोई दवाई हैं जो माँ हमें खिला देगी । कैसे आते हैं यह संस्कार ?हम खुद ही ऐसे काम नही करेंगे ।अब हम थोडे ही गलत हैं। अब उन लडको ने जो किया उसका खामियाजा हम क्यों भुगते ?हां!!! अब दोस्तों में लडकियों को लेकर हंसी -मजाक तो चलता ही हैं पर इन मम्मा लोग को कौन समझाए ?”
“ अब कल परवीन की माँ ने उसको ऋचा का मजाक उड़ाते सुन लिया तो बरस पड़ी ।अब उन्होंने सिर्फ उसको सुना ,उधर से ऋचा क्या क्या बोल रही थी, आंटी को नही पता चला था ।अकेले परवीन ही परेशान नही था क्लास के सारे लड़के लडकिया परेशान थे। परसों अभी की जन्मदिन पार्टी सिर्फ इसी वज़ह से दिन में रखी गयी क्युकि किसी भी लड़की की माँ उनको शाम 8 बजे तक बाहर रहने की अनुमति नही दे रही थी और किसी भी लड़के की माँ शाम की पार्टी में लडकियों को बुलाने के पक्ष में नही थी ! अब यह क्या बात हुइ ?जब हम क्लास में पढ़ते हैं तो क्या हम यह सोच कर पढ़ते है कि मैं लड़का हूँ यह पाठ पढूं और यह लड़की यह नही . कितनी गलत बात हैं न !!!!?:"
सोनूऊऊऊउ "
माँ की आवाज़ पर सोनू चिहुंका और उसकी सोचे माँ की आवाज़ से टूट गयी | मन परेशान हो उठा उस आवाज़ से ही |
“लो हो गयी शुरू मेरी मदर इंडिया | अब होगा इनका प्रवचन शुरू "
झुन्झुलाते हुए सोनू ने सामने पढ़ी किताब को खोल लिया और पढने का बहाना बनाने लगा
माँ आई और बूस्ट वाले शेक का गिलास रखकर प्यार से सर पर हाथ फेर कर चली गयी"
दूध का गिलास .......हुह!!!!!!!जब देखो यह खा ले वोह खा ले "
. " कभी मुझे अपनी जिन्दगी तो जीने नही देती .
यह फेसबुक/ व्हाट्स अप्प ने भी माँ लोगो को बिगाड़ दिया है | पता नही कैसे कैसी सहेलियां बना लेती हैं |खुद तो अनजान दोस्त बना लेगी और हम हैं कि जान पहचान वाली लड़की के साथ स्कूटर पर भी कही नही जा सकते | जब मैं बड़ा हो जाऊँगा न, अपने बच्चो को जो चाहे करे करने दूंगा|
“नही पीना मुझे कोई दूध वूध ."
सोचते सोचते सोनूका दिमाग ना जाने क्या क्या सोचता गया , यह किशोर उम्र ही ऐसे होती हैं कब कौन सी बात पर बच्चे चिढ़ जाये कहा नही जा सकता । किसी भी बात पर उनको अपना स्टैंड सही लगता हैं . किसी भी बात को गलत कहा जाए तो बहस करने को तैयार । उल्टा जवाब देने से मना करो तो बोलेंगे माँ हम क्या हम अपनी बात भी नही कह सकते , आप तो बस हमें डांट कर चुप करा देती हो ।अब बच्चे हैं न ,सोचो में कहा से कहा तक पहुँच जाते हैं और वक़्त बेकार हो रहा हैं इसका उनको भान ही नही होता
गरम दोपहर से शाम सुरमई हो गयी "
पापाsss आ गये पापा sss आ गये "
लवलीन की आवाज़ सुनकर सोनू भी अपने कमरे से बाहर की तरफ आया"
अरे वाह ! पापा यह क्या गिफ्ट लाये हो आप !""
बच्चे मेरा प्रमोशन हो गया हैं ""
आज दफ्तर में समारोह था उसमे मुझे यह उपहार मिला हैं ""
पापा मैं इसको खोलू?""
हाँ बच्चे आप इसको खोल कर देखो और अपनी माँ को दिखाओ "
पापा ने ख़ुशी से बेटे को प्यार करते हुए कहा
अरे !! यह सब क्या हैं"
पापा आये नही कि तुमने उनकी तलाशी लेनी शुरू कर दी |चलो जाओ यहाँ से , पापा को आराम करने दो "|
पापा को पानी का गिलास पकडाती माँ की तेज आवाज़ ने फिर सोनू को खिझा दिया
“उफ़ यह मम्मी भी न !!!!
