साथिया - 126 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 126

"आप  सांझ को जानते हैं क्या.." तभी अचानक से नेहा बोली तो अक्षत के चेहरे की मुस्कुराहट बड़ी हो गई। 

"  मै तो एक को जानता था जो यहाँ युनिवर्सिटी से नर्सिंग कर रही थी।  फिर एकदम गायब हो गई..!! और  वैसे  आप कैसे जानती हैं सांझ को?  क्या आपकी और  मेरी सांझ एक ही है।"अक्षत  ने कहा।

"मैं  सांझ  की बड़ी बहन हूं। और सांझ अब नही रही। और आप प्लीज मुझे बताइए कि  मुझसे  ऐसी क्या गलती हुई जो आप मेरे साथ ऐसा कर रहे हैं..?? और  आपका सांझ से  क्या रिश्ता  है ?? आप उसे कैसे जानते हो..??" नेहा बैचैन हो गई


" कमाल करती है नेहा जी।आपकी बहिन थी और आपके  घर से भागने के कारण उसकी जिंदगी बर्बाद हुई। आपके पिता ने सौदा किया और आपके होने वाले पति  ने उसे खरीदा।" अक्षत  ने सख्त आवाज मे कहा तो नेहा और आनंद ने आँखे बड़ी कर उसे देखा। 

" और रही बात  कि मै कैसे जानता हूँ तो प्यार करता था उसे..!! शादी करने वाले थे  हम..! पर आपके स्वार्थ    आपके पिता की बदमाशी और आपके  होने वाले पति की  दरिंदगी के कारण हमारा रिश्ता बर्बाद हुआ। हमारे सपने बिखरे और अब बिखरने की बारी आप सब की है।" अक्षत की आवाज सख्त हो गई। 




"हाँ  मैं मानती हूं कि  सांझ  मेरी बहन है, और उसके साथ जो हादसा हुआ नहीं होना चाहिए था पर आप  भी तो शादी शुदा है। फिर सांझ की बात क्यों.??" नेहा ने  कहा। 


"बिल्कुल मैं शादीशुदा हूं और मेरी अभी शादी हुई। अबीर  राठौर की बेटी  माही से मेरी शादी हुई है। पर इसका मतलब यह नहीं है कि मैं पुरानी बातें भूल गया। जिंदगी किसी के  लिए नही रुकती। सब आगे बढ़ते हैं मैं भी आगे  बढ़ा   पर सांझ  अभी भी  मेरे दिल में मेरी जिंदगी में  है  और मैं नहीं  भूल सकता कि तुम लोगों ने उसके साथ क्या  किया। किसी के जाने से उसको  जिंदगी से नहीं निकाला जाता।  यादें हमेशा रहती है समझी आप..??" अक्षत बोला। 

"पर अब आप क्या चाहते हैं?  और क्यों  कर रहे हैं यह सब..??" आनंद ने कहा। 

" मुझे आपसे मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है मिस्टर आनंद  पर जैसा मैंने कहा कि हर किसी को उसके कर्मों का फल मिलता है, और  सांझ  को जब तक न्याय नहीं मिल जाता मुझे बेचैनी रहेगी।" अक्षत ने  कहा। 

"क्या कर सकते हैं हम बताइए..?? क्या करें हम कि सांझ  को न्याय मिल जाए।"   नेहा  भरी आवाज मे कहा।

" आप  सांझ  की बहन है। केस    कीजिये.  कंप्लेन  कीजिए  सबसे पहले अपने पिता अवतार के खिलाफ। फिर निशांत ठाकुर के खिलाफ और  फिर  गजेंद्र  और बाकी पंचो के खिलाफ। 
आपकी बहन लापता हुई, आपकी बहन   का सौदा किया गया। आपकी बहन को जान से मार दिया गया। आपने एक आवाज तक नहीं उठाई..?? अब आवाज उठाने की आपकी बारी है। आवाज उठाइये  और कंप्लेन  कीजिए इन  सब  के खिलाफ।" 


"लेकिन मैं अपने पापा के खिलाफ कैसे?" 

