किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 19 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 19

अब आगे,

सब ने आराम से खाना खाया होता है वही आज रात पहली बार राज, रवि और आकाश तनवी के होने पर भी तीनो बहुत ही खुश होते है..! 

अब अभय अपना खाना खत्म कर के अपनी सीट से उठने लगता है तो आकाश को देख के उस से कहता है, 

" खाना खाके स्टडी रूम में आ जाना...! " 

अभय की बात सुन कर आकाश अपना सिर हां मे हिला देता है और अभय वहा से अपने कमरे की तरफ जा रहा होता है तो..!

तो तनवी उस को रोकते हुए पूछती है,

" अभी भैया, क्या आप रोबोट हो...? " 

तनवी की बात सुन कर, जो अभय सीढ़ियों से अपने कमरे की तरफ जा रहा होता है उस के कदम वही रुक जाते है और अभय अब तनवी को कन्फ्यूज होकर देखने लगता है और बाकी तीनों राज, रवि और आकाश का भी यही हाल होता है...!

अब अभय, कन्फ्यूज होकर तनवी से पूछता है, 

" और तुम्हे ऐसा क्यू लगता है बच्चा..? "

अभय की बात सुन कर, तनवी अपनी डाइनिंग टेबल पर से अपनी सीट से उठ कर अभय के पास आ जाती है और उस से पूछती हैं, 

" क्या आप मुझ से कुछ छुपा रहे हो..? "

तनवी की बात सुन कर, अभय उस से कहता है, 

" नही बच्चा, ऐसी कोई भी बात नही है...! " 

अभय की बात सुन कर भी तनवी के चेहरे पर कोई भी भाव नही आते हैं जैसे उस को अभय के जवाब से कोई सेटिस्फेक्शन नही मिला हो...! 

अब तनवी, अभय से कहती हैं, 

" अभी भाई, अब तो रात के 10 बजने को आए हैं और आप अब भी काम करना चाहते हो जैसे आप किसी चीज या इंसान की यादों या उस से जुड़ी चीजों से दूर रहने के लिए कर रहे हो...! " 

तनवी की बात सुन कर, अभय अभी भी उस को देख रहा होता है और फिर उस से कहता है,

" बच्चा, तुम कहना क्या चाहती हैं, साफ साफ बताओगी मुझे...? " 

अभय की बात सुन कर, तनवी उस से कहती हैं 

" आप को पता है मैने कही पढ़ा था कि जब इंसान किसी चीज या इंसान की यादों से अपना पीछा छुड़वाना चाहता हो या फिर उस से जुड़ी बातो को बार बार अपने दिमाग में लाने से रोक रहा हो तो वो इंसान अपने आप को काम मे इस कदर खो देता हैं जैसे उस के पास और कोई रास्ता ही न बचा हो...! " 

तनवी की पूरी बात सुन कर, अभय एक टक उस को ही देख रहा होता है और जैसे वो कुछ कहना चाहता हो पर अपने चेहरे पर कोई भाव नही आने देता है और भाव रहित होकर तनवी से कहता है, 

" ऐसी कोई बात नही है बच्चा...! "

अभय की बात सुन कर, तनवी उस से कहती हैं, 

" अच्छा ठीक है, मुझे आप पर पूरा विश्वास है कि जो अभी आप ने कहा वही सच होगा, पर अब आप काम करने नही जाओगे क्योंकि हर इंसान को काम के साथ प्रॉपर खाना और पूरे 8 घंटे की नींद की जरूरत होती हैं जो आप ने तो बिलकुल भी नही ली...! " 

तनवी की बात सुन कर, अभय उस से कहता है, 

" बच्चा, मुझे अभी नींद नही आ रही है तो मै थोड़ा काम और निपटा लेता हूं क्योंकि मुझे खाली बैठना बिलकुल भी पसंद नही है...! " 

अभय की बात सुन कर, तनवी उस से कहती है, 

" नही... बिलकुल भी नही....! " 

तनवी, अभय से आगे कहती है, 

" और आप को नींद क्यू नही आयेगी भला, जबकि आप मुझे सुबह हॉस्पिटल में लेने आए थे फिर हम यहां मुंबई आ गई तभी दुपहर के 3 बज चुके थे फिर आप अपना थोड़ा सा काम करने चले गए तो अब रात के 8 बजे तो मै ही आप को आप के स्टडी रूम मे लेने आई थी और डिनर करने 9 बजे बैठे थे और अब तो रात के 10 बज रहे हैं, तो अब भी आप को नींद क्यू नही आयेगी...? " 

तनवी की पूरी बात सुन कर, अभय उस को कहता है,

" पता नही पर मुझे ज्यादा नींद नही आती है...! "

अभय की बात सुन कर, तनवी अजीब सा मुंह बनाते हुए उस से कहती हैं, 

" बड़ी अजीब बीमारी है और अभी तक इस का कोई इलाज क्यू नही करवाया है आप ने...! " 

तनवी की बात सुन कर, अभय उस से कहता है, 

" बच्चा, मुझे बहुत काम होता है इसलिए मुझे समय ही नहीं मिल पता है ये सब करने का...! " 

अभय की बात सुन कर, तनवी उस से कहती हैं, 

" हां, तो ऐसा बोलो ना कि जब आप नींद ही नहीं आती हैं तो आप अपना ज्यादा से ज्यादा काम निपटा लेते हो..! " 

अब तनवी, अभय से आगे कहती है, 

" और आप को देख कर लगता है कि आप अपना एक ही दिन में आने वाले दो तीन दिन का काम एक साथ निपटा लेते होंगे, फिर भी आप बस काम काम के पीछे क्यू पड़े रहते हो भैया..? " 

तनवी की बात सुन ने के बाद, अभय उस को देख रहा होता है क्योंकि उस को कुछ समझ में ही नही आता है कि वो आखिर अपनी ही बहन तनवी को क्या जवाब दे क्योंकि आज से पहले तनवी को अभय की चीज़ों से कोई फर्क ही नहीं पड़ता था कि वो पूरे दिन क्या करता है और क्या नही..! 

उस को बस अपने से जुड़ी चीजों से ही फर्क पड़ता था चाए उस का भाई किसी परेशानी मे हो या उस की जान खतरे में हो तनवी को कभी कोई फर्क ही नहीं पड़ा था पर आज वो, अभय की एक एक समय तक पर ध्यान दे रही थी उस को उस का अच्छा और बुरा असर बता रही थी..!

अब अभय, तनवी से वही कहता है जो वो उस को हर बार कहा करता था जब उस को कुछ भी समझ में नही आता है कि आखिर उस की बहन तनवी उस से चाहती क्या है...!

अभय, तनवी से कहता है,

"  अच्छा बताओ, तुम क्या चाहती हो और मुझे क्या करना पड़ेगा..? " 

अभय की बात सुन कर, तनवी उस से कहती है, 

" अब आप को जाकर सोना है जिस से आप के दिमाग को आराम मिल सके... ! " 

वही अब तनवी राज, रवि और आकाश की तरफ देखते हुए कहती है, 

" और आप तीनो भी अपने अपने कमरों में जाकर सो जाओ...! " 

तनवी की बात सुन, अभय झट से हां कर देता है और वही राज, रवि और आकाश भी अपना अपना खाना खत्म कर के अपने अपने कमरों में जाने के लिए सीढ़ियों तक आ रहे होते है..! 

जब तनवी ने देखा कि अभय ने झट से उस की बात मान ली तो उस को कुछ गडबड लगती है तो वो एक बार फिर अभय को रोकते हुए उस से कहती है, 

" रोको अभी भैया, आप ने बड़ी ही जल्दी हां नही बोल दिया जबकि जब मैने अभी कुछ देर पहले आप से कहा था कि आप मेरी सारी बाते मानोगे तो बड़ी जल्दी माना कर दिया था और अभी ऐसा लग रहा है मानो आप को इस मे भी कोई फायदा हो रहा हो...! " 

तनवी की पूरी बात सुन, राज, रवि, आकाश और सविता जी के साथ साथ सब को याद आता है अभी जब तनवी को चोट लगी थी तो तनवी ने अभय से यही कहा था जिस पर अभय ने उस की बात मानने से इन्कार कर दिया था...! 

और अभी अभय ने बहुत ही तनवी की बात मान ली थी और वही अभय अपने मन में सोच रहा होता है, 

" बड़ा ही तेज दिमाग और याददाश हो रही है मेरी बहन की जबकि उस की याददाश नही है तो ये हाल है अगर होती तो पता नही क्या ही करती...! "

फिर तनवी को कुछ याद आता है और वो, अभय से कहती हैं, 

" अरे मै तो भूल ही गई आप का स्टडी रूम तो आप के रूम से ही अटैच है तो फिर आप का पता नही कब आप के कदम उस जगह पड़ जाएंगे और मुझे पता भी नही चलेगा...! " 

तनवी ने ये सब ऐसे कहा होता है मानो वो, अभय को डाट रही हो और अभय इस बात से हैरान था कि उस कि बहन लोगो का दिमाग पड़ना कब से सीख लिया...! 

तनवी के ऐसे कहने भर या डाटने से अभय, तनवी के सामने कुछ बोल नहीं पाता है और साथ में तनवी के ऐसे डाटने से वहा राजपूत विला के हॉल में अभी तक सारे लोग मौजूद थे जो ये देख कर ही हैरान थे कि आज पहली बार तनवी, अभय को डाट रही है...!

और वही अभय, उस को कुछ कह भी नही रहा है जबकि अभय को कोई कुछ कहे चाहे वो उस की बहन तनवी भी हो तो भी उस को बर्दाश नही है पर वहा राज और आकाश को छोड़ कर क्योंकि उनके सामने तो तनवी, पहले भी अभय को डाट चुकी हैं...!

अब तनवी, अभय से कहती हैं, 

" तो अब आप मेरे साथ मेरे कमरे में चलो, मै वहा पर आप पर अपनी नजर रख पाऊंगी कि आप ठीक से सोए या नही...! "

तनवी की बात सुन कर, अभय उस से कहता है, 

" नही बच्चा, इस की कोई जरूरत नही है और वैसे भी मुझे सिर्फ अपने ही बेड पर नींद आती हैं...! " 

अभय ने ये सब तनवी को टालने के लिए कहा होता है क्योंकि अब तो बो इतना काम करने लग गया है कि कभी कभी या फिर ज्यादातर अपने कुर्सी पर बैठे बैठे ही सो जाता था..! 

अभय की बात सुन कर, तनवी उस से कहती हैं, 

" अच्छा, ऐसी बात है क्या...! " 

तनवी की बात सुन कर अभय किसी छोटे बच्चे की तरह अपना सिर हां मे हिला देता है जिसे देख तनवी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और अब वो, सीढ़ियों से ऊपर आकर अभय के पास खड़ी हो जाती हैं और उस से कहती है, 

" चलो, फिर हमारे पास अब एक लास्ट ऑप्शन बचा है..! "

तनवी की बात सुन, अभय उस को थोड़ा कन्फ्यूज होकर देखता है और साथ में उस को समझ ही नही आता है कि अब तनवी क्या बोलने वाली हैं...! 


तो अब देखते हैं कि तनवी, अभय की जिंदगी में केसा बुचाल लेकर आती हैं..?

और अब तनवी अभय को और क्या क्या शॉक देने वाली है...?

और अब तनवी क्या लास्ट ऑप्शन होने वाला है और अभय को क्या अब रोज ऐसे ही तनवी परेशान करेगी या खुद भी अभय से डाट खाती रहेगी..?

To be Continued....❤️✍️

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