बैरी पिया.... - 12 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 12

शिविका ने कुछ पल संयम को देखा और फिर डरते हुए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया । संयम ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और उसे झटके के साथ उठा लिया ।


शिविका ने संयम के कंधों को कसकर पकड़ लिया । संयम ने उसकी कमर थाम ली । सभी की नजरें अभी नीची थी । दक्ष को नही समझ आ रहा था कि गद्दारी करने में मौत से बत्तर सजा देने वाला संयम इतने आराम से शिविका से क्यों बात कर रहा था ।




हालांकि दक्ष जानता था कि जिस लहजे में संयम बात कर रहा है वो कोई प्यार वाला या नॉर्मल लहजा नहीं है । पर फिर भी उसने इस तरह से संयम को कभी नही देखा था । ।


एक तो उसने एक अंजान लड़की से शादी कर ली थी और उसके बाद उसका बिहेवियर भी थोड़ा बदला बदला सा था ।


दक्ष भी सिर झुकाए और हाथ बांधे खड़ा रहा । संयम ने शिविका का हाथ पकड़ा और तेज़ी से आगे बढ़ गया । संयम ने उसका पांव बुरी तरह से मरोड़ दिया था तो शिविका नहीं चल पा रही थी । दो कदम चलते ही वो नीचे गिर गई । उसका चेहरा रोने की वजह से लाल पड़ चुका था ।


संयम ने उसे बाजू से पकड़कर उठाया और गोद में उठा लिया । शिविका ने उसकी शर्ट को कसकर पकड़ लिया ।


संयम ने एक झलक उसे देखा और फिर आगे बढ़ गया ।


संयम ने शिविका को पैसेंजर सीट पर बैठाया और खुद ड्राइव करके गाड़ी लेकर निकल गया । दक्ष खड़ा होकर गाड़ी को जाते हुए देखता रहा ।


फिर बॉडीगार्ड को इशारा करके बोला " पता लगाओ ये लड़की है कौन... और कहां से आई है... ?? सारा काला चिट्ठा चाहिए मुझे... " । फिर मन में बोला " SK इतना अलग बरताव कर रहे हैं मतलब कुछ तो चल रहा है । कहीं मासूमियत का नकाब पहने ये लड़की किसी साजिश के चलते तो नहीं आई है.. ?? जो भी हो मैं SK की बात नहीं टालूंगा और रिस्पेक्ट दूंगा... लेकिन मुझे किसी और पर विश्वास नहीं है..... " ।





Villa :


संयम ने विला पहुंचकर ज़ोर से गाड़ी में ब्रेक मारा । शिविका ने इतनी तेज चल रही गाड़ी में सीट बेल्ट पहन ली थी तो ब्रेक से उसे झटका तो लगा लेकिन सीट बेल्ट की वजह से वो आगे की ओर ज्यादा झटका खाने से बच गई ।


संयम गाड़ी से उतरा और शिविका की तरफ का दरवाजा खोला । शिविका ने सीट जल्दी से सीट बेल्ट खोल दी संयम उसका हाथ पकड़कर नीचे उतारने लगा ।




संयम को देखकर नही लग रहा था कि वो उसको सीट बेल्ट खोलने तक का टाइम भी देगा इसलिए शिविका ने पहले ही जल्दी से सीट बेल्ट खोल दी थी । संयम ने उसे गोद में उठाया और अंदर चला गया ।


शिविका घबराई हुई सी उसे देखे जा रही थी । संयम ने अपने रूम में जाकर शिविका को सोफे पर पटक दिया । शिविका ने सोफे को कसकर मुट्ठी में पकड़ लिया । वह घबराई हुई सी संयम को देखने लगी ।


संयम ने अपनी बेल्ट उतारी और फर्श पर फेंक दी । फिर अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा । शिविका ने नजरें फेर ली । उसे समझ नही आ रहा था कि संयम क्या कर रहा था लेकिन इतना ज़रूर पता था कि अभी उसपर संयम बोहोत ज्यादा गुस्सा था ।


संयम झटके से शिविका के उपर चला आया । और उसके दोनो हाथों को अपने हाथों से पकड़कर सोफे से लगा दिया । फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए । और forcefully kiss करने लगा । शिविका ने छूटना चाहा लेकिन वो संयम को बिल्कुल भी नहीं हिला पाई ।


