Ek prajati huaa karati thi Jaat Sandeep Meel द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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Ek prajati huaa karati thi Jaat

एक प्रजाति हुआ करती थी—जाट

‘‘प्रेम को फांसी दे दो।''

‘‘प्रेम करने वालों को फांसी दे दो।''

‘‘संदीप मील को भी फांसी दे दो।''

‘‘संदीप मील को फांसी क्यों ?''

‘‘क्योंकि वह जाट है।''

‘‘जाट तो हम भी हैं''

‘‘लेकिन वह जाट होकर प्रेम करता है, इसलिए उसे फांसी दे दो।''

‘‘खाप पंचायत के हुक्म के मुताबिक प्रेम को फांसी दे दी गई है।''

‘‘प्रेम करने वालों को भी फांसी दे दी गई है।''

‘‘संदीप मील का क्या हुआ ?''

‘‘वह बिल में घुस गया है।''

‘‘बाहर निकालो उसे।''

‘‘वह बाहर निकल ही नहीं रहा है।''

‘‘बिल पर खाप पंचायत का पहरा बिठा दो। जब भी वह बाहर निकले, पकड़कर फांसी दे दो।''

‘‘प्रेम।''

‘‘मुर्दाबाद।''

‘‘प्रेम करने वाले।''

‘‘मुर्दाबाद।''

‘‘खाप पंचायत।''

‘‘जिंदाबाद।''

‘‘संदीप मील।''

‘‘वह बिल में घुस गया है और बिल के मुंह पर खाप पंचायत का पहरा बिठा दिया गया है।''

‘‘चौधरी साहब का हुक्म है कि बिल से बाहर निकलते ही उसे मुर्दाबाद में तब्दील कर दो।''

‘‘संदीप मील जाट कैसे हुआ?''

‘‘यह तो वही बता सकता है।''

‘‘लेकिन वह तो बिल में घुस गया है।''

‘‘फिर ?''

‘‘पैदा करने वाले से पूछो ?''

‘‘उनको जन्नत नसीब हो गई।''

‘‘उनसे ऊपर कोई पैदा करने वाला रहा होगा, उससे पुछो।''

‘‘उनसे ऊपर खुदा है, क्या खुदा से पुछा जाये ?''

‘‘खुदा की जात क्या है ?''

‘‘साहब, खुदा की कोई जात नहीं होती।''

‘‘तब वह बिल्कुल फैसला नहीं कर सकता है, हमारा फैसला हमारी जात का करेगा।''

‘‘हमारी जात का कौन करेगा ?''

‘‘चौधरी साहब, वे हमारी जात के खुदा हैं।''

‘‘चौधरी साहब।''

‘‘जिंदाबाद।''

‘‘खुदा।''

‘‘मुर्दाबाद।''

‘‘संदीप मील।''

‘‘वह बिल में घुस गया है.........।''

‘‘साहब सारी मुसीबतें हल हो गईं।''

‘‘हमारी जात में कोई भी प्रेम नहीं कर रहा है।''

‘‘लेकिन उस संदीप मील का क्या होगा ?''

‘‘वह लिखता है।''

‘‘लिखने से क्या होता है ?''

‘‘लिखने से लोग पढ़ते हैं और लोगों के दिमाग में प्रेम भर जाता है।''

‘‘लोगों के दिमाग को फांसी दे दो।''

‘‘साहब, दिमाग को फांसी नहीं दी जा सकती है।''

‘‘दिमाग को फांसी क्यों नहीं दी जा सकती ?''

‘‘क्योंकि दिमाग के गला नहीं होता है।''

‘‘चौधरी साहब का हुक्म है कि हमारी जात में पढ़ने पर पाबंदी है।''

‘‘किताबें जला दो।''

‘‘अब सारी समस्याओं का अंत हो जायेगा।''

‘‘अंत नहीं हुआ।''

‘‘क्या हुआ ?''

‘‘लोग शादी कर रहे हैं।''

‘‘इससे क्या फर्क पड़ता है।''

‘‘वे शादी में जात को नहीं मानते हैं।''

‘‘यह तो बड़ी गड़बड़ है।''

‘‘कुछ भी करो हमारी जात पवित्र रहनी चाहिए।''

‘‘चौधरी साहब का हुक्म है कि ऐसी शादी करने वालों को फांसी दे दो।''

‘‘हुक्म की तामील करो।''

‘‘शादी करने वालों को फांसी दे दो।''

‘‘शादी को ही फांसी दे दो।''

‘‘संदीप मील को भी फांसी दे दो।''

‘‘उसे क्यों ?'