" क्यों... नही ..!! जब उन्हे  छोड़कर जा सकती है तो कम्प्लेन क्यों नही...? सबसे बड़े गुनहगार तो आपके पापा ही है   और उन्हें सजा क्यों नहीं दे सकती आप। जब उन्हें  मरने के लिए छोड़ कर जा सकती है तो कानूनी  सजा भी उन्हें दिलवाले में आपको प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए।" अक्षत ने कहा

नेहा ने नजर झुका ली। 

"आपके पास यही एक रास्ता है। जैसे-जैसे  सांझ का केस   सॉल्व होगा और उसे  न्याय मिलता जाएगा वैसे-वैसे आपका कैस भी सॉल्व होता जाएगा और आप भी   खुद पर लगे हुए आरोपों  से  बरी  होती  जाएंगी। उधर  सांझ  के  गुनहगारों को सजा मिलेगी इधर आपको  हर गुनाह से माफी  मिलती  जाएगी। चॉइस आपकी है आप क्या करना चाहती  हैं और क्या नहीं..?? " अक्षत ने सख्ती से कहा तो नेहा  ने  भरी  आंखों से आनंद की तरफ देखा। 

आनंद  ने गर्दन  हिला दी। 

" मैं इसलिए नहीं कह रहा हूं नेहा की  हमारे हॉस्पिटल और हमारी रेपुटेशन के साथ-साथ हमारा मेडिकल लाइसेंस दांव  पर लगे  है।nबल्कि मैं इसलिए कह रहा हूं कि सच कह रहे है चतुर्वेदी साहब। गुनहगारों को सजा मिलनी चाहिए  और इसकी शुरुआत तुम्हें भी करनी होगी। शायद तुम्हारे मन से  वह गिल्ट कुछ कम हो जाए जो तुम्हें पिछले  दो सालों से है। शायद अपराधबोध बहुत कम हो तो तुम भी सुकून की नींद सो  पाओ"  आनंद ने उसके कंधे पर हाथ रखा। 


"  मैं कंप्लेन  कर दूंगी पर इसे होगा क्या? सबूत  गवाह कुछ भी नहीं है। कोई मेरे पक्ष में गवाही नहीं देगा। कोई उन लोगों के खिलाफ गवाही नहीं देगा कोई सबूत नहीं है।"

आप बस रिपोर्ट कीजिये।  मीसिन्ग एफ आई आर कीजिये क्योंकि वह आप ही कर सकती है। आप बहन है सांझ की  और उसका कोई परिवार कोई रिश्तेदार  कंप्लेन   कर सकता है। क्योंकि सांझ का नामो निशान मिटा दिया उन्होंने। सांझ नाम की कोई लड़की थी ये अब आप बतायेंगी दुनियाँ को। आप  कम्पलेन   दर्ज कराइये। बाकी रही बात सबूत और गवाह कि वह मेरा काम है। मैं देख लूंगा पर आप इतना याद रखिएगा  कि 
यह सब  सिर्फ सांझ  को  न्याय   लाने के लिए नहीं है बल्कि आपको भी आपके  गुनाहों  के बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए है।" अक्षत ने कहा। 

" जी मैं समझ गई।" नेहा बोली तभी उसकी नजर  सीढ़ियों  के पास खड़ी  सांझ  पर गई। 

सांझ के  पुराने चेहरे की हल्की झलक लिए ये  लड़की नेहा को  कुछ अपनी सी लगी। 


"यह ? " नेहा ने कहा। 


"मेरी वाइफ माही चतुर्वेदी..! आओ माही इनसे मिलो इनका नाम नेहा है। मैंने तुम्हें बताया था ना आज यह  सांझ  की बड़ी बहन है।" अक्षत ने  सांझ  के कंधे पर हाथ रखकर उनका इंट्रोडक्शन कराया तो सांझ  की आँखे नम हो गई


