सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 8 Tripti Singh द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 8

बुआ जी ने हिम्मत कर दरवाजे को खोला और जैसे ही दोनों आगे बढ़ी और नजर बेड पर लेटे इंसान पर गई तो एकदम से ही दोनों लड़खड़ा गई और आँखों से झरझर आंसू बह निकले।



क्योंकि बेड पर मशीनों से घिरे शिवराज जी बेहोश लेटे थे, मुँह पर ऑक्सीजन मास्क लगा था और सिर पर पट्टी बंधी हुई थी, और चेहरे, हाथों पर चोटों के निशान थे! उन्हें ऐसे चोटिल और बेहोश अवस्था देख वो दोनों ही स्तब्ध रह गई।
उन दोनों की ही सोचने समझने की स्थिति जैसी खत्म हो गई थी, उनकी आँखों से आंसू लगातार बहते जा रहे थे लेकिन वो दोनों बदहवास सी खड़ी थी।



तभी अचानक से उन दोनों के कानों में किसी के रोने की आवाज पड़ी तब जा कर उन्हें होश आया हो जैसे।
ये आवाज अखंड की थी जिसे त्रिवेणी हॉस्पिटल के अंदर आते वक्त ड्राईवर को सम्हाले को दिया था पर जब अखंड रोने लगा तो वह ड्राईवर उसे अंदर त्रिवेणी के पास ले आया, लेकिन अंदर का नजारा देख तो उसके होश ही उड़ गए।



अखंड को रोते देख त्रिवेणी ने उसे आगे बढ़ अपनी गोद में ले लिया, पर अखंड को जैसे ही त्रिवेणी का एहसास हुआ उसने तुरन्त ही रोना बंद कर दिया, और अपनी छोटी सी मुट्ठी में त्रिवेणी के आँचल को भर लिया और अपनी टिमटिमाई आँखों से त्रिवेणी के चेहरे को देखने लगा, अखंड को इस तरह से अपनी ओर देखता देख त्रिवेणी की आखों से फिर आंसू बह निकले जो कुछ मिनट पहले अखंड को देखते हुए थोड़े थम गए थे।
और इसी के साथ उसका ध्यान फिर से शिवराज जी पर चला गया जिन्हें बुआ जी उठाने की लगातार कोशिश कर रही थी, लेकिन बेहोशी के कारण उनके शरीर में कोई हलचल नहीं थी सिवाय धीमी सांसो के।



उन्हें ऐसे देख त्रिवेणी ने आगे बढ़ उन्हें आवाज लगाने लगी लेकिन सभी की कोशिशें नाकाम रही और शिवराज की तरफ से अब भी कोई हलचल ना थी। जिसे देख वह दोनों ही बहुत ज्यादा घबरा गई और डॉक्टर को आवाज देने ही वाली थी कि तभी एक नर्स अंदर आई जिसे देख बुआ जी ने उससे पूछा कि शिवराज जी उठ क्यों नहीं रहे हैं तो उसने उन्हें पहले वार्ड से बाहर आने को कहा।


वार्ड के बाहर वह नर्स, एक डॉक्टर , बुआ जी और त्रिवेणी चारो ही खड़े थे, और वह दोनों ही डॉक्टर के बोलने का इंतजार कर रही थी।



"देखिए उनका खून बहुत बह चुका था जिसके कारण उन्हें खून चढ़ाया गया है, पर उनके बचने की उम्मीद बहुत कम है, अब तो होश आने के बाद ही हम कुछ कह सकते हैं" डॉक्टर ने कहा।



"उन्हें......उन्हें होश....कब....कब तक.......आ.....आएगा.... प्लीज.....बताइए......डॉ......डॉक्टर साहब" त्रिवेणी ने डॉक्टर की बात खत्म होते ही अटकते हुए कहा।



कोई भी गलती हुई हो तो मुझे माफ कीजिएगा ...🙏🥰

कहानी के भाग बहुत दिन बाद प्रकाशित हुए हैं ये सही नहीं था, लेकिन मैं कुछ महीनों से बहुत ज्यादा व्यस्त थी इसीलिए रेगुलर नहीं रह पाई लेकिन अब पूरी कोशिश रहेगी रेगुलर रहने की।

भाग पसंद आए तो रेटिंग अवश्य दीजिएगा।