कारखानों में रोबोट मजदूर Shambhu Suman द्वारा पत्रिका में हिंदी पीडीएफ

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कारखानों में रोबोट मजदूर

तकनीक/शंभु सुमन

बड़ी फैक्ट्रियों में रोबोट ने संभाली कमान, एक बार

फिर शुरू हुई मशीन और मानव के बीच जंग।

कारखानों में

रोबोट मजदूर

चाइना के समुद्री तट पर नीदरलैंड्स स्थित ड्राचटेन में फिलिप्स इलेक्ट्रानिक्स फैक्ट्री में सैंकड़ो कामगार बिजली के सामानों को बनाने के लिए खास किस्म के औजार का इस्तेमाल करते रहे हैं, जो पुराना तरीका है। अब उसी की डच में स्थित एक दूसरी फैक्ट्री में 128 रोबोट उससे कहीं ज्यादा सहजता और दक्षता के साथ काम करते हैं। उनकी लचीली बांहें मानव के हाथ की तरह हैं। तीनांे तरह से अच्छी तरह से मुड़ने वाले ये हाथ मानव के हाथ की जैसे ही काम करते हैं। वे दो तारों को जोड़ने के लिए उन्हें काफी सूक्षम छेद में बड़ी आसानी से कुशलता और निपुणता के साथ घुसा देते हैं। एसे सैंकड़ों हाथ काफी तेजी के साथ काम करते हैं और उनपर शीशे के कमरे में बैठा एक व्यक्ति नजर रख रहा होता है। वही रोबोट का संचालक है और कंप्यूटर के जरिये सभी को एक साथ बगैर किसी बाधा के दुर्घटनारहित संचालित करता है। यही नहीं वे रोबोट कामगार बगैर किसी काॅफी या चाय ब्रेक के तीनों शिफ्ट में साल के 365 दिनों तक काम करता है। आने वाले कल की यह तस्वीर संभवतः दुनिया के ज्यादातर बड़ी फैक्ट्रियों में देखने को मिलने वाली है। इसके प्रति फैक्टीª मालिकों की रूचि बढ़ रही है और वे रोबोट कामगारों को आपनाने लगे हैं। खास कर चीन में जहां बड़े पैमाने पर हर तरह की वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है, वहां ऐसे रोबोट की मांग बढ़ी है। अभी तक रोबोट का आॅटोमोबाइल या भारी सामान बनाने वाली फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में इसे हर तरह के उत्पादन या वितरण वाली वैसी फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने लगेगा जहां छोटी-छोटी चीजें बनती हैं और उसके लिए सैंकड़ों मजदूर पलक झपकाए बिना घंटों काम करते रहते हैं। ऐसी फैक्ट्रियों में एप्पल जैसी कंपनी है, जो विभिन्न तरह के इलेक्ट्राॅनिक्स गजेट्स बनाती हैं। उसमें हजारों सामन्य दक्षता वाले कामगार काम करते हैं। आने वाले दिनों में उनकी जगह अगर रोबोट ले लें तो कोई अचरज नहीं होगा। ड्रचटेन स्थिति फिलिप्स कंपनी मंे प्रबंधन का काम संभालने वाले इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बिन्नी विस्सेर का कहना है कि हम रोबोट के हाथ की मदद से दुनिया में किसी भी तरह के इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्राॅनिक्स डिवाइस पूरी दक्षता के साथ बना सकते हैं।

बड़े उद्योगों के एग्जीक्यूटिव और टेक्नोलाॅजी विशेषज्ञों के अनुसार फिलिप्स दुनिया की बहुचर्चित कंप्यूटर, मोबाइल और दूसरी इलेक्ट्राॅनिक गजेट्स बनाने वाली कंपनी एप्पल के तौर-तरीके अपनाने की कोशिश में है। यहां तक कि एप्पल आईफोन की निर्माता कंपनी फाॅक्साॅन एक वैसा नया प्लांट लगाने की तैयारी कर चुकी है, जहां हजारों स्मार्टफोन तेजी से बनाई जा सके। इसके लिए उसे हजारों अतिरिक्त कामगारों की जरूरत होगी, जिसकी पूर्ति कंपनी आने वाले कुछ सालों में एक मिलियन से ज्यादा रोबोट्स खरीद कर करेगी। फाॅक्सकाॅन यह नहीं बताती है कि रोबोट के आने से कितने कामगारों को कब हटा दिए जाएंगे, लेकिन कंपनी के चेयरमैन टेरी गोउ के अनुसार ऐसा किया जाना बदले हुए समय की जरूरत है। वे यह भी बाताते हैं कि कंपनी के पूरी दुनिया में फैले एक मिलियन कर्मचारियों को संभालना एक बहुत ही तकलीफदेह सिरदर्द होता है। उन्हें एक तरह से जानवरों की तरह हांकना पड़ता है, जिसमें कई तरह की समस्याएं आती हैं और उत्पादन में कमी आने के साथ-साथ लागत बढ़ने की भी आशंका बनी रहती है।