‘‘वह भी शादी में जात को नहीं मानता।''

‘‘शादी करने वालों को फांसी दे दी गई है।''

‘‘बहुत सही किया।''

‘‘शादी को ही फांसी दे दी।''

‘‘यह और भी सही किया।''

‘‘अब जात को कोई खतरा नहीं है।''

‘‘लेकिन संदीप मील का क्या होगा ?''

‘‘लोग कह रहे हैं कि उसे फांसी क्यों नहीं दी गई।''

‘‘ये कौन लोग हैं ?''

‘‘अपनी ही जात के हैं।''

‘‘चौधरी साहब का हुक्म है कि हर तरफ ऐलान कर दो— संदीप मील जाट नहीं है।''

‘‘लेकिन मील तो जाट होते हैं।''

‘‘वह मील नहीं है, कुछ गड़बड़ हुई है जिसकी जांच चल रही है। पता चलते ही सबको इत्तला कर दी जायेगी।''

‘‘इस गड़बड़ में जो भी लिप्त पाया जायेगा उसे सजा दी जायेगी।''

‘‘अगर खुदा लिप्त पाया गया तो ?''

‘‘उसे भी सजा दी जायेगी।''

‘‘साला, एक संदीप मील को तो सजा दे नहीं पा रहे हो और खुदा को सजा देने की बात करते हो।''

‘‘यह कौन बोला ?''

‘‘बिल से संदीप मील की रूंह बोल रही है।''

‘‘साहब, सब कुछ ठीक चल रहा है।''

‘‘बिल पर पहरा बैठा है, हुक्के गुड़गुड़ाये जा रहे हैं। फतवे जारी किये जा रहे हैं, उसे बाहर निकलते ही फांसी दे दी जायेगी।''

‘‘अगर वह बाहर नहीं निकता तो ?''

‘‘यह तो चौधरी साहब ही बतायेंगे।''

‘‘चौधरी साहब ने कहा है कि अगर वह बाहर नहीं निकला तो डरपोक माना जायेगा और डरपोक हमारी जात में नहीं होते।''

‘‘अगर किसी ने हमारी जात को ही डरपोक मान लिया तो ?''

‘‘चौधरी साहब से सवाल नहीं किये जाते। जो कहा, वही सही है।''

‘‘सब ठीक चल रहा है ना ?''

‘‘एक गड़बड़ हो रही है।''

‘‘क्या ?''

‘‘लोग सेक्स कर रहे हैं।''

‘‘और सेक्स में कुछ नहीं देखते हैं।''

‘‘गर्भ ठहरने से जात खराब हो सकती है।''

‘‘कुछ भी करो, हमारी जात पवित्र रहनी चाहिए।''

‘‘सेक्स को फांसी दे दो।''

‘‘सेक्स करने वालों को भी फांसी दे दो।''

‘‘संदीप मील को भी फांसी दे दो।''

‘‘उसे क्यों ?''

‘‘वह भी सेक्स करता है और सेक्स में कुछ भी नहीं देखता। हमारी जात का भी है।''

‘‘हुक्म की तामील करो।''

‘‘सेक्स को फांसी दे दी गई।''

‘‘एकदम सही किया।''

‘‘सेक्स करने वालों को भी फांसी दे दी गई।''

‘‘यह सबसे सही किया।''

‘‘संदीप मील का क्या हुआ ?''

‘‘वह बिल में है और बिल के मुंह पर खाप पंचायत बैठी हुई है।''

‘‘खतरा बना हुआ है।''

‘‘खतरे पर खाप पंचायत बैठी हुई है।''

‘‘हुक्के गुड़गुड़ाये जा रहे हैं, पगड़ियां लहरा रहीं हैं। चौधरी साहब का हुक्म जारी है।''

‘‘मर्द सब खाप पंचायत में बैठे हुए हैं, औरतें घर पर हैं।''

‘‘खेत सूख रहे हैं।''

‘‘पशु भूखे मर रहे हैं।''

‘‘कुछ भी हो फैसला होना चाहिए।''

‘‘यह लो फैसला हो गया।''

‘‘क्या हुआ ?''

‘‘संदीप मील बिल से बाहर निकल गया है और देखता है कि पगड़ियां हैं पर जिस्म नहीं।''

‘‘इधर—उधर कोई नजर नहीं आता।''

‘‘अरे! ये जाट लोग कहां गये ?''

‘‘यह ‘जाट' क्या होता है ?''

‘‘एक प्रजाति हुआ करती थी जो अपना ही खून पी कर मर गई।''