मन में गुस्सा लिए सोनू अपने कमरे की तरफ बढ गया
“यह मम्मी भी न जब देखो पापा पर अपना एकाधिकार जमा लेती हैं”"
दिन भर इनकी किट्टी पार्टी वाली सहेलियों के फ़ोन आते हैं फेस बुक तो खुला ही रहता है आते - जाते झांक लेती हैं किसने क्या लिखा और शाम होते ही पापा पर इनका एकाधिकार यह तो अच्छी बात हैं लवलीन हैं जो उसके साथ खेल लेता हूँ थोड़ी देर”
“कार्टून भी कुछ देर ही देख पाता हूँ उसकी मेहरबानी से वरना माँ को तो मुझे दुनिया का सबसे अच्छा बच्चा बनाने का मैडल लेना हैं "
अब होम वर्क कर ना होगा कल मानसी का जन्म दिन हैं | स्कूल में ही सबके लिय बर्गर और केक लेकर आएगी |अगर माँ को बताया तो कहेगी कि
"क्यों? अपने घर का खाना खाओ जंक फ़ूड से दिमाग कमजोर होता "
ब्लाह्ह ब्लाह्ह ब्लाह्ह
कितना बोलती हैं यह माँ लोग "
होम वर्क होता रहा हाथ से | और कब थक कर आँखे उनीदी सी होने लगी , सोनू को मालूम ही न हुआ| पर बोझिल मन से होम वर्क में लगा रहा
पापा!!!
सर पर प्यार भरा स्पर्श पाकरहोमवर्क में मग्न सुनील का चेहरा खिल गया । पापा के हाथ में खाने की थाली थी . हाथ से एक एक कौर तोड़ कर खिलाते हुए पापा ने ढेरो बाते की | स्कूल की फिल्मो की कार्टून की , दोस्तों की , फैशन के कपड़ो की , नए जूतों की |
तभी बाल मन एक दम से बोल उठा ."
पापा ! एक बात बताओ क्या लडकियों से लड़ना या दोस्ती करना गलत बात हैं ""
नही बेटा !!!क्यों गलत ! जैसे तुम अपने लड़के दोस्तों से मिलते /लड़ते हो |वैसे ही उनसे भी लड़ो /मिलो न.......................................वोह तुमसे कमथोडे ही हैं "
पापा हँस पढ़े
उनको माँ याद आगयी होगी न शायद "
पापा फिर माँ क्यों कहती हैं अब लडकियों से ज्यादा बात मत करो उनको दोस्त नही बनाओ"
“कल सिम्मी आंटी भी कह रही थी कि जिस लड़की दामिनी के लिय दिल्ली में धरना प्रदर्शन हुआ था वोह एक दोस्त के साथ घूमने गयी थी. अब तो अपने लडको को ही लडकियों से दूर रखो|ऐसा क्यों पापा?”
“क्या अब जीनत का दोस्त नही रहा मैं ? वोह मेरी गर्ल फ्रेंड थोड़े ही है”
बच्चे की आँखों में जब सवालो का तूफ़ान उठ'ता हैं तो उसको शांत करना कितना मुश्किल होता हैं ..... आजकल के बच्चे कितने मोर्चो पर लड़ रहे हैं पढाई का बोझ , अच्छे नंबर लाने की होड़ , घर में तनाव की हालत उनको परेशान और कमजोर बना देती हैं उस पर यह टी।वी और यहमाता -पिता का फेस बुकऔर इन्टरनेट प्रेम बच्चो का रहा सहा टाइम भी उन्होंने ले लिया
सर पर हाथ फेरते हुए सुनील की आँखों में झांकते हुए पापा बोले"
बेटा दुनिया में जितने भी साधन बने हैं सब मनुष्य की सहूलियत के लिए बने है परन्तु हमने ही उनको विलासिता बना लिया हैं सबका दुरूपयोग हो रहा हैं ,आपको सेल फ़ोन दिया गया था कि आप जहाभी जाओ हमारी पहुँच में रहो, आपको कोई भी जरुरत हो आप हमें बुला सको| क्युकि अब वो जमाना नही रहा कि कोई अजनबी से सहायता ली जाए या वोह सहायता कर भी देगा उसकी गारंटी नही । लेकिन आप सारा समय व्हाट'स अप्प पर लगे रहते हो या दोस्तों के साथ संदेशो का आदान-प्रदान में ! गलत बात हैं ना “ प्यार से समझाते हुए पापा ने कहा
“इसी तरह जिस तरह का व्यवहार आप अपने लड़के दोस्तों से करते हैं उसी तरह का व्यवहार अपनी लड़की मित्रो से रखो. इस उम्र में बहुत अच्छा लगता हैं विपरीत लिंगी का अपने पास होना , तुम लड़कियों से दोस्ती रखो परन्तु याद रहे की हर रिश्ते की एक मर्यादा होती हैं .हमें हमेशा अपनी सोचो में भी याद रखना चाहिएकि जैसा हम सोचते है जरुरी नही दूसरा भी ठीक वैसा ही हमारे लिय सोचता होगा. इस लिय सबकी सोच की इज्ज़त करनी चाहिए और किसी के भी स्पर्श को पहचान लेना चाहिए. न तो किसी को खुद को स्पर्श करने दो न ही किसी को भी स्पर्श करो . भगवन ने हमें लड़का या लड़की बनाया तो हमें दुसरे लिंग की भावनाओ का सम्मान करना चाहिए ।" "
