किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 21 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 21

अब आगे, 


अभय के ऐसे करने पर तनवी आप अपनी आंखो को छोटा करके उस को ही देख रही होती हैं और वही अभय की हिम्मत नही होती है कि वो अपनी बहन की तरफ मुड़ कर देख भी ले..!


अब जब अभय, तनवी की तरफ देख ही नहीं रहा होता है तो तनवी ही अब अभय की तरफ बढ़ने लगती हैं अभय को ये एहसास तो हो गया होता है कि तनवी उसके ही पास आ रही है पर वो अभी भी ऐसे ही खड़ा हुआ था..! 


अब तनवी, अभय के बिलकुल पास खड़ी होती हैं और अभय से पूछती है, 


" अभी भैया, क्या मैने जो कहा वो सच था...?" 


तनवी की बात सुन कर, अभय तनवी की तरफ देखे बगैर ही उस से कहता है,


" बच्चा, मुझे बहुत नींद आ रही है तो मै सो रहा हूं, तुम भी सो जाना...!" 


अभय ने ये सब बस तनवी को टालने के लिए कहा होता है वैसे तो अभय की आंखो में नींद दूर दूर तक नही होती हैं...! 


अब अभय अपने किंग साइज बेड पर एक साइड अपना मुंह कर के सोने की एक्टिंग कर रहा होता है वही तनवी, अभय की हर हरकत को ध्यान से देख रही होती हैं, जैसे उस को ये सब देखने में बहुत मजा आ रहा होता है..! 


अब तनवी भी अभय के बराबर मे बैठ जाती हैं और उस के कानो के बिलकुल पास आकर अपने मुंह से फूक मारने लगती हैं जिस से अभय को परेशानी हो रही होती हैं..! 


अभय, तनवी की बचकानी हरकतों से परेशान होकर तनवी से कहता है, 


" बच्चा, तुम मुझे सोने क्यू नही दे रही हो...!" 


अभय की बात सुन कर, तनवी नाटक हुए उस से कहती है, 


" कोई तो कह रहे थे कि उन को रात को नींद नही आती है और अब सोने का नाटक कर के दिखा रहे हैं...!" 


अपनी बात कह कर तनवी हंसने लगती हैं वही अभय अब तक अपनी बहन तनवी की याददाश जाने के बाद की हरकतों से परेशान हो चुका था पर जब भी तनवी हंसती थी तो अभय को बहुत अच्छा लगता था...!


इस की एक वजह ये भी थी कि तनवी ने कभी भी अभय के साथ इतना क्लोज होकर बाते नही की थी बस अपने काम के लिए ही वो अपने भाई अभय को बुलाया करती थी बस इसलिए भी अभय को अब अपनी बहन का साथ पसंद आ रहा होता है...! 


जब तनवी देखती है कि अभय उस को देख मुस्करा रहा है तो वो, उस से कहती है, 


" क्या भैया आप को तो सोने की एक्टिंग भी करना नही आता है...!" 


तनवी की बात सुन कर, अभय अपना मुंह फुलाकर गुस्से से अपने बेड पर बैठ जाता है तो तनवी उसकी गोद में बैठ जाती है और उस के ऐसा करने से अभय थोड़ा हैरान हो जाता है पर वो, हैरानी के भाव अपने चेहरे पर आने देता है..! 


वही तनवी, अभय की गोद मे अपना सिर रख कर सो नही पाती हैं तो अभय के हाथ को पकड़ अपने सिर पर रख देती है और अब अभय से कहती हैं, 


" अभी भैया, आप मेरा सिर सहला दो...!" 


तनवी की बात सुन कर, पहले तो अभय को शॉक लगता है फिर वो अपने आप को संभालते हुए तनवी का सिर बड़े प्यार से सहला रहा होता है क्यूंकि उस को ऐसा करने से बहुत अच्छा लग रहा होता है, अब तनवी धीरे धीरे नींद में जाने लगती है...! 


तभी अभय उस से पूछता है, 


" बच्चा, क्या तुम ने अपनी दवाई खा ली...!" 


अभय की बात सुन कर, तनवी अब उस से किसी बच्चे की तरह कहती हैं, 


" नही, मुझे इतनी सारी दवाई, मैने देखा था कि राज भैया कितनी सारी दवाइया लेकर आए थे...!" 


तनवी की बात सुन कर, अभय उस से कहता है, 


" बच्चा, अब तुम बड़ी हो गई हो तो तुम्हे दवाई खाने से केसे मना कर सकती हो..!" 


अभय की सुन कर, तनवी अब उठ कर बैठ जाती हैं और उस से कहती हैं, 


" पहले आप डिसाइड कर लो कि मै छोटी हु या बड़ी हो गई हु...!" 


तनवी की बात सुन कर, अभय अब तनवी के गाल खींचते हुए उस से कहता है,


" कुछ बातो में तुम बहुत छोटी भी हो और कुछ बातो में बड़ी भी तो तुम्हे खुद से ही सोचना पड़ेगा और रही बात दवाई की तो तुम दवाई नही खाओगी तो फिर ठीक केसे हो पाओगी...!" 


अपनी बात कह कर अभय, तनवी के गाल छोड़ देता है और अब तनवी अपने गालो को सहला रही होती हैं साथ में अभय को घूर भी रही होती है तो अभय के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं..! 


अब अभय अपने किंग साइज बेड के साइड में रखे स्टैंड पर से अपना फोन उठा लेता है और राज को कॉल कर देता है क्योंकि अभी दवाइयों के बारे मे उस को ही पता है उनसे अभी तक सविता जी को इस के बारे मे नही समझाया होगा...!


राज, अभय की पहली कॉल पर ही उस की कॉल रिसीव कर लेता है और अभय से कहता है, 


" जी बॉस...!" 


राज की बात सुन कर, ही अभय उस से कहता है, 


" तनवी की दवाइया लेकर आओ और कल सुबह तक दाई मां को तनवी के दवाइयों के बारे मे अच्छे से समझा देना...!" 


अभय की बात सुन कर, राज उस से कहता है, 


" जी बॉस, मै उन को अच्छे से समझा दूंगा और आप के कमरे में तनवी मैम की दवाइया लेकर आता हूं..!" 


राज की बात सुन कर, अभय कॉल कट कर देता है और अपना फोन वही स्टैंड पर रख देता है तो तनवी उस से कहती हैं, 


" क्या जरूरत थी आप को राज भैया की नींद खराब करने की और एक दिन दवाई नही खाऊंगी तो मुझे कुछ हो थोड़ी जायेगा...!" 


तनवी की बात सुन कर, अभय तनवी से थोड़ी गुस्से से कहता है, 


" आज तो ये बोल दिया है पर आगे से मत कह देना, और एक बात अच्छे से समझ लो कि पूरी दुनिया में तुम्हारे अलावा अब मेरे पास कोई नही है जिसे मैं अपना कह सकू और तुम्हारी क्या अहमियत है मेरी जिंदगी में, ये मेरे से अच्छा और कोई नही बता सकता है...!" 


अभय की बात सुन कर, तनवी अब कन्फ्यूज होकर उस को देख रही होती हैं जैसे अभय की कुछ बाते तो उस को समझ में आई हो और कुछ सिर के ऊपर से निकल गई हो पर तनवी इतना तो समझ चुकी थी कि अभय की जिंदगी में उस का भी एक अलग ही मुकाम है, इस वजह से तनवी मुस्करा रही होती हैं..! 


अभय ने तनवी से ऐसा क्यू कहा होगा कि उस का तनवी के अलावा कोई नही है जबकि उस का पूरा परिवार मुंबई में ही रहता है....? 


To be Continued....❤️✍️


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