बैरी पिया.... - 57 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 57


अब तक :


शिविका भी उसके पीछे बाहर आ गई । मोनिका नीचे हॉल में ही गुस्से में यहां से वहां घूमे जा रही थी ।


संयम जेब में हाथ डाले घर से बाहर निकल गया । संयम संयम बोलते हुए मोनिका भी उसके पीछे जाने लगी तो शिविका ने कहा " bye bye sister in law.... फिर आइएगा... " ।


मोनिका ने सुना तो शिविका को उंगली दिखाकर गुस्से से बाहर निकल गई ।


अब आगे :


शिविका ने नाश्ता किया और फिर घर में घूमने लगी । घूमते हुए शिविका एक रूम के पास पहुंची ।

शिविका ने दरवाजा खोला तो कमरे में अंधेरा था । शिविका अंदर चली गई और उसने लाइट्स जला दी ।


फिर कमरे को देखा तो उसमे दीवारों पर बड़ी बड़ी तस्वीर लगी हुई थी उनमें से सबसे बड़ी एक तस्वीर पर शिविका की नजर गई । वो तस्वीर के पास जाकर उसे देखने लगी ।


तस्वीर में दो लोग थे एक औरत थी जिसने राजस्थान लिबास ओढ़ा हुआ था और एक आदमी था उसने राजस्थानी कुर्ता पजामा पहन रखा था ।


शिवाक्ष ने कुछ देर फोटो को निहारा । फोटो के नीचे लिखा था सविता सानियाल और जयवंत खुराना... ।
शिविका ने उन दो नामों पर हाथ फेरा ।


" क्या ये संयम के mom dad थे... ?? " । शिविका सोच ही रही थी कि तभी उसकी नज़र बगल में लगाई एक फोटो पर गई जिसमे दो आदमी खड़े थे ।

जिसमे से एक जयवंत खुराना थे और दूसरे आदमी का चेहरा दिखाई नही दे रहा था । उसके चेहरे पर बोहोत सी pins चुभाकर चेहरा पूरी तरह से बिगाड़ा हुआ था । दूसरी तरफ एक और बड़ी सी तस्वीर लगी थी जिसमे तीन बच्चे एक दूसरे का हाथ पकड़े मुस्कुराते हुए खड़े थे ।


बीच में एक लड़की थी जिसने अपने दोनो तरफ खड़े लड़कों का हाथ पकड़ रखा था ।


शिविका ने कुछ देर कमरे की बाकी तस्वीरों को देखा और फिर बाहर निकल गई ।


शाम का वक्त :


संयम घर आया तो वो पागल सा लड़का उसके आगे आकर खड़ा हो गया । संयम ने उसे घूरा और फिर साइड धकेलकर आगे बढ़ गया ।


संयम अपने कमरे में आया तो उसे शिविका वहीं नजर आ गई । संयम ने शिविका का हाथ पकड़ा और एक डिवाइस लेकर उसके हाथ में बने टैटू की तस्वीर ले ली । फिर उसकी गर्दन पर बनी ईगल की भी तस्वीर ली ।


शिविका " ये क्या कर रहे हैं आप... ?? " ।


संयम " that's none of your business butterfly... " । बोलकर संयम बाहर निकल गया ।


शिविका भी संयम के पीछे बाहर निकल गई ।
संयम जल्दी से नीचे गया और उस लड़के को पकड़कर उसके हाथ पर बने टैटू की तस्वीर खींच ली ।


लड़के ने संयम के हाथ पर काटा तो संयम ने एक जोर दार तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया । शिविका ने देखा तो वो सहम सी गई । लड़का जमीन पर जा गिरा । संयम कांपने लग चुका था। उसकी आंखों में बेहद गुस्सा और नफरत दिखाई दे रही थी ।


संयम तेज कदमों से बाहर निकल गया । लड़का उठा और वहां से बाहर निकल गया ।


शाम हो चुकी थी तो सब खाने खाने के लिए आकर बैठ गए थे । संयम घर से बाहर चला गया था तो वो वहां पर नही था । दादी ने शिविका को बुलाया तो शिविका जाकर वहां बैठ गई । उसने एक प्लेट में खाना निकाला और उसे लेकर बाहर चली गई ।
दादी ने उसे देखा पर कुछ नही बोली ।


शिविका बाहर आई तो वहां झाड़ियों के पास वो लड़का घुटने समेटे हुए बैठा हुआ था ।


शिविका उसके बगल में आकर बैठ गई । लड़का सहमा हुआ सा था तो वो शिविका से थोड़ा दूर खिसक गया । शिविका ने उसके गाल की तरफ देखा जिसपर निशान पड़ चुके थे ।


उसकी आंखों से आंसू बहे जा रहे थे । शिविका ने नम आंखों से एक निवाला तोड़ा और उस लड़के की ओर बढ़ा दिया । लड़के ने उसके हाथ की ओर देखा और बोला " तुम.. तुम जाओ यहां से.. । मुझे नही खाना.. तुम भी मुझे मारोगी.. जैसे सब मारते हैं.. " ।


शिविका " मैं आपको नहीं मारूंगी... । उन्होंने क्यों मारा मुझे नही पता.. । लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगी कि आज के बाद वो भी आपको ना मारे.... " ।


लड़का " तुम सच कह रही हो ना.. " ।


शिविका ने सिर हिला दिया और निवाला उसके चेहरे की ओर बढ़ा दिया । लड़के ने शिविका को hug कर लिया । शिविका जैसी की तैसी बैठी रही ।


लड़का अलग हुआ तो शिविका उसे खिलाने लगी । खाना खतम करने के बाद शिविका ने पूछा " आपका नाम क्या है.. ?? " ।


लड़का " आदित्य... " ।


" Ohk... मैं शिविका... " बोलकर शिविका मुस्कुरा दी । लड़का अपना सिर खुजाने लगा ।


शिविका " अच्छा आपका कमरा कहां है... ?? " शिविका ने पूछा तो लड़के ने एक छोटी सी कोठारी की ओर इशारा कर दिया । शिविका ने देखा तो एक अंधेरी सी जगह पर एक छोटा सा कमरा था जिसमे जाने का दरवाजा भी छोटा सा ही था ।


शिविका उस लड़के के साथ उस जगह पर चल दी । शिविका ने झुककर देखा तो वो जगह बोहोत छोटी सी थी ।


शिविका को महसूस हुआ कि उस लड़के को एक पालतू जानवर के घर में रखा जाता था । इस तरह का शेल्टर लोग अपने pets के लिए खरीदते हैं.. । लेकिन यहां पर एक इंसान को उस छोटे से शेल्टर में रखा जा रहा था ।


शिविका के दिल में एक चोट सी हो आई । वो आंसुओं से भरी आंखों से उसे देखने लगी । लड़का मुस्कुराया और उसके अंदर चला गया ।


शिविका से रुका नही गया तो उसका रोना निकल गया ।


वो जल्दी से अंदर की ओर भागी । और प्लेट टेबल पर रखकर अपने कमरे की ओर चली गई ।


मनीषा ने उसकी ओर देखा तो बोली " अब इसको क्या हुआ.. ?? खाना खाए बिना ही चली गई । " ।


जय " भूख नही होगी mom... " ।


मीरा " लेकिन फिर बोलकर तो जा सकती थी ना... " ।


प्रियल " अरे संयम भाई के साथ बाद में खाना होगा... इसलिए चली गई होगी... " ।


प्रशांत " मुझे लगता है तुम्हे अपना खाना खाना चाहिए.... । वो अपना देख लेगी । " ।


वाणी जी उनकी बातें सुनती रही पर कुछ नही बोली ।


एक अंडरग्रुंड फ्लोर में संयम दक्ष और बाकी कुछ लोग बैठे हुए थे ।


संयम ने अपने हाथ में पकड़ी डिवाइस दक्ष की ओर फेंकी तो दक्ष ने उसे सामने जमीन पर बैठे इंसान को दे दिया ।


आदमी ने फोटोज को देखा और तीनों फोटो को उसने सोच समझकर अरेंज किया । फिर एक स्पेशल कैमरा के नीचे तीनों फोटो को रखा । कैमरा फोटो को स्कैन करने लगा तो उसमे से आवाजें निकलने लगी ।


फोटो से आती आवाजों को आदमी एक पेपर पर लिखता गया । आदमी ने कई बार उन आवाजों को सुना और कई बार उन codes को पेपर पर लिखता गया ।


दरअसल शिविका और हाथ और गले पर बने टैटू नॉर्मल टैटू नही थे । उनमें कुछ साउंड waves थी जो स्पेशल कैमरा में स्कैन करने से सुनाई देती थी ।


कई बार codes को लिखने पर उसने देखा कि बोहोत सी बार उसने कोड को एक सा ही उतारा है ।
अब वो सेटिस्फाइड था कि उसने सही कोड लिखा है ।


आदमी बोहोत एकाग्रता के साथ उन कोडिंग्स को देखने लगा । वो सब डाटा coded था । आदमी उसे डिकोड करने लगा ।


संयम आंखें बंद किए अपने सोफे से सिर टिकाए हुए था । दक्ष उस आदमी को देखे जा रहा था ।


आदमी उन लोगों की घूरती हुई नजरों की तपिश बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था । कमरेे में बिल्कुल भीीी आवाज नहीं थी । माहौल बहुत ठंडाा पड़ चुका था । । लेकिन फिर भीीीीीीी उस आदमी को पसीने आ रहे थे ।



उसने अपने माथे से टपकते हुए पसीने को पोछा और बोला " कल तक मैं रिजल्ट निकाल लूंगा.... " ।


दक्ष " ठीक है... । कल तक का वक्त दिया । " ।


संयम ने आंखें खोली और उस आदमी को देखा । फिर वहां से बाहर निकल गया ।


वहीं दूसरी ओर विला में वाणी जी एक प्लेट में खाना लेकर सर्वेंट के साथ शिविका के कमरे में चली गई । शिविका बालकनी में खड़ी नीचे बगीचे में देखे जा रही थी ।


वाणी जी ने दरवाजे के पास सर्वेंट के हाथ से प्लेट ली और अंदर आ गई ।


" शिविका " वाणी जी की आवाज आई तो शिविका ने पलटकर देखा ।


वाणी जी " क्या हुआ है... ?? " ।


शिविका " उस लड़के के साथ ऐसा बिहेव क्यों किया जाता है दादी... ?? । उसको मारा पीटा जाता है... कई वक्त तक उसे भूखा रखा जाता है और घर से बाहर जानवरों के घरों में उसे रखा जाता है... " ।


वाणी जी " oh.. तो तुम उसके लिए परेशान हो... ?? " ।


शिविका " क्या मुझे उनके लिए बुरा नही लगना चाहिए दादी.. ?? " ।


वाणी जी " लग सकता है शिविका.. बुरा तो किसी के लिए भी लग सकता है.. । लेकिन अगर किसी ने कुछ बुरा किया हो तो संयम उन लोगों को अपने अंदाज में सजा देता है । और उसका संयम के साथ कुछ लेना देना जरूर है... । वर्ना इतने वक्त तक उसको जिंदा वो क्यों रखता... ।



उसको दो वक्त का खाना मिलता है शिविका.. । खाना न खाना उसकी मर्जी.. । खाने को फेंक देता है वो तो कोई क्या करे !! आते जाते लोगों के हाथों में काट लेता है तो कोई क्यों न मारे ?? घर में उसे घूमने दिया जाता है । बांधा नही जाता लेकिन बस रात में घर के अंदर नहीं रखा जाता ।


इसमें अपनी सेफ्टी सब रखते हैं शिविका । उसको एक छत दी है संयम ने । दिमागी तौर से बीमार होने के बावजूद उसको खुले में घूमने दिया जाता है ।

शायद उस तरह के लोगों को सोसाइटी में जिंदा भी नहीं रहने दिया जाता । उसकी हरकतों की वजह से उसे कबका लोग मार भी डालते.... " ।


शिविका " दादी.. अगर कोई बीमार है तो क्या उसका इलाज नहीं किया जाना चाहिए.. । इस तरह से किसी बीमार इंसान को नही हैंडल किया जा सकता ना... " ।


वाणी जी " सबकी अपनी अपनी सोच है शिविका.... । अभी तुम खाना खा लो... । " बोलकर वाणी जी ने उसे प्लेट पकड़ा दी और वहां से जाने लगी । ।


शिविका बोली " क्या आप खिला सकती हैं दादी... ?? " ।


शिविका ने कहा तो वाणी जी रुक गई । फिर पलटकर शिविका की ओर देखने लगी ।


शिविका की आंखों में देखकर उन्होंने गहरी सांस ली और उसके हाथ से प्लेट ले ली । फिर उसे लेकर bed पर जाकर बैठ गई ।


वाणी जी शिविका को प्यार से खाना खिलाने लगी । शिविका आंखों में नमी लिए बोहोत चाव से खाने लगी ।

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