इस तरह रोबोट के बढ़ते इस्तेमाल से मानव कामगारों के बेरोजगार होने, लेकिन उत्पादन में लागत की कमी आने को लेकर अर्थशास्त्रियों और तकनीशियनों के बीच एक नई बहस छिड़ गई है कि इसका असर मानवीय कामागारों पर क्या होगा? इससे जो बेरोजगार हो जाएंगे, उन्हें किस तरह के दूसरे कामों में लगाया जाएगा? इन सवालों के जवाब तलशने के सिलसिले में मैसाच्यूट्स इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी के एरिक ब्रायनजोल्फसन और एंड्रेव मैकेफ ने मानवीय कौशलता में मशीनों के प्रवेश से आर्थिक बदलाव और उसकी जरूरतों से संबंधित एक पुस्तक रेस अगेंस्ट द मशीन लिखी है। उनके अनुसार मशीनों के इस्तेमाल से पूरी दुनिया में कई चमत्कारी बदलाव आए हैं। बीती सदी की तुलना में कृषि के क्षेत्र में मशीनीकरण का लाभ यह हुआ है। अमेरिका में आज काम के दबाव का बोझ 40 फीसदी से कम होकर मात्र दो फीसदी रह गया है। हालांकि बीते दशक में कृषि के औद्योगिकरण से ही नहीं, बल्कि निर्माण क्षेत्र में विद्युतिकरण से भी लाभ हुआ है। इसी के क्रमिक बदलाव की कड़ी में अब कुशल कामगार का स्थान लेने वाले रोबोट के आगमन को देखा जा रहा है। इसे भले ही एकबार फिर से मानव और मशीन के बीच नए सिरे होने वाली जंग के नजरिये से देखा जाए, लेकिन इसका कई स्तर पर कंपनियों को अपने उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने और बढ़ाने, समय पर आपूर्ति करने तथा लागत घटाने में मदद मिली है। साथ ही मानवीय कामगारों को कई तरह के खतरों और भारी काम से छुटकारा भी मिलने वाली है। खासकर रोबोट कामगारों से उन उद्योगों में ज्यादा लाभ मिलना संभव हुआ है, जहां इलेेक्ट्राॅनिक्स और इलेक्ट्रिक के उत्पाद बनाए जाते हैं या पूर्जे जोड़कर विभिन्न तरह के गजेट्स तैयार किये जाते हैं। आज बढ़ती हुई संचार व्यवस्था और तकनीकी सुविधाओं की वजह से तरह-तरह के गजेट्स की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है। इनमें कंप्यूटर, टेलीविजन, मोबाइल, लैपटाॅप, टैबलेट, कैमरे से घरेलू और मेडिकल क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न तरह के उपकरण शामिल हैं। इसके विपरीत रोबोटिक्स के अनुभवी व्यक्ति ब्रान फेरन जो अपलाइड माइंड्स में प्रोडक्ट डिजाइनर हैं, का कहना है कि सभी तरह के काम रोबोट नहीं कर सकते हंै। इसलिए उसपर आंख बंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता है। कई काम ऐसे हैं जो कुशल कामगार ही कर सकते हंै।

बहरहाल, तकनीकी इस्तेमाल के बढ़ते प्रभाव को लेकर संगठित कामगारों और उस समुदाय के लोगों के बीच बेरोजगार होने की चिंता बन गई है, वहीं यह आशंका भी है कि रोबोट का इस्तेमाल ज्यादा होने पर नौकरियांे में कमी आ सकती है। यहां तक कि मजदूरों और परिवहन के बढ़ती लागत तथा बौद्धिक संपदा के चोरी होने से कुछ काम पश्चिम क्षेत्र के अपने मूल स्थान पर लौटकर करने लगे हैं। कल तक सैनफ्रांसिस्को के दक्षिण स्थित मिलपिटास में चल रही सोलर पैनल बनाने वाली कंपनी फ्लेक्सट्रोनिक्स ने अपने निर्माण के काम को कैलिफोर्निया में ही करने की घोषणा की है। इस प्लांट में सातों दिन चैबीसों घंटे काम जारी रहता है। यहां कुछ मानवीय कामगारों के अलावा हर जगह बड़े पैमाने पर रोबोट लगाए गए हैं, जो बहुत ही कुशलता के साथ बड़े से बड़े सोलर पैनल को उठाने, एक जगह से दूसरे जगह पर रखने, ग्लास के नीचे सोलर सेल को जोड़ने आदि काम को बाखूबी करते हैं। जबकी मानवीय कामगार अतिरक्ति मैटेरियल को कतरने, तारों को घुसाने, प्रत्येक पैनल में फ्रेम लगाने के लिए स्क्रू कसने जैसे छोटे-मोटे काम ही करते हैं। रोबोट का इस्तेमाल करने वाली कुछ वैसी कंपनियां भी हैं, जो बड़े पैमाने पर वितरण का काम करती हैं। इनके स्टोर में तेजी से काम करने वाले वैसे कामगारों की जरूरत होती है, जो सामानों को बगैर नुकसान पहुंचाए सही-सलामत रख सकें, लोगों तक पहुंचाने लायक ढंग से पैक कर सकें। ये रोबोटस बड़े कामगारों की तुलना में काफी तेजी और सलीके से काम को संपन्न करते हैं। इस अनुसार अब बड़ी-बड़ी होलसेल किराना का काम करने वाली कंपनियों में रोबोट के इस्तेमाल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। हाथ से किए जाने बहुत से काम को रोबोट से करना एक जरूरत बन गया है, वहीं कई काम ऐसे भी हैं, जिसे रोबोट के द्वारा ही आसानी से संपूर्णता के साथ किए जा सकता है। उदाहण के लिए हवाई जहाज बोइंग के काफी चैड़े आकार के ढांचे को बनाने में रोबोट्स की भूमिका महत्पूर्ण बन गई है। इसे एक बहुत बड़ी स्वचालित मशीन न केवल अच्छी तरह से जकड़ लेती है, बल्कि आसानी से घुमा-फिरा भी देती है, ताकि उसके बाहरी और भीतरी सतह को आसानी से बनाया जा सके। बोइंग787 एयरक्राफ्ट को बनाने वाली कंपनी के अनुसार यह मानवीय कामगारों की तुलना में ज्यादा सुविधाजनक और दूसरे कामगारों के लिए सुरक्षित है।

