खुशामदीद कॉमरेड ! Nirmal Gupta द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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खुशामदीद कॉमरेड !

खुशामदीद कॉमरेड!

वे उसके लिए एक घड़ा ले आये। उसके बिना पूछे सबने बताया, एक साथ नहीं बारी–बारी कि यह घड़ा गांव से लाया गया है। जाहिर है कि घड़ा गांव से आया है तो वहीं मिट्टी से गढ़ा गया होगा। उसमें रखे पानी से घर गांव की सौंधी गन्ध आएगी। सबने लगभग यही बात कही, थोड़ी भाषाई हेरफेर के साथ। बस उनके बेटे ने, जिसे वह छुटकू कहते हैं, बताया कि अब उन्हें फ्रिज का ठंडा पानी नहीं, घड़े का पानी पीना चाहिए। यह घड़ा यहीं कमरे में रहेगा और उसके पास प्लास्टिक का गिलास भी। जब प्यास लगे तो उसमें से पी लेना। किसी को पानी के लिए पुकारने और उसे लाने का झंझट खत्म हुआ। और हां….। पानी के साथ गांव की मिट्टी की सौंधी गंध भी। ये तो वही बात हुई न पापा। बाय वन गेट वन फ्री..। छुटकू अपने इस लतीफे पर खुद ही फिस्स से हंस दिया।
उसने देखा एक पानी से भरा घड़ा कमरे के कोने में दो ईंटों की टेक पर स्थापित हो गया है। यदि आज उनकी वाली मैडम जी मीता होती तो यह घड़ा ऐसे ईंट की टेक पर न रखा जाता। वह उसे अपने किसी पुराने दुपट्टे से बने छोटे से पहिये के आकार की गद्दी पर ऐसे रखती जैसे किसी नवजात शिशु का सिर मुलायम तकिये पर रखा जाता है। उसका हर काम को करने का अपना अंदाज़ था।
घड़े के बगल में गहरे लाल रंग का गिलास न जाने कब प्रकट हो गया। उसे वहां रखते हुए किसी को नहीं देखा। लेकिन गिलास वहां पहुंच गया है और उस पर पास की खिड़की से आती धूप की लकीर गिरके उसे रक्ताभ बना रही है।-
अब लेफ्टिस्ट आइडियोलॉजी ऐसे ही प्रतीकों में बची है कॉमरेड। उसने मन ही मन यह बात सिर्फ खुद को सुनाने के लिए कही।
वह सोचने लगा यदि आज मीता होती तो वह घर के हाते में अलग-थलग बने इस कमरे में यूं न पड़ा रहता। वह होती तो शायद यह घड़ा भी यहां नहीं होता। वह उसके कहे बिन आती और उसे उसकी जरूरत का हर सामान दे जाती। उसके अकसर कहीं गुम हो जाने वाले चश्मे को ढूंढ कर उसकी कमानियों को उसके कान पर टिका जाती। कमरे को झाड़ पोंछ कर व्यवस्थित कर देती। वह यह सब करते हुए उसे झिड़की भी देती –कॉमरेड नाती-पोते वाले हो लिए, अब तो अपने ढंग सुधार लो। वह यदि होती तो यह लाल गिलास वहां नहीं होता। यदि गिलास होता भी तो कांच का साफ़ सुथरा गिलास होता। यदि वह होती तो …..शायद धूप की लकीर खिड़की से भीतर आकर लाल रंग को कभी नहीं चमका पाती। वह उस झिर्री को कागज खोंस कर बंद कर देती।
वह कॉमरेड से तो प्यार करती थी लेकिन उसे कभी जताती नहीं थी। उसे कॉमरेड के लाल सलाम वाले दोस्त कतई पसंद नहीं थे और उसने जीते जी यह बात जताने से कभी गुरेज नहीं किया।
अब मीता नहीं है। लाल परचम भी लहराने बंद हो गए हैं। लाल सलाम कहने का चलन अब खत्म हो चला है।
कॉमरेड बीमार है। वह धीरे-धीरे अशक्त होता जा रहा है। करवट तक लेता हुआ कराहता है। वह अपने में सिमटता जा रहा है। एकाकीपन में वह खुद से पूछता रहता है, कहो कैसे हो कॉमरेड। और फिर स्वयं इसका जवाब देता है, मैं तो अच्छा हूं। यह शरीर जरा बीमार है।
घड़ा कमरे के कोने में रखा है। इससे पानी लगातार रिसता रहता है। इससे कमरे का कोना तर हो जाता है। वह उससे लेकर जब लाल गिलास में पानी भरता है तो उसकी लालिमा मिट जाती है। वह उस पानी में से अपने घर गांव की थाह पाना चाहता है। वह उसे नहीं मिलती तो वह अपनी मैडम जी को याद करता है। उसे पता है कि हर गुम चीज का या तो उसे पता रहता था या उसे वह तलाश लेती थी।-
तुम क्या गईं वो ‘लाल सलाम’ वाले भी न जाने कहां गायब हो गए। वे अब यहां नहीं आते ,अब तो आ जाओ। वह उसे इस एहतियात से पुकारता कि कमरे की दीवारों तक को उसका सुराग न मिल पाए।
वह पूरे-पूरे दिन घर की छत को अकेला लेटा ताकता रहता। उसके लिए खाना चाय आदि नियत समय पर आ जाता। बहु, बेटा या नौकर उसके पलंग के पास स्टूल खींच कर यह सामान फुर्ती से रखते और वह कुछ कह-सुन पाए, लापता हो जाते।
उसका शरीर दिन-प्रतिदिन शिथिल पड़ता जा रहा है, फिर भी वह पूरी ताकत लगाकर अपने पलंग से उठकर हाथ धोने के लिए कमरे से बाहर लगे वॉश बेसिन तक और आवश्यकता पड़ने पर टायलेट तक खुद चला जाता है। उसे पता है वह धीरे-धीरे मर रहा है, इसके बावजूद वह जिंदगी की गरिमा बनाये रखने के लिए भीषण जंग लड़ रहा है। कभी-कभार उससे कोई मिलने आता है तो वह उससे यह जरूर कहता है, कॉमरेड मरने से पहले कभी नहीं मरता। यही बात वह उस डॉक्टर से भी कहता है जो उसकी जांच करते हुए बेहद तनावग्रस्त हो जाता है। डॉक्टर अपनी जांच परख के बाद उससे यह अवश्य कहता है, डोंट वरी। एवरीथिंग इज फाईन। यू विल बी आलराईट वन डे।
कब तक ? उसने एक बार पूछा।-
वैरी सून सर वैरी सून। डॉक्टर यह बात कहता हुआ कमरे से बाहर हो जाता है। तभी एक बार उसके कानों ने डॉक्टर को किसी से कहते हुए सुना,कॉमरेड को अब दवाओं से अधिक दुआओं की जरूरत है।-
वी अंडरस्टेंड। यह बेटे की आवाज़ है।
वह जान गया कि छुटकू खासा समझदार हो चला है।
घड़े का रिसना लगातार जारी है। उसके रीतने से पहले ही घर का कोई न कोई आकर उसे फिर भर जाता है। उसकी आठ वर्षीय पोती ने उससे पूछा,बाबा यह घड़ा इतना लीक क्यों करता है।-
लीक नहीं करता बस रिसता है। इसीलिए इससे ठंडा पानी मिलता है।-
फ्रिज से पानी कभी लीक नहीं करता, फिर उसका पानी क्यों ठंडा होता है। पोती जिरह कर रही है।-
उसमें पानी को ठंडा करने का काम बिजली करती है।-
और घड़े में ? उसने जो सवाल किया, वह तर्क है।-
घड़े में पानी को हवा ठंडा रखती है। उसने बताया।
पोती को कुछ समझ नहीं आया तो वह अपनी आंख मिचमिचाती हुई इधर-उधर देखने लगी।
पोती वहां से गई तो उसे बीवी की याद हो आई।-
सुना तुमने, मुझे अब दवा की नहीं दुआ की जरूरत है। तुम तो जानती हो मैं किसी तरह की दुआ -वुआ में यकीन नहीं करता। जब तुम मर रही थीं तब भी मैंने कोई प्रार्थना नहीं की। बस तुम्हें अच्छी से अच्छी दवा दिलवा कर जिन्दा रखने की कोशिश की थी। तुमसे इसरार किया था कि मुझे छोड़ कर मत जाओ। पर तुम न मानीं। अब….मेरे सफर की बारी है। प्लीज़, तुम भी मेरे लिए कोई दुआ मत करना। मुझे पता है तुम अड़ियल स्वभाव की हो यदि अड़ गयीं तो मैं यही लटका रह जाऊंगा।-
तुम अब थक गए हो। यहां आ जाओ न मेरे पास। वहां बहुत रह लिए अकेले। उसने उसे कहते हुआ सुना। वह विश्वास नहीं कर पा रहा कि मरे हुए लोग, चाहे वह कितने प्रिय रहे हों, इस तरह बतिया सकते हैं।
उसने अपने से कहा-कॉमरेड तुम कबसे यह सब बातें मानने लगे। वन्स ए कॉमरेड आलवेज ए कॉमरेड।
उसने महसूस किया कि अब उसकी दी जाने वाली दवाओं की मात्रा घटती जा रही है। कमरे में बेटे, बहू और पोती का आवाजाही बढ़ गई है। उसके कमरे में रात को ठहरने के लिए उपयुक्त बंदे की तलाश शुरू हो गई। उसका अब पलंग से उठकर कदम दो कदम जाना दूभर होता जा रहा है। उसे पता है कि कुछ मसले ऐसे होते हैं जिनके बारे में ज्यादा जानकारी इकट्ठी कर लेने से भी वह हल नहीं होते। वह जब खुद को कमजोर होता महसूस करता तो दीवार पर लगी वाम क्रांति के पुरोधाओं की तस्वीर की ओर देख लेता है।
वह वस्तुतः मौत से नहीं लड़ रहा। वह ठीक से मरने के अपने हक को बनाये रखने के लिए जूझ रहा है। उसे जिन्दा रहने में कोई खास लगाव नहीं। मौत की आहट सुनकर भी वह भी जरा भी डरा हुआ नहीं है। वह पूरी डिग्निटी के साथ मरना चाहता है। वह मौत के स्वागत के लिए उसी तरह तैयार है जैसे अपने घर की ओर लौटता मुसाफिर रेलवे प्लेटफार्म पर आ बैठता है। उसकी नींद गहरी होती जा रही है। अब वह अलस्सुबह नहीं उठ पाता। जब उसकी आंख खुलती है तो अमूमन दिन चढ़ आया होता है। वह लेटे ही लेटे दीवार पर टंगी कॉमरेडों की तस्वीर को निहारता है। फिर रिसते हुए घड़े के पास जाकर पानी पीता है। दिन के समय जैसे-तैसे घिसटता हुआ-सा टायलेट हो आता और रात में अडल्ट डायफर बांध लेता है। उस दिन उसकी जब आंख खुली तो उसने देखा कि दीवार पर उसके प्रियजनों की तस्वीर के बगल में किसी झब्बे बाल वाले देवता की तस्वीर टंगी है।-
ये कहां से आये झब्बे वाले ? बेटा जब चाय लेकर आया तो उसने सवाल किया।
-पापा दरअसल ये फोटो मां के संदूक में मिली थी। मैंने सोचा मां की याद को यहां टांग दूं ,आपके पास।-
टंगा रहने दो उसे। वो तुम्हारे दोस्तों के साथ कोई पंगा नहीं करेगा। उसे मीता का आग्रह अपने कानों में गूंजता सुनाई दिया। -ओके। उसने कहा और चाय पीता हुआ मुस्कारने का प्रयास करने लगा।
धीरे-धीरे रिश्तेदारों का आना बढ़ गया। जो आता बस यही पूछता –अब आप कैसे हैं। वह सौजन्यतावश हौले से मुस्काने की नाकाम –सी कोशिश करता है।
कभी उसके पलंग के बराबर में रखे स्टूल पर कोई प्रसाद रखा मिलता जिसे वह वहीं पड़ा रहने देता। एक दिन उसे वहां कोई ताबीज रखा दिखा तो कमरे में साफ़ सफाई करने आई नौकरानी से पूछा –यह क्या है ?
-मुझे क्या पता। नौकरानी ने जवाब दिया।
थोड़ी देर बाद बेटा आया तो उसने उससे पूछा –यह सब क्या हो रहा है?-
कुछ नहीं पापा ,आपकी एक वेलविशर दे गई है। उसका कहना है कि आप इसे गले में धारण कर लोगे तो जल्द भले चंगे हो जाओगे।-
व्हाट नानसेंस। वह तेज आवाज़ में चीखा। उसकी चेतना डूबने लगी। उसे बीवी दिखाई दी। वह कह रही है, अरे पहन लो न, वह ताबीज तुमसे पहनने को ही तो कह गई है। अपने गले में जयमाला डालने को थोड़ा कह रही है।-
सुनो मैडम जी, मेरी सुनो ,मर जाऊंगा। पर …..
-क्या करोगे मर कर? वहां भी यदि मैं न मिली तो चैन कहां पाओगे। उसने मीता की आंखों में शरारत देखी।-
मैं अपना मरना स्थगित कर दूंगा।-
तब तो उसका ताबीज बिना गले में धारण किये ही कामयाब हो जायेगा।-
और मैं ये होने नहीं दूंगा, किसी हालत में नहीं होने दूंगा ….नहीं ….देखो मीता, मुझसे ऐसा मजाक न करो। मुझे मेरी वैचारिक जिद के साथ चैन से मरने दो। मैं तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं। तेरे पास आना चाहता हूं।-
लाल सलाम ,उसने इतने जोर से कहा तो तब तक उसे घेर कर खड़े हो चुके बेटा, बहू और पोती सहम गए। -खुशामदीद कॉमरेड। मीता कह रही है। आ जाओ, आओ मेरे पास। किसी को हो न हो, मुझे तुम्हारी बड़ी जरूरत है। कोने में रखा घड़ा रीत चुका है। लाल गिलास फर्श पर लुढ़क कर उस जगह आ गया है जहां धूप का कोई कतरा आकर उसे आलोकित करने की कोशिश नहीं कर सकता।