किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 13 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 13

तनवी का अपनी बात मनवाना

 

अब आगे,

 

तनवी की बात सुन कर, अब अभय ने उस से कहा, " बच्चा, तुम तो मेरी सब से समझदार बहन हो ना तो मुझे अपनी इंपोर्टेंट मीटिंग के लिए दिल्ली जाने दोगी ना..! "

 

अभय की बात सुन कर, अब तनवी ने उस से कहा, " हां तो जाओ ना आप को रोका भी किस ने है बस राज, आकाश और रवि भैया को यही छोड़ कर जाओ..! "  

 

तनवी की बात सुन कर, राज आकाश और रवि के होश ही उड़ गए वही अभय उस को ऐसे देखने लगा कि आखिर वो अपनी बहन का करे तो क्या ही करे क्योंकि ज्यादा गुस्सा तो वो कर नही सकता और उस को देख लगा रहा था कि वो इतनी जल्दी मानेगी नही..! 

 

तो अब अभय ने तनवी को एक बार फिर से प्यार से मानने के कोशिश करते हुए कहा, " बच्चा, बात को समझने की कोशिश करो, मुझे वहा इन लोगो की बहुत जरूरत है..! " 

 

अभय अपनी बात पूरी कर पता उस से पहले ही तनवी ने उस से पूछा, " और वो केसे..? " 

 

तनवी के पूछने पर, अब अभय ने उस से कहा, " वो ऐसे कि आकाश मेरा पी ए है तो ये ही मेरे ऑफिस से जुडी सारी चीज़ों को देखता है और राज मेरा पर्सनल बॉडीगार्ड है जो मेरी सेफ्टी के लिए जरूरी है वही रवि मेरा पर्सनल ड्राइवर है जिसे मुझे कब कहा जाना है सब पता है इसलिए इन तीनों का मेरे साथ होना बहुत जरुरी है..! " 

 

अभय की बात सुन कर, तनवी के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती हैं जिसे देख अभय को भी समझ में नही आया कि आखिर उस की बहन अब बोलने क्या वाली थी..! 

 

अब तनवी ने अभय से कहा, " तो अब ये तीनों मेरे साथ ही विला जायेंगे क्योंकि अगर ये मेरे साथ विला जायेंगे तो आप इन तीनो के बगैर दिल्ली नही जा सकते..! " 

 

तनवी की बात सुन कर, अब अभय अपनी ही कही हुई बात पर पछता रहा था कि उस ने क्यू तनवी को ये सब बता दिया वही अब अभय ने तनवी से कहा, " बच्चा, तुम मेरी बात को क्यू नही समझ रही हो..! " 

 

अभय की बात सुन कर, अब तनवी ने अपने दोनो हाथो को आपस में जोड़ लिया और अब अभय से मुस्कराते हुए कहा, " It's your problem, not mine..! "

 

अब तनवी ने अपनी बात पूरी करते हुए अभय से आगे कहा, " अगर आप दिल्ली अपनी इंपोर्टेंट मीटिंग के लिए जाना ही चाहते हो तो जो मै कहूं वो आप को करना पड़ेगा..! "

 

तनवी की बात सुन कर अब अभय ने उस से कहा, " और तुम्हे मानने के लिए मुझे ऐसा क्या करना पड़ेगा..! " 

 

अभय की बात सुन कर, तनवी ने उस से कहा, " ज्यादा कुछ नही मेरी एक छोटी सी शर्त है उस को मान लो बस..! "

 

तनवी की शर्त वाली बात सुन कर वहा खड़ा हर इंसान हैरान रह गया और वही अभय ने तनवी से पूछा, " कैसी शर्त..? " 

 

अभय के पूछने पर अब तनवी के बहुत ही मासूमियत से कहा, " बस आप को प्लीज कहना होना, तो मै आप की बात को मानने के लिए तैयार हु..! "

 

तनवी की बात सुन कर, अब अभय उस को कन्फ्यूजन से देख रहा था तो अब तनवी ने उस को अपनी बात अच्छे से समझाते हुए कहा, " आप को कहना होगा प्लीज मेरी बात मान जाओ मेरा प्यारा सा बच्चा अगर आप ने मुझे ऐसे बोल दिया तो मै आप की बात मानने के लिए तैयार हु..! " 

 

तनवी की बात सुन कर अब सब को एक बहुत बड़ा झटका लग गया क्यूंकि आज तक किसी के अंदर इतनी हिम्मत नही थी कि वो द अभय सिंह राजपूत से प्लीज जैसे शब्द बुलवा भी सके साथ में खुद तनवी ने भी आज तक अपने बड़े भाई अभय को ऐसा कुछ करने के लिए नही कहा था पर आज खुद तनवी ने भी नही सोचा होगा कि वो अपनी याददाश जाने के बाद अभय से ये सब करवाएगी..!

 

वैसे तो आज तक अभय ने किसी की भी नही सुनी थी और हमेशा से बस अपने मन की ही करता आया है मगर आज उस को तनवी के मुंह से निकला एक एक शब्द उस के कानो में किसी मिश्री की तरह घुल सा रहा था साथ में तनवी का मासूम सा चेहरा देख कर अभय का जो थोड़ा बहुत गुस्सा था वो भी गायब हो गया और उस ने अब तनवी से कहा, " ठीक है बच्चा, प्लीज मेरी बात मान जाओ...! "

 

अभय के मुंह से प्लीज शब्द सुन कर ही वहा खड़ा हर इंसान हैरानी से अभय को ही देख रहा था और किसी को भी अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि आज खुद द अभय सिंह राजपूत ने अपनी बात मनवाने के लिए गुस्सा नही बल्कि प्यार से कुछ कहा था..! 

 

अभय की बात सुन कर अब तनवी ने उस से कहा, " क्या अभय भैया, इतनी सी बात बोलने के लिए कोई इतना सारा समय लेता है..! "

 

तनवी की बात सुन कर, अब अभय उस को घूरने लगा तो तनवी ने जब देखा कि उस का भाई उस को ही घूरे जा रहा है तो अब तनवी ने हल्की सी मुस्कान के साथ अभय के गले से लग गई और वही खड़े सब लोगों को तो जैसे कोई मिनी हार्ट अटैक ही आ गया था क्योंकि तनवी ने कभी भी सब के सामने अपने बड़े भाई को गले नही लगाया था और साथ में अभय ने आज तक किसी ने भी ऐसा कुछ नही कहा था..! 

 

तो अब अभय ने तनवी से पूछा, " अब तो मैने तुम्हारी शर्त भी मान ली है तो क्या अब मै दिल्ली जा सकता हु वो भी इन तीनो के साथ..? "

 

अभय की बात सुन कर, अब तनवी ने उस से कहा, " हां, पर आप सब को पहले मेरे साथ एक ही कार में बैठ कर विला चलना पड़ेगा फिर ही आप सब दिल्ली के लिए निकल सकते हो..! " 

 

तनवी की बात सुन कर अब अभय ने अपने मन में कहा, " जरूर से इस के दिमाग में कुछ और भी चल रहा है और अब तो लगता है मुझे ही वो मीटिंग पोस्टपोन करनी पड़ेगी..! " 

 

अपनी बात अपनी मन में कहने के बाद अब अभय अपना सिर हां मे हिला दिया और फिर तनवी ने अभय का हाथ पकड़ते हुए अपनी उसी कार की तरफ बढ़ने लगी...! 

 

अब अभय और तनवी थोड़े आगे निकले ही थे कि तनवी अचानक से रुक गाई और पीछे मुड़ कर राज, आकाश और रवि को देखते हुए उन तीनो से कहा, " और आप लोग वही खड़े रहेंगे या फिर मेरे साथ विला भी चलेंगे..! "

 

तो अब देखेगे कि तनवी का बदला हुआ व्यवहार और विचार साथ में उस की हरकते जिसे अब खुद अभय को भी समझने में मुश्किल हो रही है तो क्या अब तनवी अभय की जिंदगी को तहस नहस कर देगी या फिर उस को खुशनुमा बना देगी..!

 

To be Continued....

 

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