साथी - भाग 6 Pallavi Saxena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथी - भाग 6

भाग -6

वैसा ही ऊँचा लंबा कद लेकिन भिखारियों  से भी अधिक गयी गुज़री स्थिति, मेले कुचले फटे हुए कपड़े, धूल मिट्टी से सना बदन, रूखी सूखी भूसे जैसी दाढ़ी मूंछ और बाल जैसे बन्दा महीनों से नहीं नहाया हो और उस पर से काला पड़ चुका रंग, हादसे के कारण पट्टियों से बंधा बदन और पैर में प्लास्टर एक हाथ में लगी हुई ड्रीप, पहले तो, वह व्यक्ति मरीज की ऐसी हालत देखकर फूट -फूटकर रोया. उसके पास बैठकर उसका हाथ अपने हाथों में लेकर रोया, उससे माफी मांगी, बहुत देर बाद जब उसे होश आया, तब उस पहले वाले ने उसका चेहरा बड़े ध्यान से देखा, डाक्टर को बुलाया और पूछा  क्या इसकी दाढ़ी बनवायी जा सकती है...?  नर्स ने कहा, ‘हाँ क्यों नही’ शेव के बाद उसका चेहरे देख पहले वाले के चेहरे का रंग उड़ गया....! क्योंकि उस दाढ़ी और मूंछ के पीछे छिपा चेहरा इतना कमजोर और काला पड़ चुका था.

जिसे देख शायद कोई और भी होता तो वह भी रो ही देता, बहुत सा समय साथ गुजारने के बाद उसे यह एहसास हुआ कि यह उसका वो यार नहीं है, तब कहीं जाकर उसकी सांस में सांस आयी और उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया, और पुलिस से भी यही कहा ‘कि यह वो नहीं है जिसकी तलाश में मैं यहाँ आया था.’

फिर भी उसने मरीज से पूछा तुम्हें यह फोन कहाँ से मिला...? किसने दिया और यह फोन कब से और कितने समय से तुम्हारे पास है...? मरीज की हालत बेहद गंभीर थी इसलिए वह उस वक्त उसके किसी भी सवाल का कोई जवाब ना दे सका और बेहोश हो गया. डाक्टर और नर्स ने भी उस से ज्यादा सवाल जवाब ना करने की हिदायत दी. तब उसने डॉक्टर से कहा ‘आप इन्हें प्राइवेट रूम में शिफ्ट कर दीजिये, पैसा मैं भर दूंगा. लेकिन कृपया इसे अच्छा कर दीजिये क्योंकि जिसे में पागलों की तरह ढूंढ रहा हूँ. उस तक पहुंचने कि अब यही एकमात्र कड़ी है मेरे पास. और हाँ आप पैसों कि चिंता बिलकुल मत कीजिए. बस इसे जल्द से जल्द ठीक कर दीजिये’. इससे पहले डॉक्टर और नर्स उससे कुछ कह पाते, वह उस जनरल वार्ड से बाहर निकल गया और उस ऐसी बातों को सुनकर पुलिस वालों के कान अब पहले से भी ज्यादा खेड़े हो चुके थे.

आखिर कौन था भिखारी ....? और कहाँ से मिला था उसे दूसरे वाले का यह फोन, क्या पहले वाले ने खुद इसे यह फोन दिया था या फिर इसने उससे चुराया था....? यह सब बाते अब एक राज बन चुकी थी. पहले वाले के लिए भी और पुलिसवालों के लिए भी, सभी यह जानना चाहते थे. पहले वाला अब रोज ही अस्पताल आने लगा था, लेकिन अब तक उसकी सेहत में कोई खास बदलाव नहीं आ पाया था. फिर भी डॉक्टर के कहने पर उसने मरीज से पूछा कौन हो तुम....? यह मोबाइल तब तुम्हारे पास कहाँ से आया....? किसने दिया, कब दिया, क्यों दिया....? मरीज ने डरते -डरते कहा, ‘यह तो मुझे वो साहब ने कहते-कहते वह रुक गया. हाँ बोलो ना ? कौन से साहब ने....! कैसे दिखते थे वो....? साहब को बहुत गोरे लम्बे देखने में बहुत ही खूबसूरत थे. व्यवहार में भी बड़े अच्छे बहुत ही नरम दिल इंसान थे.