माना आज तुम्हे एक लड़की बहुत ही प्यारी सी लगने लगी हैं तुमको उसका साथ हर वक़्त पसंद हैं तुम दिन में 10 सन्देश उसके सेल पर भेजते हो तो क्या होगा !! तुमको तो वोह पसंद हैं परन्तु उसको तुम न पसंद हो तो या उसको तुम्हारे संदेशो से कुछ फर्क नही पड़ता या उसकी परिवार को नही पसंद होगा यह सब |सोचो उस लड़की को आपकी वज़ह से कितनी परेशानिया होंगी न ..क्या आप चाहोगे के जिसे आप पसंद करते हैं और वोह परेशान हो तो उसकी ख़ुशी के लिय अपने चारो तरफ एक सीमा बनाओ कि कोई भी मित्र को चाहे लड़की हो या लड़का न तो हद्द से ज्यादा उसके पीछे घुमो न उसको नेगलेक्ट करो .बस उसकी शख्सियत को इज्ज़त दो , आगे जाकर देखना जब तुम जिन्द्दगी में कुछ बन जाओगे, तुम्हारे अच्छे मार्क्स आयेंगे तुम कक्षा में आल राउंडर बनकर असेम्बली में खड़े होगे तो सब चाहेंगे तुमसे दोस्ती करे "
पापा की स्नेहिल बातो ने सोनू को खुलकर बात करने को प्रेरित किया
“पापा!!! पर वोह जो दिल्ली वाली लड़की थी उसके साथ जो लड़का दोस्त था उसने गलत किया था उसके साथ रहकर /जाकर "....... सोनू ने झिझकते हुए पुछा"
नही बेटा !!!वोह बहुत बहादुर था उसने कुछ गलत नही किया था | दोस्त है एक साथ कही जाकर वापिस आ रहे थे बस कुछ राक्षस जैसे लडको ने उनके साथ गलत किया था इसका यह मतलब नही है कि सब लड़के गलत हैं | न ही आप गलत हो कि आपको अब लड़की से बात नही करनी ."पापा ने प्यार से सर पर हाथ फेरते हुए कहा"
फिर मम्मा क्यों कहती हैं कि अब लडकियों में ध्यान न दिया करो "
"सही तो कहती हैं आपकी पढाई की उम्र हैं | लड़की को दोस्त मानो| मनोरंजन का एक साधन नही
और बच्चे ! मम्मी भी एक लड़की है न|”
“अब जब उस लड़की के साथ इतना सब कुछ बुरा हुआ तो अंदर तक उद्वेलित है
उनको बहुत गुस्सा हैं सब पर, पर हम पर नही, तुम पर नही ,वोह हमारी हैं न" आँखों में आँखे डाल कर पापा ने समझाया
“उनका मन चाहता हैंकि समाज में बदलाव हो परन्तु कैसे??? यह नही जानती . हम दोनों है न हम आपकी मम्मी को कभी ऐसा मौका ही नही देंगे कि उनको लगे कि लड़के लडकियों से गलत व्यवहार करते हैं, आपका फ़ोन भी उन्होंने जीनत के सन्देश के लिय नही छीना था, उन्होंने आपका फ़ोन इस लिय लिया था क्युकि आपके फाइनल एग्जाम पास आरहे है बस इसी लिय “
“ पर उनका तरीका गलत था , यह बात मैं मानता हूँ ,सारा दिन अखबार , नेट टी।वी पर देख देख कर उनका मन आक्रोशित हो गया हैं अब हमको ही उनको समझना है न "कह पापा ने सोनू की आँखों में झाँका
सोनू का किशोर मन सोच में पड़ गया
“हाँ पापा सही तो कह रहे है ,मम्मा के मन में परेशानी होगी तभी गुस्से में बोल गयी मुझे वैसे तो है न मेरी प्यारी मम्मा “
“ओके!! अब मैं मम्मी को कभी यह महसूस नही होने दूंगा कि
हर लड़का गलत होता हैं और उनका प्यारा बेटा बनूगा” कमरे सेबाहर दौड़ लगते हुए सुनील जोर से चिल्लाया"
ंंमाँ आआंंआआआआआआआआ
सुनो कल मेरी एक दोस्त का जन्म दिन हैं कोई गिफ्ट दो न उसके लिय ..
सब स्कूल में ही जन्मदिन मनाएंगे | क्युकि सबको पढना भी है न ,और हाँ आप मेरा सेल फ़ोन भी अपने पास रख लो | जब कही जाऊँगा आप से ले लूँगा "
पापा कमरे से देख रहे थे कि बच्चे कितने कोमल होते हैं माँ समझाए या पिता . संस्कार देने से आते हैं समझाने से नही अनदेखी करने से नही
आँखों में आंसू लिय परदे के पीछे से सब बाते सुनती पत्नी को देखकर मुस्कुरा उठे और भीग गया उन दोनों के मन का भी एक कोना ........................................