सावन का फोड़ - 11 नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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सावन का फोड़ - 11

जंगेज अस्पताल पहुंचने के बाद सीधे कर्मा बाई के वार्ड में दाखिल हुआ कर्मा बाई ने जंगेज को देखते ही राहत की सांस ली और बैठने का इशारा किया जंगेज बैठा गया और कर्मा बाई के हाल चाल पूछने लगा कहावत मशहूर है चोर कि दाढ़ी में तिनका कर्मा से बात करते समय जंगेज खान कि हालत बिल्कुल इसी कहावत जैसी ही थी कर्मा से बात करते समय जंगेज चारो तरफ देखता और उसके देखने का अंदाज़ कुछ ऐसा था जैसे कोई बहुत शक्तिशाली आदमी किसी अनजान भय के खौफ में सतर्क हो. सदी वर्दी में कुछ पुलिस कर्मी अस्पताल के आस पास मौजूद थे क्योकि पुलिस के पास इस बात सूचना थी कि करोटि के संबंध कर्मा बाई से है और वह कर्मा बाई के ऐसे हालात में उससे मिलने अवश्य आएगा कर्मा बाई ही एक ऐसी राजदार करोटि कि थी जो करोटि को उसके अंजाम तक पहुचने में सूत्र धार बन सकती थी लेकिन कर्मा सोने की अंडा देने वाली मुर्गी का पेट क्यो भाड़ने लगी करोटि के लूट पाट के सोने चांदी आदि सामानों को कर्मा ही खपाती और बेचती और करोटि को औने पौने देकर उसे संतुष्ट रखती करोटि की खास बात यह थी कि वह कभी भी लूट पाट के सामान बेचने ना तो स्वंय जाता ना ही उसने इसके लिए स्थाई तौर पर किसी व्यवसायी को निर्धारित कर रखा था उसका यह कार्य विभाग कर्मा बाई ही संभालती और गोली बंदूख आदि का कार्य उसके उस्तादों के जिम्मे था ऐसा भी नही था कि बीमार स्थिति में कर्मा के पास स्वंय के इलाज के लिए किसी धन दौलत कि कमी थी वह तो सिर्फ यह देखना चाहती थी कि उसके इस हालात पर करोटि क्या सोचता है एव किस प्रकार कि प्रतिक्रिया देता है ।
जंगेज को सामने देख कर्मा को इस बात को लेकर संतोष हुआ कि करोटि उसके लिए अच्छा ही सोचता बेचारी कर्मा को क्या मालूम की करोटि के बहुत खास मकशद कि एक कमजोर मोहरा मात्र थी .कर्मा बाई और जंगेज कि कानाफूसी जैसी वार्ता चल ही रही थी कि किसी काम से बाहर गयी जोहरा भी आ गयी जोहरा ने बड़े अदब से जंगेज को आदाब किया और कर्मा के पैर के पास रखें स्टूल पर बैठ गयी ।
जंगेज कि स्थिति को देखकर अस्पताल में सदी वर्दी में तैनात पुलिस कर्मियों को शक हुआ और कर्मा से जंगेज के बात चीत करने के तौर तरीकों पर संदेह पक्का हो गया ।
आम तौर पर जब भी कोई अस्पताल किसी बीमार मरीज से मिलने जाता है तो उसके व्यवहार में संबंधों की संवेदना शारिरिक भाषा मे परिलक्षित होती रहती है जो कर्मा और जंगेज कि वार्ता में कही से नही दिख रही थी सिवाय व्यवसायिकता के सदी वर्दी में तैनात पुलिसकर्मियों जोगेश शमरपाल गौरांग जिमनेश ने बिना बिलंब किए एव उच्चाधिकारियों से बिना किसी अनुमति के कर्मा से बात कर रहे संदेहास्पद व्यक्ति को पूछताछ के लिए रोकना समस्या यह थी कि चारो पुलिस कर्मियों में एक अकेला कोई भी जंगेज को रोकने में सक्षम नही था अतः चारो ने इशारों में ही फैसला कर लिया कि चारो एक साथ कर्मा के बेड के पास जाकर अनजान कि तरह से जंगेज को इस तरह कवर कर लेंगे कि वह भाग भी न सके और यदि कोई खतरनाक मोमेंट्स आने से पहले ही जंगेज को दबोचा जा सके . इशारों कि समझ योजना के अनुसार जोगेश शमरपाल गौरांग जिमनेश एक साथ कर्मा के बिस्तर के उस तरफ पहुंचे जिस ओर जंगेज बैठा था और बड़े तहजीब से जंगेज की तरफ मुखातिब होकर गौरांग बोला क्या बॉडी है मान्यवर आप तो नामी गिरामी पहलवान लगते है जंगेज ने कहा नही मैं पहलवान नही हूँ तब तक शमरपाल बोल उठा तब तो आप मिलिट्री में होंगे जंगेज ने फिर बिना धैर्य खोए कहा नही मैं मिलिट्री में भी नही हूँ गौरांग ने तपाक प्रश्न किया तब तो आप कोई खिलाड़ी होंगे क्योकि बॉडी आपकी इतनी गठीली सुडौल है इस प्रकार कि बॉडी तो पहलवान मिलिट्री एव खिलाड़ी ही नियमित मेहनत करके बनाए रखते है इस प्रकार चारो सादे वेश के सिपाहियों ने जंगेज से इस कदर एक के बाद एक प्रश्न करके उसको अपना धैर्य आपा खो देने पर विवश कर दिया कर्मा को बात विल्कुल स्प्ष्ट समझ मे आ गयी कि उसके सामने खड़े चारो पुलिस वाले है और जंगेज उनके जाल में फंस चुका है लेकिन उसने चुप रहना एव तमाशा देखना ही उचित समझा ।
जंगेज अपना आपा खो कर ज्यो हो अपना असलहा निकालने के लिए स्टूल से उठा चारो पुलिस कर्मी उसे एक साथ दबोच लिया कर्मा ने अपना मुंह ढक लिया अब जंगेज पुलिस कि मजबूर ग्रिरफ्त में था उसके पास से नाजायज असलहा बरामद हो चुका था अस्पताल में चारो तरफ अफरा तफरी मच गई लोग इधर उधर भागने लगे चारो पुलिस कर्मियों ने जंगेज का मुंह अंगौछे से ढक दिया और साथ अस्पताल से बाहर निकलकर निकट के थाने पहुंचे और सारी जानकारी देने के बाद करोटि को समाप्त करने के लिए गठित विशेष टीम को बुलाने का आग्रह किया थानाध्यक्ष जोशफ ने बिना बिलंब किए करोटि के खात्मे के लिए गठित टीम को महत्वपूर्ण सुराग मिलने की सूचना दी ।