एक दिन मधुशाला आये और हर दिन की तरह अपना ड्रिंक पिया किन्तु उस रोज उनके पास देने के लिये पैसे नहीं थे, तो उन्होंने मुझे यह मोबाइल दिया और कहा ‘यह एक एसा जादुई मोबाइल है जिसे कभी रिचार्ज नहीं करना पड़ता. यह खुद बा खुद रिचार्ज हो जाता है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह मेरे दिल के बहुत करीब है. बस कभी-कभी इस पर एक फोन आता है, उसे कभी मत उठाना क्योंकि यदि तुमने वह फोन गलती से भी उठा लिया तो हो सकता है, इसका यह जादू खत्म हो जाये. बस तब से मैंने आज तक वह फोन नहीं उठाया. अच्छा....! पहले ने अपने नंबर से उसी फोन पर एक बार फोन किया और पुछा यही है ना वो जादुई नम्बर....? मरीज वह नंबर देखकर डर गया. उसका गला सूख गया. उसने चेहरे के हाव भावों से ही बात पर हामी भर दी.

पहले ने मरीज से कहा ‘क्या तुम बता सकते हो, तुम्हारे यह साहब कहाँ मिलेंगे मुझे ? देखो यदि तुम मुझे उनका पता बता दोगे तो तुम्हारे इस फोन का यह जादू कभी खत्म नहीं होगा. पर इसके पहले कि गरीब भिखारी पहले वाले से कुछ कह पाता उसकी तबीयत अचानक से बिगड़ गयी और दिल का दौरा पड़ जाने से उसकी मृत्यु हो गयी और उसके साथ-साथ पहले वाले की दूसरे वाले से मिलने की इच्छा भी जाती रही हो गयी. उसे लगा दूसरे वाले से मिलने का हर दरवाजा अब हमेशा-हमेशा के लिए बन्द हो गया. शायद अब इस जन्म में तो वह उससे अब कभी नहीं मिल पायेगा. उसने वह मोबाइल अपने हाथों में लिया और उसे अपने सीने से लगाकर फूट फूटकर रोने लगा. मानो उस मरीज के रूप में ही उसने अपने यार को हमेशा-हमेशा के लिए रखो दिया.

ऐसे ही कुछ साल और बीत जाते है, इस बीच इस हादसे के बाद से पहले वाले ने वाले ने दूसरे वाले के उस फोन को ही उसकी आखिरी निशानी समझकर उस पर गुलाब के फूल चढ़ाना आरंभ कर दिया था. यह अब उसका नियम बन चुका था वह हर रोज़ उस मोबाइल पर फूल चढ़ाया करता ठीक वैसे ही जैसे हम अपने पूर्वजों की तस्वीर पर चढ़ाया करते हैं. पर ना जाने क्यों, अब भी उसके मन में एक उम्मीद की किरण जिन्दा थी. जिसके चलते वह अपने वादे को निभाते हुए आज भी उस फोन वाले नंबर को रिचार्ज करवाया करता था. यह सोचकर कि यह उसका फर्ज है और जब तक वो जिन्दा है, वह अपना यह फर्ज निभाता रहेगा. अब यही उसकी जिन्दगी का नियम बन चुका था. एक दिन जब वह रोज की तरह उस फोन पर गुलाब की पंखुड़ियाँ चढ़ाकर प्रार्थना कर रहा था तभी अचानक वह फोन बज उठा. यह दृश्य बिलकुल वैसा ही था जैसे किसी मृत व्यक्ति में अचानक किसी आत्मा ने प्रवेश कर लिया हो. फोन पर एक नंबर चमक रहा था. जो अपनी चमक के साथ-साथ पहले वाले की आँखों में भी चमक दे रहा था. साथ ही एक उम्मीद कि किरण भी कि शायद वह अब भी ज़िंदा है.

तो क्या दूसरा वाला व्यक्ति अब भी ज़िंदा है या फिर उसने यह नंबर और भी किसी को दिया हुआ था ...? जानने के लिए जुड़े रहें...

जारी है....!