प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ३७ RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ३७


राज परी और सुनील को एयरपोर्ट छोड़ने चला गया।
घर पुरी तरह से खाली भी हो गया था।
मिनल भी कुछ दिनों के लिए अपनी नंदन के घर चली गई थी।





और फिर हिना और जीनत भी पैकिंग करने लगे।




तैयार होने के बाद दोनों आभा के रूम में चले गए।
हिना ने कहा मम्मी जी, पापा जी मुझे कुछ कहना था।
आभा ने कहा हां,बोल बेटा क्या बात है?
हिना ने कहा कि मैं अपने घर जाना चाहती हूं वो कुछ किताबें और जरूरी सामान सब है वो लेना है।
आभा ने कहा हां, ठीक है राज को आने दो वो छोड़ आएगा।
हिना ने कहा अरे नहीं, नहीं मम्मी जी मैं तो जीनत के साथ जा रही हुं। और अभी निकल रही हुं।
यह सुनकर आभा चौक गई और बोली अरे अचानक जल्दी क्यूं?
हिना ने कहा अरे मैं बहुत दिनों से सोच रही थी पर परी की शादी को लेकर सब व्यस्त थे तो बोल नहीं पाईं।
रमेश ने कहा अरे जाने दो इसे।
जाओ हिना, होकर आओ।
यह सब बातें राज वापस आ कर ही दरवाजे पर से सुन लिया। और अपने रूम में चले गए।
आभा ने कहा अमर के जाने के बाद पहली बार हमे छोड़ कर जा रही है।
हिना ने पैर छुए और फिर बोली चलती हुं।
हिना बाहर निकल कर रोने लगी।
रास्ते पर आकर हिना बार बार पीछे मुड़कर देखने लगी।
जीनत ने कहा किसका इंतज़ार है इन आंखों को?
हिना ने कहा हां,जिसका मुझे डर था कहीं वो ना आ जाए।
फिर दोनों बस स्टैंड से बस पकड़ कर बैठ गई।
उधर राज बड़बड़ाने लगा सब जाओ मुझे छोड़ कर, किसी की जरूरत नहीं है मुझे।।
आभा ने जैसे ही राज की आवाज सुनी तो जाकर बोली अरे कब आया तू?
राज ने कहा आया अभी!
आभा ने कहा अच्छा लंच के लिए आ रहा है?
राज ने कहा जी।
फिर आभा नीचे पहुंच गई और किचन में जाकर बोली।
मालती रोटी ज्यादा मत बनाना आज से।
हिना और जीनत चले गए।
मालती ने कहा हां, मैडम क्यों चली गई आप लोगों को छोड़कर।।
आभा ने कहा अरे बाबा आ जाएगी कुछ काम से गई है।

फिर मालती ने खाना लगा दिया।
राज भी आ गया और फिर खाना खाने बैठ गया और फिर इधर उधर देखने लगा अरे ये लोग कहा है? अभी तो नहीं गई होगी?
आभा ने कहा प्लेट में खाना परोस दूं।
राज ने कहा मैं ले लेता हूं।
राज ने खाना निकालते हुए कहा अरे मां जीनत और हिना कहां है?
आभा ने अरे वो दोनों तो निकल गए। हिना को अपने घर जाना था। पर क्या बात है हिना तुमसे नहीं मिली?
फिर से लड़ाई हो गई?
राज ने कुछ नहीं बोला गुस्से में लाल हो रहा था।
मन में सोचा कि इतनी जल्दी क्या थी।भाग गई। एहसान फरामोश।।

किसी तरह से ख़ाना खाने के बाद ही राज निकल गया।
आभा ने देखते ही कहा अब इसे क्या हुआ।
राज बाहर गेरेज से गाड़ी निकल लिया। और गाड़ी स्टार्ट करते हुए तेज रफ्तार में निकल गया।
अरे ऐसे कैसे जा सकती है वो?? मै समझ गया था कि उनके मन में क्या चल रहा था।मै तो रोक भी नहीं पाया? किस हक से रोकता उसे मैं??
दिलजला हुं बहुत मैं
सारी दुनिया जला दु 
तेरी चाहत के आगे 
इस दुनिया को मिटा दूं 
मेरी घड़कन कहती हैं 
तूने की बेवफाई 
हमने तो ली कसम है 
साथ ना छोड़ूं कभी मैं 
तूने तो राह बदल कर 
कि है एक बेवफाई।।

क्रमशः