हीर... - 26 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हीर... - 26

=="अंकिता तुम मेरा फोन नहीं उठाती हो, मैसेज का रिप्लाई भी नहीं करती हो.. क्या हुआ क्या है, अरे अभी तीन महीने पहले तो तुमसे मिलकर आया था.. तब तक तो सब ठीक था फिर इन तीन महीनों में ही अचानक से ऐसा क्या हो गया जो तुम ये सब कर रही हो, मुझे मेरी वो गलती तो बता दो जिसकी सजा तुम मुझे दे रही हो!!" राजीव ने लगभग गिड़गिड़ाते हुये अंकिता से कहा... 

अंकिता ने बड़े कैजुयली जवाब दिया "गलती तुम्हारी नहीं राजीव.. गलती हमारी है जो नादानी में हमने तुमसे दोस्ती कर ली, तुम खुद अपने आप को देखो और हमें देखो... अगर तुम हमारे साथ कॉलेज में ना होते तो हम तुम जैसे लड़के से दोस्ती करना तो दूर.. कभी बात भी नहीं करते!!"

"तुम्हें होश भी है कि तुम क्या बोल रही हो... मेरे जैसे लड़के का क्या मतलब है और दोस्ती का क्या मतलब है... हमारे बीच में सिर्फ दोस्ती थी? वो प्यार वो वादे.. वो सब क्या था? तुम भी तो मुझसे प्यार करती हो ना??" राजीव थोड़ा तैश में आकर बोला... 

अंकिता भी थोड़ी तेज़ आवाज़ में बोली "शक्ल देखी है अपनी... चारकोल जैसी, प्यार.. हुंह!! तुम किसी भी तरह से हमारे लायक नहीं हो, तुम चारू के साथ ही रहो... हमारा पीछा छोड़ दो, हम किसी भी कीमत पर तुम्हें नहीं मिलेंगे"

" तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या.. वो दोस्त है मेरी, तू जानती है ना मैं कैसा हूं... मेरा दिमाग मत घुमाना समझ गयी और अगर इतना ही बुरा था मैें तो जब मैं वहां आया था तब सांई मंदिर के जलते हवनकुंड के चारों तरफ़ मेरा हाथ पकड़कर सात फेरे क्यों लिये थे तूने!!" राजीव ने गुस्से में खीजते हुये कहा...

" कौन से फेरे कैसे फेरे... क्या सबूत है तेरे पास और अगर लिये भी थे तो क्या हमारी शादी हो गयी, हाह... ऐसे अगर शादियां होने लगें तो हर कोई ऐसे ही शादी कर ले, तुझे जो करना है तू कर लेकिन हमसे दूर रहना, चल अभी फोन रख.. तंग करके रखा हुआ है कब से और हां.. एक फीमेल फ्रेंड को कोई अपने बेडरूम में नहीं लिटाता समझा!!" अंकिता ने बड़ी बेरुखी से राजीव की बात का जवाब देते हुये फोन काट दिया........... 

राजीव गुस्से में दांत भींचकर हैलो हैलो करता रहा लेकिन अंकिता ने उसकी एक ना सुनी, चारू के लिये ऐसी बात सुनकर राजीव उस दिन बहुत तिलमिला गया था...==

आज अपने घर के बाहर खड़े होकर गिल्ट महसूस करते हुये अंकिता की उस बेरुखी का पूरा सीन आवाज़ सहित उसके ज़हन में जैसे घूम सा गया था, अंकिता की ये बात याद करते हुये राजीव मन ही मन बहुत दुखी हो गया और ये सोचते हुये उसकी आंखों में आंसू आ गये कि "कितने सारे सपने संजोये थे मैंने अंकिता के साथ और इस लड़की ने इतना बड़ा धोखा देने से पहले एक बार भी नहीं सोचा, मम्मी पापा ने कितना ग्रेसफुली एक्सेप्ट कर लिया था उसे लेकिन उसने सब खराब कर दिया... अंकिता आज तुम्हारी वजह से सिर्फ तुम्हारी वजह से मुझे ये दिन देखना पड़ रहा है कि मैं अपने मम्मी पापा से नजरें मिलाने तक की हिम्मत नहीं कर पा रहा हूं, तुमने मुझे बहुत गंदा कर दिया है... इतना गंदा कि अब तो मुझे खुद से घिन आ रही है!!"

राजीव ये सब बातें सोचते हुये दुखी और परेशान हो ही रहा था कि तभी "अरे बउवा का सोचि रहे हो बाहर ठाड़े ठाड़े... दरवज्जा नहीं खुल रहा का!!" कहती हुयी एक आवाज सुनकर उसका ध्यान अंकिता की तरफ़ से हट गया और जब उसने सिर उठाकर देखा तो सामने उसके घर में दूध देने वाला दूधिया खड़ा था....

राजीव का मन भारी था लेकिन उसने फिर भी उदास और थके चेहरे से मुस्कुराते हुये उस दूध वाले से कहा- अरे चच्चा प्रणाम!! अउर का हालचाल... भंइसिया वंइसियां सब मजे में?

राजीव की बात सुनकर उसका दूधवाला जोर से हंसा और बोला- अरे सब एकदम टनाटन!! चलओ दरवज्जा खुलवाइत है अभइने...

"रुको रुको मैं खुलवाता हूं!!" राजीव ने कहा और अपने घर की डोरबेल बजा दी...

डोरबेल बजने के करीब दो तीन मिनट बाद.. अवध औंघते हुये दूध का भगोना लेकर बाहर आ गये और जब दूधवाले के साथ बाहर राजीव को उन्होंने खड़ा देखा तो "अरे राजीव... बेटा तू कब में आ गया!!" कहते हुये एकदम से खुश हो गये... 

दूधवाले के सामने तो अवध ने जादा कुछ नहीं कहा लेकिन दूध लेकर अंदर आने के बाद जब उन्होंने मेनगेट बंद किया तब वो राजीव की बांह पकड़ते हुये उसे अपने करीब लाये और एकटक उसे देखते देखते भावुक हो गये और उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुये अपने भरे गले से बोले- तू हम दोनों की सबसे बड़ी ताकत है बेटा...

रात से परेशान अवध का गला इतना भारी हो गया कि वो बस.. इतना ही कह पाये, इसके आगे कुछ नहीं!!

"पापा मुझसे गलती हो गयी, I promise... अब कभी मैं ऐसे कमजोर नहीं पड़ूंगा!!" कहते हुये राजीव खुद भी बहुत इमोशनल हो गया और अवध के सीने से लग गया...

थोड़ी देर तक राजीव को अपने सीने से लगाकर अवध बार बार अपना गला खखारते हुये इमोशनल होते रहे, उसके बाद खुद को संभालते हुये उन्होंने कहा- बेटा.. अपनी मम्मा के सामने कमजोर मत पड़ना वरना अगर उन्होंने तेरी आंखें में आंसू देख लिये तो वो अब भी कुछ नहीं खा पायेंगी!!

अवध की ये बात सुनकर राजीव चौंकते हुये बोला- अब भी मतलब?

अवध ने कहा- कल शाम से कुछ खाना तो दूर उन्होंने पानी तक नहीं पिया है!!

अवध की ये बात सुनकर गिल्ट की आग में पहले से ही जल रहा राजीव एकदम स्तब्ध रह गया था इतना स्तब्ध कि उसके कान तक गर्म होने लगे थे...

क्रमशः