कहानी
बैकवर्ड मोड
वह उम्र के उस पड़ाव पर है जहाँ से उसे साठ की सीमारेखा साफ दिखाई दे रही हlउसे यकीन नहीं हो रहा कि वह जिंदगी में चलते –चलते इतनी दूरी तय कर आया है lकल यह बात उसने अन्य से कही तो उसने कहा ,सो व्हॉट, रियल लाइफ लाइज बियोंड सिक्सटीlअसली जिंदगी तो शुरू ही तब होती हैl
-बियोंड सिक्सटी या फोर्टी ? उसने पूछाl
-कहीं से भी lइन न्यूमरिकल फिगर का क्या lसुबह पांच बजे उठो या नौ बजे क्या फर्क पड़ता है lजब जागो तभी सवेराlअन्य ने कहाl
अन्य जिसका नाम अनन्या है , वह उसे अन्य कहता हैlउसके लिए अन्य उसकी जिंदगी में अचानक आई खुशबू है ,जीने का मकसद है और तमाम निराशाओं के बीच उम्मीद का दिया हैl
उसे कभी कभी लगता है कि वह उससे प्यार करता है lफिर लगता कि वह उसे प्यार नहीं करता बस उसे पसंद करता हैlइसके बाद वह अपनी इस पसंदगी के जुमले को भी यह कह कर ख़ारिज कर देता है कि वह उसकी चाहत नहीं सिर्फ उसकी मिडिल क्लास मक्कारी है lहताशा से बोझिल हुए सिर को टिकाने के लिए एक मुलायम कंधा lरूमानी अंधविश्वासों की एक विश्वसनीय फंतासीl
अन्य उसके लिए एक अबूझ पहेली है lवह उस पर जब निगाह टिकाता है तो वह उसके लिए क्रासवर्ड पज़ल बन जाती हैlआयु में उससे दो चार बरस कम है या दस बीस साल ,वह इस बारे में कभी सही अनुमान नहीं लगा पाया lउससे पूछने की कभी जुर्रत उसकी न हुईlइसके बावजूद उससे बात करते हुए उसे हमेशा लगता कि वक्त की रफतार बैकवर्ड मोड में आ गई है lवह जब उसके साथ होता है तो समय लगभग तीन दशक पीछे चला जाता है जब उसका दिल बात -बात पर जोर -जोर से धड़कता था lकान सुर्ख हो जाते थे और मन के भीतर एक अराजक नदी बहने लगती हैl
अनन्या के साथ समय को पंख लग जाते lवह जब भी घड़ी देखता उसकी सुईं दो चार घंटे एक साथ फलांग चुकी होती lवह उसकी हर बात को मुग्ध होकर सुनती और उसके बिना कुछ कहे ही उसे लगता वह कह रही है ,चुप क्यों हो गए lकहो …कहो ….कुछ और सुनाओl
वह उसके पास जब भी उठता अनिच्छा से उठता lवह अपने घर जाने के लिए उसके अपार्टमेंट की सीढियां उतरता है तो उसकी आवाज़ पीछा करती है ,सी यू टुमारोl
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उसके अपार्टमेंट से बाहर आते ही वह अपने कदमों की चाल तेज कर लेता हैlकॉलोनी की पार्किंग में खड़ी कार में बैठते न बैठते उसे पता चल जाता कि वह फिर अपने वर्तमान में लौट आया हैlवह धीरे –धीरे अपनी कार को गुलमोहर के लाल रंग के फूलों से लदे फदे पेड़ों और बेहद साफ सुथरे मकानों की कतार को पीछे छोड़ता घर के रास्ते पर बढ़ता तो उसे यकीन हो जाता कि वाकई अब वह अपने आज की तरफ बढ़ रहा हैl
अन्य की कालोनी के बाहर की बेरंग दुनिया में उसके लिए उपयुक्त स्पेस लगातार कम होती जा रही है lवह साठ के पास पहुँचता हुआ खुद को बेहद हताश अनुभव करने लगा है lघर उसके लिए एक अजायबघर –सा बन चुका है lजहाँ की हर चीज विंटेज हो गई लगती है lकुसी ,मेज ,डाइनिंग टेबिल फ्रिज टीवी ....सभी कुछ एकदम पुराने स्टाइल के lमानो किसी पुरातात्विक खनन में से निकले प्राचीन काल के मृदा उपकरण l
वह घर की कॉलबैल बजाता तो अंदर से मीता की आवाज़ ऐसे आती जैसे साउंड मशीन से प्रीरिकार्डेड मैसेज आता है ,आ जाओ ,दरवाज़ा खुला है l
वह दबे पाँव घर में कदम रखता तो दूसरा मैसेज प्रसारित होता है ,दरवाज़ा लॉक कर देना l
वह लॉबी में रखे फ्रिज में से लेकर पानी पीता कि एकबार फिर सन्देश गूंजता lबोतल वापस बाहर फ्रिज में रख देना ,उसे बाहर मत छोड़ देना l
वह तेज़ी से चलता हुआ बालकनी की ओर बढ़ जाता lमीता की आवाज़ उस तक आती ,चाय पियोगे l
-तुम नहीं पियोगी ? वह पूछता तो वह बताती कि एसिडिटी हो रही है l
वह कुर्सी खींच कर बालकनी में पसर जाता हैl वह आती पास में एक छोटी सी तिपाही पर चाय और कुछ बिस्कुट रख जाताlवह लौटने लगती तो वह- ऐनी न्यूज़ ?
