किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 6 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 6

कुछ देर बाद,

राज, आईसीयू के स्पेशल वार्ड में तनवी की दवाइयां लेकर वापस आ जाता हैं तो देखता है कि तनवी बड़े ध्यान से वहा रखी किसी बुक के पढ़ रही होती हैं और उस को पता ही नही चलता है कि राज बहुत देर से खड़ा उसी को देखे जा रहा है।

फिर जब तनवी को प्यास लगती है तो वो पानी का गिलास लेने के लिए उठती है तो देखती हैं कि राज उस को ही देख रहा होता है तो तनवी, राज से कहती हैं, "भैया, आप कब आए और आप खड़े क्यो हो, आओ मेरे पास बैठ जाओ...!"

तनवी के इतनी प्यार से कहने से, राज पहले तो जाना नही चाहता है क्योंकि उस की वजह तनवी का याददाश जाने के पहले का व्यवहार ही है पर अब उस की याददाश नही है तो उस के नए व्यवहार से राज बहुत ज्यादा ही हैरान होता है।

जब तनवी को लगता हैं कि राज ने उस की बात नही सुन है तो वो दुबारा राज के पास जाकर उस से कहती हैं, "क्या हुआ राज भैया, आप बैठ क्यो नही रहे हो...बोलो ना कोई बात है क्या !"

तनवी की बात सुन, राज उस से कहता है, "नही तो ऐसा तो कुछ भी नही है...!"

राज की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "तो फिर आओ मेरे पास बैठ जाओ...!"

तनवी की बात सुन, इस बार राज उस के पास जाके बैठ जाता हैं पर अभी भी उस को बार बार तनवी का याददाश जाने से पहले वाला व्यवहार याद आ रहा होता है जिस से वो, तनवी के करीब ना बैठ कर उस ही सोफे पर बहुत दूर जाकर बैठ जाता हैं।

राज के ऐसे व्यवहार से तनवी को बहुत हैरानी हो रही होती हैं तो वो, राज के थोड़े पास जाकर बैठ जाती है और राज से कहती हैं, "क्या हुआ राज भैया आप मुझसे नाराज़ हो, जो इतनी दूर जाके बैठ गए हो...!"

तनवी ने ये बोला ही होता है कि अभय, आईसीयू में अन्दर आ रहा होता है और तनवी, राज से पूछ रही होती हैं, "बोलो ना राज भैया क्या हुआ है....?"

तनवी की बात सुन, अभय उस से पूछता है, "क्या हुआ है...?"

अभय की बात सुन, तनवी उस की तरफ देखते हुए कहती हैं, "देखो ना, राज भैया मुझसे दूर जाके बैठ गए और अब कुछ बोल भी नहीं रहे हैं...!"

तनवी की बात सुन, अभय जब राज को देखता है तो वो सिर नीचे कर के अपने पैर हिला रहा होता है तो अभय समझ जाता हैं कि राज को तनवी से डर लग रहा है क्योंकि तनवी के याददाश जाने से पहले का व्यवहार, राज तो क्या आकाश के साथ भी कभी अच्छा नही रहा है इसलिए दोनो को तनवी से डर लगता हैं।

अभय, तनवी से कहता है, "वो राज थक गया है ना इसलिए ऐसा व्यवहार कर रहा है...!"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "बस इतनी सी बात के लिए राज भैया मुझसे इतना दूर जाके बैठ गए...!"

और फिर राज का सिर अपनी गोदी मे रख लेती हैं और राज से कहती है, "आप सो जाओ थोड़ी देर फिर आप को अच्छा लगेगा....!"

तनवी के व्यवहार से अभय भी हैरान रह जाता है और राज को विश्वास नही होता है उस की तनवी मैम उस के लिए इतना सोच रही है जबकि तनवी के बहुत चोट आई होती हैं।

राज, तनवी को देखे जा रहा होता है तो तनवी, राज की आंखे अपने हाथों से बंद कर देती है और उस से कहती हैं, "चलो अब आप आंखे बंद करो तभी तो आप को नींद आयेगी ना....!"

आधा घण्टे बाद,

आकाश तनवी की डिस्चार्ज पेपर की फॉर्मिलिटी पूरी कर के, आईसीयू के कमरे मे अंदर आता है और राज को तनवी के गोद में सिर रखा हुआ देख उस को झटका लग जाता है।

और आकाश एक टक तनवी को राज को देख रहा होता है क्योंकि राज का सिर सहलाते सहलाते तनवी खुद भी सो चुकी थी और राज, तनवी को ही देखे जा रहा होता है।

अभी कुछ देर पहले अभय किसी काम से बाहर निकल गया था और वो अभी भी राज को तनवी की गोद में सिर रख कर बैठ देख कहता है, "तुम्हे पता है ना मेरे बच्चे को चोट लगी हुई है तो अब उठ कर बैठ जाओ और हां उस की नीद नही टूटनी चाहिए...!"

अभय की बात सुन, राज एक दम से ठीक हो कर बैठ जाता है पर तनवी की नीद अभी तक टूटी नही होती है पर फिर भी अभय, राज को खा जाने वाली नजरो से घूर रहा होता है। तो राज, अभय से कहता है, "सॉरी बॉस...!"

फिर आकाश, अभय को तनवी के डिस्चार्ज पेपर की फॉर्मिलिटी पूरी कर के उस की फाइल को अभय को दे देता हैं और उस से कहता है, "बॉस, आप के इस फाइल पर साइन चाहिए...!"

आकाश की बात सुन, अभय उस के हाथ से फाइल ले कर उस पर साइन करके वापस उस को दे देता है।

कुछ देर बाद,

अभय, तनवी को आईसीयू से बाहर लेकर आता है तो वहा खड़ी सीनियर डॉक्टर, अभय को देख कुछ बोलने को होती हैं पर अभय का डार्क औरा देख उस से कुछ बोला ही नही जाता है।

फिर वही उस सीनियर डॉक्टर की जूनियर डॉक्टर भी आ जाती हैं और अपनी सीनियर डॉक्टर से कहती हैं, "मैम, अभय कुछ मत कहिए नही तो ये शख्स, हमारे परिवार को मारने से पहले एक बार भी नही सोचेगा।"

अपनी जूनियर डॉक्टर की बात सुन, वो सीनियर डॉक्टर डर जाती हैं और उस से कहती हैं, "हां, तुम सही कह रही हो...!" और फिर वो, अभय को कुछ नही कहती है।

फिर वो सीनियर डॉक्टर, अभय को डिस्चार्ज पेपर्स दे देती हैं और साथ मे तनवी के लिए कुछ दिशा निर्देश और उस के साथ उस की दवाइयां भी दे देती हैं जिस को आकाश ले लेता है।

अब अभय, आकाश से कहता है, "जेट तैयार करवाओ, हमे आज ही मुंबई के लिए निकलना है ।" अभय की बात सुन, आकाश उस से कहता है, "जी बॉस, मै अभी सारी तैयारी करवा देता हूं !"

कुछ देर बाद,

अभय, तनवी को लेकर उस सिटी हॉस्पिटल से बाहर निकल जाता है और बाहर निकलते ही अभय के सारे बॉडीगार्ड तनवी को घेर लेते हैं जिस से वहा खड़े किसी भी इंसान को तनवी का चेहरा साफ तौर पर नही दिख रहा होता है।

तनवी एक साथ इतने सारे बॉडीगार्ड्स देख घबरा जाती हैं और जल्दी से अभय के गले लग जाती हैं और वो, उस को छोड़ने को तैयार ही नहीं होती है इसलिए अभय अपनी ब्लैक बीएमडब्ल्यू कार में साथ लेकर बैठ जाता है।

और उस के आगे वाली सीट पर आकाश और ड्राइविंग सीट पर रवि बैठा होता है और अभय का भरोसेमंद ड्राइवर का नाम रवि शिंदे होता है और उस की उम्र 25 वर्ष होती हैं और हाइट 5"9 होती हैं।

और फिर वो देहरादून के सिटी हॉस्पिटल से अभय और उस के साथ आई सारी बीएमडब्ल्यू कार उस की कार के साथ थोड़ी दूरी पर ही चल रही होती हैं।

कुछ घंटे बाद,

वो सब कार, एक साथ 40 मंजिला बिल्डिंग के सामने आकर रुक जाती हैं, तो अभय के पास बैठी हुई तनवी, अभय से पूछती हैं, "हम तो मुंबई जाने वाले थे न तो हम यहां पर क्यू आए हैं..?"

तनवी की बात सुन, अभय उस से कहता है, "बच्चा, हम यहां से जेट के द्वारा मुंबई जायेंगे और जो इस बिल्डिंग के छत पर लैंड हुआ है।"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "अच्छा, ठीक है भैया...!" और फिर अभय, तनवी के साथ उस बिल्डिंग की लिफ्ट से उस की छत पर पहुंच जाते है और फिर उस जेट विमान पर बैठ जाता है और उस के साथ राज, आकाश और रवि भी बैठ जाते है फिर वो, तनवी को लेकर मुंबई के लिए निकल जाता है।

To be Continue....

इस चैप्टर पर अपने रिव्यू दे और कमेंट करके बताए कि आप को चैप्टर कैसा लगा और आगे जानने के लिए पड़ते रहे मेरी कहानी अगला एपिसोड सिर्फ प्रतिलिपि पर।

25 का ऐसा व्यवहार देख आकाश अपने मन में कहता है, "आज सुबह से ही तनवी मैम के व्यवहार कितना बदल सा गया है, और पता नही तनवी मैम अब कौन कौन से शॉक देने वाली है पर हां, मै मानता हूं उन की याददाश नही है पर क्या लोगो की याददाश चले जाने पर उन का पूरा व्यवहार ही बदल जाता हैं और पता नही अब हमे कितने शॉक मिला और बाकी है...!"

तनवी की बात सुन, आज अभय भी बहुत ज्यादा हैरान हो जाता हैं पर फिर वो, तनवी से कहता है, "बच्चा, आज मेरी बहुत जरूरी प्रोजेक्ट की मीटिंग है और इसलिए ही मुझे दिल्ली के लिए निकलना है...!"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती है, "क्या आप के लिए ये मीटिंग, आप की बहन से भी ज्यादा ज़रूरी है....!"

तनवी की बात सुन, अभय उस से कहता है, "तुम तो मेरी सबसे समझदार बहन हो तो मेरी बात मान जाओ...!"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "ठीक है पर मेरी एक शर्त है अगर वो मान जाओगे तो मैं भी आप की बात मान लूंगी....!"

तनवी की शर्त वाली बात सुन, वहा खड़े सब लोग हैरानी से तनवी को ही देख रहे होते हैं। पर अभय, तनवी से पूछता है, "कैसी शर्त...?"

अभय के पूछने पर, तनवी उस को बड़ी मासुमियत के साथ कहती हैं, "मेरी शर्त ये है कि आप को मुझे प्लीज बोलना होगा..!"

तनवी आगे कहती हैं, मेरा मतलब आप को कहना है, "प्लीज मेरी बात मान जाओ...।" ऐसा बोलना पड़ेगा तब मैं आप की बात मानने के लिए तैयार हूं। तनवी की बात सुन, सब को एक बहुत बड़ा झटका लग जाता हैं।

क्योंकि आज तक किसी ने भी इतनी हिम्मत नही हुई कि वो, अभय से प्लीज शब्द भी बुलवा सके और तो और यहां तक खुद तनवी ने भी कभी अपने भाई से ये कहवाने की कोशिश कर नही करी है पर आज तनवी की याददाश नही होने पर वो क्या कर रही है ये खुद तनवी ने भी नही सोचा होगा...!

वैसे तो अभय ने आज तक किसी की भी नही सुनी है, हमेशा से बस अपने मन की ही करी है पर आज उस को तनवी के इतने प्यार से कहे शब्दों को सुन, साथ में आज अभय को तनवी का चेहरा किसी मासूम बच्चे की तरह लग रहा होता है तो उस पर गुस्सा नही करता है बल्कि उस से बहुत प्यार से कहता है, "ठीक है, "प्लीज मेरी बात मान जाओ...!"

अभय की बात सुन, वहा खड़े हर इंसान की आंखे बाहर आने को हो जाती हैं और अपने कानो पर तो विस्वास ही नही होता है कि खुद अभय ने ये सब कहा है पर तनवी, अभय से कहती हैं, "क्या भैया, इतनी सी बात बोलने मे आप ने इतनी देर लगा दी...!"

तनवी की बात सुन, अभाग उस को घूर के देखने लगता हैं तो तनवी एक हल्की सी मुस्कान के साथ अभय के गले से लग जाती हैं। पर वहा पर खड़े आकाश को तो मिनी हार्ट अटैक ही आ जाता है क्योंकि अभय ने आज तक अपने घर के किसी भी सदस्य से कभी भी ऐसा कुछ नही कहा होता है।

तो फिर अभय, तनवी से पूछता है, "तो अब तो मै दिल्ली जा सकता हू ना...?"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "पहले आप को मेरे साथ एक ही गाड़ी में बैठ कर घर चलना पड़ेगा फिर ही आप दिल्ली के लिए निकल सकते हो...!"

तनवी की बात सुन, अभय अपना सिर हां मे हिला देता है और फिर अभय, तनवी के साथ एक ही गाड़ी में बैठ कर घर के लिए निकल जाते है।

अभय जब अपनी बहन के साथ गाड़ी में बैठ कर राजपूत विला जा रहा होता है तो अपने मन में सोचता है, "क्या ये सच में मेरी ही बहन है क्योंकि इस का व्यवहार कुछ ज्यादा ही बदल गया है।"

पर फिर अपने आप से ही कहता है, "शायद अभी तनवी की याददाश नही है तो इसलिए ऐसा व्यवहार कर रही है...!"

तनवी बहुत देर से अभय को देख रही होती हैं तो वो, अभय से पूछती हैं, "भैया, आप किस के ख्यालों में गुम हो...?"

तनवी की बात सुन, अभय जो सोच रहा होता है उसे छोड़, तनवी से कहता है, "कही भी तो नही....!"

अभय का ऐसा व्यवहार देख, तनवी शरारती अंदाज में अभय से कहती हैं, "कही आप ने मेरे लिए कोई प्यारी सी भाभी तो नही ढूंढ ली ना....!"

तनवी की बात सुन, गाड़ी में आगे की सीट पर बैठे आकाश को तो शॉक ही लग जाता हैं और रवि तो अचानक से गाड़ी ही रोक देता हैं जिस से अभय, गुस्से से रवि को देख कर उस से कहता है, "लगता हैं तुम्हे अपनी जान प्यारी नही है....!"

अभय की बात सुन, रवि डरते हुए अभय से कहता है, "नही बॉस ऐसा बिलकुल भी नही है वो बस अचानक से हो गया, प्लीज मुझे माफ कर दीजिए...!"

तनवी की बात सुन, आकाश अपने मन में सोचता है, "तनवी मैम को आज हुआ क्या है और इन को नही पता है क्या कि इन के भैया को बस अपने काम से फुर्सत मिलेगी तभी तो किसी लड़की के बारे में सोचेंगे...!"

आकाश आगे सोचता है, "बॉस को तो इन सब बातो से कोई फर्क पड़ता ही नही है क्यूंकि उन का काम और उनका बिजनेस ही सब कुछ है और ये न तो खुद अपने लिए को लड़की ढूंढेंगे और न ही किसी और को मिलने देंगे, मेरे बॉस मुझ से इतना काम करवाते हैं कि मुझे तो नही लगता हैं कि मुझे कभी कोई लड़की मिलेगी भी और पता नही इस जन्म में मेरी शादी होना लिखा भी है या नही....!"

तनवी की बात सुन, अभय भी सोच रहा होता है, "ये मेरी बहन को हो क्या गया है और ये कैसे कैसे सवाल कर रही है....!"

फिर अभय कुछ सोच के, तनवी से कहता है, "नही बच्चा, मै तो ये सोच रहा था कि हम विला जाके तुम्हारे पसंद की सारी चीज़ें बनवाएंगे....!"

अभय की बात सुन, तनवी अभय पर टौंट मारते हुए कहती हैं, "अच्छा, पर आप की तो दिल्ली में अपनी किसी बड़े प्रोजेक्ट को लेकर मीटिंग है और आप मुझ से कह रहे हैं कि हम तुम्हारी पसंद की सारी चीज़ें बनवाएंगे....!" और अपनी बात कहने के बाद तनवी अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेती है।

तनवी की बात सुन और तनवी के ऐसे व्यवहार से पता नही पर अभय की हसी ही छुट जाती हैं जिसे देख आकाश और रवि को तो जेसे सदमा ही लग जाता हैं क्योंकि उन दोनो को भी याद नही कि आखरी बार अभय कब हंसा होगा...!

और आज अचानक से अभय को ऐसे हंसता देख आज आकाश और रवि को सदमे के साथ साथ बहुत ज्यादा खुशी भी हो रही होती हैं । पर जब अभय उन दोनो को घूर के देखता है तो आकाश और रवि अपना सिर नीचे कर लेते है और एक दम से शांत हो जाते है।

अभय को ऐसे हंसता देख, तनवी अभय को अपने गले से लगा लेती हैं और उस से कहती हैं, "भैया आप हमेशा ऐसे ही हंसते और खिलखिलाते रहना क्योंकि आप ऐसे बहुत अच्छे लग रहे हो....!"

तनवी की बात सुन, अभय अपनी बहन तनवी को देखने लगता हैं और अपने मन में सोचता है, "क्या ये सच में मेरी ही बहन है ना या याददाश चले जाने की वजह से लोगो को व्यवहार ही बदल जाता हैं क्योंकि आज जो लड़की अभय के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है उस से पहले ऐसा व्यवहार कभी किया ही नहीं था...!"

जब तनवी फिर से अभय को किसी ख्याल मे खोया हुआ देखती हैं तो अभय से पूछती हैं, "क्या भैया, आप भी बार बार अपनी किसी और ही दुनिया में क्यू चले जा रहे हो....?"

तनवी आगे कहती हैं, "मै जब से आप सब से मिली हू तब से आप सब अपने अपने ख्यालों में खो से जाते हो, मुझे समझ नही आ रहा है, बोलो ना भैया ऐसा क्यू है....?"

तनवी की बात सुन, अभय अपनी बहन तनवी से कहता है, "ऐसा कुछ भी नही है और तुम ऐसा कुछ सोचो भी मत, समझ में आया तुम को...!"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "अच्छा ठीक है तो आप को नही बताना है तो मत बताओ पर आप बात बात पर गुस्सा क्यू कर रहे हो...?"

तनवी की बात सुन, अभय चीड़ कर तनवी से कहता है, "अच्छा तुम कहो तो अपनी बात कहना और मैं कहूं तो गुस्सा क्यू कर रहे हो, ये भी ठीक है तुम्हारा...!" और अपनी बात कह कर अपना मुंह दूसरी तरफ कर लेता है।

अभय की बात सुन और अभय का ऐसा व्यवहार देख, तनवी की हंसी ही छुट जाती हैं पर तनवी अपनी हंसी छुपाकर, अपने भैया से कहती हैं, "अच्छा बाबा, मेरी ही गलती थी अब खुश हो आप....!"

तनवी की बात सुन, अभय के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती हैं जिसे देख आकाश और रवि भी आज बहुत ज्यादा खुश नाराज आ रहे होते हैं क्योंकि आज उन दोनो का बॉस और तनवी दोनो एक साथ बहुत मस्ती मजाक कर रहे होते हैं।

अभय अपनी बहन तनवी के साथ बात कर ही रहा होता है कि रवि फिर से गाड़ी को रोक देता है जिसे देख अभय गुस्से से, रवि को कहता है, "लगता हैं आज तुम अपनी मौत को बुलावा दे रहे हो....!"

अभय की बात सुन, रवि अपना स्लाइवा गटक लेता है और कुछ कहने ही वाला होता है उस से पहले तनवी, अभय से कहती हैं, "भैया आप बात बात पर इतना गुस्सा मत कर करो और रवि भैया ने जानबूझ कर ऐसी की भी जगह पर गाड़ी नही रोकी है, बल्कि शायद से हम किसी बहुत बड़े घर के सामने है...!"

तनवी की बात सुन, रवि मन ही मन तनवी को दुआ दे रहा होता है क्योंकि आज तनवी ने उस को अभय के गुस्से से बचा लिया है।

तनवी की बात सुन, जब अभय गाड़ी के शीशे नीचे कर के देखता है तो उस को पता चलता है कि वो सब राजपूत विला पहुंच गए हैं और तनवी से कहता है, "हां बच्चा, हम विला पहुंच गए है....!"


To be Continue.....

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