साथिया - 128 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 128

केस  की शुरुआत हो चुकी थी  और अक्षत की तरफ से  केस  नील ने लड़ा। जहां पर अक्षत उसका पूरा साथ दे रहा था। इस दौरान अक्षत ने अपनी अपनी  जॉब से ब्रेक ले रखा था क्योंकि यहां वह एक वकील की भूमिका निभाते हुए सांझ  के लिए लड़ाई लड़ रहा था। 

हालांकि नेहा को बार-बार शक होता था कि माही का कुछ ना कुछ कनेक्शन है  सांझ  से पर सांझ  से जब भी मुलाकात होती  सांझ हमेशा इस तरीके का व्यवहार करती जैसे कि वह नेहा से पहली बार ही मिली है। 

आज  पहली हियरिंग  थी और अक्षत कोर्ट जाने को निकल रहा था। 

" मै भी चलूंगी जज साहब..!!" साँझ ने उसके पास आकर   कहा। 

" पर तुम क्या करोगी?? बेवजह ही तुमको हर्ट होगा..!! तुम्हे आखिरी दिन लेकर  जाऊंगा..!" 

" प्लीज जज साहब.!" 

" पर   तुम वहाँ कमजोर नही पड़ोगी और हाँ किसी को भी शक नही होना चाहिए कि  तुम साँझ हो। खुद को सही साबित करने के लिए वो लोग  बहुत  कुछ कहेंगे करेंगे।" अक्षत  ने उसे समझाया। 

"पर मैं सब कुछ जानना चाहती हूं.. मैं उन सबको सजा होते अपनी आंखों से देखना चाहती हूं। मैं देखना चाहती हूं कि उनकी आंखों में कोई पछतावा कोई शर्मिंदगी है या नहीं है जज साहब..!! मैं उनकी आंखों में वही दर्द देखना चाहती हूं जो मेरी आंखों में था उस समय।" सांझ ने भावुक  होकको  कहा तो अक्षत ने उसे अपने सीने से लगा लिया। 

"ठीक है चलो लेकिन खुद को मजबूत रखना..!! वहां तुम मेरी वाइफ माही चतुर्वेदी बनकर चल रही हो  साँझ  नहीं समझी..!!" अक्षत ने कहा। 

"जी जज  साहब  मैं  ध्यान रखूंगी।"  साँझ  बोली और फिर अक्षत के साथ वह भी कोर्ट निकल गई। 

नेहा और आनंद को भी पूरी सेफ्टी और सिक्योरिटी के साथ अदालत में हाजिर किया गया और सबसे पहले   उन्हीं  की गवाही  हुई। 

"जी जज साहब मैंने जो कुछ कहा वह एकदम सच कहा है। मैं आनंद को प्यार करती थी कॉलेज के टाइम पर ही। मेरे पापा ने मुझे धोखे से गांव बुलाया और मेरी शादी निशांत  ठाकुर के साथ तय  कर दी। मैं निशांत के साथ शादी नहीं करना चाहती थी क्योंकि वह कम पढ़ा लिखा और एकदम गंवार है। इसके अलावा कहीं से भी मेरा उसके साथ मैच नहीं है। यह करेक्टरलेश  भी है और शराब जुआ सब कुछ करता है। मैंने जब शादी के लिए मना किया तो मुझे मजबूर किया गया। मुझे घर में कैद कर दिया गया। मेरा फोन तक छीन लिया गया।" नेहा  अवतार  की तरफ देखकर बोली तो अवतार ने उसे गुस्से से घुरा।

"और जैसा ही मुझे मौका मिला मैं घर से भाग गई..!! पर मुझे नहीं पता था कि मेरे घर से भगाने के बाद मेरी जगह यह लोग मेरी छोटी बहन साँझ  को  दांव पर लगा देंगे।" नेहा ने कहा और एक-एक बात जज साहब  और बाकी लोगों के सामने कह दी। 


अवतार और भावना की तरफ नील  ने देखा और उनके सामने आकर खड़ा हो गया। 

"आपको कुछ कहना है मिस्टर अवतार सिंह क्योंकि आपकी बेटी  ने ही आपके खिलाफ शिकायत की है और  आपके ऊपर इल्जाम लगाया है। क्या आप स्वीकार करते हैं.."  नील ने  पूछा। 


