सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 7 Tripti Singh द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 7

त्रिवेणी का फोन एक बार फिर बज उठा जब उसने देखा तो उस पर "बुआ जी" फ्लैश हो रहा था.......जिसे देख उसके चेहरे पर
थोड़ी राहत आ गई और उसने झट से फोन उठा लिया..........


ह......हैलो.....बुआ जी........ बुआ जी वो आप........आप जल्दी ही सिटी हॉस्पिटल आ जाइए।" त्रिवेणी ने फोन उठाते ही एक साँस में थोड़ा कांपते हुए स्वर में कहा। "


क्या......ये क्या बोल रहीं हो बहु होश में तो हो..........अस्पताल क्यों आने को कह रहीं हो.......क.....को..... कोई बात है क्या बहु " त्रिवेणी की बात सुनते ही उन्होंने थोड़ी सख्ती से कहा.... लेकिन त्रिवेणी की रोने की आवाज सुन अचानक ही उनके स्वर आखिरी मे लड़खड़ा गए और उन्हें किसी अनहोनी की आशंका ने घेर लिया ।


न........न जाने क्या बात है बुआ जी.........किसी का फोन आया था और.... और उसने कहा कि मैं सिटी हॉस्पिटल आ जाऊँ.......दो बार फोन आ चुका है........और उसने जल्द से जल्द पहुंचने को कहा..........इसबार त्रिवेणी ने खुद को काफी हद तक सम्हालते हुए कहा। "


बहू तुम्हारी लल्ला से तो............ बात...........बात हुई न ........उसे पता है कि .........त.......तुम......अस्पताल जा रही हो।" अचानक ही उन्हें शिवराज जी का ख्याल आया और उन्होंने घबराते हुए पूछा.......इस वक्त उन्हें कितना डर कितनी घबराहट हो रही थी ये वह कह नहीं पा रहीं थीं।



न.....नहीं.... बुआ जी मैं कब से उन्हें फोन लगाने की कोशिश......... कोशिश कर रहीं हूँ.............. लेकिन उनका फोन ही नहीं लग रहा है। त्रिवेणी ने रोते हुए कहा।


ठीक है अब तुम रोना बंद करो और खुद को शांत करो.....अब कुछ भी गलत नहीं सोचना है....... और मैं बहुत जल्दी ही अस्पताल पहुंचती हूं। " इस बार उन्होंने खुद को मजबूत करते हुए बहुत सख्ती से कहा।
जी.......बुआ जी आप जल्दी आ जाइए।" त्रिवेणी ने कहा।



कुछ देर बाद.......


हॉस्पिटल बुआ जी के घर से नजदीक था इसीलिए वो जल्दी पहुच गई थी।

बुआ जी जैसे ही हॉस्पिटल के अंदर जाने को हुई तब तक त्रिवेणी भी आ चुकी थी।
वो तो आते ही बुआ की के गले से लग गई। बुआ जी ने उसे शांत किया और भारी कदमों से दोनों अंदर चली गई।
जैसे जैसे वह दोनों हॉस्पिटल के अंदर की ओर बढ़ रहीं थीं वैसे ही उन दोनों के मन मे आशंकाओं के बादल घिरते जा रहे थे।



कुछ मिनटों बाद वह दोनों एक वार्ड के सामने खड़ी थी और अंदर जाने के लिए घबरा रहीं थीं।
क्योंकि उन दोनों को अब तक किसी ने ये नहीं बताया था कि वार्ड के अंदर कौन है।


बुआ जी ने हिम्मत कर दरवाजे को खोल जैसे ही दोनों आगे बढ़ी और नजर बेड पर लेटे इंसान पर गई तो एकदम से ही दोनों लड़खड़ा गई आँखों से झरझर आंसू बह निकले।.......

आखिर ऐसा क्या देख लिया बुआ जी और त्रिवेणी ने?

आखिर हॉस्पिटल में कौन मौजूद हैं?

और शिवराज जी कहाँ हैं।


अगर कहानी पसंद आए तो रेटिंग जरूर दीजियेगा।


इस भाग में कोई भूल हुई तो माफी चाहूँगी। और लिखने मे कुछ गलती हुई तो जरूर बताइयेगा मैं सुधार करने की पूरी कोशिश करुँगी। 🙏🥰

मिलते हैं अगले भाग में।