सावन का फोड़ - 10 नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

सावन का फोड़ - 10

कर्मा जोहरा को अद्याप्रसाद के पारिवारिक परम्पपराओ जीवन शैली रहन सहन एव कोशिकीपुर पुर गांव का इतिहास भूगोल बताती और जोहरा को प्रशिक्षित करती जोहरा में जो भी इस्लामिक संस्कृति कि झलक उसके रहन सहन हाव भाव मे दृष्टिगत होते उसे जोहरा को दूर करने की सलाह देती .
करोटि द्वारा कर्मा को दी गयी तीन माह कि अवधि बीतने के बाद कर्मा जोहरा को साथ करोटि के गयी .
करोटि बहुत खुश हुआ जोहरा को देख क्योकि जोहरा विल्कुल बदल चुकी थी करोटि को स्प्ष्ट दिख रहा था जैसे जोहरा कोशिकीपुर या आस पास के गांव की ही रहने वाली हो फिर करोटि आश्वस्त होना चाहता था अतः उसने कर्मा से बोला बाई हम खुद देखना चाहते है की जोहरा कितनी फिट बैठेगी हमारी भविष्य की योजना अनुसार कर्मा कि इतनी हैसियत ही नही थी की वह करोटि कि किसी भी आदेश मंशा को नजरअंदाज कर दे कर्मा ने कहा अन्नदाता कि जैसी मर्जी कर्मा जोहरा दोनों ही करोटि के अड्डे पर रुक गयी करोटि का तो स्थिर रहना मुश्किल था पुलिस एव प्रशासन उसके नाक में दम कर रखा था रात को वह एव उसका गैंग बिना बताए किसी के भी घर मे घुस जाता क्या मजाल जो कोई चूं तक कर दे करोटि जिसके भी घर रात को रूकता उसके घर जो मर्जी होता मनमानी करता बेटी बहुओं कि इज्तत से घर वालो के सामने खेलता घर मे कोई भी उसके योग्य सामान होता वह एव उसके आदमी उठा ले जाते यहाँ तक की बकरी बकरे मुर्गी मुर्गा जो भी मिल जाए जिसके घर भी रुकता पूरा घर करोटि एव उसके गैंग कि आवभगत में एक पैर पर खड़ा रहता यदि कोई बात करोटि एव उसके गैंग वालो को पसंद नही आती तो जाते समय परिवार के सदस्यों को गोली मार देता और अपनी उपस्थिति का नासूर छोड़ जाता .
कर्मा जोहरा करोटि के साथ एक सप्ताह रही करोटि ने कर्मा बाई कहा कि अभी अगले तीन माह और जोहरा को ट्रेंड करो तब बताएंगे आगे क्या करना है ?जोहरा कर्मा वापस लौट गई इधर दिन प्रति दिन करोटि का आतंक बढ़ता जा रहा था करोटि आतंक का पर्याय बन चुका था प्रशासन एव पुलिस के सभी प्रयास व्यर्थ साबित हो रहे थे कारण कोई भी व्यक्ति करोटि कि मुखबिरी करने को तैयार नही था दूसरा आम जनता का कोई सहयोग करोटि के विरुद्ध नही मिल रहा था जिसके चलते करोटि और पुलिस प्रशासन के आंख मिचौली के खेल में पुलिस का ही अधिक नुकसान हो रहा था।
कर्मा बाई जोहरा कि उन कमियों को दूर करने का जी जान से प्रयास करने लगी जिनको विशेषकर करोटि ने कर्मा को बताया था समय धीरे धीरे भविष्य को अपने अन्तर्मन में समेटे अपनी गति से चलता जा रहा था ।
कर्मा ने जोहरा को अर्धरात्रि को बुलाया और बोली जोहरा हमारी तबियत बहुत बिगड़ रही है हमे ऐसा लग रहा है कि यदि कुछ घण्टो में सही इलाज नही मिला तो मै मर जाऊंगी जोहरा ने तुरंत नवी बरकत आदि उस्तादों को बुलाया और कर्मा को कटियार अस्पताल ले चलने कि बात कही उस्तादों ने बिना समय गंवाए कर्मा को कटियार ले जाने हेतु व्यवस्था कि और जोहरा को साथ लेकर चल दिए रास्ते भर कर्मा चीखती चिल्लाती रही चार बजे भोर कर्मा अस्पताल पहुंची आनन फानन उसे अस्पताल के इमजेन्सी में भर्ती कर लिया गया जो भी इलाज फौरी तौर पर किया जा सकता था किया गया कर्मा को कुछ राहत अवश्य मिली वह सो गई सुबह डॉक्टरों ने कर्मा कि गहन जांच किया और पैथोलॉजीकल टेस्ट एव कुछ विशेष जांचे लिखी जोहरा एव उस्तादों नवी एव बरकत ने कर्मा के सारे जांचे कराई दो दिन बाद सारी रिपोर्ट आ गयी और स्प्ष्ट हो गया कि कर्मा कि आंतो में छोटी छोटी गांठे है और ओवरी इन्फेक्टेड है जो कभी भी कैंसर का भयंकर रूप धारण कर सकती है दोनों ऑपरेशन शीघ्र न होने पर साल छः महीनों में कर्मा कि मौत निश्चित थी समस्या यह थी की कटियार जिला अस्पताल में ऑपरेशन तत्काल सम्भव नही थे कारण अस्पताल के चिकित्सकों का स्थानांतरण हो चुका था और आने वाले चिकित्सक आएं नही थे बिलंब कि संभावना बढ़ती जा रही थी जो कर्मा को मौत के और निकट ले जा रही थी ।
इधर एकाएक करोटि आधी रात को अपने दल बल के साथ कर्मा के कोठे पहुंचा अमूमन देर रात तक गुलज़ार रहने वाला कर्मा बाई के कोठे पर सन्नाटा पसरा था आस पास के कोठे हमेशा की तरह गुलज़ार थे करोटि ने पहले कर्मा कि पड़ोसी रसूलन बाई से पूरे हालात कि जानकारी ली फिर कर्मा के कोठे पर गया और दरवाजा खटखटाया दरवाजा नासिर उस्ताद ने खोला और करोटि को देखते ही बोला हुजूर आप आ गए कर्मा दीदी कि तबियत बहुत बिगड़ चुकी है वह कटियार अस्पताल में गयी है और उसने कर्मा का विवरण जो पहले से लिखकर रखा था वह करोटि को थमाते हुये नसीर बोला हुजूर आप ही कर्मा को बचा सकते है बचा लीजिए करोटि बड़े सोच में पड़ गया कदम कदम पर पुलिस थी उसके वह कर्मा कि मदद को जाए तो जाए कैसे
वह लौट आया अपने दल बल के साथ और बड़े जद्दोजहद एव सोच विचार के बाद उसने कर्मा के लिए मदद के तौर पर पचास हज़ार रुपये अपने विश्वस्त जंगेजी खान के हाथों भेजने का निश्चय किया. जंगेजी खान वेष बदलने में माहिर एव जबजस्त निशानेबाज था करोटि ने जंगेज खान को निर्देश दिया कि पुलिस को कर्मा और हमारे संबंधों की जानकारी है वह अवश्य इस उम्मीद में कर्मा के इर्द गिर्द अपना जाल बिछाई होगी कि हम कर्मा से मिलने जरूर जाएंगे मैं तो नही जा रहा हूँ ना ही जाऊँगा हां तुम्हे लगे की तुम जोहरा तक नही पहुँच पाओगे और किसी कारण पुलिस तुम्हारे नजदीक पहुंच जाए तो क्या करना है ? मालूम है न जंगेज खान ने खाली पिस्टल अपने कनपटी पर रखते हुए मिस फायर करते हुए इशारों में करोटि को स्प्ष्ट कर दिया
जंगेज खान कटियार पहुँचा पुलिस के पास करोटि एव उसके गैंग के किसी सदस्य कि कोई पहचान थी ही नही जैसे फ़ोटो फिंगर प्रिंट आदि उन दिनों फोटो ही अपराध कि दुनियां में पहचान का प्रमुख साधन था अतः जंगेज खान को अस्पताल पहुचने में कोई परेशानी नही हुई।