साथी - भाग 5 Pallavi Saxena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथी - भाग 5

भाग -5

  धीरे-धीरे समय निकलने लगा. पहले वाले ने अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर अपना व्यापार खड़ा कर दिया. मगर दूसरा वाला पहले वाले के गम में इस कदर बर्बाद हुआ कि जीवन के अंतिम मोड़ पर आ गिरा पर दोनों ही अपनी अपनी जिंदगी में किसी और को जगह ना दे सके. पहले वाले ने दूसरे वाले को भुलाने के लिए खुद को काम में झोंक दिया, पर दूसरे वाले ने खुद को दारु शराब और नशे में डुबो दिया. पहले के चले जाने से मानो दूसरे की दुनिया ही ख़त्म हो गयी. फिर उसने हर काम के लिए मनाकर दिया. उसे धमकीयां भी मिली कि अगर उसने यह काम छोड़ा तो फिर हमेशा के लिए ही छूट जायेगा. फिर उसे कभी कोई पैसा नहीं मिलेगा पर उसने किसी की नहीं सुनी. थोड़ी जिन्दगी तो जमा पूंजी के भरोसे और थोड़ी घर का समान बैंच – बैचकर निकल गयी और नशे की बुरी आदत ने उसे सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया. एक तरह से जिन्दगी जहां से शुरू हुई थी, वापस वहीं आकर खड़ी हो गयी.

सालो बीत गये दोनों ने एक दूसरे से ना बात की, ना मुलाकात की, समय गुजरता चला गया. दोनों अब अधेड़ हो चुके है. एक दिन पहले वाले को अपने किसी कस्टमर के माध्यम से दूसरे वाले के हाल का पता चला पर उसने अनदेखा अनसुना कर दिया. पर जब मन ना माना, तो उसने उसे कई बार फोन किया पर दूसरे वाले ने कभी कॉल आंसर ही नही किया. बड़े सालों बाद पहले वाले ने एक दिन हिम्मत जुटाकर दूसरे से मिलने का मन बना लिया. किसी तरह जब वह फूल और थोड़ी चॉकलेट के साथ उसके घर पहुंचा, तो उसे पता चला अब वह वहाँ नहीं रहता. उसने तो वह घर वहाँ रहने वालों को कब का बेच दिया। बहुत पूछने पर भी, वहाँ रहने वाले उसके विषय में कुछ बता ना सके कि वह कहाँ गया.

पहले वाले ने उस आदमी से मिलकर भी जिसने उसे हीरो या मॉडल बनाने की बात कि और जब काम ना मिला था तब उसे कास्टिंग काउच का चयन कर लेने की सलाह दी थी उससे दूसरे वाले के विषय में जानने की कोशिश की मगर वहाँ से भी उसको उसके विषय में कौई जानकारी प्राप्त नहीं हुई पर हाँ इतना पता चला कि उसने तो बहुत सालों पहले ही वह काम छोड़ दिया था. जिसके लिए उसे रखा गया था. अब पहले वाले की चितां दूसरे के प्रति गहराने लगी थी. उसने पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज करा दी और गुमशुदा के विज्ञापन पोस्टर भी लगवा दिये थे. मगर समय निकलता चला गया इतना सब करने के बाद भी दूसरे वाले की कहीं से कोई ख़बर नहीं आयी. पहला वाला भी अब निराशा के घेरे में घिरने लगा था. उसे लगने लगा था कि शायद उसने अपने उस "साथी" को अब हमेशा के लिए खो दिया है. ना जाने वह अब जिन्दा भी है या नहीं, उसके जिन्दा ना होने के ख्याल से भी पहले वाले की रूह कांप जाती, पर वह कुछ कर नहीं सकता था. अब वह उसके फोन पर रोज़ कॉल करने लगा था. दिन में एक बार, एक निश्चित समय पर वह उसके नम्बर पर एक बार कॉल जरूर करता था.

ऐसा करते भी उसे अब कई साल गुजर चुके थे. पर मानो ऐसा करना उसकी जिन्दगी का हिस्सा बन चुका था. एक नियम, यह जानते हुए भी की सामने से कभी कॉल नही उठेगा, वह तब भी नियम से एक निश्चित समय अवधी पर उसे कॉल किया करता और पूरी-पूरी घंटी बजने के बाद काट दिया करता. एक दिन हमेशा कि तरह उसने उसके नम्बर पर कॉल किया और फोन को स्पीकर पर डाल दिया और अपने काम में व्यस्त हो गया. कॉल कटने के पहले इस बार फोन उठा और किसी ने हेलो किया. हेलो सुनते ही मानो उसके पैरो तले जमीन निकल गयी. उसने तुरंत रिप्लाई में हेलो कहा पर सिवाये हेलो और गाड़ियों के शोर के अतिरिक्त दोनों को ही और कोई आवाज नहीं आयी. पहले वाले ने उसी नंबर पर बार-बार फिर कॉल किया मगर फिर भी उसे निराशा ही हाथ आयी. जिससे वह बहुत ही परेशान हो उठा और गुस्से में उसने अपना फोन फेंक दिया. जैसे ही उसने फोन फेंका, उसका फोन बजने लगा. वह पागलों की तरह अपना फोन ढूंढ़ने लगा.

जब उसे फोन मिला तब उसने अपने कांपते दोनों हाथों से फोन उठाया और आँखों में नमी लिए दोनों हाथों से ही अपने कान पर लगाया. उस एक पल में ना जाने कितने भाव उसके चेहरे पर आये और गये जिनमें प्यार, चिन्ता, डर, घबराहट के मिले जुले भाव एक-एक कर के तेजी से आये गये कि उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है. इसे पहले के वह खुद कुछ बोल पाता, सामने से एक आवाज आयी हेलो...! में फलां-फलां अस्पताल से बोल रहा हूँ. जिस आदमी का यह फोन है, उसका एक सड़क दुर्घटना में, अभी वह अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि इधर मारे डर और चिंता के पहले वाले ने जोर जोर चिल्लाते हुए कहा सड़क दुर्घटना में क्या, तुम चुप क्यों हो...?  बोलते क्यू नहीं...?  उपर से आवाज आयी मैं तो बोल ही रहा था, आपने ही मेरी बात नहीं सुनी. 'वह जिन्दा है मरा नहीं है' किन्तु गम्भीर रूप से घायल जरूर है. अच्छा होगा यदि आप यहाँ आ जायें.

मैं आपको लोकेशन भेज रहा हूँ और आपका इंतज़ार कर रहा हूँ, जितना जल्दी हो सके, आप यहाँ आजाओ. आपके आने के बाद ही मैं यहाँ से जा पाऊँगा क्योंकि डॉक्टर का कहना है यह पुलिस का मामला है. हो सकता है जब तक आप आ नहीं जाते बन्दे को इलाज ही ना मिले. नहीं...! मैं बस अभी आ रहा हूँ. आप बस उसका ध्यान रखना और हो सके तो एक बेसिक इलाज के लिए तो बोलना, जब तक में पहुँच रहा हूँ. ठीक है,...! कहते हुए उसने गाड़ी उठायी और भेजी गयी लोकेशन की तरफ बढ़ गया. इधर पुलिस पूछताछ में लगी है कि यह कौन है, क्या है, हादसा कैसे हुआ वगैरह - वगैरह. हालांकि उसकी हालत को देखते हुए पुलिस भी उसे एक गरीब भिखारी समझते हुये उसकी कार्यवाही ज्यादा गम्भीरता से नहीं कर रही है. किन्तु औपचारिकता तो करनी ही पड़ती है. मरीज की हालत गम्भीर होते देख पुलिस वालो ने चिकित्सकों को उसका इलाज, उपचार प्रारंभ करने की अनुमति दे दी है और व्यक्ति को घर जाने के लिए कह दिया है.

वह व्यक्ति दूसरे का इंतज़ार कर करके अब अपने घर के लिये निकलने ही वाला था कि तभी पहले वाला हड़बड़ाता हुआ अस्पताल में दाखिल हुआ. पुलिस को देखकर उसने कहा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति मेरा जानने वाला है. मुझे उससे मिलना है. पहले पुलिस वालो ने उसे उपर से नीचे देखा और फिर मरीज के विषय में सोचते हुए पहले को मिलने से मनाकर दिया क्योंकि उन्हें शंका हुई कि एक गरीब भिखारी के लिए, एक सूट-वूट वाला, महंगी घड़ी और बड़ी सी गाड़ी में आने वाला व्यक्ति उसका भाई उसका जानने वाला कैसे हो सकता है। लेकिन फिर उन्हीं में से एक इंस्पेक्टर ने कहा ‘यदि अपने मन में चल रहे सवालों का जवाब जनना चाहते हो, तो इसे जाने दो’. मिलने दो उससे हो सकता इस सब के पीछे कौई गहरा राज छिपा हो, दो अन्य पुलिस वालो ने उसे, उस मरीज से मिलने की आज्ञा देते हुए कहा 'अच्छा ठीक जाओ जाकर मिल लो उसे' वह हड़‌बड़ाता हुआ, गिरता पड़ता उसके निकट पहुंचा तो उसकी आँखें फटी के फटी रह गयी.

अस्पताल पहुँचकर आखिर ऐसा क्या हुआ जिसे देखकर पहले वाले की आँखें फटी के फटी रह गयी....!

जानने के लिए जुड़े रहिए...

जारी है ....