बैरी पिया.... - 7 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

बैरी पिया.... - 7

संयम शिविका के सामने जूस का ग्लास पकड़े खड़ा था । सर्वेंट ने उसे मुंह पोंछने के लिए टिश्यू पेपर दिया तो शिविका ने मुंह साफ कर लिया ।


संयम ने जूस का गिलास शिविका के होठों की ओर बढ़ा दिया । शिविका आंखें बड़ी करके उसे देखने लगी ।


" आप जबरदस्ती नहीं कर सकते.... । मुझे नही पीना है..... । मैं डायबिटीज की पेशेंट नही हूं..... और ना ही मुझे करेला पसंद है..... " बोलते हुए शिविका लगभग चिल्ला दी... । संयम ने गुस्से से उसे घूरा और फिर ग्लास को जमीन पर पटक दिया । शिविका ने आंखें बंद कर ली... । ग्लास कांच का था इस वजह से उसके टुकड़े किचन में हर जगह बिखर गए ।


" जबरदस्ती कर रहा हूं मैं.... ?? Hmm " बोलते हुए संयम शिविका की ओर कदम बढ़ाने लगा । उसका लहजा बोहोत डराने वाला था ।


पीछे होते हुए शिविका की पीठ पीछे प्लेटफार्म से टकरा गई । संयम उसके दोनो ओर हाथ टिका कर उसके नजदीक जाकर खड़ा हो गया ।


शिविका आंखें बड़ी करके उसे देखने लगी । संयम ने उंगली से इशारा किया तो सर्वेंट्स बाहर की ओर निकल गए ।


संयम कोल्ड एक्सप्रेशंस लिए शिविका को घूरने लगा । शिविका ने थूक गले से नीचे निगला और वहां से जाने का सोचने लगी । लेकिन संयम उसके बोहोत नजदीक था और शिविका के निकलने लायक जगह उनके बीच नहीं थी ।


संयम ने कोल्ड वाइस में कहा " जबरदस्ती देखनी है तुम्हे..... ??? " ।


बोलते हुए संयम ने शिविका की कमर पर दोनो हाथ रखकर उसे अपने बेहद करीब खींच लिया । शिविका के दोनों हाथ संयम के कंधे पर चले गए । संयम नेे एक हाथ में उसके बालों को पकड़ा । शिविका कुछ समझ पाती इससे पहले ही संयम ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ।


शिविका के पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई । संयम उसके लिप्स को बुरी तरह से बाइट करने लगा । और बुरी तरह से kiss करने लगा । शिविका ने होंठ जकड़े हुए थे लेकिन संयम ने उसके होंठों को अपने होंठों से खोल ही दिया था ।


शिविका ने कसकर आंखें मूंद ली... । संयम बिना किस ब्रेक किए जबरदस्ती उसे kiss किए जा रहा था । शिविका ने उसे दूर धकेलने की कोशिश की तो संयम ने उसके दोनो हाथों को घुमाकर उसकी पीठ से लगा दिया ।


कुछ देर तक शिविका स्ट्रगल करती रही और संयम उससे जबरदस्ती करता रहा लेकिन फिर कुछ देर बाद शिविका ने छूटने की कोशिश करनी बंद कर दी और संयम भी अब प्यार से suck करते हुए उसे kiss करने लगा ।


20 मिनट बाद संयम ने शिविका के होंठों को छोड़ा... । शिविका के होंठ गुलाबी से लाल पड़ चुके थे । और निचले होंठ के किनारे से हल्का खून भी निकल रहा था ।




शिविका उसे घूरे जा रही थी । लेकिन वो कुछ नहीं कर सकती थी । उसकी आंखें भर आई तो उसने नजरें फेर ली... ।




संयम शिविका से दूर हुआ और कांच की ओर इशारा करते हुए बोला " चलो इसपर... जहां जहां कांच के टुकड़े हैं उस हर जगह पर पैर रखके चलो... " ।


शिविका हैरानी से उसे देखने लगी । शिविका की कोई मूवमेंट नही हुई तो संयम के एक्सप्रेशंस गहरे हो गए ।


" i said चलो... " बोलते हुए संयम चिल्लाया तो शिविका घबरा गई । उसने आंखें बंद की और आगे कदम बढ़ाने लगी । कांच उसके पांव में चुभा तो शिविका की आह निकल गई ।


संयम के चेहरे पर कोई भाव नहीं आए । शिविका आगे चलती रही । फ्लोर पर उसके पांव से खून निकलने लगा । उसे दर्द हो रहा था । उसकी आंखों में आंसू बहनेे लगे थे ।


उसके पांव में भी कुछ कांच चुभा हुआ था । जब शिविका उन टुकड़ों पर चल ली तो संयम के चेहरे पर evil smile आ गई ।


संयम ने चुटकी बजाई तो सर्वेंट्स जल्दी से किचन में आ गए । संयम शिविका के पास गया और उसके बालों को कान के पीछे करते हुए बोला " मैडम को चोट लगी है... स्पेशल मरीजों के लिए सूप तैयार करो..... । " बोलकर उसने शिविका को अपनी गोद में उठा लिया और किचन से बाहर निकल गया ।


शिविका डरी हुई सी उसे देखने लगी । उसकी आंखों में नफरत भी दिखाई दे रही थी ।


संयम ने ऑर्डर देते हुए सख्त लहजे में कहा " Don't stare at me... " ।


शिविका ने जल्दी से नजरें फेर ली.. ।


संयम उसे एक रूम में ले गया जो किसी डॉक्टर से केबिन जैसा लग रहा था । संयम ने उसे एक चेयर पर बैठाया ही था कि इतने में एक अधेड़ उम्र का आदमी जल्दी से वहां आ गया ।


संयम पास ही में रखी बड़ी सी चेयर पर बैठते हुए बोला " एक भी कांच का पीस पैर में नहीं रहना चाहिए.... " बोलते हुए संयम टेबल पर रखा पेपर वेट घुमाने लगा ।


डॉक्टर इनेस्थेसिया का इंजेक्शन देने लगा तो संयम ने मना करते हुए कहा " इसकी कोई जरूरत नहीं है.... । बिना इसको लगाए कांच निकालो... " ।


डॉक्टर ने इंजेक्शन वापिस रख दिया ।


शिविका घबराई हुई सी कभी संयम तो कभी डॉक्टर को देखने लगी । बिना इनेस्थेसिया के सुन्न किए कोई कैसे इतने दर्द में कांच को बाहर निकलवा सकता है ।


डॉक्टर ने कांच निकालने के लिए इक्विपमेंट निकाला और शिविका के पांव ने कांच निकालने लगा ।


जैसे ही डॉक्टर ने एक पीस बाहर निकाला तो शिविका ने कसकर चेयर की arm को पकड़ लिया । अपनी आंखें बंद कर ली और निचले होंठ को दांतों से कसकर दबा लिया ।


संयम आंखें बंद किए बैठा था । वो शिविका के चीखने का इंतजार कर रहा था । लेकिन शिविका की चीख उसे नहीं सुनाई दी.... ।


संयम ने झटके के साथ आंखें खोल दी और सामने को देखने लगा । डॉक्टर बोहोत आराम से और प्यार से कांच निकाल रहा था ।


संयम ने आकार उससे इक्विपमेंट ले लिया और बोला " जिस इलाज में दर्द ना हो... उसका मजा नहीं आता डॉक्टर... " । बोलते हुए संयम ने झटके के साथ एक पीस उसके पांव से बाहर निकाला ।


" आह.... " शिविका जोर से चीख दी.... । संयम ने एक evil स्माइल पास कर दी... ।


" Do like this... " बोलते हुए संयम ने डॉक्टर को इक्विपमेंट दे दिया.... ।


और फिर से कुर्सी पर आंखें बंद किए बैठ गया ।


शिविका ने संयम को देखा और फिर जल्दी से डॉक्टर का इमेस्थेसिया वाला इंजेक्शन उठा लिया ।


और खुद ही अपने पैर में लगा लिया । शिविका एक medical student थी तो उसे injections लगाना आता था... ।


डॉक्टर हैरानी से आंखें फाड़े उसे देखने लगा । कुछ सेकेंड्स में उसका असर शुरू हो गया । शिविका जोर जोर से चिल्लाने लगी और रोने लगी । संयम बंद आंखों से तिरछा मुस्कुरा दिया ।


डॉक्टर नेेेे शिविका की नौटंकी देखी और फिर जल्दी से सभी टुकड़े निकाल दिए ।




शिविका बोहोत जोर से चिल्लाए जा रही थी ।

डॉक्टर को कंपन सी होने लगी थी... और पसीना आ रहा था ।


कुछ देर बाद पट्टी करने के बाद डॉक्टर बोला " हो गया SK... " ।


संयम उठा और शिविका को गोद में उठाए हुए बाहर निकल गया ।


डॉक्टर को अभी भी पसीना आ रहा था । ना जाने उसे क्यों कुछ सही नहीं लग रहा था ।




°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°