इसी तरह से कैलिफोर्निया की अर्थबाउंड फार्मस् कंपनी में हाल में लगाए गए चार रोबोट शिपिंग बाॅक्स में बड़ी कुशलता के साथ खाद्य पदार्थ को बगैर किसी नुकसान के सहेजते हैं। अर्थवाउंड के काम के अनुसार खास तरह के राबोट बनाने वाली एडेप्ट टेक्नोलाॅजी के मुख्य कार्यकारी इंजीनियर जाॅन डुलचिनो के अनुसार एक रोबोट दो से पांच कामगारों की जगह लेने की क्षमता रखता है। ऐसा नहीं है कि रोबोट को काम पर लगाना कम खर्चीला है। वे आम कामगारों से कहीं ज्यादा महंगे होते हैं। अमेरिका में रोबोट बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि उसके लिए काम के अनुसार एप्लिेकेशंस का इस्तेमाल करना होता है, जो बहुत ही मंहगे आते हैं। उदाहरण के लिए एक रोबोट बनाने पर 250,000 डाॅलर की लागत आती है, जो 50 हजार डाॅलर सालाना लेने वाले कम से कम दो मशीन आॅपरेटर का स्थान ले सकता है। इस लिहाज से एक रोबोट अपनी लाइफ के 15 सालों में कामगारों पर आने वाले खर्च का 3.5 मिलियन डाॅलर बचा देता है। ओबामा प्रशासन इस तरह के बदलाव को एक ऐतिहासिक मौका बताते हंै, ताकि उत्पादन में और तेजी आए। इस बारे में साइंस एंड टेक्नोलाॅजी पाॅलीसी के तहत सरकार का तर्क है कि फक्ट्रियों के आॅटोमेटिक हो जाने पर जाॅब के स्रोत का मूल्यांकन हो सकेगा। यदि अमेरिका अत्याधुनिक निर्माता उद्योगों से प्रतिस्पद्र्धा नहीं कर पाएगी तब वह दूसरी वैसी कंपनियों से उत्पादन और नित नए आने वाले डिजाइन में पिछड़ जाएगी, जो खासकर इलेक्ट्राॅनिक्स उपभोक्ता की वस्तुएं बनाती हैं। दूसरी तरफ एक तर्क यह भी है कि रोबोट का इस्तेमाल ज्यों-ज्यों बढ़ता जाएगा त्यों-त्यों ब्लू काॅलर नौकरियां खत्म हो जाएंगा, जबकि अधिकतर कंपनियंा डिजाइनिंग में निपुण काम स्थापित कर पाएंगी और संचालन एवं एकत्रित करने जैसे कामों में एकरूपता आएगी। दूसरी तरफ रोबोट बनाने वाली कंपिनियों का भी कहना है कि उनके यहां नए रोजगार का सृजन होगा। इंटरनेशनल फेडरेशन आॅफ रोबोटिक्स के अनुसार पूरी दुनिया में रोबोट बनाने वाली विभिन्न कंपनियों में इन दिनों 150,000 लोग काम कर रहे हैं। वे सभी इंजीनियरिंग या पूर्जे जोड़ने के काम में लगे हुए हैं। संयोग से अमेरिका और यूरोपीय क्षेत्र इसमें अभी पीछे है। बहरहाल, एक बार फिर से जारी हो चुकी मशीन और मानव की जंग में कौन जीत पाता है, यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा। फिर भी इतना तो जरूर है कि मानव अपनी क्षमता के अनुसार काम के बंटवारे और कौशल के आधार पर मशीन के साथ की दौड़ में शामिल है। यह कहें कि दोनों एक-दूसरे के पूरक बन हुए हैं। इस लिहाज से यह कहना गलत होगा कि मानव की कुशलता नित नए तकनीक के आने से प्रभावित हो जाएगी।

शंभु सुमन

Date-28.Dec.2015