साथिया - 139 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 139



एक महीने बाद*

अक्षत कोर्ट जाने के लिए तैयार हो रहा था और  साँझ अलमारी से निकाल निकाल कर उसका सामान बेड पर रख रही थी। 

"साँझ मेरा  हैंकि  दे दो प्लीज।"अक्षत ने कहा तो सांझ ने  हैंकि  निकाल कर रखा। 

"आप रेडी होकर आ जाइए  जज साहब मैं आपका नाश्ता  लगाती हूं तब तक।" सांझ  बोली और दरवाजे की तरह  बढ़ने लगी कि अचानक से उसे चक्कर आ गया पर इससे पहले कि वह गिरती अक्षत ने उसे थाम लिया और जल्दी से बिस्तर पर लेटाया


सांझ  के चेहरे पर पसीने की बूंदे आ गई  थी


अक्षत ने अपने तुरंत फैमिली डॉक्टर को कॉल किया और थोड़ी भी देर में डॉक्टर आ गई


" लगता है बीपी हाई हो गया है। आप एक कम कीजिए क्लिनिक लेकर चलिए टेस्ट कर लेती हूं प्रॉपर। यहां पर ठीक से टेस्ट नहीं हो पाएंगे।" डॉक्टर ने कहा तो अक्षत साधना और अरविंद के साथ सांझ को लेकर उसके क्लीनिक पर  आ गए। 

डॉक्टर ने पूरा चेकअप किया और उसके बाद अक्षत अरविंद और साधना के पास  अ कर  में बैठ गई


" जी डॉक्टर साहब कहिए कैसी है मेरी वाइफ?"अक्षत  ने बेचनी  से कहा। 

डॉक्टर ने गहरी सांस ली और अक्षत की तरफ देखा। 

" वह ठीक है पर आपको उनका ज्यादा ख्याल रखना होगा..। और वैसे ही उस  एक्सीडेंट के बाद उनकी कंडीशन क्रिटिकल थी। आप जानते हैं इस बात को। अगर प्रेगनेंसी में कोई भी कॉम्प्लिकेशंस नहीं चाहते तो उन्हें कंपलीट  रेस्ट  पर रहना होगा और आप लोगों को उनका ख्याल रखना होगा"  डॉक्टर ने कहा तो सब लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ-साथ चिंता भी आ गई। 

"अगर   सांझ की लाइफ के साथ कोई रिस्क है तो मुझे यह बच्चा नहीं चाहिए।" अक्षत ने  एकदम से कहा कि तभी  साँझ  वहां  आई। 

सांझ  के कदम रुक गए  गए। 

"ऐसा कुछ भी नहीं है कि उनकी लाइफ के साथ कोई  रिस्क है।  कॉम्प्लिकेशन  है पर  उनकी लाइफ के लिए कोई रिस्क नहीं है। अगर प्रॉपर रेस्ट नहीं हुई तो हो सकता है मिसकैरेज का खतरा रहे। आप समझते हैं मिस्टर चतुर्वेदी  आपका पूरा केस मेरे पास है। मैं मिसेज चतुर्वेदी  का पिछले एक  साल से इलाज कर रही हूं आपके कहने पर। और साथ ही साथ उनके पुराने डॉक्टर के साथ भी टच में हूं। उनकी बॉडी वीक है तो थोड़ा सा तो रिस्क है बाकी ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको डीएनसी करने के बारे में सोचना पड़े।" डॉक्टर ने  कहा। 

"जी डॉक्टर अक्षत ने कहा तो डॉक्टर ने मेडिसिन लिख दी और उसके बाद  सांझ  को लेकर वो लोग  घर आ गए। 

सांझ  एकदम से खामोश  थी। किसी से बात नहीं कर रही थी। घर आकर भी उसने किसी से बात नहीं की और अपने रूम की तरफ जाने लगी। 

"साँझ  रुको मैं लेकर चलता हूं।"अक्षत ने कहा तो  साँझ ने  एक नजर अक्षत को देखा और फिर सीढ़ियां चढ़कर अपने रूम में चली गई। 

अक्षत को उसका बिहेवियर अजीब लगा तो उसके पीछे-पीछे आया। 

"क्या हुआ  सांझ  मैंने कहा था ना मैं लेकर आता हूं। तुम्हें रेस्ट की जरूरत है फिर क्यों  सीढियाँ  चढ़कर आई तुम..??" अक्षत ने कहा पर  सांझ ने  कोई जवाब नहीं दिया। 

अक्षत  उसके पास बैठा और उसका हाथ अपने हाथों में थाम लिया। 

"तो फाइनली तुम्हारा सपना पूरा होने वाला है..!! हमारा बच्चा आने वाला है। अब तो खुश हो ना?"अक्षत बोला तो  सांझ  ने भरी आंखों से उसे देखा। 

"क्या  हुआ?? कुछ बात है क्या साँझ? अक्षत ने कहा। 

"आप नहीं चाहते कि हमारा  बेबी  आए ?" साँझ  बोली तो अक्षत ने आंखें छोटी कर उसकी तरफ देखा


" कैसी बातें कर रही हो  सांझ??" 


