साथिया - 6 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 6

" आंसू नही देख सकता इन आँखों में। घबराओ मत सब सही है और जब तक मैं हूँ साथ कुछ गलत नही होगा।" अक्षत ने कहा तो सांझ ने पलके उठाकर उसकी तरफ देखा।

" चलो तुमको हॉस्टल छोड़ देता हूँ।" अक्षत ने कहा तो सांझ उसके पीछे बाइक पर बैठ गई।

उसी के साथ अक्षत ने बाइक आगे बढ़ा दी।

बरसात तेज हो गई थी।
अक्षत बाइक धीरे धीरे चला रहा था।

सांझ बस खोई हुई सी उसके पीछे बैठी रही।

कानों मे अक्षत के कहे शब्द गूंज रहे थे।

हिम्मत कैसे हुई तेरी मेरी सांझ के साथ बदतमीजी करने की।"

सांझ ने एक नजर अक्षत की पीठ पर डाली और अपना हाथ उसके कन्धे पर रखने को उठाया फिर वापस नीचे कर लिया।

" हाउ डेयर यू टू टच माय गर्ल।" सांझ के कानों में फिर से आवाज गूंजी।

सांझ के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई पर उसने हाथ अक्षत के कंधे पर नही रखा।

अक्षत समझ रहा था उसकी झिझक को। थोड़ी देर में वो लोग हॉस्टल के बाहर थे।

अक्षत ने बाइक रोकी तो सांझ बाइक से उतर के नीचे खड़ी हो गई और जैसे ही जाने कों हुई अक्षत की धीमी और गहरी आवाज उसके कानों में पड़ी।

"आज उन हालातों में मेरे मुंह से वह बातें निकल गई जो मैं अभी तुमसे नहीं कहना चाहता था।" अक्षत बोला तो सांझ ने एक नज़र उसकी तरफ देखा और फिर नजरे झुका ली।



"सॉरी अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो...! तुम को हर्ट करने का मैं सोच भी नहीं सकता।" अक्षत ने कहा।

सांझ ने कोई जवाब नहीं दिया और जाने के लिए वापस मुड़ने लगी कि तभी एक अक्षत ने अपनी पॉकेट से निकाल कर एक कार्ड उसकी हथेली पर रख दिया।


"कभी भी लगे कि अकेली हो या तुम्हें जरूरत है। सिर्फ एक कॉल कर देना। मैं जहां कहीं भी होऊंगा तुम्हारे सामने आ जाऊंगा।" अक्षत ने कहा।


सांझ अब भी खामोश रही।

" आज के बाद कभी खुद को अकेला मत समझना मैं हूँ साथ हर कदम पर।" अक्षत बोला तो सांझ ने नजर उठाकर उसकी तरफ देखा और फिर जल्दी से अपने हॉस्टल के अंदर चली गई।

अक्षत की आंखों में देखने की हिम्मत थी और ना ही अक्षत के दिल की बात जानने के बाद वहां खड़े रहने की।

दिल की धड़कने एकदम से तेज रफ्तार में चल रही थी। अक्षत ने आज थोड़ा सा ही सही पर अपने दिल की बात कही थी और सांझ के लिए बहुत बड़ी बात थी।


अब तक शालू हमेशा उससे कहती थी कि अक्षत उसे पसंद करता है उसके लिए आता है। आज अक्षत के मुँह से भी यह सब सुनकर सांझ के पेट में तो तितलियां उड़ रही थी।


उसे खुद की किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था कि कॉलेज का इतना हैंडसम लड़का जिसको अपना साथी बनाने के लिए हर लड़की बेताब है वह उसे पसंद करता है।


सांझ के निकलते ही अक्षत ने मुस्कुरा कर अपने बालों पर हाथ फेरा और अपनी बाइक लेकर वहां से निकल गया।

उसके चेहरे पर से भी मुस्कान जाने का नाम नहीं ले रही थी। अनएक्सपेक्टेड तरीके से ही सही पर उसने आज सांझ से अपने दिल की बात कह दी थी। वह जानता था कि सांझ के दिल में भी उसके लिए फीलिंग है पर आज जब इतना सुनकर भी सांझ शांत थी तो अक्षत सांझ की तरफ से श्योर हो गया था।


सांझ भी अपने हॉस्टल के कमरे में आई और उसने अक्षत का दिया हुआ कार्ड संभाल कर अपनी टेबल पर रख दिया और फिर वॉशरूम में चली गई।

वैसे भी जो पूरी भीगी हुई थी। वह शॉवर के नीचे खड़ी हो गई और आंखें बंद कर ली।

यह पूरा समय जो अक्षत के साथ बीता वह आंखों के आगे आ गया और सांझ के चेहरे पर एक दिलकश मुस्कान बिखेर गया।

