साथिया - 99 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 99

इसी के साथ दोस्तों साथिया के 100 पार्ट पूरे हुए। तो  इसी खुशी में हो जाए जरा कमेंट्स दिल खोलकर। 
बाकी शुक्रिया धन्यवाद थैंक्स आपके साथ के लिए। यूँ ही साथ बनाये रखे 🙏🙏

उधर अमेरिका में अगले दिन अक्षत उठा और जल्दी से रेडी हो गया। 

शालू  हॉल  में आई तो अक्षत को तैयार देखा


" आप तैयार हो गए अक्षत भाई..?? वैसे हमारी फ्लाइट शाम की है।" 

" हां पता है पर मुझे अभी तुम्हारे साथ डॉक्टर के पास चलना है..!! मैं उन लोगों से मिलकर सारे अपडेट लेना चाहता हूं।" 

"ठीक है नाश्ता कर लेते हैं फिर चलते हैं..!!"  शालू बोली  और सब लोग नाश्ता करने बैठ गए। 

तब तक माही भी रेडी होकर आ गई थी। उसने एक नजर अक्षत को देखा जो कि उसे ही देख रहा था। 

हर बार की तरह माही का दिल फिर से जोरों से धड़क उठा और फिर अपनी चेयर पर जाकर नाश्ता  शुरू कर दिया। 

नाश्ते के बाद अक्षत और शालू उठ खड़े हुए। 

"आप कहीं जा रहे हो शालू दीदी?" माही ने पूछा। 

"हां वह अक्षत भाई को तुम्हारे डॉक्टर से मिलना है तो बस उन्हें  मिलाने  लेकर जा रही हूं। अभी आ जाएंगे हम लोग दो ढाई घंटे में। फिर शाम को फ्लाइट है तो तैयारी भी करनी रहेगी।" शालू  ने कहा तो  माही  ने वापस  अक्षत की तरफ देखा।  अक्षत हल्का सा मुस्कुराया  तो माही  के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई और वह अपने कमरे में चली गई। 

" मैं दो मिनट में आया।" अक्षत ने कहा और माही के पीछे उसके रूम में आया। 

माही खुद को आईने में देख रही थी। 
चेहरे पर अजीब सी परेशानी थी। तभी उसे आईने में अक्षत दिखा तो माही ने पलट कर देखा। 

अक्षत ने उसे कंधे पकड़ वापस आईने के सामने खड़ा किया और आईने में ही उसकी आँखों मे झाँका। 

" क्या हुआ?? क्यों परेशान हो गई.?" 

" वो आप डॉक्टर के पास...!! डॉक्टर के पास क्यों..??" बोलते बोलते माही रुक गई। 

" ताकि तुम्हारी तबियत का और  इंप्रुवमेंट का अपडेट ले सकूँ..!" 

" बस इतना ही?" 

" और क्या होगा?" 
" मुझे लगा कि..??" वो अब थोड़ी नॉर्मल हो गई थी। 

" क्या लगा तुमको??" 

" कुछ नही बस यूँ ही..!" माही झेंप गई। 

" कोई भी बात... कोई भी सच, डॉक्टर की कही कोई भी बात.. कोई भी रिपोर्ट इस बात को नही बदल सकती कि तुम मेरी जिंदगी हो..!! साथी हो मेरी। तुमसे जो एहसासों का रिश्ता है वो इन सब बातों का मोहताज नही। बेइंतेहा मोहब्बत  करता हूँ तुमको..!!" अक्षत ने उसके कंधे पर हौले से छूकर कहा तो माही की आँखे नम हो गई। 

" जाऊँ मैं अब..?? अगर तुम मना करोगी तो नही जाऊंगा क्योंकि तुमसे बढ़कर कुछ नही।" अक्षत ने धीमे से कहा।

" जाइये..!!" माही धीमे से बोली तो अक्षत ने मुस्करा के उसके गाल से हाथ लगाया  और फिर शालू के साथ डॉक्टर के पास निकल गया। 

पहले  वो लोग  माही की  न्यूरोफिजिशियन के पास गए और उससे माही  की कंडीशन के बारे में बात की। 

"अच्छा तो यही है  माही के  जज साहब..!!" डॉक्टर ने कहा तो  शालू मुस्कुरा उठी। 

अक्षत ने  नासमझी से देखा। 

"अरे इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है..!माही को अक्सर ही सपने आते हैं और उनमें वह जज साहब वह देखती थी। तो मैंने  शालू  से पूछा था तब शालू ने बताया था कि अपनी पिछली जिंदगी में माही  जिसे प्यार करती थी वह आप है। और  वह जैसा कहती थी वाकई में बहुत गहरा रिश्ता रहा होगा आपका और माही  का तभी सब कुछ भूलने के बाद भी आपका नाम नहीं भूली वह..!!" डॉक्टर ने कहा। 

"वैसे डॉक्टर क्या उम्मीद है कब तक उसे सब कुछ याद आ जाएगा? " अक्षत ने पूछा। 

"मुझे पूरा विश्वास है कि जल्दी ही  उसे सब कुछ याद आ जाएगा। देखिएगा और आप जब  उसके साथ है तो इसकी उम्मीद और भी ज्यादा बढ़ गई है। हो सकता है किसी दिन अचानक से उसे सब कुछ याद आ जाए या ऐसा हो सकता है कि धीमे-धीमे करके उसे सब कुछ याद आए। पर याद जरूर आएगा इतना मैं जानती हूं।" 

"जी डॉक्टर..!!" अक्षत बोला। 

"पर आपको  उसके लिए तैयार रहना होगा..!! जितना मुझे समझ आया है उसकी पुरानी जिंदगी में बहुत कुछ कड़वी यादें हैं। बहुत कुछ गलत हुआ है।  उसका एक्सीडेंट और उस एक्सीडेंट से पहले क्या हुआ है यह कुछ बातें तो शालू ने  मुझे बताई  हैं पर कुछ बातें ऐसी हैं जो शायद सिर्फ और सिर्फ माही जानती है। हो सकता है याद आने के बाद वह  तकलीफ में रहे।  पैनिक करें  या दर्द उसे बर्दाश्त ना हो। उम्मीद करती हूं कि आप उसे संभालेंगे क्योंकि जितनी खुशी की बात है उसे सब कुछ याद आना उतनी ही ज्यादा डर की बात भी है। क्योंकि आज भले उसे कुछ याद नहीं है तो वह अपनी तकलीफें  भूल गई है पर जिस दिन उसे बाकी सब कुछ याद आएगी। उसी के साथ उसे वह तकलीफ भरे दिन भी याद आ जाएंगे।" डॉक्टर ने अक्षत को समझाया। 

"जी डॉक्टर मैं पूरा ख्याल रखूंगा..!! अब कोई भी तकलीफ उस तक नहीं पहुंच सकती।" 

"ओके सर ऑल द बेस्ट और कभी भी जरूरत लगे आप   मुझे कॉल कर सकते हैं। इन   दो सालों में माही को बहुत अच्छे से जाना और समझा मैंने। उसे हैंडल करने के लिए आसानी होगी आपको!"डॉक्टर बोली। 

" थैंक यू  डॉक्टर। जब भी जरूरत होगी बिल्कुल आपको कॉल करूंगा!" अक्षत ने कहा और उसके बाद वह लोग वहां से  कॉस्मेटिक सर्जन के पास चले गए जहां पर  साँझ  का ट्रीटमेंट चल रहा था क्योंकि चेहरा  तो अब ठीक हो चुका था पर  जिस्म के जख्मो के निशान अभी  भी कुछ बाकी थे जिनका कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट अभी चल रहा था 


"हेलो सर यह मिस्टर अक्षत चतुर्वेदी है। माही मेरी बहन जिसकी आपने सर्जरी की थी उसके  वुड बि  हस्बैंड...!" शालू ने अक्षत का इंट्रोडक्शन कराया। 

" हेलो सर... प्लीज हेव ए  सीट!" डॉक्टर ने कहा तो अक्षत और शालू सामने बैठ  गए। 


"प्रोग्रेस काफी ठीक है। चेहरा और उसके शरीर के खुले हिस्से तो लगभग ठीक हो चुके हैं। बाकी बॉडी पर अभी भी कुछ निशान बाकी है....!" डॉक्टर बोले। 

अक्षत बस ध्यान से सुन रहा था उसने कोई सवाल नहीं किया। 


" बट जैसा  कि  शालिनी ने बताया कि आप की और  माही की शादी होने वाली है आप उनके फ्यूचर हसबैंड हो तो कुछ चीज आपको  जानना और समझना जरूरी है!" डॉक्टर ने कहा तो अक्षत ने गहरी आंखों से उसे देखा। 

" वह एक्सीडेंट बहुत गहरा  था। एक नॉर्मल एक्सीडेंट नहीं था।   माही समझती है कि उसका एक्सीडेंट नॉर्मल था जबकि वह  एक रिवर से रेस्क्यू की गई थी जैसा कि मिस्टर राठौर ने मुझे बताया। उसकी पूरी बॉडी पर काफी गहरे गहरे घाव थे शरीर की स्किन और मांस भी मछलियों ने कहा जगह-जगह से कुतर  दिया था। माही कई महीनों  यहां मेरे हॉस्पिटल में रही है। सबसे पहले मैंने उसका फेस ठीक किया और उसके बाद उसकी बॉडी के बाकी हिस्सों की भी सर्जरी की है। धीमे-धीमे सब कुछ एक साथ ठीक होना पॉसिबल नहीं था इसलिए कुछ गहरे निशान और जख्मों के ठीक होने के बाद कुछ स्कार टिशु अब  भी हैं। " डॉक्टर ने कहा तो अक्षत ने गहरी सांस ली। 

"जहां तक मुझे पता है  माही को आपके और उसके रिश्ते के बारे में कुछ भी नहीं याद और अब जबकि आप दोनों नए बंधन में बाँधने  वाले हो तो  एज ए हस्बैंड आपको उसे बहुत सपोर्ट करना होगा!" डॉक्टर ने कहा तो अक्षत ने गर्दन हिलाई। 

"हस्बैंड वाइफ के रिलेशन में हर तरह की ट्रांसपेरेंसी होती है! चाहे फिर वह मेंटल हो या फिजिकल!" माही ने अब तक खुद को धीमे-धीमे संभालना सीख लिया था। पर अब जब आपके साथ शादी होगी तो चीज बदलेंगी। अब वह खुद को आपकी नजरों से  देखने  लगेगी। आपकी नजरों में वह खुद को तलाश  करेगी। वह आपसे जानना चाहेगी कि वह आपको  अच्छी लग रही है या  बुरी लग रही है? आप उसके साथ प्यार से पेश आ रहे हैं या उसकी हालत देखकर आपको उस पर तरस आ रहा है या घृणा और नफरत हो रही है....?? यह सब  चीजें आपकी आंखों में देखेगी और यही आगे माही  की रिकवरी पर भी असर डालेगी। आप बेहतर समझते होंगे कि जब इंसान की सोच पॉजिटिव होती है तो वह पॉजिटिव चीजे लेता है और जल्दी ठीक होता है। जबकि नेगेटिव सोच के साथ इंसान को वक्त लगता है ठीक होने में!"  डॉक्टर ने कहा। 

"जी डॉक्टर मैं समझ रहा हूं!"  अक्षत ने कहा। 

" क्योंकि मिस्टर राठौर माही को इंडिया से दूर यहां ले आए और यहां किसी भी तरह की नेगेटिव बात  और नेगेटिव इशू उसके साथ नहीं हुआ इसलिए वह इतनी जल्दी रिकवर कर गई वरना जिस कंडीशन में वह यहां आई थी मुझे तो उम्मीद भी नहीं थी कि हम इतना इंप्रूवमेंट कर पाएंगी या  इतने सारे चेंज को उसकी बॉडी एक्सेप्ट करेंगी। क्योंकि उसे पॉजिटिव माहौल मिला तो उसकी बॉडी  ने पॉजिटिवली रिएक्ट किया।" 

" आगे भी ऐसा ही होगा।" अक्षत बोला। 


"अब आगे आपका पॉजिटिव व्यवहार उसमें पॉजिटिविटी  लाएगा। अगर उसके जख्मों को देखकर आपको उसके प्रति नेगेटिव भाव आएंगे। उसके लिए फीलिंग्स सही नहीं आएगी, दया आएगी या घृणा आएगी तो शायद वह बर्दाश्त ना कर पाए...!"  डॉक्टर ने कहा और उसी के साथ स्क्रीन पर कुछ फोटो चालू कर दिए। 

यह माही  के तब के फोटो हैं जब वो  यहाँ एडमिट थी।" डॉक्टर बोले तो स्क्रीन देख अक्षत कांप गया।

डॉक्टर ने स्क्रीन चेंज की।

अब भी माही के जिस्म के फोटो थे जहां पर गहरे गहरे घाव साफ दिख रहे थे। 

डॉक्टर ने वहां पर पॉइंट किया। 

"यह कुछ  लगभग लगभग ठीक हो चुके हैं पर कुछ निशान अभी बाकी है, और कहीं पर कुछ जख्म भी। क्योंकि कॉस्मेटिक सर्जरी एकदम से भी नहीं की जा सकती। हमें स्टेप बाय स्टेप चीज करनी होती है और फिर कोई भी सर्जरी होने से पहले माही का  स्टेबल होना ज्यादा जरूरी था। उसको खतरे से बाहर निकलना ज्यादा जरूरी था  इसलिए पहले उस पर फोकस किया गया समझ रहे होंगे आप!"  डॉक्टर ने कहा तो अक्षत ने एक नजर उन घावों वाली जगहों पर और जख्मों के निशाने पर डाली और फिर भरी आंखों के साथ डॉक्टर को देखा। 


"डॉन'ट वरी डॉक्टर। अब माही और उसका हर दर्द  और खुशी मेरी जिम्मेदारी है। उसे बिल्कुल भी तकलीफ नहीं होने दूंगा किसी भी तकलीफ का एहसास नहीं होने दूंगा और इन   मार्क्स को देखकर मुझे उसके लिए कोई नापसंदगी की  फिलिंग नहीं आ रही है ना ही कोई नफरत आ रही है ना ही दया आ रही है। सिर्फ एक ही एहसास इस समय मेरे दिल को महसूस हो रहा है वह है दर्द का एहसास। पेन का एहसास बहुत ही ज्यादा  पैन महसूस कर रहा हूं मैं इस समय यह सोचकर कि  मेरी  मिसेज चतुर्वेदी ने कितनी तकलीफ बर्दाश्त की होगी। कितना कुछ  सहा है उसने और मैं उसके साथ नहीं था उसके  उन कठिन दिनों में!"  अक्षत ने  भावुक होकर कहा। 

" डोंट वरी  शी विल बि फाइन सून। "आपकी बातों से मुझे तसल्ली हो गई और अब मैं बिल्कुल  बेफिक्र हूं माही की तरफ से।" डॉक्टर बोले और शालू को देखा। 

"इनके साथ माही की मैरिज कर सकते हैं यह उसे संभाल लेंगे और बाकी उसका ट्रीटमेंट चलता रहेगा अब वैसे भी ज्यादा तकलीफ नहीं है ज्यादा निशान भी नहीं है। तो बीच-बीच में मेरे पास उसको लेकर आ जाना मैं आगे की  प्रोसेस करता रहूंगा!" डॉक्टर ने कहा। 

" थैंक यू डॉक्टर थैंक यू सो मच....!" अक्षत ने कहा और शालू के साथ वापस  घर के लिए निकल  गया। 


क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव