बैरी पिया.... - 11 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 11

कुछ वक्त बाद रेत के टीलों के बीचों बीच आकर गाडियां रुकी । संयम बाहर निकल गया । शिविका भी बाहर निकली तो अब उस जगह को बिल्कुल साफ करवा दिया गया था । उस दिन जो कुछ भी यहां हुआ था उसका अब कोई निशान नहीं था ।
शिविका ने इधर उधर नजरें दौड़ाई... ।


दक्ष भी गाड़ी से उतर कर आगे आ गया ।


संयम ने शिविका को देखा और उसके पास आकर उसकी कमर पर हाथ रखके बोला " कहां है..... ?? " ।
अपनी कमर पर किसी का हाथ रखे जाने से शिविका थोड़ा घबरा गई । फिर संयम को देखने लगी ।




शिविका समझ रही थी कि संयम उससे इतने प्यार से बात सिर्फ राठी का पता लगाने के लिए कर रहा था । पर जब संयम को पता चलेगा कि शिविका को कुछ भी नहीं पता कर वो उसे गुमराह करने के लिए यूंही वहां ले आई तो उसका क्या होगा... ?? ।


शिविका ने रेत के टीलों पर नजर दौड़ाई और बोली " यहां पर रेत में कुश्ती खेलते थोड़ी दिखाई देंगे.... । छुपने की भी जगह होती है.. " ।


दक्ष शिविका को घूरने लगा फिर उसने संयम को देखा । इस तरह के जवाब पर संयम किसी का भी मुंह तोड़ कर रख सकता था । लेकिन अभी वो शांत खड़ा था । दक्ष को समझ में नहीं आया कि आखिर वो ऐसे शांत क्यों खड़ा है ।


संयम ने शिविका को छोड़ दिया और बोला " चलो जाओ बताओ रास्ता... " ।


शिविका ने एक झलक उसे देखा और फिर बोली " अगर आप सब साथ चलेंगे तो हो सकता है वो भाग जाए.. या कहीं और छुप जाए या फिर फायरिंग कर दे... । इससे बेहतर होगा कि पहले मैं अकेली जाऊं.... " । शिविका ने कहा तो संयम शांत सा खड़ा रहा ।




दक्ष शिविका को घूरते हुए बोला " हम पागल दिख रहे हैं... ??? हमे पता है कि उसका पता चलने पर हमे क्या करना और कैसे करना है.... । तो हमे मत सिखाओ... " ।


शिविका ने सुना तो घबरा गई । अगर वो लोग उसे कहीं भी अकेला नहीं छोड़ेंगे तो वो भागेगी कैसे । संयम ने शिविका के एक्सप्रेशंस देखे तो बोला " जाओ.... ढूंढो.... " ।


दक्ष हैरान सा संयम को देखते हुए बोला " पर SK... " ।


संयम ने एक झलक दक्ष पर डाली तो वो चुप हो गया । दक्ष को समझ में नहीं आया कि आखिर संयम कर क्या रहा है । जबकि वो भी जानता है कि शिविका के अकेले जाने का कोई मतलब नहीं बनता ।


शिविका ने एक झलक सबको देखा और फिर लंगड़ाते हुए रेत के टीलों पर चली गई ।


दक्ष ने उसकी चाल देखी और फिर संयम को देखा । वो समझ गया था कि शिविका लंगड़ा़ा़ा कर चलना जरूर संयम की ही वजह से है ।





संयम गाड़ी के बोनट से टिककर गाड़ी पर हाथ की उंगलियों से tap करने लगा । एक अजीब सी धुन उसकी उंगलियां tap करने से कानो में पड़ रही थी ।
दक्ष ने गहरी सांस ली और फिर बॉडीगार्ड्स को कुछ इशारा कर दिया ।


संयम गर्दन घुमाकर आसमान को देखने लगा ।
शिविका पीछे देखते हुए आगे बढ़ रही थी । उसे अपने पीछे आता हुआ कोई नही दिखा ।


शिविका ने फिंगर क्रॉस की और फिर आसापास देखने लगी । ये रास्ते कहां ले जायेंगे. उसे नही पता । उपर से पड़ रही तेज़ धूप में शिविका को चक्कर सा आ रहा था वहीं इतने वक्त से भूखे होने से उसमें बिल्कुल ताकत नहीं थी ।


कुछ ही आगे जाने पर उसकी नजर रेत के टीले पर पड़ी जिसमे से एक फ्लोर शटर खुला । जिसमे अंदर की तरफ सीढियां थी मानो नीचे कोई सुरंग हो । शिविका आंखें मलने लगी । तभी उसमें से एक आदमी बाहर झांकते हुए उपर आया । उसने हाथ में बंदूूूके पकड़ी हुई थी । उसके बाहर आने के बाद एक और आदमी निकला ।


शिविका ने देखा तो ये वही आदमी था जिसे उसने उस दिन बचाया था । शिविका ने धीरे से होंठ हिलाते हुए खुद से कहा " राठी.... !!! " । फिर मन में बोली " ये सच में यहीं है... !!! मतलब मेरा बहाना और झूठ भी सच निकला... !!!! " ।


शिविका पीछे की ओर देखने लगी । कही संयम के लोग उसका पीछा तो नहीं कर रहे थे ना । लेकिन उसे कोई नहीं दिखा । पर इस तरह से वो उसे छोड़ दे ये शिविका को नहीं लग रहा था ।


राठी की गर्दन में पट्टा बंधा हुआ था । और हाथ में एक लाठी थी । उसकी बोहोत बुरी तरह से पिटाई की गई थी जिसका खामयाजा वो अभी तक भुगत रहा था ।


राठी अपनी गर्दन तेजी से नहीं घुमा पा रहा था इसलिए धीरे धीरे move कर रहा था । उसके पीछे पीछे और भी कई लोग उस सुरंग से बाहर निकले । सबके हाथों में बंदूकें थी और सबने फेस कवर कर रखा था ।




बाहर निकलने के बाद एक आदमी ने रेत में ही एक जगह पर पांव रखा तो वह शटर फिर से बंद हो गया । सब लोग मिलकर आगे की ओर चल दिए ।


राठी की नजर शिवाक्ष पर पड़ी तो वो रुक गया ।

एक पल को तो शिविका को देखकर वो अपनी नजरें उससे फेर ही नहीं पाया... । उसे ऊपर से नीचे तक वो घूरने लगा । शिविका इस वक्त पीछे की ओर देख रही थी । राठी की आंखों में अजीब से भाव उमड़ आए ।


राठी ने अपने आदमियों से उसे पकड़ने का इशारा किया । आदमी धीरे धीरे चलते हुए शिविका की ओर जाने लगे । लेकिन इससे पहले ही शिविका उनकी ओर ही भागकर आने लगी ।


आदमी रुक गए । राठी तिरछा मुस्कुरा दिया । चेहरा उसे कुछ जाना पहचाना लगा । शिविका उसके पास आकर रुक गई और हांफते हुए बोली " देखिए मुझे बचा लीजिए... प्लीज । मैने भी आपकी एक बार मदद की थी तो एक बार आप भी मेरी मदद कर दीजिए... । बस मुझे यहां से बाहर निकलने में मदद कर दीजिए..... बल्कि आपको भी यहां से जल्दी से भाग जाना चाहिए... यहां आपकी जान को भी खतरा है । वो लोग आपको भी ढूंढ रहे है । " शिविका ने हांफते हुए एक सांस में सब कह दिया ।


राठी ने याद किया तो उसे याद आया कि इस लड़की को उसने पहले भी देखा था और इसी ने उसकी दक्ष और उसके आदमियों से बचकर भागने में मदद की थी ।


राठी " hmmm..... याद आया... नाम क्या है तुम्हारा.... ???? " ।


शिविका ने पीछे देखते हुए कहा " शिविका... चौधरी.... "।


राठी उसके बाल कान के पीछे करते हुए उसे निहारते हुए बोला " शिविका..... " ।




शिविका को उसका छूना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा । पर उसने इतना ध्यान नहीं दिया । बस दो कदम पीछे होकर खड़ी हो गई ।


शिविका ने पलटकर उसे देखा वो कुछ बोल ही रही थी कि इतने में जोरों से फायरिंग शुरू हो गई । चारों तरफ अफरा तफरी मच गई । राठी के आदमी भी टीलों के पीछे छुपते हुए फायर करने लगे । शिविका जल्दी से रेत पर लेट गई । राठी भी जल्दी से अपने छुपने के लिए जगह देखने लगा ।


फायरिंग बंद हुई तो शिविका ने देखा कि उसके आस पास बोहोत सी लाशों के ढेर लग चुके थे । शिविका जल्दी से खड़ी हुई और वहां से भागने लगी तो उसके अगल बगल में फिर से फायरिंग शुरू हो गई ।


राठी जाकर एक कार में बैठ चुका था । उसने एक झलक शिविका को देखा और उसे अपनी ओर आने का इशारा किया ।


शिविका उसकी ओर जाने लगी पर गोलियां उससे एक इंच की दूरी पर चल रही थी । उसका कहीं भी कदम उठाना मुश्किल था । राठी ने और इंतजार नहीं किया और वहां से निकल गया ।


शिविका नम आंखों से उसकी गाड़ी को जाते हुए देखती रही । इकलौती उम्मीद उसे अभी मिली थी लेकिन अब तो वो भी जाती हुई दिखाई दे रही थी ।
अब जब शिविका खड़ी रही तो गोलियां चलनी बंद हो गई ।


शिविका ने गोलियों के रुकते ही भागने की कोशिश की तो.. नीचे पड़े आदमी के हाथ से उलझकर शिविका गिर पड़ी ।


उसके शरीर में रेत चिपक गई । और उसका चेहरा भी रेत में लगा तो उसके चेहरेेे और बालों में भी रेत लग गई । शिविका ने पलटकर देखा तो उसके चारों ओर गार्ड्स खड़े थे । शिविका बैठते हुए रेत को झाड़ने लगी ।




वो फंस गई थी । भागने की साजिश नाकाम हो चुकी थी । दक्ष की आंखें गुस्से से लाल थी । उसने राठी को यहां देखा था । शिविका ने उन्हें उन लोगों के बारे में बता दिया था इसीलिए वो वहां से भाग गया ।




जबकि शिविका का काम उन्हें रोकना था और उलझाना था ताकि राठी उनके हाथ लग सके... ।
जब शिविका को जाने को कहा तो संयम ने उसकी कमर पर एक चिप माइक लगा दिया था । जिससे जो भी बातें हुई वो सब संयम और दक्ष सुन सकते थे ।


शिविका ने देखा तो दक्ष कुछ लोगों के साथ गुस्से में उसकी ओर बढ़ रहा था । रास्ते में एक आदमी आधा जिंदा मिला तो दक्ष ने अपने कोट की अंदली तरफ से खंजर निकाल कर उसके गले पर चला दिया ।


" नहीं..... " चीखते हुए शिविका ने आंखें बंद कर ली..... ।


दक्ष शिविका को देखकर गुस्से में आगे बढ़ा और शिविका के मुंह को हाथों में कसते हुए बोला " साथ होने का कहकर धोखा देती हो... । धोखे की सजा हमारी दुनिया में क्या है... शायद तुम्हे नहीं पता... लेकिन अब पता चल जायेगा.... " बोलकर दक्ष शिविका के बालों को पकड़ने लगा लेकिन इससे पहले ही एक रौबदार आवाज उसके कानों में पड़ी " रुक जाओ.... " । दक्ष के हाथ वहीं पर रुक गए ।
शिविका सहम चुकी थी ।


ये आवाज संयम की थी । बॉडीगार्ड्स से घिरे हुए जब संयम वहां पहुंचा तो दक्ष को देखते हुए बोला " show.... Respect... She is not a common girl now.... " । संयम की आवाज बोहोत कोल्ड थी ।


दक्ष ने अपने हाथ पीछे खींच लिए । और सिर झुकाकर खड़ा हो गया । दिल में बोहोत कुछ चल रहा था । क्या उसे शिविका को रिस्पेक्ट देनी होगी । आज तक संयम के सिवाय उसने न किसी के आगे सिर झुकाया था के ना ही किसी की बात मानी थी । पर अब संयम कह रहा है कि उसे किसी को रिस्पेक्ट करनी चाहिए... ।


हालांकि दक्ष ने कभी किसी और को रिस्पेक्ट जैसा कोई दर्जा नहीं दिया लेकिन संयम की बात को वो किसी भी हाल में नहीं टालता था.. ।


शिविका को भी समझ में नहीं आया कि क्या संयम वाकई में उसे इज्जत देने की बात कर रहा था ।


संयम ने dark expressions से शिविका को देखा और फिर घुटनों के बल उसके पास बैठ गया ।


उसके हाथ शिविका के पैरों पर चलने लगे । शिविका डर से भरी हुई उसे देखने लगी ।


" How wrong i am.... मुझे लगा कि ये अभी चलने लायक नहीं होंगे... पर ये तो तुम्हे भगाने की ताकत रखते है butterfly..... । " बोलते हुए संयम सीटी बजाने लगा । जो बोहोत नेगेटिव vibe दे रही थी ।


संयम ने शिविका के चेहरे को देखा तो उसकी आंखों में डर था । संयम ने उसका पैर पकड़ा और मरोड़ दिया । शिविका ज़ोर से चीखी... । उसने रेत को मुट्ठी में भर लिया । उसकी आंखों से दर्द से आसूं बहने लगे ।


संयम खड़ा हुआ और शिविका के इर्द गिर्द घूमते हुए आवाज में नरमी लाकर बोला " क्यों भाग रही थी... हान.... । अरे शादी हुई है हमारी... । दूर क्यों जाना है... ?? चलो आओ... Come on... घर चलते हैं... " बोलते हुए संयम ने उसकी ओर हाथ बढ़ा दिया । संयम की आवाज में अजीब सा ठहराव था ।

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