किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 7 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 7

तनवी ने किया मुंह पर इनकार…!”

 

अब आगे,

 

अभय की बात सुनकर, अब राज तनवी को देख रहा होता है क्योंकि तनवी ने तो पहले ही अपनी दवाइया खाने से मना कर दिया है तो अब वो, तनवी से दुबारा पूछ कर डाट नही खाना चाहता है बस इसलिए ही वो, तनवी से कुछ नही कहता है..! 

 

जब अभय अपने फोन पर अपने ईमेल चेक कर के अपने पर्सनल बॉडीगार्ड राज को फिर से देखता है जो अभी भी वही अपने हाथो में तनवी की दवाइया लेकर खड़ा हुआ होता है और साथ में अपनी जगह से एक इंच भी नही हिला होता है..! 

 

जिसे देख, अब अभय को गुस्सा आ जाता है और वो, राज पर गुस्से से चिल्लाते हुए कहता है, 

 

" राज, क्या तुम्हे एक बार मे सुनाई नही देता है और तुम्हे पता है ना मुझे आज के आज ही मुंबई लौटना है तो फिर ये तनवी की दवाया लेकर क्यू खड़े हुए हो और जाओ जाकर उस को ये दवाइया दे दो जिस से तनवी को देहरादून से मुंबई तक का सफर करने में कोई दिक्कत न हो..!" 

 

अभय की बात सुन कर, राज को कुछ समझ ही नही आता है कि आखिर वो अपने बॉस को कहे तो क्या ही कहे मगर वो कुछ बोलता उस से पहले ही तनवी, अभय का गुस्सा देखते हुए बीच में ही बोल पड़ती हैं और अभय को देखते हुए राज को बचाते हुए उस से कहती हैं, 

 

" अभय भैया, इस मे राज भैया की कोई गलती नही है मैने ही उन को मना करा है कि मुझे दवाइया नही खानी है क्योंकि मेरा अभी कुछ भी खाने का मन नही है..!"

 

तनवी की बात सुन कर, अब अभय उस को देखता है वही राज और आकाश हैरान होकर तनवी को देख रहे होते है कि आज तनवी ने राज को अभय के गुस्से से बचा लिया है..!

 

वही अब अभय, तनवी को देखते हुए उस से कहता है, 

 

" ये दवाइया तुम्हे ठीक कर ने के लिए दी गई हैं और इस को खाने के लिए तुम्हारा मन नही देखा जायेगा बल्कि तुम्हे इन दवाइयों को खाना ही पड़ेगा, समझ में आया तुम्हे..!" 

 

अभय की पूरी बात सुन ने के बाद भी तनवी बड़े आराम से अपना सिर ना मे हिला देती है जिसे देख राज और आकाश को हसी आ जाती हैं क्योंकि आज तक किसी के भी अभय की कोई बात सुन कर भी अनदेखा नहीं करी थी और यहां तक खुद तनवी ने भी..! 

 

पर आज तनवी ही अभय की बातो को सुन कर उस के मुंह के सामने ही मना कर रही थी, मगर वो दोनो जल्द ही अपनी हसी को छुपा भी लेते हैं क्योंकि उन दोनो को ही अपने बॉस यानी अभय के गुस्से से बहुत ज्यादा डर लगता है..! 

 

और अभय अपनी बहन तनवी को देख घूर रहा होता है क्योंकि एक तो उस की बहन तनवी अपनी दवाइया खाने से मना कर रही है और दूसरी उस की बात मानने से भी उस के मुंह पर ही इंकार कर दिया है और साथ में राज और आकाश को गुस्से से देख रहा होता है क्योंकि उस ने आकाश और राज को खुद पर हंसते हुए देख लिया है..! 

 

अब तनवी अपने आईसीयू के कमरे में रखे हुए सोफे पर से उठ जाती हैं और अब आकाश के पास आते हुए उस से और राज दोनो से कहती है, 

 

" चलो आकाश भैया हम तीनो मुंबई चलते हैं और अभय भैया को यही छोड़ देंगे क्योंकि ये मुझे इतनी देर से घूरे जा रहे हैं..!" 

 

तनवी की बात सुन कर, आकाश और राज को तो जैसे शॉक ही लग जाता है वही अभय अब आकाश और राज को गुस्से से घूर कर देख रहा होता है क्योंकि आज उस को उन दोनो पर कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ रहा होता है, क्योंकि तनवी, अभय से ज्यादा आकाश और राज का ज्यादा ध्यान रख रही होती हैं..! 

 

अब अभय, राज के हाथो से तनवी की दवाइया ले लेता है और तनवी से कहता है, 

 

" अच्छा ठीक है तुम्हे अपनी दवाइया नही खानी है तो मत खाओ अब हम मुंबई चलते हैं..!" 

 

अभय की बात सुन कर कि अब उस यानी तनवी को दवाइया नही खानी है तो खुश हो जाती हैं और अभय के पास जाकर उस से कहती हैं, 

 

" हां चलो अभय भैया, मै तो कब से तैयार हु इस हॉस्पिटल से, मुंबई जाने के लिए..!" 

 

तनवी का अपनी बात से ही पलट जाना देख कर अभय का गुस्सा ही गायब कर देती है पर वो अपनी बहन तनवी से कुछ नही कहता है मगर आकाश और राज तनवी को ही देख रहे होते हैं..!

 

कुछ देर बाद,

 

अब अभय, तनवी को आईसीयू से बाहर लेकर आता है तो वहा खड़ी सीनियर डॉक्टर, अभय को देख कुछ बोलने को होती हैं पर अभय का डार्क औरा देख उस से कुछ बोला ही नही जाता है..!

 

फिर वही उस सीनियर डॉक्टर की जूनियर डॉक्टर भी आ जाती हैं और अपनी सीनियर डॉक्टर से कहती हैं,

 

" मैम, अभी कुछ मत कहिए नही तो ये शख्स, हमारे परिवार को मारने से पहले एक बार भी नही सोचेगा..!"

 

अपनी जूनियर डॉक्टर की बात सुन, वो सीनियर डॉक्टर डर जाती हैं और उस से कहती हैं,

 

" हां, तुम सही कह रही हो...! " और फिर वो, अभय को कुछ नही कहती है..!

 

फिर वो सीनियर डॉक्टर, अभय को डिस्चार्ज पेपर्स दे देती हैं और साथ मे तनवी के लिए कुछ दिशा निर्देश और उस के साथ उस की दवाइयो के बारे में भी जानकारी दे देती हैं जिस को आकाश समझ लेता है..!

 

अब अभय, आकाश से कहता है,

 

" जेट तैयार करवाओ, हमे आज ही मुंबई के लिए निकलना है..! "

 

अभय की बात सुन, आकाश उस से कहता है,

 

" जी बॉस, मै अभी सारी तैयारी करवा देता हूं..!"

 

कुछ देर बाद, 

 

अभय, तनवी को लेकर उस सिटी हॉस्पिटल से बाहर निकल जाता है और बाहर निकलते ही अभय के सारे बॉडीगार्ड तनवी को घेर लेते हैं जिस से वहा खड़े किसी भी इंसान को तनवी का चेहरा साफ तौर पर नही दिख रहा होता है..!

 

तनवी एक साथ इतने सारे बॉडीगार्ड्स को देख घबरा जाती हैं और जल्दी से अभय के गले लग जाती हैं और वो, उस को छोड़ने को तैयार ही नहीं होती है इसलिए अभय अपनी ब्लैक लक्जरी कार में साथ लेकर बैठ जाता है..!

 

और उस के आगे वाली सीट पर आकाश और ड्राइविंग सीट पर उस का वाफादार ड्राइवर बैठा होता है और अभय का भरोसेमंद ड्राइवर का नाम रवि शिंदे होता है और उस की उम्र 25 वर्ष होती हैं और हाइट 5"9 होती हैं। वो अभय के साथ पिछले सात सालों से काम कर रहा होता है..!

 

और फिर वो देहरादून के सिटी हॉस्पिटल से अभय और उस के साथ आई सारी ब्लैक लक्जरी कार उस की कार के साथ थोड़ी दूरी पर ही चल रही होती हैं..!

 

कुछ घंटे बाद,

 

वो सब लक्जरी कार, एक साथ उसी 30 मंजिला बिल्डिंग के सामने आकर रुक जाती हैं, जहा पर अभय का जेट मुंबई से देहरादून आया था, तो अब अभय के पास बैठी हुई तनवी, अभय से पूछती हैं,

 

"हम तो मुंबई जाने वाले थे न तो हम यहां पर क्यू आए हैं..?"

 

तनवी की बात सुन, अभय उस से कहता है,

 

" बच्चा, हम यहां से जेट के द्वारा ही मुंबई जायेंगे और जो इस बिल्डिंग के छत पर लैंड हुआ है...! "

 

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं,

 

" अच्छा, ठीक है भैया...! "

 

और फिर अभय, तनवी के साथ उस बिल्डिंग की लिफ्ट से लास्ट फ्लोर यानी उस की छत पर पहुंच जाते है और फिर वहा खड़े जेट पर बैठ जाते है और उस के साथ राज, आकाश और रवि और अभय के साथ आए उस के बॉडीगार्ड्स भी बैठ जाते है फिर वो, तनवी से साथ मुंबई के लिए निकल जाता है..!

 

तो, अब देखते हैं कि तनवी अपनी याददाश जाने के बाद अभय के साथ साथ बाकी लोगो को क्या क्या शॉक देने वाली है..?

 

To be Continued...

 

इस चैप्टर पर अपने लाइक करे और कमेंट करके बताए कि आप को चैप्टर कैसा लगा और साथ में इस नॉवेल पर अपने रिव्यू और रेटिंग देना न भूले और आगे जानने के लिए पड़ते रहे मेरी नॉवेल "किस्मत से मिला रिश्ताअगला चैप्टर सिर्फ मातृभारती पर।