शिविका ने पैर चलाने चाहे तो संयम ने उसके पैरों को अपने पैरों में फंसा लिया । शिविका की सांसें उखड़ने लगी थी । वो स्ट्रगल कर रही थी लेकिन संयम के आगे सब फेल था ।


20 मिनट के passionate kiss के बाद संयम ने उसे छोड़ा.... । शिविका गहरी सांसें लेने लगी ।


संयम ने उसे देखा और दांत पीसते हुए बोला " वो अनिरुद्ध बच्चा दे रहा था इसलिए उससे शादी कर रही थी । और उसके पास से शायद भागती भी नहीं । और मेरे साथ खुद शादी कहने का कहकर भी भागने की कोशिश कर रही थी । हान.... !!




पहले शादी का पूछा लेकिन अभी तुम्हे लग रहा है कि मैं काफी नहीं हूं तो भाग रही थी । बच्चा चाहिए ना तुम्हे.... हम्म्म... !! मैं देता हूं बच्चा.... " बोलते हुए संयम ने फिर से उसके होंठों पर kiss करना शुरू कर दिया फिर उसकी गर्दन में सिर घुसा लिया ।




संयम बाइट और हार्ष kisses करने लगा । शिविका ने आंखें बंद कर ली और उसकी सिसकियां निकलने लगी ।


शिविका ने हाथ छुड़ाना चाहा तो संयम ने उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा ली । फिर एक हाथ को एस की कमर में डालकर उसे अपने सीने से पूरी तरह सटा लिया ।


संयम ने शिविका की ड्रेस की स्ट्रैप को कंधे से खिसकाया तो शिविका ने सिसकते हुए कहा " नहीं... नहीं SK प्लीज रुक जाइए.... । रुक जाइए प्लीज... " बोलते हुए शिविका का सिसकना रोने में बदल गया ।


संयम के होंठ उसके कंधे पर फिसलते हुए रुक गए । संयम की गर्म सांसें शिविका के कंधे पर पड़ रही थी तो शिविका कि रुक रुक कर चलती हुई सांसे संयम की गर्दन पर ‌ पड़ रहीी थी । संयम को एक अलग सा ही एहसास हो रहा था । शिविका ने दूसरी ओर गर्दन घुमाकर कसकर आंखें मूंद ली थी । उसकी सांसें बोहोत तेज़ थी ।


संयम उसके तेज़ी से अंदर बाहर होते सीने को महसूस कर सकता था क्योंकि दोनो आपस में बिल्कुल जुड़े हुए थे ।


संयम ने शिविका की ना सुनी तो आगे और कुछ‌ उसने नहीं किया । उसी वक्त उसकी सारी कोशिशें रुक गई । संयम ने शिविका के कंधे से चेहरा दूर कर लिया और उसके चेहरे को देखने लगा । शिविका बोहोत सहमी हुई थी । और आंखें बंद किए दूसरी ओर घूमी हुई थी ।


संयम उसके उपर से उठ गया । और गहरी सांसें लेकर खुद को शांत करने लगा । पता नहीं वो क्या महसूस कर रहा था । उसके अंदर बोहोत गुस्सा भरा पड़ा था लेकिन फिर भी वो किसी लड़की के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकता था ।


संयम ने अपने बालों में हाथ फेरा और शिविका की ओर देखा । तो वो जैसे की तैसी लेटी हुई थी । उसनेे अपनी ड्रेस भी ठीक नहीं की । वो ड्रेस का स्ट्रैप अभी भी उसके कंधे से खिसका हुआ था ।




उसका चेहरा दूसरी ओर था और आंखें बंद थी ।
संयम ने अपनी कमीज सही की और वहां से बाहर निकल गया ।


लिफ्ट से नीचे आकर संयम ने एक फिंगर सेंसर वाले रूम को अनलॉक किया और अंदर चला गया । अंदर जाकर संयम अपनी जेब में हाथ डाले खड़ा रहा और कमरे को देखता रहा । कमरे मेंंंं बिल्कुल अंधेरा था । ना जाने संयम अंधेरे कमरे मेंं क्या देख रहा था ।




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