सिद्धार्थ ने बड़े ध्यान से पत्नी माधवी को देखते और स्तब्ध रह गए पल भर के लिए स्वंय सोच में पड़ गए की आखिर माधवी को हुआ क्या है? बहुत हिम्मत करते हुए उन्होंने माधवी को पुकारा माधवी माधवी क्या हुआ तुम्हे ?माधवी जैसे ममत्व के गहरे समंदर में डूबी जैसे जन्मों कि ममता सोए बच्चे पर न्योछावर कर रही हो ऐसा लग रहा था जैसे माँ सीता बनवास से लौटे राम को निहार रही हो कारागार कि असह वेदना के निवारण के विश्वास में माता देवकी कृष्णा को निहारती हो और कृष्णा से व्यथा कि निवारण याचना कर रही हो जैसे यशोदा मईया अपने लल्ला को किसी दैत्य दानव के साए से रक्षा के लिए स्वयं रणचंडी कि तरह रक्षा कवच बनकर उसकी रक्षा कर रही हो पत्नी माधवी कि अजीब स्थिति को देखकर सिद्धार्थ को समझ मे नही आ रहा था कि क्या करे ?पुनः साहस जुटा कर सिद्धार्थ ने माधवी का हाथ पकड़ कर जोरो से हिलाना शुरू किया एकाएक माधवी ममता के गहरे समंदर से सतह पर आ गयी माधवी ने पति सिद्धार्थ को बड़े गौर से देखा अपने अधरों पर अपनी तर्जनी रखते हुए पति को जैसे इशारे से बता रही हो कि शोर मत करो नही तो उसकी ममता के आंचल में निश्चिन्त सो रहा उसके जन्मों कि तपस्या एव अरमानों का बेटा जग जाएगा. सिद्धार्थ को बात समझ मे आ गयी वह समझ गया कि माधवी ममता के सागर में डूबी हुई है कुछ और कहना उचित नही समझा और पुनः विस्तर पर पूर्ववत लेट कर बच्चे के उठने कि प्रतीक्षा करने लगा माधवी पूर्ववत सोए बच्चे को निहारती सहलाती रही बैठी रही शाम को जब बच्चा उठा तब जैसे वह पुरानी बातों को भूल चुका हो और माधवी को ही माँ के रूप में स्वीकार कर चुका हो सिद्धार्थ को तब बड़ा आश्चर्य हुआ जब उन्होंने देखा बच्चा विल्कुल सामान्य और ऐसा लग रहा था जैसे उन्ही के घर मे अब तक पला हो ना तो वह पहले कि तरह रोता विलखता ना ही कोई जिद्द कर रहा था बल्कि माधवी को मम्मी सम्बोधित कर रहा था सिद्धार्थ कभी भी तकिया नुकुसी किवदन्तियों पर अंध विश्वाश करने वालो में नही थे कारण उनकी उच्च शिक्षा और शुरू से बिभिन्न देशों में आते जाते उनके विचार पूर्ण रूप से वैज्ञानिक एव तर्क तथ्यों पर आधारित थे पत्नी माधवी भी उच्च शिक्षित और उन्ही कि सोच समझ की पृष्ठभूमि कि महिला थी पति पत्नी में सामंजस्य सूझ बूझ का यह आलम था की उनके साथ काम करने वाले अक्सर कहते यार सिद्धार्थ आप बहुत भाग्यशाली हो तुम्हे यशोधरा जैसी माधवी मिली जो आपके प्रत्येक विचार धारा को आत्म साथ कर लेती है. लेकिन जो प्रत्यक्ष दृश्य सिद्धार्थ ने देखा एक अनजान बच्चे के लिए पत्नी माधवी के भवो में उमड़ते ममवत्व को उन्हें भारतीय सनातन में विश्वास को और मजबूत बना दिया उन्होंने पत्नी माधवी से कहा कि इसका नाम रितेश तो यह बता रहा है लेकिन हम दोनों इसका नया नाम देंगे माधवी का जैसे खुशी का कोई ठिकाना ही न रहा बोली आपके नाम का पहला अक्षर स मेरे नाम का पहला अक्षर म मिलकर इसका नाम समग्र रखते है सिद्धार्थ को कोई आपत्ति नही हुई और बच्चे का नाम रितेश से समग्र पति पत्नी ने रखा माधवी सिद्धार्थ समग्र तीनो बहुत रात तक खुशियों कि तरंगों भविष्य की कल्पनाओं में काठमांडू घूमते रहे समग्र को बाढ़ में बहना माँ बाप से बिछड़ना जैसे भूल गया था देर रात घूमने के बाद होटल लौट कर तीनो बड़े चैन कि नींद सोए सुबह उठकर माधवी तैयार हुई और समग्र को तैयार किया सिद्धार्थ तैयार हो चुके थे क्योकि मास्को के लिए काठमांडू से फ्लाइट सुबह दस बजे ही थी तीनो तैयार होकर अंतरराष्ट्रीय त्रिभुवन एयरपोर्ट पहुंचे सभी औपचारिकताए पूर्ण करने के बाद हवाई जहाज में बैठे कोई परेशानी इसलिए नही हुई क्योकि नेपाल सरकार ने समग्र को सिद्धार्थ माधवी को सौंपते समय ही समग्र के लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण करा ली थी हवाई जहाज अपने निर्धारित समय से मास्को के लिए उड़ान भरता आसमान में कि ऊंचाईयों से बाते करने लगा अपनी नियत यात्रा पूर्ण करने के बाद हवाई जहाज मास्को के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरा सिद्धार्थ माधवी समग्र के साथ अपने घर पहुंचे सिद्धार्थ माधवी के साथ समग्र को देख सिद्धार्थ और माधवी को पहले से जानने वालों को आश्चर्य हुआ सिद्धार्थ के ऑफिस में कार्यकरने वाले सहकर्मी मातहतों को जब यह बात पता लगी सभी पहले तो यह पूंछते कि समग्र कौन है ?सिद्धार्थ को माधवी ने पहले ही बता रखा था कि जो भी पूछे समग्र के विषय मे बताइए की समग्र हमारा ही खून है कलकत्ता में पैदा हुआ था और अपनी नानी के पास ही रह रहा था अब चुकी उसके पढ़ने का समय आ गया है तो हम लोग साथ लेकर आए है इतना सुनने जानने के बाद कोई और प्रश्न नही करता क्यूट समग्र की लंबी उम्र का आशीर्वाद ही देता सिद्धार्थ ने समग्र का एडमिशन मास्को के सबसे अच्छे स्कूल में करा दिया और समग्र स्कूल जाने लगा।