दस दिन के खूबसूरत ट्रिप के बाद अक्षत सांझ ईशान और शालू वापस घर आ गए। घर वालों ने दोनों और दोनों जोड़ों का खूबसूरती से स्वागत किया और उसके बाद सब अपने-अपने काम में लग गए।
शालू ने ईशान के साथ ऑफिस ज्वाइन कर लिया तो वहीं अक्षत ने वापस से कोर्ट जाना शुरू कर दिया वैसे ही उसकी इस दौरान बीच-बीच में काफी लंबी छुट्टियां हुई थी।
अक्षत चाहता था कि सांझ भी हॉस्पिटल ज्वाइन कर ले पर अभी साँझ नहीं चाहती थी। हमेशा से परिवार से अलग रही थी।
अनाथों की तरह रही थी तो उसे परिवार का प्यार मिल रहा था और वह इस समस्या सिर्फ उस प्यार को महसूस करना चाहती थी। कभी साधना और अरविंद के पास तो कभी अबीर और मालिनी के पास उसका सारा समय निकल जाता था और उसने अभी हॉस्पिटल ना ज्वाइन करने का डिसाइड किया।
देखते ही देखते एक साल का समय निकल गया और उसी के साथ नील और मनु के घर में खुशखबरी आई।
मनु ने एक खूबसूरत बेटी को जन्म दिया जिसका नाम नीलाक्षी रखा गया।
मनु नील सुजाता और दिवाकर को तो मानों दुनिया जहां की खुशियां मिल गई थी। सुजाता और मनु का पूरा टाइम अब नीलाक्षी को संभालने में ही निकल जाता था तो वही नील अपने पापा के साथ बिजनेस संभाल रहा था। साथ ही साथ जब भी कोई अच्छा केस मिलता तो बीच-बीच में वह वकालत भी कर लेता था आखिर उसका पहला प्यार तो वकालत ही थी।
नीलाक्षी के जन्म के तीन महीने बाद आज शालू की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी तो साधना ने डॉक्टर को घर पर ही बुलाया।
डॉक्टर ने चेकअप किया और उसके बाद साधना की तरफ देखा।
बाकी सब लोग भी सांस रोक वही कमरे में खड़े हुए थे।
"'बधाई हो मिसेज चतुर्वेदी आप दादी बनने वाली है।" डॉक्टर ने जैसे ही कहा साधना के साथ बाकी सब के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई तो वही ईशान तुरंत शालू के पास आया और उसे उठाकर अपने गले लगा दिया।
"थैंक यू सो मच..!!" ईशान बोला तो शालू ने आंखें बड़ी कर रूम में खड़े बाकी लोगों को देखा।
ईशान के इस उतावलेपन को देख सब लोग खिलखिलाकर हंस उठे तो ईशान को समझ आया और वह शालू से दूर हो गया।
"हां तो हंसने की क्या बात है?? पापा बनने वाला हूं एक्साइटमेंट में थोड़ी बहुत गलतियां हो जाती है ना इंसान से।" ईशान बोला और फिर डॉक्टर की तरफ देखा।
"डॉक्टर कोई रिस्क तो नहीं है?"
"नहीं चतुर्वेदी जी..। मुझे तो अभी कुछ नहीं लग रहा है पर फिर भी आप आकर क्लीनिक में चेकअप करा लीजिए। कुछ टेस्ट भी होंगे वह मैं करवा दूंगी और एक छोटा सा अल्ट्रासाउंड भी होगा तो सारी चीज क्लियर हो जाए" डॉक्टर ने सारी बातें को समझाया और फिर चली गई।
अगले दिन ईशान शालू को लेकर क्लिनिक गया तो डॉक्टर ने सारे टेस्ट करें और अल्ट्रासाउंड करके कंफर्म कर दिया कि शालू जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली है।
शालू की प्रेग्नेन्सी के बाद अब सांझ की भी इच्छा थी की उसके घर भी किलकारी गूंजे पर अक्षत अक्सर उसे टाल जाता।
समय अपनी रफ्तार से बढ़ रहा था और कुछ महीनो का समय निकला और उसके बाद शालू ने जुड़वा बच्चों का को जन्म दिया।
पूरे परिवार ने मिलकर खुशी-खुशी बच्चों के का नामकरण किया।
बेटे का नाम समन्यु रखा गया तो वही बेटी का नाम ईशानी रखा गया।
साँझ बच्चों को अपनी गोद में लिए खिला रही थी कि तभी शालु ने उसके कंधे पर हाथ रखा तो सांझ ने उसे देखा।
"अब तुम और तुम्हारे जज साहब कब खुशखबरी सुना रहे हो? " शालू ने कहा तो सांझ के चेहरे पर गुलाबी मुस्कराहट आ गई।
"वह एक्चुअली में दीदी आपको तो पता ही है उस एक्सीडेंट के बाद फिजिकली मेरी कंडीशन ठीक नहीं थी। जज साहब ने डॉक्टर से कंसल्ट किया था तो उन्होंने कहा कि अभी थोड़ा टाइम और लगेगा मुझे बहुत रिकवर होने में।" सांझ ने बुझे मन से कहा।
"अरे तो इतना उदास की होने की क्या बात है? अभी तो उम्र पड़ी है। बच्चे भी आ जाएंगे और बाकी इशानी और समन्यु भी तो तुम्हारे अपने बच्चे हैं ना.??" शालू ने सांझ को समझाया पर सांझ के चेहरे पर एक उदासी आ गई।
सांझ शाम के समय बालकनी में खड़ी होकर सड़क को देख रही थी जो कि अक्सर वो करती थी कि तभी अक्षत रूम में आया और जाकर उसके पास खड़ा हो गया।
सांझ को उसके आने का एहसास नहीं हुआ
तो अक्षत को अजीब लगा क्योंकि उसके रूम में आते ही साँझ मुस्कुराती हुई उसके पास आ जाती थी।
"क्या हुआ सांझ? " अक्षत ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा तो सांझ ने पलट कर उसकी तरफ देखा।
बड़ी-बड़ी आंखें आंसुओं से भरी हुई थी।
"क्या हुआ कुछ बात हुई क्या? किसी ने कुछ कहा कोई तकलीफ हो रही है क्या? "अक्षत एकदम से परेशान होकर बोला तो सांझ उसके सीने से लग गई।
" क्या हुआ सांझ बोलो तो सही। इस तरीके से करोगी तो मेरा दिल घबराने लगता है।
"जज साहब मनु के घर में बच्चा आ चुका है। सौरभ और निशि के घर में भी बेबी आ चुका है। और पता चला था मुझे की नेहा दीदी के घर में भी बच्चा आ चुका है। अब हमारे घर में भी शालू दीदी के पास बच्चे आ चुके हैं।
हमारा बेबी कब आएगा जज साहब।।आएगा भी कभी कि नहीं आएगा?? क्या मेरी जिंदगी में यह कमी हमेशा रहेगी? " सांझ न जाने क्यों आज भावुक हो रही थी।
"यह कैसी बातें कर रही हो सांझ?? ऐसा क्यों होगा भला? "
" जज साहब ना जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है उस एक्सीडेंट में सिर्फ मेरी पहचान ही नहीं बदली बहुत कुछ बदल दिया है शायद मेरे शरीर में भी। तभी तो इतना समय हो गया है अब तक मैंने कांसीव नहीं किया। और डॉक्टर ने भी तो अब तक क्लियर नहीं किया है ना कि मैं माँ बन पाऊंगी कि नहीं बन पाऊंगी??" सांझ ने कहा तो अक्षत ने उस पर अपनी बाहों का घेरा कस दिया।
"मैं आज डॉक्टर के पास ही गया था और तुम्हारी फाइनल रिपोर्ट्स लेकर आया हूं!" अक्षत बोला तो साँझ ने उसकी तरफ भरी आंखों से देखा।
"तुम मां बन सकती हो सांझ और अब बॉडी पूरी तरीके से रिकवर कर चुकी है तुम्हें क्या लगता है इतनी बड़ी खुशी से तुम्हें दूर रखूँगा मै। चाहे कुछ भी हो जाता पर यह खुशी तो तुम्हें मिलनी ही थी। बस मै चाहता था कि पहले तुम पूरी तरीके से ठीक हो जाओ तभी हम इस बारे में सोचें।" अक्षत ने कहा तो सांझ खुश होकर उसके सीने से लग गई
"थैंक्यू जज साहब आज आपने बहुत बड़ी खुशी दी है।" सांझ ने कहा तो अक्षत मुस्कारा उठा।
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव