किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 14 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 14

लगता है तुम्हे अपनी जान प्यारी नही

 

अब आगे,

 

तनवी की बात सुन कर अब राज, आकाश और रवि अपने होश में वापस आ गए और फिर अपने आप को संभालते हुए तनवी और अभय के पीछे पहुंच गए, फिर अभय तनवी के साथ एक लक्जरी कार में बैठ गया साथ में उन दोनों के सामने आकाश बैठ गया और ड्राइवर सीट पर रवि और उस के बराबर मे राज बैठ गया और वो पांचों अब राजपूत विला के लिए निकल गए और उन की कार के पीछे पीछे अभय के बाकी कार में बारी बारी से निकल गई..! 

 

अब अभय जब अपनी बहन तनवी के साथ कार में बैठ कर राजपूत विला जा ही रहा था तो अब उस ने अपने मन में कहा, " क्या ये सच में मेरी ही बहन ही है ना या फिर इस की याददाश नही है तो ऐसा व्यवहार कर रही है..! "

 

तनवी बहुत देर से अभय को देख रही थी और जब उस से रहा नही गया तो उस ने अभय से पूछ ही लिया, " अभय भैया, आप किस के ख्यालो मे खोए हुए हो..? " 

 

तनवी की बात सुन कर, अब अभय अपनी सोच से बाहर आ गया और उस ने तनवी से कहा, " कही भी तो नही..! "

 

अभय की बात सुन कर, तनवी को अभय पर शक होने लगा और फिर उस ने शरारती अंदाज में अभय से कहा, " कही आप ने मेरे लिए कोई प्यारी सी भाभी तो नही ढूंढ ली है ना..! " 

 

तनवी की बात सुन कर, आकाश हैरानी से तनवी को देख रहा था वही रवि ने तो झटके से कार को ही रोक दिया साथ में राज भी शॉक हो गया था पर अचानक से कार रुक जाने से तनवी का बैलेंस बिगड़ गया और वो जैसे ही गिरने को हुई तो अभय ने उस को संभाल लिया जिस से उस को कोई चोट नही लगी पर अगर अभय ने सही समय पर तनवी को पकड़ा नही होता तो शायद उस को बहुत चोट लग सकती थी और इसी वजह से अब अभय का गुस्सा बढ़ चुका था और उस ने रवि को देखते हुए कहा, " लगता है तुम्हे अपनी जान प्यारी नही रही तभी तो ऐसी हरकते कर रहे हो..! " 

 

अभय की बात सुन कर, रवि ने डरते हुए अभय से कहा, " नही बॉस, ऐसा तो कुछ भी नही है वो ये बस अचानक से हो गया प्लीज मेरी पहली गलती समझ कर मुझे माफ कर दीजिए..! " 

 

वही तनवी की बात सुन कर, अब आकाश ने अपने मन में सोचा, " ये तनवी मैम को क्या हो गया है जो ऐसी बहकी बहकी बाते कर रही है और बॉस को अपने काम और बिजनेस से फुरसत मिले तो किसी लड़की के बारे में सोचेंगे ना और मेरे बॉस को तो इन सब बातो से भी कोई फर्क ही नही पड़ता क्योंकि उन के लिए तो बस उस का बिजनेस ही सब कुछ हो चुका है और ये न तो खुद अपने लिए कोई लड़की ढूंढेंगे और न ही किसी को मिलने देंगे, पता नही मुझे इस जन्म में कोई लड़की का मिलना लिखा भी है या मै अपने बॉस की वजह से कुआरा ही मर जाऊंगा..! " 

 

तनवी की बात सुन कर, अभय ने अपने मन में कहा, " आज मेरी बहन को क्या ही गया है जो मुझ से ऐसे ऐसे सवाल कर रही है..! "

 

अपनी बात अपने मन में कह कर अब अभय ने तनवी से कहा, " नही बच्चा, मैने तुम्हारे लिए अभी कोई भी भाभी नही ढूंढी है और मै तो ये सोच रहा था कि हम सब विला पहुंच कर तुम्हारे पसंद का खाना बनवाएंगे..! " 

 

अभय की बात सुन कर, अब तनवी ने अभय को ताना मारते हुए कहा, " अच्छा, पर कोई तो मुझ से कह रहे थे कि मुझे विला छोड़ कर अपने किसी इंपोर्टेंट प्रोजेक्ट की मीटिंग के लिए दिल्ली निकल जायेंगे और आप मुझ से कह रहे हो कि विला पहुंच कर मेरे पसंद का खाना बनवाओगे, आप से अच्छा झूठ तो आजकल के बच्चे बोल लेते हैं..! " 

 

तनवी से डाट खाने के बाद अब अभय का मुंह देखने लायक था और वही राज, आकाश और रवि ने किसी तरह अपनी हसी को रोक कर बैठे हुए थे क्यूंकि अगर उन के बॉस ने देख लिया तो वो उन तीनो को जिंदा ही दफन कर देगा..! 

 

तनवी ने अभय को ताना मार कर अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया वही पता नही अभय को क्या हो गया कि उस के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वो हसने लगा जिसे देख कर आकाश, राज और रवि को जैसे सदमा ही लग गया था पर आज वो तीनो बहुत खुश भी थे क्योंकि उन तीनों को भी याद नहीं था कि आखरी बार अभय कब हंसा था और वो भी तनवी के साथ..! 

 

फिर जब तनवी ने अभय को हंसते हुए देखा तो वो झट से अभय के गले लग गई और उस ने अभय से कहा, "  भैया आप हमेशा ऐसे ही हंसते और खिलखिलाते रहना क्योंकि  मुझे आप की ये मुस्कान बहुत अच्छी लगी..! "

 

तनवी के बात सुन कर, अभय भी तनवी को देखने लगा और साथ में उस ने अपने मन में कहा, " सही मे आज मुझे लग ही नही रहा है कि ये मेरी ही बहन है या नही और मै मानता हूं कि इस की याददाश चली गई है मगर याददाश जाने से इंसान का पूरा व्यवहार ही बदल जाता है ये मैने खुद आज जाना है..! "

 

जब तनवी ने फिर से अभय को अपने ख्याल मे खोया पाया तो फिर तनवी ने अभय से पूछा, " क्या अभय भैया आप बार बार अपनी किसी और ही दुनिया में क्यू चले जाते हो और मै जब से आप सब से मिली हु तब से ही आप लोग बार बार अपने ख्यालों में गोता लगा रहे हो, मुझे तो समझ में नही आ रहा है अब आप ही बताओ अभय भैया कि आप सब ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हो..? " 

 

तनवी की बात सुन कर, अब अभय ने तनवी से कहा, " ऐसा कुछ भी नही है तो तुम ऐसा वैसा कुछ भी मत सोचो, क्योंकि तुम्हारे सिर पर चोट लगी हुई हैं तो तुम ज्यादा सोचोगी तो ऐसे में तुम्हे और ज्यादा दर्द हो सकता है तो अब तुम ऐसा कुछ नही सोचोगी समझ में आया तुम्हे..! "

 

अब अभय ने तनवी को झूठ क्यू बोला होगा और आखिर उस ने उस को सच क्यू नही बताया..?  

 

To be Continued.....

 

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