" प्लीज माही जी समझने की कोशिश कीजिए और इन्हें समझाइए ...। लोगों को बेवजह ही क्यों परेशान कर रहे हैं यह..?? और वह भी   उसके लिए  जो इस दुनिया में नहीं है। ये  नही जानते कि निशांत और गजेंद्र कितने खतरनाक है।" नेहा ने कहा तो  सांझ का चेहरा कठोर  हो गया। 


"वह अगर इस दुनिया में नहीं है तो उसका कारण भी तो आप है..!! उस घटना की शुरुआत आपसे ही तो हुई थी। उसके साथ जो कुछ भी हुआ उन सब की जिम्मेदार कहीं ना कहीं आप ही हो और मुझे नहीं लगता कि  जज साहब  कुछ भी गलत कर रहे हैं.। बस सांझ  को न्याय दिलाने की कोशिश कर रहे हैं और जहां तक मुझे लगता है आपको भी इस बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि यह आपका सिर्फ  अपनी बहन के लिए कर्ज ही नहीं बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते और एक अच्छी इंसान होने के नाते आपका फर्ज भी है।" सांझ  ने  कठोरता से कहा। 

"हम तैयार हैं चतुर्वेदी जी ...! मैं नेहा  को समझा दूंगा। हम आज ही कंप्लेन  कर रहे हैं।  जल्दी ही  केस  ओपन होगा और सभी गुनहगारों को सजा मिलेगी।" आनंद ने कहा।

"मुझे नहीं पाता इसके बाद आगे क्या होगा हमारी जिंदगी में?  हमारे साथ ? पर  अब  मुझे भी समझ में आ गया है कि जो हुआ  वह गलत हुआ। नहीं होना चाहिए था। उस  दिन  सांझ  के साथ गलत हुआ और जिसने  गलत किया है उसे सजा मिलना ही चाहिए।" नेहा  ने  मजबूती से कहा। 

"बस यही बात है गुनहगार तो नेहा  भी है और आप भी है। पर वही कहते हैं ना जो सरकारी  गवाह  बन जाता है  उसकी सजा कम हो जाती है। तो  यहाँ   मैं आप आप लोगो  को इतनी रियायत  दे रहा हूँ कि  आप अगर  सांझ  के लिए कुछ करते हैं तो बदले में आपकी सजा माफ कर दी जाएगी।"अक्षत  की आवाज सख्त  हो गई। 

"ठीक है..!!" नेहा ने कहा और फिर जाने लगी। 

अचानक से  मुड़ी  और  सांझ और अक्षत की तरफ देखा। 

"जानती हूं कि गलत किया मैंने..!! मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए  था। पर मैं मजबूर थी। अगर मैं  रुकती तो मेरा अंजाम भी शायद मौत होता क्योंकि  उस जानवर के  साथ जी नही सकती थी। हाँ पर मुझे जरा सा भी अंदाजा होता कि उस सबका  असर सांझ  पर आएगा तो मैं ऐसा कभी नहीं करती। और हां अब तक मैं भी सामने नहीं आई और कोई केस  नहीं कर पाए  क्योंकि मुझे डर था कि अगर उन लोगों को हमारे बारे में पता चल गया तो वह हम लोगों को जिंदा नहीं छोड़ेंगे। पर अब  डर नहीं है। मैं  भी  चाहती हूं कि मेरी बहन को  न्याय  मिले  और उन लोगों को सजा।और इसके लिए मुझे जो करना पड़ेगा वह मैं करूंगी। सिर्फ इसलिए नहीं कि आप हमे गलत  केस मे फंसा रहे हैं बल्कि इसलिए कि आज नहीं तो कल इन लोगों के साथ ऐसा होना ही चाहिए। जब तक इन लोगों को सजा नहीं मिलेगी यह लोग इन सब घटनाओं को  अंजाम देना  बंद नहीं करेंगे।" नेहा ने कहा और आनंद के साथ बाहर निकल  गई। 



क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव