साथिया - 127 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 127

नेहा और आनंद के जाने  के बाद
सांझ तुरंत अपने कमरे में चली गई उसे बहुत ही बुरा लग रहा था

आज  उसने दो साल से ज्यादा के समय के बाद नेहा को देखा था। दिल उसका कर रहा था नेहा के गले लगने का और साथ ही साथ दिमाग में घूम रही थी वह सब बातें जो कि उसके साथ पिछले दो सालों के बीच हुई। और कहीं ना कहीं जिस तरीके से अक्षत ने कहा इन सब की शुरुआत नेहा से ही हुई थी। भले उसने जानकर किया हो या अनजाने में पर उसके किए की सजा साँझ  ने भुगति थी और वह भी थोड़ी बहुत नहीं बहुत ही ज्यादा। 

साँझ  की पूरी जिंदगी बदल गई थी नेहा के  उठाये  एक कदम के कारण। उसकी पहचान बदल गई थी उसका चेहरा बदल गया था,  वो  अक्षत से   दूर  रही थी। उसकी याददाश्त चली गई। इतनी  सब कुछ उसने बर्दाश्त किया था तो इस सब की शुरुआत नेहा से हुई थी, 

आज नेहा को यूं दुखी और परेशान देखकर उसे बुरा भी लग रहा था और नेहा का कहना कि उसने जानकर नहीं किया यह सोचकर भी  साँझ को बुरा लग रहा था। पर साथ ही साथ वह यह भी समझ रही थी कि अक्षत जो कर रहा है वह उसी के लिए कर रहा है। 

सांझ भरी आंखों से वालकनी  में खड़ी  सड़क पर आती जाती गाड़ियों को देख रही थी कि तभी अक्षत ने पीछे से आकर उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसके कंधे पर चेहरा टिका दिया। 

साँझ  ने आंखें बंद कर ली और दो  बूँदें  गालों पर बिखर गई। 

"क्या हुआ..?? अभी से कमजोर  पड़ने लगी। अभी तो लड़ाई बहुत लंबी जाएगी। बहुत कुछ  सहना पड़ेगा। बहुत कुछ सुनना पड़ेगा।" अक्षत ने   धीमे से कहा। 

"मैं कमजोर नहीं पड़ रही हूं  जज साहब। बस अच्छा नहीं लग रहा है।" 

अक्षत ने उसे घुमाया और उसका चेहरा अपनी तरफ किया। उसके चेहरे को हथेलियां में लिया और उसके आंसू  पोंछे। 

"वह सिर्फ इसलिए क्योंकि आज तुम्हारे सामने तुम्हारी बहन थी..!! वह बहन जिसे तुम बेहद चाहती थी। पर  सांझ  हम यह भी नहीं भूल  सकते कि  उन सब को सजा दिलाने के लिए नेहा ही अगर आगे आएगी तभी कुछ हो सकता है। और मैं नहीं चाहता कि अभी किसी को भी पता चले कि तुम हो। वह लोग जानते हैं की साँझ  इस दुनिया में नहीं रही और अभी उन्हें इसी भ्रम में रहना होगा। जब तक की चीजे  मेरे अकॉर्डिंग नहीं हो जाती है यह बात किसी को भी पता नहीं चल सकती।" अक्षत ने कहा तो साँझ में उसकी आंखों में देखा

" मैं जानता हूं आज नेहा को देखकर तुम्हें तकलीफ हुई..!!  तुम्हे  मैं तुमसे बेहतर जानता हूं सांझ। तुम दोनों तरफ से दुखी हो। नेहा के साथ जो मैं कर रहा हूं तुम इसलिए भी दुखी हो और नेहा ने जो तुम्हारे साथ किया उसके लिए भी तुम दुखी हो। पर विश्वास राखो  यह सब जरुरी नहीं होता तो मैं कभी नहीं करता। तुम्हारी तरह शायद मैं भी नेहा को माफ कर देता पर मैं नहीं भूल सकता कि  जो भी घटना घटी उस सब की शुरुआत नेहा से हुई थी।  हाँ मैं  मानता हूं कि उसकी इतनी गलती नहीं है क्योंकि उसने अपने बारे में सोचा। और हर इंसान को अधिकार है अपने बारे में  सोचने का। अपने बारे में अच्छा करने का। पर फिर भी वह उस परिवार से जुड़ी हुई है। वह अवतार की बेटी है इसलिए अवतार को सजा दिलाने के लिए मैं उसे ही हथियार की तरह इस्तेमाल करूंगा, तभी अवतार को समझ में आएगा कि उसने कितनी बड़ी गलती की।  जब  उसकी बेटी  ही उसके विरुद्ध खड़ी होगी तो वो वही महसूस करेगा जो तुमने किया जब अवतार ने तुम्हारे खिलाफ निर्णय लिए। 
और एक बात  सिर्फ नेहा ही है जो इस बात की पुलिस कंप्लेन  कर सकती है कि उसकी बहन लापता है और उसके साथ यह सब हुआ है।   नेहा को मैं इस केस को ओपन करने के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं क्योंकि अब तक मैंने पता कर  कर लिया है  सांझ  की मिसिंग कंप्लेन  भी दर्ज  नहीं की गई है। अवतार गजेंद्र और निशांत ने निशांत के साथ-साथ पूरे गांव ने इस तरीके से इस बात को दबा दिया है जैसे  सांझ  नाम की कोई लड़की तो कभी थी ही नहीं और यह बात  मैं हरगिज  बर्दाश्त नहीं  कर सकता।" अक्षत बोला तो साँझ  उसके सीने से लग गई। 