-अभी कहाँ lसातवाँ महीना है , कल निक्कू से बात हुई थी तो बता रहा था l
-और ?
-हाँ तुम्हारे दो चैक आये हैं किसी मैग्जीन से lएक पांच सौ का दूसरा डेढ़ हज़ार का lडाइनिंग टेबल पर रखे हैं ,उठा लेना l
-ठीक lउसने कहा और वह चाय पीने लगा lउसने एक बिस्कुट का कोना कुतरा और प्लेट में वापस रख दिया l
-यह हाई फाइबर बिस्कुट है lखा लिया करो lयह जल्द डाइजेस्ट हो जाते हैं l
वह चुप बैठा चाय सुड़कता है l
-अब रिटायर होने जा रहे हो lक्या सोचा है ? निक्कू दिल्ली आ के रहने को कह रहा है l
-क्यों ? उसने यह सवाल अपने से पूछा lउसने देखा नीचे से गुजरने वाली संकरी गली में घुप्प अँधेरा हो जाने से वह अधियारे से भरी सुरंग में तब्दील हो गई है l
-जब सबसे अधिक अँधेरा होता है ,रौशनी की उम्मीद भी सबसे अधिक होती है lउसने कहा जो उसके अपने ‘’क्यों का जवाब अधिक है l
-तुम्हारी यह कबिताई मेरी समझ न आती lघर इनसे न चलता l
वह मीता की इस बात पर अकारण हंस देता है lउसके असहज प्रश्नों के लिए उसके पास यही अमोघ अस्त्र है lवह बडबडाती हुई बैडरूम में चली गई lजहाँ से कुछ ही देर बाद सास बहु के परस्पर तकरार के सम्वाद उसके पास आने लगे lवह समझ गया कि वह टीवी पर सदियों से चल रहे किसी सोप ऑपेरा में तल्लीन हो गई है l
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वह सुबह ऑफिस के लिये तैयार होने लगा तो मीता ने पूछा ,लंच ले जाओ तो बना दूं ?वह कुछ कह पाता कि उसका फोन वाइब्रेट हुआ और स्क्रीन पर इबारत दिखी –इटीसी l वह जान गया यह अन्य है l
-ऑफिस जाते हुए मेरे यहाँ से होते हुए जाना ? वह कह रही है l
-ओके lउसने कहा l
-तुमने लंच के बारे में नहीं बताया ? मीता ने फिर पूछा l
-व्हाट्स एप पर बता दूंगा lयह कहते हुए उसने अपनी तल्खी को भीतर रोक लिया l
-कब ? वह कुछ समझ न पाई तो कहा l
-लंच के बाद l उसकी आवाज सपाट रही l
-तुम कहो तो स्प्राउट्स पैक कर दूं lये बड़ी हैल्दी डाईट होती है lउसने कहा l
-रहने दो lऑफिस से एक सेमिनार में जाना है वहां लंच तो होगा ही l
-एज यू विश lसाठ के हो रहे हो lसेहत का ख्याल रखा करो lमैंने तो बस इसलिए कहा lउसकी आवाज़ में अब तुर्शी है l
वह झटपट फ़्लैट से बाहर आया lउसने अपने गीले बालों को झकझोरा और कोशिश की कि वह बेतरतीब से दिखने लगेlकरीने से काढे गए बाल प्रौढ़ता की खबर सार्वजनिक कर देते हैं l तीसरी मंजिल से ग्राउंड फ्लोर तक सीढियां उतरते हुए न तो एक बार भी उसके घुटने की हड्डी में कट कट की आवाज़ हुई न उसे साँस फूलती हुई लगी lवैसे भी ऊपर चढ़ने के मुकाबले नीचे उतरना सदा सरल होता है l
गली के कोने में एक पेड़ के सहारे खड़ी गाड़ी में बैठते ही उसने सुनहरे फ्रेम का रेबन का चश्मा आँखों पर लगा लिया lगाड़ी ड्राइव करते हुए बीच –बीच में उसके होंठ गोल हो जाते और वह सीटी बजाने लगता l
कुछ ही देर बाद उसने अन्य के अपार्टमेट वाली कॉलोनी की व्यवस्थित पार्किंग में गाड़ी खड़ी की है lवहां उसे पीले रंग से पुते एक साइन बोर्ड पर काले अक्षरों में लिखा दिखा ,सावधान ,आप कैमरे की नजर में हैं l
-क्या तुम्हारी इस कॉलोनी में गोपीचंद जासूस रहते हैं lअन्य ने उसकी पदचाप सुन कर दरवाज़ा खोला तो उसने सवाल कियाl
वह उसका सवाल समझ न पाई तो उसने अपनी पलकें फडफडाई lउसने पूछा ,गोपी चंद ? हू चंद ?
-अरे तुम्हारी कॉलोनी के एंट्रेंस पर बोर्ड लगा है कि आप कैमरे की नजर में हैं lमैंने सोचा कैमरा है तो जासूस भी वहीँ कहीं होगा lजासूस है तो वह गोपीचंद ही होगा l
यह सुनते ही वह खिलखिला कर हंस दी ,बोली –कोई जासूस वासूस नहीं बस बोर्ड है lठीक वैसा ही जैसा अमूमन कुत्तों से सावधान की सूचना लटकी होती है और वहां कोई कुत्ता नहीं केवल उसके होने का खौफ होता है l
-ठीक कहा lडर बड़ा कारगर होता है lउसने तुरंत कहा l
थोड़ी देर बाद ही उसने मेज पर तरह तरह के व्यंजनों से सजा दी lएक प्लेट में बर्थडे केक जैसा कुछ रखा था l
-यह क्या है ? तुम्हारा बर्थडे है ? उसने पूछा l
-अरे नहीं यह तो दही की डिश है जिसे चैरी टमाटर से गार्निश किया गया है lऔर देखो यह स्प्राउट्स हैं इन्हें मोल्ड में रख कर इसके ऊपर बारीक कटी प्याज ,हरी मिर्च और कसी गई गाजर से सजाया गया है l
-ओह ग्रेट lउसने कहा l
-अपना तो फंडा है कि जो पकाओ उसे सजाओ किसी कलाकृति की तरह lअन्य ने बताया l
वह यह सब देख चकित हो गया lउसे लगा अन्य उसे हाथ पकड़ कर किस परीलोक में ले जा रही है जहाँ समय सिर्फ वापसी की सीढियां ही नहीं उतरता वरन उसका उतराव हतप्रभ भी करता है l
वे दोनों काफी देर देश दुनिया और उससे इतर मामलों पर बतियाते रहे lउसने घड़ी देखी तो पाया लंच का समय हो चला है l
-अब चलूँगा lजरा ऑफिस तक भी टहल आऊ l
-कल आना lयदि पॉसिबल हो तो आज शाम l
वह बिना कुछ कहे चल दिया lबाहर धूप खिली थी lउसे अब ट्रैफिक जाम से जूझते हुए वहां से ऑफिस जाना है lवह अब इस रोजमर्रा की भागदौड़ से उकता रहा है lवह अन्य के साथ अपनी ख़ामोशी और उसकी तन्हाई को सुनते हुए बाकी की जिंदगी जीना चाहता है l
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वह ऑफिस पहुंचा और अभी अपने चैम्बर तक पहुंचा भी नहीं था कि चपरासी ने आकर कहा ,सर आपको साहब बुला रहे हैंl
उसने साहब को मन ही मन पहले गाली दी फिर देर से आने की वजह बताने के लिए विश्वास योग्य बहाना गढा l
वह साहब के चैम्बर में सकुचाते हुए पहुंचा lवहां उसकी शंका निर्मूल साबित हुई जब साहब ने कहा ,यू आर ब्रिलियेंट पोयटlआई नेवर न्यूl मैंने आपकी कविता एक मैगज़ीन में पढ़ीlवंडरफुल l
-जी ...उसने कहा l
-अपनी फेयरवेल मे कोई कविता रिसाइट कीजियेगाl वंडरफुल ....वंडरफुल ....कीप इट अपl
-जी ...उसने फिर कहाl
साहब ने उसे बातों ही बातों में उसकी उम्र याद दिला दी थीlवह जब अपने चैम्बर में पहुंचा तो कुलीग उसके चैम्बर में आ गएl
क्या हुआ ? क्या कह रहा था खडूस?
उसने सारी बात संक्षेप में बता दीl
- हम लोग आपको ग्रेंड फेयरवेल देंगे ....फ़िक्र न करेंlबट बी फ्रैंक ये रिटायरमेंट ब्लूज़ होती बड़ी कुत्ती चीज हैl
वह चुप रहाlवह आफ्टर रिटायरमेंट इफेक्ट पर नहीं अन्य के बारे में सोचने लगा lइस बीच उसे मीता की बेरंग रेसिपी भी याद आई lउसे निक्कू का मश्विरा भी स्मरण हो आया l वह सोचने लगा कि इस अगडम सगड़म समय में उसे ‘कबिताई’ ही राहत देगी या फिर.....शायद अन्यl
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समय तेज़ी से बीत रहा है lवह समय के बहाव के साथ बहता जा रहा हैlवह साठ के संधिस्थल तक पहुँच कर उसके बियोंड निकलने वाला है –साठ के आरपारl सिक्सटी प्लस l वह घर से अन्य तक आता - जाता समय के पेंडुलम पर झूलता मगन हैl
एक दिन सुबह जब उसकी आँख खुली तो उसने बैड के साइड टेबिल पर मोबाइल को थर्राते हुए पायाlउसने मोबाइल देखा तो उस पर इटीसी थीl
-हैलो...हैलो....lउसने हडबडा कर कहाl
-डू यू स्पेयर अ फ्यू मिनट्स फॉर मी lउसकी आवाज डूबी हुई थीl
-हाँ हाँ क्यों नहीं?
-क्या तुम दस से पहले मेरे पास आ सकते हो?
-श्योर ....
वह चिंतित हो उठा lवह समझ नहीं पाया कि मामला क्या है lवह वैसे भी अनन्या के बारे में कितना कम जानता हैlउनकी मुलाकत किसी पत्रिका में छपी कविता के जरिये हुई थी जिसके नीचे उसका मोबाइल दिया गया था lपहले फोन पर बात हुईं फिर सिलसिला चल निकला l
एक दिन अनन्या ने उसे अपने यहाँ मिलने बुलाया और वह सशंकित वहां पहुँच भी गया lवह जहाँ रहती थी वह एक पाश रिहाइशी इलाका थाlअपने में सिमटे रहने वालों की कॉलोनी lवह वहां निश्चिंत हो कर आने जाने लगा lउसने उसे एकबार उसके बिना पूछे बताया था उसका पति विदेश में रहता है lउसे वीजा नहीं मिल पाया इसलिए वह यहाँ रह रही है lतब उसे लगा था कि वह जो बता रही है वह आधी अधूरी जानकारी है lतब उसने सोचा कि वह चुभते वाले निजी प्रकरण के पन्ने किसी से शेयर करने से खुद को बचा रही हैl
वह नौ बजे उसके पास पहुँच गया lवह उसे कुछ गुमसुम लगीl
-आपका फेयरवेल परसों है न ?यह कह कर वह चुप हो गईl
-लेकिन ....l हमें आज तो आज ही एक दूसरे को अलविदा कहना होगाl
उसने कहा तो वह अवाक् रह गया lवह चाह कर कुछ कह नहीं पायाlउसने उसे बताया कि उसे वीजा मिल गया है और उसे जाना होगाl
वह मौन साधे रहा तो उसने कहा ,इतने चुप क्यों हो ,कुछ कहो नl
-अँधेरा कितना भी सघन हो उसके पार सवेरा जरूर होता है ,उसने यह बात न कहना चाह कर भी उसने कह दी lउसे मालूम है कि हर सच की तरह उसकी यह बात भी अर्धसत्य है l सच के वटवृक्ष में भी तमाम प्रकार की जड़ें और टहनियां होती हैं l
वह अन्य को विदा कह कर वह जब अपार्टमेंट की सीढियां उतरने लगा तो उसने गुलमोहर के झुरमुट के पार हिलता हुआ उसके हाथ दिखेlकार के वाइपर की तरह दायें से बाएं झूलते l
अनन्या चली गई और वह साठ की दहलीज पर खड़ा जिंदगी की तल्ख हकीकत से सीधी मुठभेड़ के लिए खुद को तैयार करने में जुट गयाlकिसी अन्य की वजह से वक्त न तो थमता है ,न टलता है और न ही बैकवर्ड मोड में चलता हैl
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निर्मल गुप्त ,208,छीपी टैंक ,मेरठ -250001 मोब: