साथी - भाग 3 Pallavi Saxena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथी - भाग 3

 भाग -3

एक ऑफर है तुम्हारे लिए. ‘कैसा ऑफर ?’ ‘अरे तुम चलो तो सही यार....! तुम ना सवाल बहुत करते हो.

वह उसे एक और मधुशाला में ले गया, जहाँ बैठकर एक व्यक्ति नशा कर रहा था. उनसे भी उसे एक बार और उपर से नीचे तक देखा और कहा ‘मेरे पास एक रास्ता है, तुम्हारी दो रातों का सवाल है, फिर तुम्हें फिल्मों में काम भी मिलेगा और तुम रातों रात एक सितारा बन जाओगे सिर्फ इतना ही नहीं तुम्हें तुम्हारी उन दो रातों का पैसा भी मिलेगा वो अलग सोच लो ऊपर से तुम एक मर्द हो तो किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा. ना बच्चे का झंझट ना पत्नी का डर, बस एक बार की परेशानी और जिन्दगी भर आसानी’ कहते हुए उसने एक जोर का ठहाका लगाया और दारु पीने लगा. अगले ही पल उसने सिगरेट उठा के जो कश मारा कि लगा सिगरेट के धुँए के कोहरे में मानों उस व्यक्ति का चेहरा धुंधला गया. उसकी यह बात सुनकर वह तमतमा गया और गुस्से से बोला, ‘तुम ने मुझे समझ क्या रखा है ...? ‘मैं यहाँ काम की तलाश में आया था. खुद को बेचने नहीं’ कहते हुये वह वहाँ से निकल गया।

   जिन्दगी अब एक बार फिर उसी डर्रे पर आ गयी थी. वह अब उखाड़ – उखड़ा उदास उदास सा रहने लगा था. उसे अब भी इस बात का यकीन नहीं आया था कि कोई उसे सामने से आकर ऐसा कुछ कह पाया. यह तो अच्छा हुआ कि वह एक लड़का है. उसकी जगह यदि कोई लड़की होती तो ना जाने उसका क्या ही हाल होता. ऐसा सोचते हुए उसे अचानक से अपने पार्टनर का ख्याल दिमाग में आ गया और उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ गयी. उसने अपने पार्टनर के पास जाकर कहा. ‘मैं तुम से आज एक वादा करता हुँ, मैं हमेशा तुम्हारा खर्च उठाऊंगा हमेशा कमाऊंगा ज्यादा से ज्यादा कमाकर तुम्हारी हर जरूरत को पूरा करूँगा...पर तुम कमाने के फेर में मत पढ़ना कभी और यदि कमाना भी चाहो ना, तो ऐसा काम ही करना जिसमें तुम्हें इज्जत मिले. ज्यादा पैसों के चक्कर में कहीं भी कुछ भी उलटा सीधा काम मत करने लगना.’ कहते हुए उसने उसे अर्थात (दूसरे वाले) को अपने गले से लगा लिया और कहा, ‘यह दुनिया बहुत ख़राब है (बाबू) बहुत संभलकर चलना होगा.

तब उस वक्त दूसरे वाले को समझ में नहीं आ रहा था कि आज उसके पार्टनर को क्या हुआ है. आज से पहले तो कभी उसने उससे इस तरह कि बातें नहीं की फिर आज अचानक ऐसा क्या हो गया है कि वह उसे लेकर इतना परेशान है. पर उस समय उसने उससे कुछ नहीं कहा, ना ही कुछ पूछा, क्यूंकि उस वक़्त उसे कहीं ना कहीं इस बात कि खुशी हो रही थी कि उसके पार्टनर को उसकी इतनी परवाह है, चिंता है, फिक्र है, कि वह उससे इतना प्यार करता है उसके विषय में कितना सोचता है.

       समय बीता, अब इसकी भी जरूरतों ने और अरमानों ने अंगड़ाइयाँ लेना आरंभ किया. पहले अच्छे कपड़े फिर गहनों की तरफ धीरे-धीरे आकर्षण बढ़ने लगा. उसने अपने पार्टनर से अपनी इच्छायें बताना अपनी मांगे रखना शुरु किया. जैसा कि अकसर पत्नियाँ अपने पतियों से किया करती हैं. जितनी तेजी से दूसरे कि इच्छायें बढ़ रही थी, उतनी तेजी से पहले का धन अर्थात आमदनी नहीं बढ़ रही थी. फिर भी जितना हो सकता, जहाँ तक सम्भव होता. उसका पार्टनर उसकी हर इच्छा को पूरी करने की पुर जोर कोशिश करता. कभी कर पाता, कभी नहीं भी कर पाता. इधर इच्छा पूरी ना होने पर इसे अब गुस्सा भी आने लगा था. अब उन दोनों के प्यार भरे जीवन में ताने उल्हानों ने धीरे-धीरे घर करना आरंभ कर दिया था।

      यूं तो पहले वाला बहुत ही मेहनती इंसान था किन्तु उसकी जी -तोड़ मेहनत के बाद भी वह अपने साथ को उसके हिस्से की खुशियाँ नहीं दे पा रहा था. हालांकि ऐसा नहीं है कि दुसरे वाले को पहले वाले कि मेहनत दिखाई नहीं देती थी या फिर वह कुछ समझता नहीं था, दूसरा वाला भी यह सब बातें समझता था. किन्तु कभी-कभी बाहारी दुनिया के प्रभाव में आ जाने के कारण उसे लगने लगा था कि यदि उसके पास भी भरपूर पैसा होता तो उसकी ज़िंदगी आज कुछ ओर ही होती. ऐसा शायद इसलिए भी होता था क्यूंकि उन दोनों ने बचपन से ही बेहद गरीबी देखी थी और अब जब थोड़ा पैसा आना शुरू हुआ है, तो उसे लगता है जल्दी -जल्दी ज्यादा से ज्यादा पैसा आने लगे. इसलिए उसने अपने साथी से अर्थात पहले वाले से मांग पर मांग करना आरंभ कर दिया. लेकिन जब बात बनती दिखाई ना दी, तब उसने खुद एक बेहद ही छोटे और आसान रास्ते का चुनाव करते हुए पैसा कमाने के विषय में सोचना शुरू कर दिया.

जिसमें ना किसी डिग्री की आवश्यकता थी और ना ही किसी प्रकार के कोई अनुभव या प्रमाण पत्र की, जरूरत थी, तो केवल रूप -रंग जो परमात्मा ने इन दोनों को ही भरपूर दिया था. वह अधिक पैसे के मोह में इतना अंधा हो चुका था उन दिनों, कि वह अपनी सही और गलत की समझ ही खो बैठा. उसे यह समझ ही नहीं आया कि पहले वाले ने आखिर आसान काम को क्यूंकि नहीं चुना और इतनी मेहनत का काम क्यूँ चुना जिसमें मेहनत अधिक और पैसा बहुत कम था. लेकिन उसकी कभी हिम्मत नहीं हुई पहले वाले से समाने से पूछा ने की और उसे अपना सच बताने की. कि उसने एक यूनिसेक्स सेलून में काम पकड़ लिया है.

समय बीता पैसा तेजी से आने लगा. जल्द ही इन दोनों ने एक अच्छा घर खरीद लिया, गाड़ी खरीदी, महेंगे गहने कपड़े घड़ियाँ और इत्र आने लगे. धीरे-धीरे दारु भी अब घर पर ही चलने लगी. एक जिन्दगी का जश्न मनाने के लिये पीता, तो दुसरा अपना फ़्रस्टेशन मिटाने के लिये पीता. दोनों की जिन्दगी बाहरी रूप से तो सेट हो चुकी थी. एक दिन दोनों साथ बैठकर नशा कर रहे थे. बातों ही बातों में, पहले ने दूसरे से पूछा एक बात बता यार क्या यूनिसेक्स सलून की नौकरी में वाकई इतना पैसा है....? यदि मुझे पता होता तो शुरू से वही की होती और यदि ऐसा कुछ होता तो फिर तुम्हें काम नहीं करना पड़‌ता, है ना?

लेकिन उस रोज दारू के नशे में दूसरा वाला यह भूल गया कि वह चाहे बताए या ना बताये इतना पैसा एकदम से आते देख एक न एक दिन तो पहले वाले को सच का पता चल ही जाएगा. उस रोज दूसरे वाले से सच उगलवाने के लिए पहले वाले ने नशे में होने का नाटक करते हुए दूसरे वाले पार्टनर से गुस्से में आकर कह दिया. लेकिन मैं तुम्हारी सभी इच्छाएन पूरी नहीं कर सका. इससे ज्यादा औकात नहीं है मेरी, मैं तुम्हारी मांगे पूरी कर-करके थक चुका हूँ. अब ओर नहीं होता मुझसे, यदि तुम्हें इतनी ही जरूरत है तो जाओ खुद कमाओ और करो अपने शौक पूरे,’ बस यह सुनने की देरी थी वह तुरन्त बोला तुम ने ही कहा था ना कि तुम जीवन भर मेरे खर्च उठाओगे अब कहाँ गया तुम्हारा वादा....? इतनी जल्दी हार मान गये.....? तो अब देखो में तुम्हें दिखाता हुँ कि पैसा कैसे कमाया जाता है. और फिर पहले तो यह बताया कि कैसे उसने एक यूनिसेक्स सलून में उसने काम किया और फिर कैसे वहाँ से उससे पैसे वाली कुछ महिलायें अपने घर पर बुलाकर भी यह स्लेयून की सुविधायें लेने लगी थी. वहीं से कुछ और पैसे वाली अमीर महिलाओं से भी उसका परिचय हुआ. उन्होंने उसे वहाँ वो ऑफर दिया जो उसे अब तक किसी ने नहीं दिया था. फर्क सिर्फ इतना था कि यहाँ ‘एक पुरुष को औरत की जरूरत पूरी करनी थी’ और ‘वहाँ अर्थात पहले वाले के केस में एक पुरुष को पुरुष की, पहले तो इसकी भी समझ में कुछ नहीं आया. लेकिन फिर जब कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की बात हुई तो वो यह तैयार हो गया।

      पहले वाला दूसरे वाले के मुंह से सच सुनकर बहुत ही हैरान था कि तभी दूसरे वाले ने हँसते हुये पहले वाले कि बात पर वापस आते हुए कहा, ‘हाँ तो अभी कौन सी देर हो गयी है ....? तुम चाहो तो अब भी मुझे ज्वाइन कर सकते हो’. बल्कि तुमको तो यह बहुत पहले कर लेना चाहिए था. अच्छा…? ‘हाँ, और क्या’ पता नहीं तुमने क्यूँ मानकर दिया. खैर जाने दो ...!‘पर मैं तुमसे एक बात कहूँ, दोनों ही नशे में चूर है, बोलो ना...! क्या – क्या मैं तुम से एक बात कहूँ, तुम नाराज तो नहीं होगे ना मुझसे, ‘अरे नहीं, मैं क्यों नाराज़ होऊंगा, तुम कहो ना, क्या कहना है...?’ यह जो इतना पैसा आया है ना अपने पास, यह इस सेलून से नहीं आया है. पर शुशश्ह......! किसी को बताना नहीं हाँ. यह तो वहाँ आने वाली महिलाओं की मेहरबानी से आया है, जो मुझे अपने घर बुलाती है, खिलाती है, पिलाती है, हाँ ...हाँ ...पता है पता है और बदले में तुम उनके बाल काटते हो...है ना ? हिचकी..., नहीं बुद्धू, मैं उनके घर जाकर उनके बाल नहीं काटता. तो फिर ...? मैं तो उनकी जरूरत पूरी करता हूँ बस….! जरूरत पूरी करता है मतलब...? दूसरे ने गिलास हाथ में ले झूमते हुए कहा मतलब “एक हाथ दे एक हाथ ले” मैं समझा नहीं यार....!

सच जानने के बाद पहले वाले ने दूसरे वाले के साथ क्या किया...! जानने के लिए जुड़े रहिए।

जारी है ....!