"हां सही कहते थी शालू वो मेरे लिए आते हैं....! हां सही कहती है शालू वो मुझे पसंद करते हैं। आज आखिर उनके दिल की बात उनकी जुबान पर आ ही गई, कितना सुकून मिला जब उन्होंने कहा मेरी सांझ" सांझ बोली।



"यकीन नहीं होता अपनी किस्मत पर अक्षत चतुर्वेदी जिसे मैं अपने कॉलेज के पहले दिन से पसंद करती हूं वह भी मुझे ही पसंद करते हैं।" सांझ खुद को टॉवल से पोंछकर कमरे मे आई और चेंज कर बिस्तर पर जा गिरी।

"आज भी याद है वह समय जब मैं पहली बार इस यूनिवर्सिटी में आई थी और अक्षत का फाइनल ईयर था।



* कुछ सालों पहले*

जब सांझ ने यूनिवर्सिटी ने नर्सिंग में एडमिशन लिया था। बड़ी मुश्किल से उसे चाचा चाची से परमिशन मिली थी दिल्ली आकर पढ़ाई करने की। वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी ताकि चाचा चाची के एहसानों का बोझ और ना उठाना पड़े। पहले तो वो लोग उसे दिल्ली भेजने को तैयार नहीं थे और फिर हॉस्टल में रहने के लिए। जैसे तैसे वो लोग मान गए आखिर वह भी यही चाहते थे कि सांझ अपने पैरों पर खड़ी हो जाए और उनकी जिम्मेदारी खत्म हो।

उसको यूनिवर्सिटी में एडमिशन करा कर और हॉस्टल में सेटल करके चाचा जी वापस चले गए।

सांझ ने धीरे-धीरे रूम में अपना सारा सामान जमाया और अगले दिन ऑटो से यूनिवर्सिटी के लिए निकल गई।

"पता नहीं क्या होगा? इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी है। यहां पर तो बहुत सारा स्टाफ होगा और स्टूडेंट भी तो होंगे।
कहीं कोई प्रोबलम तो नहीं होगी।" सांझ मन ही मन सोच रही थी और आगे बढ़ती जा रही थी कि तभी वहीं खड़े एक सिनियर्स ग्रुप ने उसे आवाज लगाई।


" हे ब्लू कुर्ता...! कम हेयर!" एक लड़के की आवाज आई तो सांझ के कदम डर से थम गए पर उसने नजर उठा कर नहीं देखा।


दोबारा से फिर से वही आवाज आई।


"तुम ही से कह रहा हूं मैं ब्लू कुर्ता व्हाइट दुपट्टा...!" इधर आओ।" दोबारा आवाज आई तो सांझ कांपते हुए कदमों से भगवान का नाम लेते हुए उस तरफ चल दी।


" राम जी बचा लेना प्लीज.. बचा लेना। पहले सुना है मैंने इस यूनिवर्सिटी के बारे में और रेकिंग के बारे में। पता नहीं क्या पूछेंगे क्या कहेंगे?" सांझ खुद से ही बोले जा रही थी।


" पर बुला रहे है तो जाना तो होगा ही।" सांझ मन मन सोच रही थी और आगे बढ़ती जा रही थी।

वहां जाकर वह उन लोगों के सामने खड़ी हो गई।


"न्यू एडमिशन...!" उनमें से एक लड़का बोला।

" यस सर..!" सांझ ने जवाब दिया।


" अपना इंट्रोडक्शन दो..!" दूसरा लड़का बोला।


सांझ ने आँखे उठाकर उन लड़कों की तरफ देखा। उन लड़कों के साथ दो लड़कियां भी खड़ी हुई थी।
उनमें से एक शालू थी।


सांझ की डर और घबराहट के कारण आंखें भर आई। उसकी हालत को शालू समझ गई।


"जाने दो ना यार क्यों परेशान कर रहे हो?" शालू बोली।

"इसमें परेशान करने का क्या हुआ शालिनी? लास्ट इयर हमारी भी तो रैकिंग हुई थी न इसमें कुछ बड़ा तो नहीं है।" वो लड़का बोला और चुप हो गया।


शालू ने अब कोई जबाब नही दिया।

"बोलो क्या मुहूर्त का इंतजार कर रही हो?" वह लड़का सख्त आवाज से बोला तो सांझ की आँखों से आंसू गालों पर बिखर गए। वो वैसे भी सीधी सादी लड़की थी।

"जाने दो ना निखिल क्यों परेशान कर रहे हो? और लगता है कि यह दिल्ली की नहीं है।" शालू बोली।


"दिल्ली की नहीं है तब तो और भी मजा आएगा। ये गाँव की लड़कियाँ तो स्वीट की साथ साथ हॉट भी होती है।" निखिल बोला।

"जल्दी से बोलो और अगर हमे अंदाज पसंद नही आया तो फिर हम जो कहेंगे वह करना होगा।" निखिल ने कहा तो शालू ने सांझ के कंधे पर हाथ रखा।

"क्या फर्क पड़ता है? इतना क्यों नर्वस हो रही हो? उनको सिर्फ इंट्रो चाहिए। नाम बता दो अपना।" शालू ने कहा।

"गुड मॉर्निंग सर....मेरा नाम सांझ सिंह है और मैं उत्तर प्रदेश से हूं। यहां पर नर्सिंग का कोर्स करने आई हूँ।" सांझ ने कहा।


वही एक तरफ अपनी बाइक पर बैठा अक्षत जो कि अपने किसी फ्रेंड से बात कर रहा था ना जाने कैसे सांझ की आवाज उसके कानों में पहुंची और वह खूबसूरत आवाज वाली इस लड़की की तरफ देखने को मजबूर हो गया जिसकी आवाज ही उसकी मासुमियत बयाँ कर रही थी।




" ये इंट्रोडक्शन होता है? ठीक से इंट्रो भी देना नहीं आता तुमको? " निखिल नाराजगी से बोला।


" लेकिन उसने सही से दिया है जाने दो उसे!" शालू ने फिर से कहा।


"तुम्हें अगर प्रॉब्लम है तो तुम जाओ यहां से पर मैं मेरे तरीके से ही करूंगा।" निखिल बोला और सांझ की तरफ देखा।


" सॉरी सर..!" सांझ की सिसकी की आवाज अक्षत के कानों मे आई तो अक्षत की मुट्ठी भींच गई और गर्दन की नशे तन गई।

उसने वही से नजर उठा सांझ को देखा।।

गेहुँआ रंग, शार्प फीचर्स और बड़ी बड़ी आँखों वाली वो मासूम सी लड़की पहली नजर में ही अक्षत के दिल में उतर गई।



"तुमने सीनियर की बात नहीं मानी और इंट्रोडक्शन ठीक से नही दिया तो पनिशमेंट के तौर पर अब तुम्हे हम एक सजा देंगे। " निखिल ने कहा. ।



उसकी बात सुनकर सांझ का चेहरा एकदम से लाल हो गया।


"अब तुम्हें किसी भी एक सीनियर को हग करना होगा, वह भी पूरे पूरे शिद्दत के साथ। समझ रही हो ना? एकदम चिपक का लिपटना है इस तरीके से कि हमें सेटिस्फेक्शन आए।" निखिल बोला।।


" लेकिन सर...!" सांझ ने रोते हुए कहा।


" यह पनिशमेंट है तुम्हारा...! अगर आज ये कर दिया तो फिर दोबारा कभी तुम में से कुछ भी नहीं कहेंगे पर अगर नहीं किया तो तुम सोच भी नहीं सकती कितनी प्रॉब्लम्स आएंगी तुम्हे।" निखिल बोला।



"लेकिन सर यह गलत है!" सांझ ने हिम्मत करके कहा।


"गलत सही हमें नहीं पता जो बोला है वह करना होगा समझी तुम...!" निखिल ने कहा और उसी के साथ उसकी नजरें सांझ के चेहरे पर टिक गई।


"अब हम मे से सीनियर खुद चुन लो अपनी चॉइस से गले लगाने के लिए।" निखिल ने कहा।।


डर के कारण सांझ हाथ पैर कांप रहे थे और आंखों से आंसू निकल रहे थे।


उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें? वह अपने कदम धीरे-धीरे करके निखिल की की तरफ बढ़ाने लगी।


"निखिल दिस इज रोंग।" शालू बोली।



" तुम जा सकती हो।" निखिल ने शालू को एक तरफ हटाते हुए कहा।



वह किसके पास जाए? क्या करें उसे नहीं समझ आ रहा था तो वहीं रुक गई।

"अगर तुमसे नहीं हो रहा है तो हम खुद कर देते हैं!" निखिल बोला और सांझ की तरह चल दिया। इससे पहले कि वह सांझ को छू पाता अक्षत सांझ और निखिल के बीच आ गया।


" सीनियर को गले लगाना है वो भी ऐसे कि सीनियर को सेटीफक्सन हो?" अक्षत बोला तो निखिल ने आँखे छोटी करके उसे देखा।

" सुपर सीनियर अक्षत चतुर्वेदी लॉ डिपार्टमेंट!" शालू के मुँह से निकला तो सांझ ने भी भरी आँखों से उसे देखा।

दूध सी सफेद रंगत, लम्बा कद, घुंघराले से बिखरे बिखरे बाल लम्बी सी नाक और बेहद आकर्षक चेहरा।


"प्रिंस...सिनरेला की स्टोरी वाला!" सांझ के दिल में आवाज उठी और उसने एक बार अक्षत के मुस्कान लिए चेहरे को देखा और फिर नजरे झुका ली।


क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव