मालिक Rajeev kumar द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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मालिक




कोड़ा बरसाने के बाद भी बैलों का जोड़ा टस से मस नहीं हुआ तो हरमू ने आकाश की ओर देखा। पसीने से लथपथ हरमू को तब जाकर सुर्यदेव की उग्रता का भान हुआ और उसने बैलों को हल से आजाद कर दिया और खुद भी पेड़ के नीचे लेट गया। लेटे-लेटे ही हरमू ने कनखियों से दोनों बैलों और अभी चौथाई हिस्सा ही जूते खेतों की तरफ देखा। हरमू ने तम्बाकू रगड़ा और मूँह में डालकर झटके से उठ बैठा। अपनी पगड़ी ठीक की और बैलों को समझ में आनेवाली भाषा में आवाज लगाई ’आ आ आ चु चु चु। ’ दोनों बैलों ने अनसूना कर दिया और मालिक की तरफ देखा भी नहीं। गुस्सा आने के बाद हरमू ने दो’-दो कोड़े और बरसा दिए। बैलों पर कोड़ा का कोई असर नहीं हुआ तो हरमू ने अपना माथा पीटा और इस बार ज्यादा ताकत लगाकर कोड़े बरसाए।
हरमू ने अपने बेटे को भी एक-दो बार मारने के बाद तीसरी बार नहीं मारा, यही सोचकर उसने बैलों को भी नहीं मारा और पुचकार कर दोनों बैलों को घर ले आया। दरवाजा पे खड़ी गौरी पुछ बैठी ’’ गोपी के बाबू, आपको आज इतनी जल्दी भुख लग गई, खाना तो मैं लेकर आने वाली थी। ’’
हरमू ने मुस्करा कर कहा ’’ नहीं रे भाग्यवान, ये बात नहीं है, हमको भुख-प्यास नहीं लगी बल्कि इन झबरू-गबरू महाशयों को काम करने का मन नहीं किया और थोड़े से आराम से इनका मन नहीं भरा। ये भी अपने बच्चें की तरह हैं, अगर मैं इनका ख्याल नहीं रखूंगा तो फिर कौन रखेगा। ’’
गौरी ने आश्चर्य भाव से अपने पति की तरफ देखा और उनके लिए चाय बना लायी और झबरू-गबरू को भी चारा डाल दिया।
हरमू का परिवार सो गया मगर लालटेन के मद्धिम रोशनी में झबरू और गबरू एक दुसरे को देख रहे थे।
झबरू ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा ’’ आज तो हमदोनों ने ही हद कर दी। ’’
गबरू ने झबरू को आश्चर्य भाव से देखा और पुछा’’ वो कैसे? ’’
गबरू ने फिर अगले ही क्षण कहा ’’ मार खाएं हमदानों और हद भी करें हम ही दोनों ? ’’
झबरू ने कहा ’’ क्या मार मार, इतना सा मार क्या मार है। जाकर पूछ डलवा से उसका मालिक कुबड़ा उसको कितना मारता है और पुरा खेत एक ही दिन में जुतवा लेता है, मार मार कर अपनी ही तरह कुबड़ा बना दिया डलवा को। और हमलोगों ने आज कितना कम काम किया। एक चौथाई भी जूताई नहीं की। जिस काम से हमदोनों की पहचान है, उस नाम को बदनाम कर दिया। ’’
गबरू ने ’ हाँ ’ में सिर हिलाया।
गबरू और झबरू दोनों बैलों ने विचार मंथन किया, फिर दानों को ही थोडी आगे पीछे नींद आ गई।
पाँच बजे ही झबरू और गबरू अपनी आवाज में शोर मचाने लगे। और खेत में पहूंचते ही दोनों बैलों ने सुरमा होने का परिचय दिया। झबरू और गबरू दोनों बैलां की फुर्ति देखकर हरमू भी जुताई में मग्न रहा और एक ही दिन में पुरा खेत जुत गया। आज हरमू आने दोस्त कुबड़ा से झबरू और गबरू की तारीफ करते हरमू नहीं थक रहा था।

समाप्त