किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 20 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 20

अब आगे,

तनवी की बात सुन कर अभय किसी छोटे बच्चे की तरह अपना सिर हां मे हिला देता है जिसे देख तनवी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और अब वो, सीढ़ियों से ऊपर आकर अभय के पास खड़ी हो जाती हैं और उस से कहती है,

" चलो, फिर हमारे पास अब एक लास्ट ऑप्शन बचा है..! "

तनवी की बात सुन, अभय उस को थोड़ा कन्फ्यूज होकर देखता है और साथ में उस को समझ ही नही आता है कि अब तनवी क्या बोलने वाली हैं...!

तनवी, अभय के चेहरे के कन्फ्यूज एक्सप्रेशन को देखने के बाद उस से कहती हैं,

" इतना भी कन्फ्यूज होने की जरूरत नही है, और अब चलो भी हमें सोना भी तो है...! "

तनवी अपनी बात कह कर, अभय को वहा से ले जाने लगती हैं वही अभय उस को कहता है,

" अरे बच्चा, पर मैने कहा तो कि मुझे अपने ही बेड पर नींद आती हैं, तो फिर मैं केसे तुम्हारे कमरे में सो पाऊंगा...? "

अभय की बात सुन कर, तनवी उस से कहती हैं,

" तो हम कौन सा मेरे कमरे में सोने जा रहे हैं जो आप को नींद नही आयेगी...! "

तनवी की बात सुन कर, अभय थोड़ा हैरान होकर तनवी से पूछता है,

" तो फिर, कहां जा रहे हैं हम दोनो..? "

अभय का सवाल सुन कर, तनवी उस से कहती हैं,

" आप ने ही तो कहा है कि आप को अपने रूम में ही नींद आती हैं तो फिर हम दोनो आप के रूम में ही तो जाएंगे न इतनी छोटी सी बात भी क्यू नही समझ पाए आप, सही मे आप मेरे जैसे ही हो एकदम बुधु...!

और आप मेरे ही भैया हो जो मुझे समझनी नही होती है ना वो मै समझना ही नही चाहती हु...! "

तनवी की बात सुन कर पहले तो अभय थोड़ा हैरान होता है फिर उस को घूरने लगता है तो तनवी अपने दात दिखाने लगती हैं और ऐसा करते ही भाग कर अभय के कमरे में चली जाती हैं..!

वही अभय उस को जाते हुए देख रहा होता है और जब तनवी का ऐसा कहा ही था कि सब के चेहरे पर मुस्कान होती हैं..!

पर तनवी को अभी अभय के कमरे में गए हुए एक मिनट भी नही हुआ था वो वापस से अभय के कमरे में बाहर आती हैं और अभय को देखते हुए थोड़ा डाटने के अंदाज में उस से कहती है,

" जल्दी आ जाना, और हां, मुझे दुबारा बुलाने ना आना पड़े, ठीक है..! "

तनवी के तीसरी बार डाट सुन कर अभय तनवी को ही देख रहा होता है वही राज, रवि और आकाश के चेहरे की मुस्कान जाने का नाम नही लेती है वही जब अभय उन तीनो को घूर के देखता है तो तीनो अपना सिर नीचे कर लेते है और जल्दी से अपने अपने कमरों में चले जाते है...!

क्योंकि अभय ने उन तीनो को अपने राजपूत विला में ही रहने की इजाजत दी होती है क्योंकि उस को कब उन की जरूरत पड़ जाए इसलिए वो तीनो अभय के साथ ही रहते है..!

अब तक अभय वही खड़ा हुआ ही होता है कि तनवी, फिर अभय के रूम से ही उस को बुलाने की आवाज आती है जिसे सुन कर, अभय थोड़ी तेज आवाज में चिल्लाते हुए उस से कहता है,

" आ तो रहा हु बच्चा..! "

और अपनी बात कहकर अभय अपने कमरे की तरफ मुड़ जाता है और अभय के अपने कमरे तक पहुंच जाने तक राज, रवि और आकाश अपने अपने कमरे का थोड़ा सा दरवाजा खोल दे रहे होते है...!

वही अब अभय अपने ही कमरे के दरवाजे पर खड़ा हुआ होता है आज पहली बार उस का अपने ही कमरे में जाने का दिल नहीं कर रहा होता है क्योंकि उस की बहन तनवी, उस को सुलाए बगैर मानेगी नही..!

वही जब अभय अपने कमरे में अंदर नही जाता है तो तनवी फिर उस के कमरे का दरवाजा खोल देती है और उस पर थोड़ा गुस्सा करते हुए उस से कहती हैं,

" अब क्या पूरी रात यही खड़े रहने का इरादा है आप का...! "

तनवी से डाट खाने के बात अभय बच्चो की तरह अपना मुंह फूला लेता है और अपने कमरे में अंदर चला जाता है, वही तनवी मुस्कराते हुए अभय को देख रही होती हैं और फिर एक नजर कमरे के बाहर डालती हैं तो राज, रवि और आकाश तीनो अपने अपने कमरों में भाग जाते है जैसे उन्होंने कोई भूत देख लिया हो...!

उन तीनो के ऐसा करने पर तनवी की हंसी छूट जाती हैं और वो हंसते हुए अभय के कमरे का दरवाजा बंद कर देती हैं वही अभय अब अपने बाथरूम से फ्रेश होकर आ जाता है और जैसे ही उस के कदम अपने आदत अनुसार स्टडी रूम की तरफ बढ़ने लगते है..!

तो अभय को अपने ऊपर किसी की नजर महसूस होती हैं तो वो पीछे मुड़ कर देखता है तो तनवी अपने दोनो हाथ मोड़ कर खड़ी हुई उस को ही घूर रही होती है जैसे वो अभी अभय को कच्चा ही चबा जायेगी..!

वही जब अभय को एहसास होता है कि वो क्या करने जा रहा था तो वो तनवी के पास जाकर उस के दोनो हाथो को पकड़ कर खोल देता है क्योंकि उस के हाथ पर लगी चोट मे उस को दर्द भी हो सकता था..!

अभय, तनवी की घूर रही होती हैं वही अभय, तनवी की तरफ ही नही देख रहा होता है क्योंकि अपनी आदत से मजबूर आज अभय अपने रूम में आकर फ्रेश होकर फिर से स्टडी रूम में जा रहा था जिसे देख तनवी उसको घूर कर देख रही थी...!

अब अभय, तनवी से नजरे चुराते हुए उस से कहता है, क्योंकि अगर नजरे मिल गई तो तनवी, अभय को सुनने का एक मौका नही छोड़ने वाली है,

" चलो बच्चा, सो जाओ सुबह उठना भी तो है ना...!"

अभय की बात सुन कर, तनवी उस से कहती है,

" क्यू सुबह, जल्दी क्यू उठना है...?"

तनवी की बात सुन कर, अभय कुछ बोलता उस से पहले ही तनवी उस से कहती है,

" कही आप सुबह जल्दी उठकर, अपने स्टडी रूम में तो नहीं जाने का सोच रहे हो भैया...!"

तनवी की बात सुन कर, अभय जो खड़ा होकर पानी पी रहा था वो सारा सारा थूक देता है जैसे अभय ने ठीक वैसा ही सोचा था जैसा तनवी बता रही है..!

अभय के ऐसे करने पर तनवी आप अपनी आंखो को छोटा करके उस को ही देख रही होती हैं और वही अभय की हिम्मत नही होती है कि वो अपनी बहन की तरफ मुड़ कर देख भी ले..!


तो अब अभय को तनवी के गुस्से से कौन बचाएगा...?

और क्या वो अभय जिस से उस पूरी मुंबई डरती है वो आज अपनी बहन के गुस्से से डर रहा है...?

To be Continued....❤️✍️

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