"मैंने सुना अपने कानों से..!! आप कह रहे थे कि अगर मेरी लाइफ के साथ रिस्क होगा तो आप..??" कहते-कहते  सांझ  रुक गई और आंसू निकलने लगे। 

अक्षत ने उसे अपने सीने से लगा लिया। 


"तुमसे बढ़कर मेरे लिए कोई भी नहीं है सांझ कुछ भी नहीं।  बेबी भी नही समझी तुम..!! अगर तुम्हारी लाइफ के साथ कोई भी रिस्क होगा तो  ऐसी कुछ भी चीज में बिल्कुल भी नहीं होने दूंगा।" 


"पर मुझे यह बच्चा चाहिए  जज साहब। "


"तो मैंने कब मना किया? मैंने डॉक्टर से पूछा ना? मैंने सिर्फ इतना कहा था कि अगर तुम्हारी  लाइफ के साथ कोई रिस्क है तो..!!!" अक्षत ने समझाया



"फिर भी मुझे चाहिए  जज साहब..!! आप समझते क्यों नहीं है?"  सांझ ने  कहा तो अक्षत ने  मुस्कुरा कर उसके चेहरे को थाम लिया। 

"मैं सब समझ गया ..!! अब अगर चाहिए तो तुम्हें मेरे हिसाब से चलना होगा। सुना तुमने डॉक्टर ने क्या-क्या कहा ??" अक्षत बोला तो  सांझ ने गर्दन हिला दी। 

"आज ही के आज के हम नीचे  रूम  में  शिफ्ट हो रहे है। अब से हम नीचे के रूम में जाकर रहेंगे और तुम बिल्कुल भी काम नहीं करोगी। कहीं भी आओगे जाओगी।  पूरा रेस्ट करोगी समझी?"  अक्षत ने कहा तो सांझ ने  फिर से  गर्दन हिला दी। 

उसी के साथ उसने अपना और  सांझ  का जरूरी सामान सर्वेंट के साथ मिलकर नीचे के रूम में शिफ्ट कर लिया ताकि सांझ  को बार-बार सीढियां चढ़ना उतरना ना करना पड़े।  वह समझ रहा था सांझ  का बच्चे  के लिए कंसर्न और साथ ही साथ उसकी टेंशन भी ।  और साथ ही साथ वह यह भी नहीं  चाहता  था कि सांझ की लाइफ के साथ कोई  भी कॉम्प्लिकेशन आये  क्योंकि अगर  कॉम्प्लिकेशन आते हैं तो शायद अगली बार प्रेगनेंसी और भी मुश्किल हो जाए। वैसे भी एक  साल के लगातार ट्रीटमेंट के बाद  सांझ कांसीव   कर पाई थी। उस एक्सीडेंट ने बहुत कुछ बदला था  सांझ  की जिंदगी में। 

हालांकि  बाहरी तौर पर वह ठीक हो गई थी पर कुछ बदलाव अंदरूनी भी आए थे। जिन्हें ठीक होने में समय लगा था और  यही कारण था कि अक्षत ने अब तक प्रेगनेंसी प्लान नहीं की थी क्योंकि वह नहीं चाहता था की सांझ  के कमजोर शरीर के साथ कुछ भी ऐसा रिस्क लिया जाए जो कि आगे जाकर सांझ  को तकलीफ दे। 


सांझ कम्प्लीट बेड रेस्ट पर थी। 


अबीर और मालिनी भी लगभग हर दूसरे दिन सांझ  से मिलने आते थे क्योंकि अब सांझ  का उनके घर आना जाना बंद हो गया था। 
सांझ पूरी तरीके से बेड  पर थी और अक्षत साधना अरविंद शालू  ईशान  सब उसका पूरा पूरा ख्याल रख रहे थे। 

धीरे-धीरे समय निकल रहा था और उसी के साथ बढ़ रहा था सांझ  की प्रेगनेंसी का  समय  और उससे संबंधित तकलीफें  भी पर इन सब के बावजूद भी  सांझ खुश थी क्योंकि उसके और  उसके जज साहब  का  अंश इस दुनिया में आने वाला था। 


क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव