हीर... - 23 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हीर... - 23

राजीव के महज़ फोन रिसीव ना करने की वजह से चारू इतनी जादा परेशान हो गयी कि वो उससे मिलने के लिये दिल्ली तक चली आयी लेकिन उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि आज उसने कितना बड़ा काम कर दिया था, आज अगर वो सही समय पर दिल्ली आकर राजीव को ना संभालती तो भगवान जाने क्या अनर्थ हो जाता... 

मधु और अवध से बात करने के बाद अब जाकर कहीं राजीव के मन को भी सुकून मिल रहा था, थोड़ा नॉर्मल होने के बाद राजीव ने चारू से कहा- तू अकेले क्यों आयी चारू... बाबू जी या मम में से किसी ने रोका नहीं?

राजीव का सवाल सुनकर चारू ने उसे फिलहाल तो कुछ नहीं बताया बस वो हल्का सा मुस्कुराई और प्यार से उसका हाथ थामकर बोली- रास्ता बहुत लंबा है, बाकी बातें रास्ते में हो जायेंगी... चल सामान पैक करते हैं और घर चलते हैं!!

अपनी बात कहने के बाद चारू ने राजीव के साथ मिलकर  उसका सारा सामान जैसे उसके कपड़े और बाकी चीजें दो बड़े और एक छोटे ट्रॉली ब्रीफकेस में पैक करवा दी थीं बाकी जो थोड़ा बहुत सामान बचा था वो राजीव बाद में ले जाने वाला था...

राजीव के साथ उसका सामान लेकर चारू जब अपार्टमेंट में नीचे खड़ी कार के पास आयी तो उसने देखा कि अजय... वहां नहीं थे.. 

अजय को वहां ना देखकर चारू ने राजीव से कहा- राजीव तू सामान डिक्की में रखवा दे... मैं जरा एक कॉल कर लूं..

चारू ने ये सोचकर कि "पापा शायद इधर उधर कहीं टहल रहे होंगे" अजय को जब कॉल किया तो अजय ने फोन रिसीव करके कहा- चारू.. बेटा मैं बस से मेरठ जा रहा हूं, तुम दोनों कानपुर चले जाओ.. मैं परसों सुबह तक वापस आ जाउंगा।

"पापा मेरठ चले गये" ये बात सोचते हुये चारू हैरान रह गयी और फिर उसने कहा- अरे पर आप मेरठ क्यों चले गये पापा?

अजय ने कहा- क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि किसी भी तरह से राजीव को ये एहसास हो कि मैंने उसे उस हालत में देखा है, वो बहुत शार्प माइंडेड है.. मुझे नीचे कार में देखता तो फौरन समझ जाता कि बाबू जी ऊपर जरूर आये होंगे और मैं यही नहीं चाहता था... अच्छा वो छोड़ ये बता कि अब कैसा है वो?

चारू ने कहा- वो ठीक है पापा... हम कानपुर के लिये निकल रहे हैं!!

अजय ने कहा- वैरी गुड बेटा... मैंने कहा था ना कि तुम कर लोगी!!

अजय की बात सुनकर चारू मुस्कुराने लगी फिर उसने अजय से कहा- थैंक्यू पापा एंड लव यू!! यू आर द बेस्ट पापा....

अजय भी खुश होते हुये बोले - Papa loves you too beta...!! मेरी दोनों बेटियां मेरा गर्व हैं... जाओ राजीव का ध्यान रखो और रास्ते में कुछ खा लेना दोनों लोग...

इसके बाद अजय से बात करके चारू ने फोन काट दिया और राजीव को लेकर खुशी खुशी कानपुर के लिये निकल गयी... 

दिल्ली के मयूर विहार स्थित राजीव के अपार्टमेंट से निकलने के बाद थोड़ी दूर चलकर नौयडा पंहुचने के बाद ही इन लोगों ने हल्का फुल्का खाना खा लिया था और खाना खाने के बाद अब ग्रेटर नौयडा के परी चौक से होते हुये ये लोग आगरा एक्सप्रेस-वे पर आ चुके थे...

राजीव का नशा तो पूरी तरह से उतर चुका था लेकिन उसकी खुमारी अभी तक भी उसे महसूस हो रही थी इसलिये जब उसने सुबह से खाली पेट रहने के बाद अब जब खाना खाया तो उसे बहुत तेज़ नींद आने लगी थी, थकी हुयी तो चारू भी थी और उसने भी सुबह से जाकर अब खाना खाया था लेकिन राजीव को सही सलामत वापस ले जाने की खुशी के चलते उसकी आंखों में बिल्कुल भी नींद नहीं थी...!!

राजीव और चारू दोनों कार की पिछली सीट पर बैठे हुये थे इसलिये चारू ने अपनी जगह पर बैठे राजीव को जब बार बार तेज़ तेज़ झपकियां लेते देखा तो उसने राजीव के कंधे पर हाथ रखकर स्माइल करते हुये कहा- नींद आ रही है?

तेज़ नींद की वजह से चढ़ चुकीं अपनी आंखों से राजीव ने चारू की तरफ देखा और अपनी भौंहों से "बहुत तेज़!!" का इशारा करते हुये उबासी लेने लगा...

राजीव को  हमेशा की तरह बिल्कुल किसी बच्चे जैसा रियेक्ट करते देख चारू ने बहुत ही प्यार से अपने दोनों हाथ उसकी तरफ़ फैलाकर उसे इशारा किया "आ मेरी गोद में सिर रखकर लेट जा!!"

राजीव को इतनी तेज़ नींद आ रही थी कि बिल्कुल ऐसे जैसे वो चारू के इशारे का ही इंतजार कर रहा हो... वैसे उसका इशारा मिलते ही वो चारू की गोद में सिर रखकर लेट गया और मुश्किल से दो ही मिनट गुजरे होंगे वो चारू की गोद में सिर रखकर लेटे लेटे ही खर्राटे भी लेने लगा...!!

चारू सोते हुये राजीव को देखकर बस मुस्कुरा रही थी और लगातार... बड़े प्यार से उसके बालों में बिल्कुल एक मां की तरह हाथ फेरे जा रही थी शायद इसलिये कि राजीव और जादा सुकून से गहरी नींद में सोकर अपना स्ट्रेस बिल्कुल खत्म कर दे...!!

क्रमशः