बैरी पिया.... - 2 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 2

दक्ष ने संयम को बताया कि उस लड़की ने राठी को भगाने में मदद की थी तो संयम के मोबाइल स्क्रीन पर चलते हाथ रुक गए । और चेहरे के भाव गहरे हो गए ।

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फ्लैश बैक... :

दो दिन पहले :

शिविका एक खाली सड़क पर एक खाकी पुलिस कि कमीज और शॉर्ट्स पहने चली जा रही थी ।

तभी अचानक से उसे बोहोत सी गाड़ियों के चलने की आवाज़ें आने लगी । शिविका ने सामने देखा तो एकदम से एक गाड़ी में धमाका हुआ और वो गाड़ी हवा में उड़ गई । गाड़ी पूरी तरह से आगे के लपेटे में थी ।

वहां बहुत तेज धमाका हुआ था जिस वजह से यह साफ पता लगाया जा सकता था की गाड़ी को बम से या गोला बारूद से उड़ाया गया था ।

पीछे से आती कुछ गाड़ी फ्लिप करते हुए जमीन पर पलटने लगती हैं । और कुछ गाड़ियां जमीन पर रगड़ा खाते हुए स्क्रैचस बनाकर आगे की ओर आती हैं ।

शिविका सड़क से हटकर पास के रेत के टीलों में जाकर छुप गई ।

इन चार पांच गाड़ियों के पीछे 8 से 10 गाड़ियां और आ रही थी और उन गाड़ियों से लगातार‌ इन गाड़ियों पर फायरिंग की जा रही थी ।

शिविका ने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने मुंह को हाथों से दबा लिया । इस तरह का माहौल तो किसी की भी जान को हलख में अटका के रख दे तो फिर शिविका तो 19 साल की एक चुलबुली सी लड़की थी ।

तभी रगड़ा खाते हुए सड़क पर लाइन बनाने वाली एक गाड़ी रुकी और एक हट्टा कट्टा आदमी उसमें से जल्दी से बाहर निकल जाता है उसकी उमर करीब 30 से 35 के पास होगी... ।

आदमी जल्दी से रेत के टीलों की तरफ भागा । साफ जाहिर था कि उसे अपनी जान बचानी थी ।

भागते हुए उसकी नजर शिविका पर पड़ी तो उसने एक गोल बॉल जैसी चीज शिविका की ओर फेंक दी और जाते हुए कहा " इशारा करूंगा तो इसे खोलके फेंक देना... " ।

शिविका हैरानी से उस आदमी को देखती रही । आदमी वहां से भाग गया ।

पीछे से आ रही गाड़ियां भी रुक चुकी थी और उसमें से भी लोग बंदुकें लेकर बाहर निकल चुके थे । सबने एक जैसी काले रंग की ड्रेस पहनी हुई थी । मानो उन सब का यूनिफॉर्म कोड हो.... । शिविका सहमी हुई सी सांसे लेने लगी ।

पलटा खाकर उल्टी पड़ी गाड़ी में से एक आदमी बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था तो उन वर्दी पहने लोगों ने घसीट कर उसे बाहर निकाल दिया और लातों से मारते हुए उसे पीटने लगे ।

बाकी कुछ लोग भी जो आगे वाली गाड़ियों में जिंदा बचे थे उनको भी बाहर निकाला गया और पीटा जाने लगा ।

दर्द से वो पिट रहे लोग चीखे जा रहे थे लेकिन उन मारने वाले लोगों को उन पर बिल्कुल भी तरस नहीं आ रहा था । उन्हें देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि उन्हें कोई ह्यूमन फिलिंग्स भी हों । लग रहा था मानो वह सभी रोबोट हो जिन्हें नहीं पता कि सामने वाले को भी दर्द होता है । बोहोत बेरहमी से वो उन लोगों को पीट रहे थे ।

कुछ तस्वीरें शिविका की आंखों के आगे चलने लगी थी ।

तभी किसी के चलने की आवाज़ें बोहोत जोरों से आने लगी । आग में जल रही गाड़ी से आसपास उजाला फैला हुआ था । जिससे अब सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे रहा था । आदमी बड़े-बड़े जूते पहने चला आ रहा था जो बोहोत जोरों से आवाज कर रहे थे ।

आदमीी ने एक प्रोफेशनल बिजनेस सूट पहना हुआ था । और उसके दोनों हाथों में बंदूकें थी । उसका चेहरा गुस्से से तिलमिलाया हुआ था । चेहरे से ही वो बोहोत एग्रेसिव लग रहा था । उमर करीब 25 साल के आस पास की लग रही थी ।

चेहरे में ऐसा तेज था कि किसी को भी नजरों से ही घायल कर दे.... । और इतना अट्रैक्शन कि कोई भी दुबारा तसल्ली से देखे बिना रह न पाए । लेकिन आंख भरकर देखने से भी डरे...... । परफेक्ट बॉडी फिगर वाला वो गुस्सैल इंसान एक ठहराव के साथ चला आ रहा था ।

गहरी गुस्से से भरी आंखों से उसने अपने सामने पिट रहे आदमियों को देख रहा था । फिर नीचे गिरे एक आदमी की टांग में गोली मार दी । आदमी चीखा तो उस आदमी ने उसके सिर में भी गोली मारकर उसकी आवाज को पूरी तरह बंद कर दिया ।

" I hate noice..... " बोलते हुए आदमी ठहराव से भरे कदम लेते हुए एक घुटनों के बल बैठे अधमरे पड़े आदमी के पास गया । और बालों से पकड़ते हुए उसका चेहरा अपनी ओर किया ।

फिर उसका मुंह में बंदूक डालते हुए बोला " गलती कर दी तुमने... हमें धोका देकर.... । हम से पंगा ले कर... । अब क्या होगा वो तुम्हारी सोच से बाहर है.... " । बोलते हुए उस कोट वाले आदमी ने अपने दूसरे हाथ में पकड़ी बंदूक से उस आदमी की दोनों बाजू में शूट कर दिया और फिर उसकी दोनो टांगों को भी छलनी कर दिया । आदमी दर्द से कराहने लगा ।

आदमी कराह रहा था लेकिन सामने खड़े इंसान के आगे वो चीख भी नहीं पा रहा था । क्योंकि उसके मुंह के अंदर बंदूक तानी गई थी । उसकी आंखें लाल पड़ चुकी थी मानो खून बहाने के लिए अब तैयार बैठी हों ।

तभी एक और गोली चलने की आवाज आई । इस बार उसके मुंह में रखी बंदूक से गोली चली थी । आसपास एकदम से सन्नाटा पसर गया । वो आदमी दर्द भरी सांसें लेने लगा । गोली उसके गाल से बाहर की तरफ चलाई थी । उसके गाल से खून बहने लगा ।

शिवाक्ष ने अपने सीने पर हाथ रख दिया । और सिसकियां लेते हुए रेत पर पीठ के बल लेट गई । उसे घुटन होने लगी थी ।

" मौत आसान नहीं है.... धोखेबाजों के लिए..... " बोलते हुए उस इंसान ने एक लात उस आदमी के सीने पर मार दी ।

वहां बचे कुछ जिंदा आदमियों ने जब ये नजारा देखा तो उनकी आंखों में मौत का डर साफ दिखा । हालांकि इस बात का डर उन्हें पहले भी सताए हुए था तभी तो वो लोग इन लोगों से बचकर भाग रहे थे ।

" इनका लीडर कहां भाग गया भई.. ढूंढो उसको भी... " बोलते हुए वो इंसान यमराज का कोई दूत लग रहा था । जो आज लोगों को मारने आया था ।

एक आदमी आगे आते हुए कहता है " बॉस वो... कुछ लोग गए हैं उसके पीछे... अभी ले आयेंगे... " ।

" गेट देट बास्टार्ड.... " बोलते हुए उस आदमी ने जमीन पर अधमरे पड़े लोगों पर गोलियां चला दी । उसकी एक भी गोली वेस्ट नहीं गई थी जबकि वह बंदूकों को गोल-गोल घुमाते हुए फायर कर रहा था ।

" उसको ज़िंदा पकड़ना है... । इसकी मौत पे सिर्फ SK का नाम लिखा है... " । बोलते हुए इस आदमी की आवाज बोहोत सख्त थी.. ओर एक्सप्रेशंस बोहोत डरावने थे ।

सामने का मंजर देखकर शिविका की आंखें हैरानी से फैल चुकी थी और उसका चेहरा पसीने से भीग चुका था । उसके सामने ही अभी अभी कई खून हुए थे । आंखों के आगे वो भयानक मंजर देख शिविका अपनी जगह पर जम चुकी थी । वो अपने हाथों से आंखों को ढककर सहमी हुई सी घुटनों में सिर छुपाए बैठी थी ।

उसके लिए हाथ की उंगली तक हिला पाना मुश्किल था । और सांसे भी वो बोहोत मुश्किल से ले पा रही थी । शिविका के कानों में गोली चलने की आवाज गूंजे जा रही थी ।

तभी कुछ बॉडीगार्ड्स एक आदमी को घसीटते हुए वहां ले आए । ये वही आदमी था जो अभी बच कर भागा था ।

कोट वाला आदमी चलकर उसके पास आया और बालों से पकड़कर उसके चेहरे को उपर उठाया । फिर एक घुसा उसके चेहरे पर दे मारा ।

आदमी के मुंह से खून की छाल बाहर निकली पर वो बेशरम सी हंसी हंसते हुए कहता है " huh.... , यही कर सकता है एक कुत्ता.... । पिल्ला है तू दुम हिलाता घूमता है अपने SK के पीछे... । मैं जानता हूं तू मार नही सकता मुझे... । मारेगा भी नहीं... क्योंकि SK को जो सौंपना है... । तेरा अपना कोई वजूद नहीं है दक्ष दीवान........ " ।

कोट पहने इंसान का नाम दक्ष दीवान था । SK का दांया हाथ और जुर्म की दुनिया का जाना माना नाम..... । कुल मिलाकर बादशाह का हुकुम का इक्का..... ।

दक्ष घुटनों के बल उस आदमी के पास बैठ गया और उसके चेहरे को अपनी उंगलियों से दबाते हुए बोला " नाम की तरह अपने काम में भी दक्ष को बहुत दक्षता हासिल है । तेरी लगाई चिंगारियां ना मेरे काम पर असर डाल सकती हैं और ना ही मेरी सोच पर । धोखाधड़ी करना और पीठ में खंजर घोपना तुझ जैसे गीदड़ो का काम है । दक्ष की जिंदगी के कुछ ऊसूल हैं जिनको वो कभी क्रॉस नहीं करता.... । तेरी मौत करीब है राठी.... । और आसान तो बिल्कुल नहीं होगी..... । " बोलते हुए दक्ष ने उसकी गर्दन पर जोर से अपनी कोहनी मारी ।

इससे हुई आवाज वहां पर मौजूद सभी लोगों को सुनाई थी मानव राठी की गर्दन की हड्डी ही टूट चुकी हो ।

" Aaahhh.... " राठी की चीख बोहोत जोरों से निकली थी ।

उसकी गर्दन टेढ़ी हो चुकी थी । उसे अब सांस भी बोहोत मुश्किल से आ रही थी । तिरछी नजरों से राठी ने शिविका देखा... जो घबराई हुई सी बैठी थी । शिविका भी तिरछी नजरों से उसे देख रही थी ।

राठी ने उसे आंखों से इशारा कर दिया । शिविका राठी को नहीं जानती थी । बल्कि वो उनमें से किसी को भी नहीं जानती थी लेकिन उसे राठी पर दया आ रही थी । उसे बेरहमी से मारा जाना शिविका को बोहोत बुरा लग रहा था ।

शिविका ने अपने पास पड़ी गोल बॉल जैसी चीज को देखा । फिर राठी की ओर देखा ।

शिविका ने कांपते हाथों से उस बॉल को उठा लिया ।

दया वाली नज़रों से वो सामने जमीन पर पड़े इंसान को देखने लगी । कुछ भी करने की हिम्मत अभी उसमें नही थी । लेकिन अपनी आंखों के सामने गलत होता देख... उससे रहा नहीं जा रहा था ।

शिविका ने उस गोल बॉल जैसी चीज को खोलकर सामने की ओर फेंक दिया । राठी ने शिविका को वो बॉल फेंकते देखा तो जल्दी से अपनी आंखें बंद कर ली..... ।

कुछ ही सेकंड्स में हर तरफ धुआं धुआं हो गया और उस धुएं के सबकी आंखों में जाने से सबको दिखना बंद हो गया और आंखों में जलन होने लगी । शिविका को भी अब कुछ नहीं दिखाई दे रहा था । उसकी आंखों में जलन होने लगी थी और आगे अंधेरा छा गया था ।

कुछ सेकेंड्स बाद राठी ने जल्दी से अपनी आंखें खोली और सामने खड़े एक आदमियों से बंदूकें छीनकर आस पास खड़े लोगों पर चलाने लगा ।

उसके दोनो हाथों में बंदूकें थी और उनसे वो लगातार फायरिंग किए जा रहा था । जितने लोगों को राठी मार सकता था उन सब पर वो गोलियां बरसा रहा था ।

गोली लगने से कुछ गार्ड्स जख्मी होकर जमीन पर गिर रहे थे वो कुछ गार्ड्स के सेंसिटव बॉडी पार्ट्स पर गोली लगने से वो वहीं मर चुके थे । दक्ष बाकी गार्ड्स के पीछे छुपते हुए अपने आप को बचा रहा था । दक्ष को आंखों में जलन हो रही थी और कुछ भी देख पाना नामुमकिन था । लेकिन फिर भी दक्ष बोहोत तेज़ी से एक जगह से दूसरी जगह को फ्लिप मार रहा था । उसकी बॉडी फिटनेस और फ्लेक्सिबिलिटी कमाल की थी ।

राठी दूर जाते हुए दक्ष को शूट करने लगा तो दक्ष को अंदेशा हो गया कि राठी उस पर गोली चलाने वाला है । दक्ष जल्दी से झुक गया लेकिन एक गोली उसकी बाजू में जाकर लग ही गई । दक्ष ने अपनी बाजू पकड़ी कि इतने में एक और गोली आकर उसके कंधे को छू गई । दक्ष अपने हाथ में पकड़ी बंदूकों से गोली की डायरेक्शन में फायर करने लगा । एक गोली राठी की टांग में लग गई जिससे राठी लड़खड़ा गया लेकिन फिर भी वो रुका नहीं और पीछे की ओर जाते हुए वो अपनी जीप की ओर बढ़ता ही रहा ।

शिविका को लगातार गोलियां चलने की आवाजें आए जा रही थी । लेकिन ये नही पता था कि कौन किसको मार रहा था ।

धुआं अब छंटने लगा था तो राठी जल्दी से एक जीप में बैठकर वहां से निकल गया ।

वहां सब में भगदड़ मची हुई थी । दक्ष के साथ के भी बोहोत लोग मारे गए थे । राठी ने लगभग सभी लोगों को घायल कर दिया था । दक्ष को जीप के जाने की आवाज आई तो वो जोर से चिल्लाया " aaahhh..... नहीं...... । " बोलकर उसकी सांसें बोहोत तेज़ चल रही थी ।

" किसने किया ये.... ?? धुआं किसने छोड़ा... ??? " बोलते हुए दक्ष दहाड़े जा रहा था । उसकी आवाज में गजब का रॉब था । कोई भी उसकी आवाज सुनकर सहम सकता था । यहां तक कि किसी की जान तक लेने के लिए भी उसकी ये आवाज़ काफी थी ।

बचे हुए आदमी दक्ष की आवाज सुनकर जल्दी से खड़े होने की कोशिश करते हुए आस पास देखने लगे ।

शिविका को भी अब सब दिखने लगा तो उसने देखा कि अब वर्दी वाले लोग मरे पड़े थे । उसे कंपन होने लगी ।

दक्ष.. , गुस्से ओर जलन से लाल आंखों से आस पास देखने लगा । तो उसे रेत के टीले के पास छुपी हुई शिविका दिखाई दे गई । दक्ष समझ चुका था कि ये सब उसी लड़की ने किया था । दक्ष गुस्से से भरी नजरों से उर बोहोत बुरी तरह से घूर रहा था । दक्ष गुस्से से पूरी तरह से कांप रहा था ।

शिविका ने उसकी नजरें अपने ऊपर देखी तो सहम गई । वहां से जल्दी से भाग जाने की सिवाय उसे और कुछ नही सूझा । शिविका जल्दी से लड़खड़ाते हुए उठ खड़ी हुई और वहां से जल्दी से भाग गई ।

" नही..... " बोलते हुए दक्ष ने अपने दोनो हाथों में पकड़ी बंदूकों से शिविका की डायरेक्शन में फायरिंग कर दी फिर आसमान में फायर करते हुए सारी गोलियां आसमान के सीने में उतार दी ।

पास में जमीन पर मरे पड़े गार्ड्स को देखते हुए " अबे उठो... उठो सालों... । मरने के लिए नहीं लाया तुम्हे यहां पर मैं..... । उठो.... " बोलकर वो खड़ा होते हुए उन्हें किक करने लगता है ।

लेकिन मुर्दा लोग उसे भला क्या ही जवाब देते ।

दक्ष शिविका की दिशा में देखते हुए दांत पीसते हुए बोला " सही नहीं किया ये तुमने.... । i will catch you soon.... । You have to pay for this.... ( गला फाड़ कर चिल्लाते हुए ) Damnnn...... " । दक्ष का अपने उपर इस वक्त कोई कंट्रोल नही था । बेतहाशा गुस्सा उसे इस वक्त आ रहा था । उसे नहीं पता था कि अब किसकी जान लेकर ये गुस्सा शांत होगा..... ।

फ्लैशबैक खतम.... ।

दक्ष ने दो दिन पहले का याद करके हाथों की कसकर मुट्ठियां बना ली थी ।

मंदिर में :

शिविका उन लोगों को खुद से दूर धकेलते हुए भाग रही थी । लेकिन बॉडीगार्ड्स बोहोत ज्यादा थे ।

शिविका उनसे बचते हुए निकलना चाहती थी । लेकिन सब बेकार था । एक बॉडीगार्ड में शिवाक्ष की कमर में हाथ डालकर अपने सीने की ओर खींच लिया । शिविका चिल्लाने लगी " छोड़ो.... " । दो लोगों ने शिविका को पकड़ लिया था । एक आदमी उसके चेहरे की तरफ बढ़ा तो शिविका ने अपना आंसुओं से भीगा चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया ।

फिर एक हाथ को छुड़ा कर उसने एक कोहनी उस बॉडीगार्ड के मुंह पर दे मारी । बॉडीगार्ड कुछ कदम पीछे को लड़खड़ा गया । शिविका ने जल्दी से अपने आप को छुड़ाया और सीढ़ियों पर भागने लगी ।

भागते वक्त उसका लहंगा उसके पांव में उलझ गया और शिविका गिरने को हुई तो किसी ने आकर उसे एक हाथ से थाम लिया । शिविका महसूस कर सकती थी कि किसी आदमी का हाथ था ।

आदमी ने शिविका को उसकी कमर से कसकर पकड़ा हुआ था । शिविका उसकी बाजू पर ही पूरी तरह से झूल रही थी ।

तभी फायरिंग की आवाज़ें आने लगी । जो जो बॉडीगार्ड्स शिविका को आकर छू रहे थे उन सबको भूना जा चुका था ।

और बाकी के बच्चे बॉडीगार्ड्स लाइंस में खड़े हो चुके थे । सबके चेहरे बिल्कुल नॉर्मल थे ।

शिविका की आंखें बंद थी । उसे लग रहा था कि उन लोगों ने ही उसे पकड़ लिया है । वो डर से कांपे जा रही थी । अंधेरा होने की वजह से वो आदमी दिखाई नहीं दे रहा था । मंदिर में तो रोशनी थी लेकिन सीढ़ियों पर कोई उजाला नही था.... ।

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