"पता नहीं  जज साहब  क्या सही है क्या गलत है?? बस में  इतना जानती हूं आपसे दूर नहीं रह सकती। प्लीज कुछ भी ऐसा मत कीजिएगा कि हम दोनों को फिर से अलग होना पड़े। आपसे दूर होकर जिंदा शायद मैं इसीलिए रही की एक आस होगी मेरे मन में की आपसे मुलाकात हो जाएगी।" सांझ ने  भावुक होकर कहा तो अक्षत ने उस पर अपनी बाहों का घेरा  कस  दिया। 

"कभी भी नहीं एक दिन के लिए भी तुमको मुझसे दूर नहीं होना होगा, इसलिए बिल्कुल भी चिंता मत करो। और हां घर से कभी भी अकेले बाहर नहीं जाना है।  जब भी कहीं जाओगी मुझे  बता  कर मुझे पूछ कर ही जाओगी। बस कुछ दिनों तक के लिए। और ऐसा मत सोचना कि तुम्हारे ऊपर कोई बंदिश लगा रहा हूं। बस तुम्हारी सेफ्टी के लिए कर रहा हूं।" अक्षत ने कहा तो  सांझ ने गर्दन हिला दी। 


दोपहर के लंच के समय सब लोग डाइनिंग हॉल में  आये


" मै क्या सोच रहा हूं कि तुम लोग कुछ दिनों के लिए घूमने चले जाओ। थोड़ा अच्छा लगेगा  और यहां की टेंशन और स्ट्रेस से दूर रहोगे।" अरविंद बोले। 

" पापा  इशू  और शालू को भेज दो। पर अभी मैं और  साँझ  नहीं जा पाएंगे। अभी जब  केस खुल  रहा है तो कुछ दिनों में इस सबका निपटारा मुझे करना होगा। उसके बाद ही हम लोग जाएंगे।" अक्षत ने कहा। 

"ठीक है ठीक है इशान बेटा तुम और  शालू चले जाओ   अक्षत और  साँझ बाद में चले जाएंगे।" अरविंद बोले। 

"नहीं पापा जब शादी साथ में की है तो घूमने भी साथ में जाएंगे..!! क्यों  शालू थोड़े दिन बाद चलेंगे तो चलेगा? " ईशान ने  शालू  की तरफ देखकर  कहा। 

" जी पापा  ईशान  ठीक कह रहा है। इस समय मैं भी  सांझ  को अकेले नहीं छोड़ना चाहती। मैं नहीं चाहती कि यह सब चीज़ें जो होगी उसका स्ट्रेस उस पर आए और उसकी तबीयत खराब हो।" शालू  ने कहा। 

"ठीक है तो तुम सब बाद में चले जाना..!! पर अक्षत कुछ भी करो सोच समझ कर करना और सेफ्टी को ध्यान में रखकर करना। मैं नहीं चाहता कि तुम चारों पर किसी भी तरह की कोई भी  मुसीबत   आये।" अरविंद ने कहा और फिर खाना खाकर सब अपने-अपने रूम में चले गए। 

अक्षत ने सौरभ को भी सारी बात बता दी और सौरभ के साथ-साथ सुरेंद्र और  आव्या भी गवाही देने के लिए पूरी तरीके से तैयार हो चुके थे। 

नेहा और आनंद ने उसी दिन अवतार सिंह गजेंद्र और निशांत के साथ-साथ बाकी पंचों और गांव के मुख्य लोगों के खिलाफ कंप्लेन   कर दी। जिसमें उन्होंने पूरी बात को डिटेल में बताया। शालू के घर से भागने से लेकर सांझ  का सौदा होना और उसके बाद  सांझ  का नदी में कूदना और उससे पहले निशांत का उसको  बेरहमी  से मारना पीटना सब कुछ शामिल था। 

अक्षत की तैयारी पहले से ही थी और  फिर उसके कुछ परिचित लोग पुलिस डिपार्टमेंट में भी थे। उसके प्लानिंग परफेक्ट थी और केस भी सेंसिटिव था तो तुरंत ही एक्शन लिया गया और  निशांत गजेंद्र के साथ-साथ अवतार और भावना को गिरफ्तार कर लिया गया। 


उन लोगो की गिरफ्तारी के बाद  नेहा और आनंद अवतार सिंह से मिलने आए तो अवतार की आंखों में गुस्सा उतर आया। 

" पहले भी तुमने हमारी इज्जत को धूल में मिलाया था और उससे तुम्हारा मन नहीं भरा जो  अपने ही मां-बाप को सजा दिलाने पर उतारू हो..??" अवतार गुस्से से  बोले। 


" सांझ भी हमारी अपनी थी।" नेहा ने कहा। 

" पर उसके साथ जो हुआ वो भी तुम्हारे कारण हुआ।"  अवतार आगे बोले। 

"मानती हूं कि मैंने गलत किया पर वह गलत करने के लिए मजबूर भी  आपने किया था। और मेरी गलती की सजा के तौर पर आपने सांझ  को कैसे  बेच  दिया।  उसके साथ आप   ऐसा   कैसे कर सकते हो।  आपकी बेटी के जैसी थी। आपको  उतना ही सम्मान देती थी जितना मैं देती हूं या शायद मुझसे  भी ज्यादा। फिर आप ऐसा कैसे कर सकते हैं..??" नेहा ने कहा तो अवतार की नज़रें झुक गई। 

" बिन माँ बाप की लड़की को अपने स्वार्थ के आगे बलि चढा दिया। और मां तुम तो  माँ  हो एक औरत  हो। एक औरत  होकर तुमने  सांझ  के साथ ऐसा कैसे होने दिया..?"'नेहा ने दुखी होकर  कहा। 

"मजबूरी थी वरना कभी नहीं करते..!! अपनी जान  और अपनी इज्जत के लिए..!!" भावना बोलते बोलते रुक गई। 

" उसकी जान और इज्जत दांव पर लगा दी।' नेहा बोली। 

भावना और अवतार  ने उसकी तरफ देखा।


" आप मजबूर थे  तो  अब मेरी भी मजबूरी है। वरना मैं भी कभी नहीं करती। पर अब मुझे अपनी बहन को न्याय भी दिलाना है और साथ ही साथ अपने और अपने पति के बारे में भी सोचना है।" नेहा बोली और वहां से  चली गई। 


गिरफ्तारी होते ही गाँव  में मानो तूफान आ गया। 

और लोगो  को पता चला कि इसके  पीछे नेहा है तो गाँव के कुछ लोग उसकी जान के दुश्मन बनबन गये

नेहा और  आनंद  पर हमले होने शुरू हो गए पर अक्षत की तैयारी पूरी थी और उसने  आनंद और नेहा को पूरी सुरक्षा दिलवा दी। 


केस  चलना शुरू हो गया और निशांत और गजेंद्र चाहकर भी कुछ न कर सके।

नेहा और आनंद की गवाही के साथ साथ ही 

सौरभ  आव्या  और सुरेंद्र  ने भी गवाही  दी।  और  केस  और भी मजबूत हो गया।

इसी की साथ ही साथ सौरभ ने नियति और सार्थक का केस भी ओपन कर दिया और सार्थक के मम्मी पापा को भी इन सब में शामिल कर लिया। 

कुल मिलाकर अवतार सिंह भावना गजेंद्र निशांत और बाकी के प्रमुख  पंच पूरी तरीके से इस मामले में उलझ चुके  थे। 


दस दिन  बद पहली हियरिंग की तारीख आई

और  जस्टिस हरिओम श्रीवास्तव की अदालत  में केस शुरू हुआ जिसमे  नेहा और सांझ की तरफ से वकील था नीलेश वर्मा जिसकी मदद के लिए अपने जॉब से ब्रेक ले साथ था अक्षत चतुर्वेदी तो वही  गजेंद्र अवतार और निशांत की तरफ से  था वकील महेंद्र सिंह

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव