किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 22 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

श्रेणी
शेयर करे

किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 22

अब आगे,

जब अभय ने तनवी को बोला होता है कि वो ही उस की पूरी दुनिया है तो पहले तो तनवी मुस्करा रही होती हैं और फिर जैसे ही अभय, अपने पर्सनल बॉडीगार्ड राज का कॉल कट करता है तो तनवी के चेहरे के भाव बदल जाते है और अब वो, अभय को अपनी आंखो को छोटा कर के देख रही होती है...!

जिसे देख अभय अब वो, तनवी से कहता है,

" अब तुम्हे क्या हुआ बच्चा...!"

अभय की बात सुन कर, तनवी उस से कहती है,

" आप ने मुझे डाटा, मै आप से बात नही करूंगी और न ही दवाई खाहूंगी...!"

तनवी ने ये सब इसलिए कहा होता है क्योंकि उस को दवाई खाने का कोई भी इरादा नही होता है और अभय उस को दवाई खिलाने के पीछे ही पड़ चुका होता है...!

तनवी की बात सुन कर, अभय मुस्करा रहा होता है जैसे अब की बार अभय, तनवी के मन बात को समझ चुका होता है कि तनवी को दवाई ना खानी पड़े उस के लिए ये सब कह रही है..!

अब अभय को मुस्कुराता देख कर, तनवी उस से कहती हैं,

" क्या भैया, यहां मै आप से नाराज हु और आप हो कि मुझे मनाने के बजाए मुस्करा रहे हो, मै सच में आप से बात नही करूंगी..!"

तनवी की बात सुन कर, अभय उस के गाल को खींचते हुए उस से कहता है,

" बच्चा, चाहे कुछ भी कर लो, दवाई तो तुम्हे खानी ही पड़ेगी, चाहे कुछ भी हो जाए...!"

अभय की बात सुन कर, अब तनवी अभय को ही देख रही होती हैं और अपने मन में कहती है,

" क्या मेरे भैया को दिमाग भी पढ़ना आता है जो ये मेरी बातो को समझ गए...!"

अब तनवी, अभय से कहती हैं,

" ऐसा तो कुछ भी नही है भैया, आप कुछ ज्यादा ही सोच रहे हो...!"

तनवी की बात सुन कर, अभय बस मुस्करा रहा होता है क्योंकि तनवी ने जो कुछ कहा वैसा ना होकर अभय जो सोच रहा होता है ठीक वैसा ही होता है और तनवी अब अभय की तरफ से दूसरी तरफ अपना मुंह कर लेती है और अभय से कहती है,

" मै नही करूंगी अब आप से बात....!"

तनवी का बचपना देख अभय के चेहरे की मुस्कान जा ही नहीं रही होती हैं और अब वो, तनवी से कुछ कहता उस से पहले उस के कमरे का दरवाजा नोक होता है तो अभय अब अपने किंग साइज बेड से उठ कर दरवाजा खोलने चला जाता है..!

पर अभी भी अभय के चेहरे पर मुस्कान बरकरार होती हैं और उसी मुस्कान के साथ अभय अपने कमरे का दरवाजा खोल देता है तो सामने खड़े उस का पर्सनल बॉडीगार्ड राज को तो जैसे झटका ही लग जाता है और एक पल के लिए राज बस अभय को देखता ही रह जाता है..!

क्योंकि उस का बॉस अभय आज बहुत ही खुश नजर आ रहा होता है साथ में उस के चेहरे पर मुस्कान देख कर राजपूत विला में मौजूद कोई भी इंसान देख ले तो उस के होश उड़ सकते है..!

अब अभय, राज को देखता है तो उस के सामने अपना हाथ हिलाते हुए उस से पूछता है,

" अब तुम्हे क्या हो गया है और इतने शॉक में क्यू हो..?"

अभय की आवाज सुनते ही राज को होश आ जाता है और वो, अभय से कहता है,

" कुछ भी तो नही हुआ मुझे...!"

राज की बात सुन कर, अब अभय उस से कहता है,

" ले आए तुम, तनवी की दवाइया...!"

अभय की बात सुन कर ही राज अपना सिर हां मे हिला देता है और तनवी की दवाइया अभय के तरफ बढ़ा देता है तो अभय भी अब राज के हाथो से तनवी की दवाइया ले ही रहा होता है कि पीछे से तनवी अब आगे आ जाती हैं और राज को देखते हुए कहती हैं,

" चलो राज भैया, मै अब आप से साथ सोने जाऊंगी और रही बात अभी भैया की तो वो खुद ही सो जायेंगे..!"

तनवी की बात सुन कर ही अभय की मुस्कान और भी गहरी हो जाती हैं क्योंकि वो, तनवी की इन हरकतों का कारण जानता है कि वो ये सब दवाइया न खानी पड़े इसलिए ये सब कर रही है..!

वही राज, पहले ही अभय को देख शॉक में था और अब तनवी की बातो ने उस को डबल शॉक में कर दिया था और उस को तो समझ में ही नही आ रहा होता है कि उस की तनवी मैम को हुआ क्या है जो वो आज पहले अपने भाई और अब एक नोकर से ये सब कह रही है..!

राज ये तो समझ रहा है कि उस की तनवी मैम की याददाश नही है और वो, सब को भैया भी कह रही है उस के मुताबिक वो, उन की छोटी बहन ही हुई है मगर फिर भी वो उन के बॉस अभय की बहन है और साथ में उस की याददाश जाने से पहला वाला व्यवहार बहुत ही खराब रहा है ऐसे में किसी को भी तनवी पर विश्वास करने मे थोड़ा तो समय लगने ही वाला है..!

राज को अपने ही ख्याल मे देख कर, तनवी उस को हाथ से पकड़ते हुए हिलाने लगती हैं और उस से कहती हैं,

" क्या राज भैया अब आप भी अभी भैया की तरह अपने ख्यालों में चले जाओगे तो फिर मैं किस से बात करूंगी..!"

तनवी ने अपनी बात बहुत ही मासूमियत से कही होती हैं जिसे देख अब राज के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती हैं..!

तनवी की बात सुन कर, राज उस से कहता है,

" आप अभी कुछ कह रही थी मेरा मतलब है कि आप तो बॉस के साथ सोने वाली थी ना कि वो दुबारा से स्टडी रूम में काम न करने लग जाए और अगर आप मेरे साथ आएंगी तो फिर बॉस पर ध्यान कौन रखेगा क्योंकि वो तो हमारे बॉस है हम तो उन्हे कुछ भी नही कह सकते है ना..!"

राज की बात सुन कर, तनवी कुछ सोचते हुए कहती है,

" कह तो आप सही रहे हो राज भैया, तो अब क्या करे और मै इन से बात नही करूंगी क्योंकि ये मुझे बात बात पर डाटते रहते है...!"

तनवी की बात सुन कर अभय अभी भी मुस्करा रहा होता है और वही राज अभय को देखता ही रह जाता हैं क्योंकि तनवी की मासूमियत किसी मासूम को भी दोषी करार दे सकती थी..!

बस इसलिए अब राज को लग रहा होता है कि जरूर से उस के बॉस अभय ने ही अपने छोटी बहन तनवी को डाटा होगा क्योंकि उस का गुस्सा बहुत ज्यादा तेज है..!

इसलिए राज, अभय को देख रहा होता है जैसे वो कह रहा हो कि उस बॉस केसा भाई है अपनी छोटी बहन को डाटते हुए जरा सी शर्म नही आई और साथ में जिस बहन की अभी याददाश नही है...!

अभय, राज के चेहरे को पढ़ते हुए उस से कहता है,

" ऐसा कुछ भी नही है जो तुम सोच रहे हो बल्कि मेरी ये नौटंकी बाज बहन बेवजह ही मुझ पर डाटने का इंजाम लगा रही है क्योंकि इस को अपनी दवाइया नही खानी है..!"

अपने बॉस अभय की बात सुन कर, अब राज तनवी को देख रहा होता है जो अपना चेहरा इधर उधर गुमा के देख रही हो जैसे उस को इस बारे मे कुछ पता ही न हो..!

वही अभय, तनवी की बातो का जवाब देते हुए उस की तरफ देखते हुए उस से कहता है,

" तुम, कही नही जाओगी अब से तुम मेरे ही कमरे में आकर मेरे साथ ही सोया करोगी जिस से मै खुद तुम्हे रात की दवाई खिलाकर सुलाया करूंगा और सुबह नाश्ते के साथ वाली भी दे दिया करूंगा..!"

अभय ने ये सब इसलिए कहा होता है क्योंकि अब तक वो तनवी के याददाश जाने के बाद उस के स्वभाव जान चुका था जो बिलकुल बच्चो जैसा ही हो गया था..!

और साथ में तनवी से पहले ही कोई बात नही कर पता था जब कि पहले तो उस की याददाश भी थी पर अब जब नही है तो वो अपनी मासूमियत के जाल में फंसाकर किसी को भी पागल बना सकती थी..!

और ऐसे मे वो दवाई ना खानी पड़ी उस के लिए कुछ भी कर सकती हैं और उस के सामने अभय के अलावा अब वो किसी की भी नहीं सुनने वाली और अभय से बिना डाट खाए वो, दवाई तो बिलकुल भी नही खायेगी..!

वही अभय की बात सुन कर, तनवी उस को घूर कर देख रही होती है और अभय मुस्करा रहा होता है और साथ में उन दोनो देख कर राज बहुत ही ज्यादा खुश नजर आ रहा होता है..!


तो अब देखते हैं कि अभय, तनवी को केसे खिला पाता है उस की दवाइया और अब क्या अभय कभी अपनी जिंदगी में खुश होना सीख पाएगा वो भी अपनी ही बहन तनवी से..?

To be Continued....❤️✍️

इस चैप्टर पर अपने लाइक करे और रिव्यू दे और कमेंट करके बताए कि आप को चैप्टर कैसा लगा और आगे जानने के लिए पड़ते रहे मेरी कहानी अगला चैप्टर सिर्फ मातृभारती पर।