हीर... - 3 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हीर... - 3

अक्सर कई शायरों को कई महफ़िलों में कहते सुना है कि अगर एक मर्द के दिल को कोई बात दुख पंहुचा जाये तब वो अंदर ही अंदर घुटता रहता है और सब कुछ सहता रहता है.. उसकी आंखों में आंसू ज़रूर आते हैं लेकिन वो उन्हें बाहर आने से पहले ही अपनी आंखों में सोख लेता है पर कभी रोता नहीं है और अगर वो रोने लगे तब समझ लेना चाहिये कि अब बात इतनी जादा बड़ी हो चुकी है कि उस बात को सहना अब उसके बस का नहीं रहा... समझ लेना चाहिये कि अब उस मर्द के दिल का दर्द उसकी सहनशक्ति की सीमा को लांघ चुका है शायद यही हो रहा था राजीव के साथ और शायद इसीलिये उसने शराब से दोस्ती कर ली थी ताकि उसका साथ पाकर वो कम से कम रो तो सके और रोने के बाद... जादा नहीं पर कुछ देर के लिये ही सही अंकिता से मिले दुख से बाहर तो आ सके...

राजीव का फोन लगातार बजे जा रहा था.. कभी उसके फोन पर उसकी मम्मी मधु सक्सेना का कॉल आता तो कभी किसी चारू कुलश्रेष्ठ का लेकिन वो फोन रिसीव करता भी तो कैसे.. वो तो शराब के नशे में धुत्त होने के बाद जमीन पर बेहोश होकर गिरा पड़ा था इस बात से बिल्कुल अन्जान कि अंकिता के अलावा भी उसकी लाइफ़ में कुछ लोग थे जिन्हें उसकी हद से जादा फिक्र हो रही थी... इतनी जादा कि उसके फोन रिसीव ना करने की वजह से उनका दिल बहुत घबराने लगा था!!

इधर दूसरी तरफ़ कानपुर में राजीव को फोन कर करके थक चुकीं और उसकी चिंता में हद से जादा परेशान हो चुकीं मधु सक्सेना ने अपने रुंधे हुये गले से राजीव के पापा अवध सक्सेना से खीजते हुये कहा- मैं पहले से ही राजीव और अंकिता के रिश्ते के खिलाफ़ थी लेकिन आपने मेरी एक नहीं सुनी और राजीव को सपोर्ट करते रहे... देख लीजिये उसने हमारे बेटे का क्या हाल कर दिया है!!

राजीव की चिंता में खिसिया रहीं मधु दो मिनट तक बेचैन सी होकर कमरे में इधर उधर घूमने के बाद.. आंखों में राजीव की चिंता के आंसू लेकर कुर्सी पर बैठे अवध के पैरों के सामने जमीन पर घुटनों के बल बैठकर बोलीं- मुझे दिल्ली ले चलिये प्लीज, मुझे पता नहीं क्यों महसूस हो रहा है कि राजीव और अंकिता का फिर से कोई झगड़ा हुआ है जिसकी वजह से राजीव अपसेट है और इसीलिये वो फोन रिसीव नहीं कर रहा है.. सुनिये जी मेरा बेटा तकलीफ़ में है, मुझे महसूस हो रहा है कि वो तकलीफ़ में है.. प्लीज दिल्ली चलिये!!

मधु की खिसियाते हुये कही गयी ये बात सुनकर अवध ने उन्हें समझाते हुये कहा- इतनी जल्दी तुम क्यों इतना सब सोच रही हो हम्म्... तुम चिंता मत करो मधु मैं चारू को कॉल करके पूछता हूं शायद उसकी कोई बात हुयी हो राजीव से..!!

मधु को ये बात समझाने के बाद अवध ने चारू को फोन लगा दिया, चारू के फोन रिसीव करने पर अवध ने कहा- चारू बेटा... राजीव से तुम्हारी कोई बात हुयी है क्या सुबह से?

चारू जो खुद राजीव को लगातार फोन कर रही थी और उसके फोन ना रिसीव करने की वजह से खुद भी बहुत परेशान थी.. उसे अवध के इस सवाल के पीछे छुपी उनकी चिंता को समझने में जरा सी भी देर नहीं लगी और उसने कहा- अम् हां जी पापा जी... मेरी बात.. बात हुयी है ना, अम्म् सुबह राजीव ने किसी अननोन नंबर से कॉल करी थी मुझे!!

चारू की बात सुनकर अवध थोड़ा हैरान होते हुये बोले- अननोन नंबर से क्यों?

चारू ने कहा- अम्म् वो असल में पापा जी.. वो उसका फोन कहीं गिर गया है और वो रोज़ सुबह मुझे एक बार कॉल ज़रूर करता है ना इसलिये कहीं उसका फोन ना आने पर मैं परेशान ना हो जाऊं इसीलिये उसने मुझे अपने किसी दोस्त के मोबाइल से कॉल करके ये बात बतायी थी, वो कह रहा था कि रात तक फोन नहीं मिला तो नया फोन ले लेगा और तब आप लोगों को कॉल करेगा!!

चारू की बात सुनकर अवध ने मधु की तरफ़ देखकर मुस्कुराते हुये राहत की सांस ली और फिर चारू से बोले- अच्छा ठीक है बेटा, हमेशा की तरह इस बार भी तुमसे बात करने के बाद ही हमें सुकून मिला... हमेशा खुश रहो बेटा और ऐसे ही खुशियां बांटती रहो, तुम्हारे मम्मी पापा कैसे हैं?

चारू ने कहा- जी वो ठीक हैं, अच्छा पापा जी मेरी बात मॉम से करवा दीजिये....

इसके बाद चारू ने मधु को भी जब ये बात बतायी तो मधु की टेंशन भी कम हो गयी और उनके मन को भी बहुत शांति मिली...

चारू ने अवध और मधु के मन को तो सुकून दे दिया था लेकिन...

मधु से बात करके फोन काटने के बाद चारू ने खिसियाते हुये अपने पापा अजय कुलश्रेष्ठ से कहा- पापा... मैंने मॉम और पापा जी को तो झूट बोल दिया लेकिन मुझे राजीव की बहुत चिंता हो रही है, पापा हो ना हो राजीव किसी मुसीबत में है मुझे दिल्ली जाना होगा... मुझे अभी के अभी राजीव के पास जाना होगा पापा!!

क्रमशः