"जी वकील साहब मैं मानता हूं कि नेहा के साथ मैंने यह सब किया. पर जो इसने आगे की कहानी सुनाई है  सांझ की  उसका ऐसा कुछ भी नहीं है। वो भी उसी रात भाग गई थी और फिर वापस नही आई।" अवतार    ने अब तने निशांत की तरफ देखकर कहा तो निशांत के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई। क्योंकि निशांत के लोगों ने अवतार को कोर्ट में आने से पहले ही धमकी दे दी  थी कि अगर उन्होंने  सांझ  वाले मुद्दे पर कुछ भी कहा तो नेहा और आनंद दोनों को खत्म कर देंगे। 

और आखिर एक  बाप फिर  अपने खून के लिए झुक गया और इस बार भी उसने निशांत का साथ देते हुए  सांझ  के बारे में बात को दबाने की कोशिश की। 

"क्यों झूठ बोल रहे हैं पापा..?? कम से कम अब तो सच बोलिए। कुछ तो पाप कम होंगे आपके।"नेहा ने  चीख  कर  कहा  तो उसे बाकी लोगों ने बिठा दिया। 

" देखिए  मिसेज  नेहा आप बीच में नहीं बोल सकती। आपका जब समय था तब आपने अपनी बात कही है अब आप शांति से बैठकर देखिये।" जज ने कहा तो नेहा शांत होकर बैठ गई। 

जब नील ने भावना से पूछा तो उसने भी वही बात दोहरा दी जो की अवतार ने कही थी। 


" जज साहब  मैं बिल्कुल ठीक कह रही हूं। ऐसा ही हुआ था मेरे  भागने के बाद इन लोगों ने जब गांव के नियम के हिसाब से मेरे मम्मी और पापा के लिए सजा निर्धारित की तो इन लोगों ने सजा से बचने के लिए  सांझ  को निशांत के हाथों  बेच दिया और फिर  निशांत ने  उसे इस चौपाल पर बेरहमी से मारा  पिटा। उसे दो दिन तक अपने घर में कैद रखा और फिर उसका  सौदा कर दिया और  उसे दलाल को देने से पहले उसने अपने दोस्तों के सामने सामने फेंक दिया।  इसी  कारण मजबूर होकर  साँझ  को अपनी जान  देनी  पड़ी।" नेहा ने दुखी होकर कहा 

निशांत का वकील नेहा के सामने आकर खड़ा हो गया सवाल जबाब के लिए। 

"और आप यह सब कैसे जानती हैं ?? आप तो वहां थी नहीं। आप तो उसी रात भाग गई थी और उसके बाद आप वापस गांव नहीं आई। यहां तक के गांव के किसी भी व्यक्ति से आपका कोई संपर्क नहीं है। किसी से आपकी कोई जान पहचान नहीं है। किसी से मुलाकात नहीं है फिर आपको यह सब कैसे पता..??" उस वकील ने कहा तो नेहा ने गर्दन झुका ली। 

"बस मुझे पता है क्योंकि यह सब हुआ था..!!कैसे पता है यह मैं नहीं बता सकती।" नेहा ने कहा तो अक्षत ने गहरी सांस ली। 

वहीं पीछे बैठी  सांझ भरी आंखों से सब कुछ देख रही थी और सौरभ रिपोर्ट रेडी कर रहा था।

जब  सांझ की आंखों में से आंसू बाहर आने को हुए तो उसने अपने  पर्स  से काला  चश्मा निकालकर आंखों पर चढ़ा लिया ताकि कोई उसकी भरी  आंखों को ना देख सके। 

अक्षत के इशारे पर नील ने निशांत को  कटघरे   में  बुलाया और उससे प्रश्न करने शुरू कर दिए। 


"तो आप बताइए निशांत  जी..!! क्या किसी लड़की की इच्छा के विरुद्ध उसके शादी करना ठीक है..?? उसे शादी करने के लिए मजबूर करना ठीक है? और उसके घर से भाग जाने के बाद उसके माता-पिता को सजा देना कहां का कानून है??" 

" लेकिन  ऐसी कुछ भी बात नहीं हुई है..!! यह सब  इस नेहा  की बनाई हुई मनघढ़ंत कहानी है। यह शुरू से ही ऐसी ही लड़की रही है। झूठ बोलना घर वालों की बात नहीं सुनना  और कई सारे लड़कों के साथ इसके संबंध रहे हैं। गांव में भी इसकी यही हरकतें थी। तो इसकी हरकतों से परेशान होकर इसके बाप ने  इसे शहर भेज दिया ताकि यह पढ़े-लिखे और गांव में उनकी बदनामी ना हो।  पर इसका वहां भी चक्कर शुरू हो गया और इसने किसी को नहीं बताया था कि  इसका किसी के साथ चक्कर चल रहा है। उसके साथ शादी करना चाहती है।" निशांत बोला तो नेहा ने भरी आँखों और उम्मीद से  अवतार को देखा।


अवतार ने गर्दन झुका ली। 

"गांव में आकर खुशी-खुशी शादी करने को तैयार हो गई थी ये। तो मुझे क्या सपने आएंगे  कि किसी और से  शादी करनी है ।  जब शादी की रात को यह भाग गई तब पता चला कि इसका  तो किसी और के साथ संबंध था।" निशांत ने बेशर्मी से नेहा की तरफ देखकर कहा तो नेहा का चेहरा लाल हो गया। 

"और दूसरी बात जब यह वहां से भाग गई तो फिर इसे क्या पता कैसे पता चला कि क्या हुआ गांव में और क्या नहीं हुआ? यह बिल्कुल झूठ बोल रही है जज साहब। ना ही तो इसके मम्मी माता-पिता के के साथ कुछ गलत हुआ। न ही  कोई सजा उनके  लिए निर्धारित हुई क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं होता है हमारे गांव में। और हां ना ही  सांझ जो कि इसकी बहन थी उसके साथ ऐसा कुछ हुआ। क्योंकि कुछ भी तो तब होगा जब मौका मिलेगा.?इसके भागते ही वह भी गांव से भाग निकली..!! शायद उसे डर होगा कि कहीं उसकी भी कमजोरी और इस तरीके के  अफेयर  वाली हरकतों का पता ना चल जाए। इसलिए हमारे हाथ में तो एक भी लड़की नहीं आई फिर हम किसी के साथ गलत क्या करेंगे..?? और जैसा की अवतार ने आपको बताया अपनी दोनों बेटियों के भागने के कारण बदनामी से उनकी गर्दन झुक गई थी और इसलिए यह खुद ही सभी जमीन वहां से  बेच  कर निकल गए।" निशांत ने कहा तो अक्षत ने एक पल के लिए आंखें बंद की और फिर खोल दी और  उठ खड़ा हुआ। 

" जज साहब  मै अक्षत चतुर्वेदी..!!फेमिली  कोर्ट में जज हूँ..!! इस केस में मै मिस्टर नील  वर्मा के साथ  को - काउंसल हूँ ( सह वकील)

मैं  नील वर्मा की तरफ से  इस केस  पर जिरह  करने की इजाजत चाहता हूं।" अक्षत  ने कहा।

"परमिशन ग्रांटेड..!!" जज  साहब बोले तो अक्षत  ने निशांत  की तरफ देखा और उसके पास आकर खड़ा हो गया। 

"चलिए मान लिया कि आपको  नहीं पता था कि नेहा किसी और को चाहती है..!! आपको नहीं पता था कि नेहा भागने वाली है। पर आपको यह तो पता था की नियति किसी और को चाहती है..!! और नियति भाग गई है सार्थक के साथ। फिर आपके गांव वालों ने उन लोगों को पड़कर लाया और उन्हें सजा  दी।  फांसी की सजा..!! किस किस कानून के तहत उन्हें मौत की सजा दी आपने और  आपके गांव वालों ने..??" अक्षत ने कहा। 
निशांत का चेहरा कठोर हो गया तो वहीं गजेंद्र और अवतार के चेहरे पर भी अजीब  भाव  आये


" पर यहाँ केस  अभी   अलग है फिर  नियति की बात क्यों हो रही है? जिस मुद्दे पर बात हो रही है   उस  पर बात कीजिए ना..??" निशांत  गुस्से से बोला। 

"नहीं क्योंकि यहाँ बात  सिर्फ  सांझ  को लेकर नहीं बल्कि  आप लोगों पर  और आपके पूरे गांव पर  नियति और सार्थक की हत्याकांड को लेकर भी केस   है। इसलिए  सवाल हर तरीके के पूछे जा सकते हैं। और यह हमें अधिकार है।" अक्षत ने कहा तो निशांत के माथे पर पसीना आ गया। 


"ऐसा कुछ भी नहीं हुआ  था।  नियति और सार्थक ने खुदकुशी की थी, और इसका इस बात का गवाह पूरा गांव है। बाकी आप कोई भी एक  गवाह  ले  आइये  जो कि यह कहे कि नेहा के जाने के बाद  सांझ  के साथ वह सब हुआ। या   नियति और सार्थक को सजा गांव में दी गई।" निशांत ने जोश में आकर कहा तो अक्षत के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। 

"  जज साहब अब मैं   अपने इस केस के पहले और मुख्य गवाह  सुरेंद्र सिंह  को बुलाने की इजाजत  चाहूँगा।" अक्षत जैसे ही बोला गजेंद्र अवतार और निशांत का चेहरा एकदम से  सफेद पड़ गया। 

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव